Tax saving tips

आज कल की महंगाई से सभी लोगों की जेब ढ़ीली होती दिख रही है। वहीं जिन लोगों की सालाना कमाई 5 लाख से थोड़ा ही ज्यादा है, तो उनको इस बात की टेंशन हुई रहती है, कि पहले ही इतने खर्चे हैं, और ऊपर से उनको टैक्स भी चुकाना पड़ता है। उन लोगों को Tax saving tips के बारे में कुछ भी नॉलेज नही रहता जिस वजह से वह अपने आप को कोश्ते रहते हैं।

तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको उन Tax saving tips के बारे में बताऊंगा जिनकी मदद से की आप कम टैक्स देकर के अपनी मनी की सेविंग कर सकते हैं।

टैक्स सेविंग टिप्स (Tax Saving Tips)

टैक्स सेविंग टिप्स (Tax saving tips) को जानने से पहले आपको टैक्स रूल के बारे में सामान्य जानकारी दे देता हूं।

Tax Saving Tips

टैक्स नियम के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की सालाना कमाई ढाई लाख (2.5 लाख) तक की है, तो उस व्यक्ति को कोई भी टैक्स पे नहीं करना होता है। यदि 2.5 लाख रुपए से और 5 लाख तक के बीच में है, तो उस व्यक्ति को 5% तक का टैक्स देना पड़ता है। और यदि उस व्यक्ति की सालाना इनकम 5 से 10 लाख रुपए तक है, तो उसको 20% टैक्स और यदि 10 लाख से ऊपर की इनकम है, तो उसे 30% टैक्स देना होता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि टैक्स के स्लैब प्रत्येक साल वित्तीय वर्ष में चेंज किए जाते हैं। कभी कभी सरकार इसमें कोई बदलाव भी नही करती है।

तो चलिए जानते हैं, Tax saving tips को जिनकी मदद से आप अपने कैपिटल inco को सेफ कर सकते हो।

1.स्टैंडर्ड डिड्क्शन (Standard Deduction)

Tax Saving Tips में आपका सबसे पहले स्टैंडर्ड डिडक्सन आ जाएगा। जिसके तहत की आपको अपनी इनकम में 50,000 रुपए तक की छूट मिलती है।

2. सेक्शन 80C धारा

सेक्शन 80C धारा के तहत आप अपने लगभग डेढ़ लाख रुपए तक बचा सकते हैं। इसके लिए आपका निवेश PPF, ELSS, NSC, EPF आदि में निवेश करना होता है। इसके अलावा यदि आपके बच्चे हैं, तो आप उनकी शिक्षा के लिए 1.5 लाख रुपए तक की इनकम पर इनकम टैक्स (Income tax) छूट का लाभ ले सकते हैं।

3. नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)

यदि आप नेशनल पेंशन स्कीम में सालाना 50,000 रुपए तक इन्वेस्ट करते हैं, तो सेक्शन 80 CCD के तहत आप अपनी इनकम में 50 हजार रुपए तक बचा सकते हैं। जोकि आपको इनकम टैक्स देने से बचा सकते हैं।

4. होम लोन (Home Loan)

यदि आपने बैंक से अपने लिए होम लोन लिया हुआ है, तो आप अपने अतिरिक्त 2 लाख रुपए तक की सेविंग कर सकते हो। इनकम टैक्स के सेक्शन 24 B के तहत 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर आप टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हो। जिसे की आप अपनी सालाना आय से घटा सकते हो।

5. सेक्शन 80D की धारा

सेक्शन 80D की धारा के तहत आप मेडिकल पॉलिसी को ले सकते हैं। इस हेल्थ इंश्योरेंस में आपका, आपकी पत्नी और बच्चों का नाम भी होना चाहिए। इसमें आप प्राइवेंटिव हेल्थकेयर चेकअप की लागत के साथ साथ हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिए 25 हजार रुपए तक का क्लेम कर सकते हैं।

इसके अलावा यदि आपके माता–पिता सीनियर सिटीजन के हैं, तो फिर आप उनके नाम पर भी हेल्थ इंश्योरेंस को खरीदकर 50 हजार रुपए तक का अतिरिक्त क्लेम ले सकते हैं।

