Rupee Vs Dollar

हाल ही में Rupee Vs Dollar के बीच टक्कर देखने को मिल रही है। एक डॉलर की कीमत 80 रुपये तक पहुंच गई है। संसद में बहुत से बड़े नेताओं का कहना है, कि 2014 के बाद डॉलर के मुकाबले रुपए में अभी तक 25 परसेंट की गिरावट देखी गई है। आखिर Rupee Vs Dollar में रुपए कमजोर क्यों होता चला जा रहा है।

तो चलिए आज मैं आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताऊंगा की आखिर किस वजह से रुपए कमजोर होता चला जा रहा है। और क्या बाकी करेंसी स्टेबल हैं, या फिर उनमें भी गिरावट देखने को मिल रही है।

Rupee Vs Dollar

19 जुलाई 2022 मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपए गिरकर के ऑल टाइम लो पर मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण विनिमय दर के स्तर डॉलर के मुकाबले 80 पर पहुंच गया। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की माने तो रुपया घटकर 80.06 प्रति डॉलर पर आ गया।

Rupee Vs Dollar

रुपया विनिमय दर क्या है?

अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर जो है, वह अनिवार्य रूप से एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए आवश्यक रुपये की संख्या है। और यह न केवल अमेरिकी सामान को खरीदने बल्कि अन्य सेवा जैसे की कच्चा तेल, कमोडिटी के अन्य इक्विपमेंट आदि की पूरी मेजबानी के लिए एक मुख्य मीट्रिक है, जिसके लिए भारतीय लोगों व कंपनियों को डॉलर की आवश्यकता होती है।

जब भी भारतीय रूपये कमजोर होता है, तो बाहर से सामानों को लेना (आयात करना) महंगा हो जाता है। और यदि कोई भारतीय समानों को बाहर देश बेचता है, (निर्यात करना) तो उसे तो फायदा होगा ही इसके साथ साथ अमेरिका देश को भी इसका फायदा होगा, क्युकी अमेरिका को इसमें कम डॉलर पे करने पड़ेंगे।

डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों कमजोर हो रहा। (Rupee Vs Dollar)

सरल शब्दों में कहा जाए तो Rupee Vs Dollar में रुपए इसलिए कमजोर होता चला जा रहा है, क्योंकि बाजार में रुपए की तुलना में डॉलर की मांग ज्यादा है। और यह मांग डॉलर की दो कारणों से बढ़ रही है।

पहला कारण यह है, कि भारत जितना निर्यात करता है, उससे ज्यादा भारत वस्तुओं और सेवाओं का आयात करता है। इसे ही CAD (CURRENT ACCOUNT DEFISIT) कहा जाता है। इसका तात्पर्य यह है, कि जितना विदेशी मुद्रा भारत में आ रही है, उससे अधिक विदेशी मुद्रा (विशेषकर डॉलर) भारत से बाहर चली जा रही है।

2022 की शुरुआत के बाद से ही जैसे ही यूक्रेन रसिया वॉर चल रहा है, कच्चे तेल और अन्य कमोडिटी के कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से भारत का CAD बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। और जो सामान विदेशों से मंगवाया जा रहा है, उसमें भारतीय ज्यादा डॉलर देने की मांग कर रहे हैं।

दूसरा कारण यह है, कि भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश में गिरावट दर्ज की गई है। भारत देश के साथ साथ अधिकांश विकाशील देशों में CAD की प्रवृत्ति होती है। लेकिन विदेशी निवेशकों द्वारा अपना कैपिटल भारत से निकालने में ज्यादा जोर दिया जा रहा है। और यह निकासी 2022 शुरुआती से ही देखने को मिल रही है।

ऐसा इसलिए भी हुआ है, क्योंकि भारत की तुलना में अमेरिका में व्याज दर अधिक तेजी से बढ़ रहा है। अमरीका में उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक द्वारा बड़ी तेजी से व्याज दर बढ़ा रहा है। जिस वजह से लोग भारतीय शेयर मार्केट (Stock market) में इन्वेस्ट न करके अपने ही देश में इन्वेस्ट कर रहे हैं। ताकि उनको भी एक अच्छा रिटर्न्स मिल सके।

इन दोनों कारणों से ही डॉलर के सामने रूपये की मांग बहुत कम होती जा रही है। यही वजह है, कि डॉलर के मुकाबले रुपए कमजोर होता चला जा रहा है।

केवल रुपए में ही या फिर अन्य मुद्रा में भी आई गिरावट

भारतीय मुद्रा के साथ साथ अन्य करेंसी में भी गिरावट देखने को मिली है। यूरो और जापानी येन समेत अन्य सभी मुद्रा के मुकाबले डॉलर मजबूत हो रहा है। परंतु यूरो जैसी बहुत से मुद्राओं के मुकाबले रुपए में तेजी देखने को भी मिली है।