आपने बहुत बार निवेशकों के मुंह से जरूर सुना होगा कि इसका वॉल्यूम इतना बढ़ा या फिर इतना गिरा। उस समय आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर Stock market me volume kya hota hai / शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है।
तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से आपको मैं बताऊंगा कि शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है। (Stock market me volume kya hota hai) इसके साथ साथ ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है। आखिर शेयर मार्केट में वॉल्यूम की क्या भूमिका है।
शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है। (Stock market me volume kya hota hai)
स्टॉक मार्केट में हमें वॉल्यूम यह दिखलाता है, कि किसी एक निश्चित समय में कितने शेयर को खरीदा और बेचा गया है। या फिर उस समय में कितने शेयरों में ट्रेड किया गया है। अर्थात जितने शेयर को बेचा और खरीदा जाता है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है।

आपको बता दें, कि खरीदे हुए शेयर या फिर बेचे गए शेयर की संख्या जितनी अधिक होगी चार्ट में स्टॉक्स का उतना ही ज्यादा बढ़ जाएगा। और जितना ही अधिक लोग शेयर को बेचेंगे उतना ही अधिक उसका वॉल्यूम का कैंडल भी बढ़ता जाता है।
सरल शब्दों में कहा जाए तो एक निश्चित समय में ट्रेड किए गए शेयर की संख्या को वॉल्यूम कहा जाता है।
वॉल्यूम = शेयर के कुल नंबरों के संख्या।
इसका अर्थ यही हुआ की एक समय अंतराल के दौरान कितने शेयर को खरीदा और बेचा गया है। तब उन सभी शेयर को गिनने में जो संख्या आती है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है।
वॉल्यूम कितने समय में ट्रेड किया जाता है।
Stock market me volume kya hota hai– कोई भी टाइम के अंतराल में चाहे वह 1 दिन का हो, या फिर 1 महीने या फिर 1 साल का कुछ भी समय हो, उसके दौरान चाहे वह 1 मिनट हो या फिर आधे या फिर 1 घंटे का, उस समय में किसी भी कंपनी के जितने भी नंबर ऑफ शेयर को ट्रेड किया जाता है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है। वॉल्यूम को आप अपने ब्रोकर के हिसाब से उसमे उपस्थित हर टाइम फ्रेम में देख सकते हैं।
ट्रेडिंग वॉल्यूम –
Stock market me volume kya hota hai – वॉल्यूम को आपने समझा कि जितने शेयर को खरीदे और बेचे जाते हैं, उनकी कुल संख्या को वॉल्यूम कहा जाता है।
ठीक उसी तरह ट्रेड लेते समय जब आप या फिर कोई भी हर बार शेयर को खरीदते और फिर उन्हें बेचते हैं, तो उनकी कुल संख्या को ट्रेडिंग वॉल्यूम कहते हैं।
इसे एक उद्धरण के तौर पर समझते हैं, माना आपने आज स्टॉक मार्केट में किसी कंपनी के 20 शेयर को खरीदा है, और कुछ समय बीत जाने के बाद आपने उन शेयर को बेच दिया तो total trading volumes जो होगा वह 40 हो जायेगा। इसमें हाई वॉल्यूम को आप यह समझ सकते हो, की बहुत से शेयर को एक जगह से दूसरी जगह ट्रेड किया जा रहा है।
शेयर के अलावा वॉल्यूम कहां प्रयोग होता है–
वॉल्यूम केवल और केवल शेयर के लिए ही नहीं बल्कि बाकी इन्वेस्टमेंट के लिए भी मापा जाता है। जैसे फ्यूचर और ऑप्शन, गोल्ड, mcx आदि चीजों में भी वॉल्यूम का प्रयोग किया जाता है। जैसे स्टॉक में नंबर ऑफ शेयर जो निश्चित समय में किया जाता है, को वॉल्यूम कहते हैं।
ठीक उसी तरह फ्यूचर और ऑप्शन में वॉल्यूम को इस तरह देखा जाता है, कि कितने लोगों ने कॉन्ट्रैक्ट्स को एक जगह से दूसरी जगह भेजा हुआ है। इसके अलावा वॉल्यूम को अन्य फाइनेंस रिलेटेड इन्वेस्टमेंट में भी प्रयोग में लाया जाता है।
वॉल्यूम का क्या काम है–
वॉल्यूम का काम मार्केट में लिक्विडिटी और एक्टिविटी को मापना है। लिक्विडिटी को आप कुछ इस तरीके से समझ सकते हो, कि आप जितनी आसानी से स्टॉक को खरीद और बेच सकते हो उसे लिक्विडिटी कहते हैं।
इसका मतलब यह हुआ की जितना अधिक लिक्विडिटी होगी, उतने ही आसानी से हम स्टॉक को खरीद और बेच सकते हैं। साथ ही उसका वॉल्यूम भी हमको उतना ही अधिक देखने को मिलेगा। और जो स्टॉक्स अधिक लिक्विड होते हैं, उनमें वॉल्यूम भी उतना ही अधिक दिखता है।
वॉल्यूम क्यों महत्वपूर्ण है–
Stock market me volume kya hota hai –आपको हमेशा ट्रेड करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए, कि इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी भी ट्रेडिंग सेशन के दौरान जब मार्केट ओपन होता है, और जब मार्केट क्लोज होता है, उस दौरान आपको वॉल्यूम बहुत अधिक देखने को मिलता है। और बीच के समय में मार्केट कुछ भी हो सकता है। याने की लिक्विडिटी कम या फिर अधिक। इसलिए इंट्राडे ट्रेडर के लिए वॉल्यूम का देखना बहुत ही जरूरी भी बन जाता है।
इसके साथ साथ जो लोग फंडामेंटल को देख कर के इन्वेस्टमेंट करते हैं, उनके लिए भी वॉल्यूम देखना बहुत जरूरी हो जाता है। क्योंकि वह बड़े टाइम फ्रेम में देख पाते हैं, की कितने लोग किस प्राइस पर Buy or Sell कर रहे हैं।