6. सेक्शन 80G की धारा

इनकम टैक्स के इस सेक्शन के अंदर आप 25 हजार तक का टैक्स डेडक्शन दान या फिर चंदा देकर के माफ कर सकते हैं। लेकिन यह तब ही मान्य होगा जब आप दान या फिर चंदा की मुहर लगी हुई रसीद को जमा करेंगे। इनकम टैक्स के सेक्शन 80G के तहत आपको 25 हजार तक के अमाउंट में छूट मिल सकती है। यह भी एक tax saving Tips है, जोकि बहुत से लोगो को पता नहीं होती है।

7. सेक्शन 87A की धारा

इनकम टैक्स के अनुसार यदि आप 5 लाख रुपए की कमाई सालाना करते हैं, तो आप पर टैक्स 12,500 रुपए याने की ढाई लाख का 5% बनता है। ऐसे स्तिथि में सेक्शन 87A के तहत साढ़े 12 हजार रुपए तक का डिबेट मिल जाता है। और आपको कोई भी टैक्स नहीं देना होता है।

उम्मीद करता हूं कि आपको आज का टॉपिक Tax Saving Tips के बारे में अच्छे से समझ आ गया होगा।

Fundamental analysis

बहुत से लोगों को Fundamental analysis के नाम से ही डर लगने लगता है, लेकिन यदि शेयर मार्केट (Stock market) में किसी कंपनी में इन्वेस्ट करना है, तो Fundamental analysis सबसे जरूरी होती है। जिसका मतलब होता है, कि किसी भी कंपनी की पूरी डिटेल्स को निकालना। स्टॉक मार्केट में कंपनी का दो तरीके से एनालिसिस किया जाता है। पहला Technical analysis और दूसरा Fundamental analysis,

तो चलिए दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा की Fundamental analysis क्या होता है।

फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis)

फंडामेंटल एनालिसिस वह प्रोसेस होती है, जिसमें की निवेशकों को किसी स्टॉक्स के चयन के लिए उसकी पुरानी हिस्ट्री जाननी होती है, जिससे की निवेशक उसके पुराने सारे रिकॉर्ड्स को अच्छे से जान कर उसमें इन्वेस्ट कर सकें।

Fundamental analysis

किसी भी कंपनी के पिछले रिकॉर्ड्स निकालने से मतलब उस कंपनी के प्रॉफिट–लॉस, रेवेन्यू, कंपनी का मैनेजमेंट, कंपनी क्या प्रोडक्ट बनाती है, उस प्रोडक्ट की डिमांड कितनी है, आदि चीजों से है। कोई भी कंपनी हो यदि उसमें स्मार्ट इंवेस्टर इन्वेस्ट करे तो वह कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis) जरूर करेगा।

फंडामेटल एनालिसिस को देखने से हमें कंपनी की ग्रोथ का यह पता भी लग जाता है, कि कंपनी प्रॉफिट कर रही है, या फिर लॉस। क्योंकि इसमें कंपनी का बहुत ही बारीकी से विश्लेषण किया जाता है। Fundamental analysis में यह देखा जाता है, कि वह कंपनी आर्थिक रूप से कितनी मजबूत है, क्या यह कंपनी हमें लॉन्ग टर्म में एक अच्छा रिटर्न्स दे सकती है।

अधिकतर लॉन्ग टर्म इंवेस्टर (Long term investing) जो होते हैं, वह कंपनी में इन्वेस्ट उस कंपनी के फंडामेंटल को देख कर ही किया करते हैं। Fundamental analysis भी दो प्रकार के होते हैं।

  • Qualitative Analysis
  • Quantitative Analysis
Qualitative Analysis

Quanlitative Analysis में किसी भी कंपनी के एनालिसिस को हम नंबर के फॉर्म में नहीं देख सकते हैं। इसमें हम नंबर को देखने की जगह कंपनी की ब्रांड वैल्यू को देखते हैं। और कंपनी के जो भी कंपीटीटर होते हैं, उनसे आपस में तुलना करते हैं। इस तरीके से हमको किसी भी कंपनी की जानकारी मिलती है। यह प्रत्येक इंसान के लिए अलग अलग हो सकती है। किसी भी कोई प्रोडक्ट अच्छा लगता है, तो किसी को कोई और प्रोडक्ट अच्छे लगते हैं।

Quantitative analysis

Quantitative analysis में हम किसी भी कंपनी के बारे में नंबर में जान सकते हैं। इसमें कंपनी की बैलेंस शीट को देखा जाता है, जिसमें की कंपनी का PE Ratio, Earning, EPS Ratio, Dividend, Cash Flow आदि चीजों के आधार पर इन्वेस्ट किया जाता है। यदि ये सब चीजें कंपनी की खराब रहती है, तो कंपनी को कमजोर समझा जा सकता है।

कंपनी का फंडामेटल एनालिसिस कैसे करें

किसी भी किसी कंपनी का जब हमें Fundamental analysis करना होता है, तो हम सबसे पहले उस कंपनी का बैलेंस शीट देखेंगे। इससे हमें कंपनी की पूरी जानकारी मिल जाती है। यदि हमें कंपनी का फंडामेंटल चेक करना है, तो हम गूगल में जा कर के NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) की वेबसाइट में VISIT कर सकते हैं। जोकि एक सेबी रजिस्टर्ड वेबसाइट है। इसमें हमें किसी एक्सपर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ती है। और कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी भी मिल जाती है। और फिर हम एक अच्छी कंपनी में इन्वेस्ट भी कर सकते हैं।

फंडामेंटल एनालिसिस कैसे उपयोगी है–

जो भी इंवेस्टर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग करते हैं, उनके लिए फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है, एनालिसिस करने से उनको वे स्टॉक्स बड़ी आसानी से मिल जाते हैं, जिनसे की उन्हें आने वाले समय में एक अच्छा रिटर्न्स मिल सकता है। साथ ही अच्छे बिसनेस वाली कंपनियां भी आसानी से मिल जाती है। फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग हमेशा लंबे समय के लिए इन्वेस्ट के लिए किया जाता है। इसमें जल्दी पैसा कमाने का टारगेट नही रखा जाता है। बल्कि इन्वेस्ट किए गए शेयर में सही रेट ऑफ रिटर्न्स पर कंपाउंडिंग करने में ध्यान दिया जाता है।

फंडामेंटल एनालिसिस के लिए मुख्य बिंदु

  • Balance sheet
  • Profit or loss
  • Annual report
  • Cash Flow
  • EPS (Earning per share)
  • Book value
  • Sales
  • Growth
  • Opponent company
  • Debt
  • Company Managemet Ect

Blue Chip fund

देश की आर्थिक हालात खराब हो रही है। लोग अपने जोखिम को कम से कम करना चाहते है, या फिर यह समझें की लोग जोखिम लेने से बच रहे हैं। इस बीच म्‍यूचुअल फंडों के इंवेस्टर ब्‍लूचिप फंडों (Blue chip fund) के बारे में जानना चाहते हैं, कि ‍क्या सही में ही Blue chip fund म्‍यूचुअल फंड की कोई कैटेगरी है?

तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा की Blue Chip fund आखिर क्या होते हैं। यह किस प्रकार से काम करता है। साथ ही Blue Chip fund के लाभ और जोखिम क्या हैं?

ब्लू चिप फंड (Blue Chip Fund)

ब्लू चिप फंड (Blue Chip Fund) एक ऐसा इक्विटी प्लान है, जिसका उद्देश्य इंवेस्टर के फाइनेंशियल उद्देश्यों को पूरा करने में मदद के जरिए उन्हें एसेट अर्न (Asset Earn) की संभावनाएं उपलब्ध करवाना होता है।

Blue Chip Fund

ब्लू चिप फंड (Blue Chip Fund) में लोकप्रिय वस्तुएं और सेवाएं जो होती हैं, और इनका आउटपुट जो निकलता है, वह विक्री, लाभप्रद्धता और लाभांश परिणाम को दर्शाता है। ये MMC (एमएमसी) की पेशकश करने वाले ब्लू चिप फंड होते हैं। जोकि विख्यात ब्रांड होते हैं।

आपको बता दें, चाहे कोई भी ब्लू चिप कंपनी का स्टॉक हो, वह सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद निवेश करता है। और यही वजह है, कि ब्लू चिप फंड (Blue chip fund) के अधिकतर स्टॉक्स छोटे स्मॉल कैप कंपनियों की तुलना में कम उतार चढ़ाव वाले होते हैं। और इसी स्थिरता की वजह से इंवेस्टर इन्हें ज्यादा पसंद करते हैं।

क्या ब्लू चिप फंड म्यूचुअल फंड की कैटेगरी है?

लोग अधिक से अधिक जोखिम लेने से बच रहे हैं, इसी बीच म्यूचुअल फंड के इंवेस्टर ब्लू चिप फंड (Blue chip fund) के बारे में जानना चाहते हैं, कि क्या यह सच में म्यूचुअल फंड का ही कोई हिस्सा है। तो इसका उत्तर है, नहीं।

बाजार में रखे हुए नजर जोकि इंवेस्टर के हित के लिए बनाई गई है, SEBI ने इस तरह की किसी भी कैटेगरी को आधिकारिक मंजूरी नहीं दी है। SEBI के नियम के अनुसार, Blue chip fund, म्यूचुअल फंड की कोई भी कैटेगरी नहीं है। बहुत से एडवाइजर और बहुत सी कंपनियां लार्ज कैप फंड को ही Blue chip fund के तौर पर ही प्रयोग करते हैं।

आपको बता दें, कि Blue chip fund की सलाह उन इन्वेस्टरों को दी जाती है, जो मार्केट में ज्यादा जोखिम नहीं ले सकते हैं। इन स्कीम में आपको कम से कम 5 सालों को ध्यान में रखकर ही निवेश करना चाहिए।

ब्लू चिप फंड कैसे काम करता है

ब्लू चिप फंड सामान्य तौर पर बीएसई 100 इंडेक्स की छोटी कंपनियों को जिनका कि मार्केट कैपिटलाइजेशन भी काफी कम होता है, वाले स्टॉक्स को विभाजित करती हैं, और उन इक्विटी स्टॉक्स में रिसोर्सेज को डायवर्सिफाई करके एक बेहतर लाभ हासिल करते हैं।

ब्लू चिप फंड के लाभ

  • भविष्य के लिए अच्छी मात्रा में धन को एकत्रित करना।
  • इक्विटी प्लान होने की वजह से Blue chip fund पैसों को बनाने में और अधिक सुलभता प्रदान करता है।
  • इस स्कीम में मनी मार्केट टूल में इन्वेस्ट करने का विकल्प है, जिससे रिक्रेन्ट रेवेन्यू मिलता है, और इससे वित्तीय स्थिरता बनी रहती है।
  • ब्लू चिप फंड में निवेश करके हम अपने रिटायरमेंट प्लानिंग, बच्चों की अच्छी शिक्षा उनका भविष्य आदि इन्वेस्टमेंट लक्ष्यों को भी पूरा कर सकते हैं।
  • यह एक ओपन एंडेड स्कीम है, जिसमे आप अपनी जरूरत के अनुसार कभी भी मनी को विड्रावल और रिडीम कर सकते हैं। और उस स्थिति में लोन लेने से बच सकते हैं।
  • यह एक सेफ इन्वेस्टमेंट है।

ब्लू चिप फंड में कितना जोखिम है–

  • जिन निवेशकों को हाई वोलेटिलिटी पसंद आती है, उनके लिए यह फंड बिल्कुल भी सही नही रहेगा, क्योंकि ब्लू चिप फंड की कंपनियों में उतार चढ़ाव कम देखने को मिलता है।
  • उतार चढ़ाव कम होने की वजह से इसके रिटर्न्स भी सीमित मिलता हैं।
  • इसमें निवेशकों से जुटाई गई रकम का कम से कम 80 परसेंट टॉप 100 कंपनियों में निवेश करना जरूरी होता है।
  • बड़े बड़े सलाहकार इसकी सलाह उन निवेशकों को देते हैं, जो अधिक रिस्क नहीं ले सकते हैं।
  • सलाहकार द्वारा इन स्कीमों को कम से कम 5 से 7 साल तक के टाइम पीरियड को ध्यान में रख कर इन्वेस्ट करना चाहिए।

Trading vs Investing

नए नए लोग जब स्टॉक मार्केट में उतरते हैं, तो उन्हें ट्रेडर और इन्वेस्टर का शब्द काफी बार सुनने को मिलता है। यदि आप स्टॉक मार्केट में इंटरेस्ट रखते हो, या फिर मार्केट को सीखना चाहते हो, तो आपको Trading vs Investing के बारे में आपको पता होना चाहिए। बहुत से लोगों को Trading और Investment का मतलब एक ही लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है, दोनों में काफी फर्क है। Trading vs Investing में कौन बेहतर है, आइए जानते हैं।

तो चलिए आज के इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको Trading vs Investing के बीच अंतर बताऊंगा। और इनके कितने प्रकार होते हैं, यह सब जानकारी आपको दूंगा।

Trading vs Investing

Trading vs Investing में आपको पहले ट्रेडिंग के बारे में बताते हैं।

Trading vs Investing

ट्रेडिंग (Trading) क्या है–

ट्रेडिंग में आप किसी भी शेयर को या फिर इंडेक्स को शॉर्ट टर्म (Short term) के लिए Buy करके रखते हैं। इसमें शॉर्ट टर्म से आशय किसी भी शेयर को 1 साल से कम समय के लिए अपने पास होल्ड रखने से है। अब वह चाहे आपका 1 ही दिन हो, एक हप्ता या फिर 3 महीने ही क्यों न हों।

स्टॉक मार्केट (Stock market) में ट्रेडिंग करके आप कितना भी रिटर्न्स जेनरेट कर सकते हैं। इसकी कोई लिमिट नही होती है। लेकिन आपको यह ध्यान में रखना चाहिए, जिसमे आपको जितना अधिक प्रॉफिट देखने को मिलेगा उसमे आपका रिस्क उतना ही अधिक होगा।

जो लोग स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग किया करते हैं, उन्हें ट्रेडर कहा जाता है। जो भी बड़े बड़े ट्रेडर होते हैं, वह ट्रेडिंग करते समय सिर्फ कंपनी के स्टॉक प्राइस के पैटर्न को एनालिसिस करके उनको खरीद और बेचते हैं। ट्रेडर जो होता है, वह कंपनी के फंडामेंटल को चेक नही करता है, क्योंकि ट्रेडिंग करते समय हर सेकंड हर मिनट में उनका प्राइस चेंज होता रहता है। इसलिए वह स्टॉक के पैटर्न और वॉल्यूम को एनालिसिस करते हैं।

ट्रेडिंग के प्रकार (Types of Trading)

ट्रेडिंग एक शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट होती है। इसमें आपको बहुत से प्रकार देखने को मिलता हैं। तो चलिए जानते हैं, उन प्रकारों को –

  • यदि कोई भी ट्रेडर कुछ मिनट के लिए किसी भी शेयर को होल्ड करके रखता है, और उसके बाद सेल कर देता है, तो उसे Scalp trading कहते हैं।
  • यदि कोई ट्रेडर केवल एक दिन के अंदर ही शेयर को खरीदता और बेचता है, तो उसे Intraday trading कहा जाता है।
  • यदि कोई ट्रेडर कुछ दिनों के लिए या फिर कुछ सप्ताह के लिए शेयर को होल्ड करके रखता है, और फिर सेल कर लेता है, तो उसे Swing trading कहते हैं।
  • यदि कोई ट्रेडर शेयर्स को कुछ महीने तक होल्ड करके रखता है, और तब सेल करता है, तो उसे Position Trading कहते हैं।

इन्वेस्टमेट (Investment) क्या है–

वह स्टॉक्स जिन्हें की हम लॉन्ग टर्म (Long term) के लिए होल्ड करके रखते हैं। उसे इन्वेस्टमेंट कहा जा सकता है। इसमें लॉन्ग टर्म का आशय 1 साल से अधिक समय से है। और जो लोग इन्वेस्टमेंट करते हैं, उन्हे इन्वेस्टर (Investor) कहा जाता है। इन्वेस्टर को छोटे मोटे मूवमेंट से कोई भी फर्क नहीं पड़ता है। वह एक बार किसी भी शेयर के फंडामेंटल को अच्छे से जान लेते हैं, और उसके बाद उसे लॉन्ग टर्म तक होल्ड करके रखते हैं।

इन्वेस्टर जो होते हैं, वह स्मार्ट वर्क करते हैं। मतलब की वह एक बार शेयर को लेने के बाद उसमे ध्यान नहीं देते और 5, 10 सालों तक उसे होल्ड करके रखते हैं। और जब opportunity दिखती है, तब उसे सेल कर देते हैं। जिस तरह ट्रेडर का ध्यान टेक्निकल एनालिसिस के उप्पर होता है, ठीक उसी तरह से इन्वेस्टर का ध्यान कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस पर होता है। फंडामेंटल एनालिसिस करने से इन्वेस्टर को कंपनी के बारे में एक आइडिया मिल जाता है, कि यह कंपनी फ्यूचर में कहां तक ग्रोथ कर सकती है।

Trading vs Investing

इन्वेस्टिंग के प्रकार (Types of Investing)

इन्वेस्टिंग को मुख्यत हम 2 भागों में बांट सकते हैं।

  • वैल्यू इन्वेस्टिंग (Value investing) – भविष्य में जो इंडस्ट्री ज्यादा डेवलप होगी, उन कंपनियों को पहचानना और उनमें इन्वेस्ट करना वैल्यू इन्वेस्टिंग कहलाता है।
  • ग्रोथ इन्वेस्टिंग (Growth Investing) – ग्रोथ इन्वेस्टिंग का आशय उन कंपनियों में इन्वेस्टिंग करने से है, जो फंडामेंटल काफी स्ट्रांग होती है। जिन इंडस्ट्रियों का मार्केट में नाम भी होता है।

उम्मीद करता हूं, आपको मेरे द्वारा बताए गए Trading vs Investing के बीच क्या अंतर होता है, अच्छे से समझ आ गया होगा।

Passive income ideas in india

Passive Income पैसे कमाने का वह सरल तरीका है, जिससे की कोई भी व्यक्ति अपनी Earning को बढ़ाकर एक अच्छी लाइफ जी सकता है। आज पैसिव इनकम के तरीके को पूरी दुनिया के अमीर लोग, बिजनेस मैन आदि लोग अपनाते हैं। इनके पास Passive income ideas बहुत से होते हैं, जिनकी मदद से वह उनमें इन्वेस्ट करते हैं।

तो चलिए आज मैं आपको इस आर्टिकल के जरिए Passive income ideas बताऊंगा, जिनको की आप भी अपनी लाइफ में इस्तेमाल कर सकते हैं।

पैसिव इनकम (Passive Income)

Passive income एक ऐसी इनकम होती है, जिसे की एक बार हमारे द्वारा बना दिया जाता है, तो वह हमको उस परिस्थिति में भी पैसे बना कर देता है, जिस समय में हमारे द्वारा कुछ काम भी न किया जा रहा हो, या फिर हम किसी काम करने में हम असमर्थता महसूस कर रहे हों। Passive income के लिए आपको शुरुआत में परिश्रम तो करना पड़ सकता है, लेकिन बाद में इससे हमको एक बडा फायदा होता है।

पैसिव इनकम के सोर्स (Passive income ideas)

Passive income ideas

Passive income ideas वैसे तो बहुत से हैं, लेकिन मैं आपको कुछ मुख्य Passive income ideas के सोर्स बताऊंगा।

1. स्टॉक मार्केट (Stock Market)

आप स्टॉक मार्केट के जरिए अपने लिए पैसिव इनकम जेनरेट कर सकते हैं। अगर आपकी रिसर्च सही रही तो आपको इसमें मिनिमम 15 परसेंट से और आगे कितना भी परसेंट तक रिटर्न्स मिल सकता है। लेकिन इसके लिए आपको स्टॉक मार्केट (Stock Market) की समझ होनी चाहिए। और इसके साथ साथ आपको अच्छी कंपनी में डिविडेंट भी मिलता है।

2. म्यूचुअल फंड (Mutual Fund)

यदि आप स्टॉक मार्केट को अच्छे से नही समझते हैं, तो आप म्यूचुअल फंड की स्कीम में इन्वेस्ट कर सकते हैं। जोकि एक पैसिव इनकम है। यह लगभग शेयर मार्केट की तरह ही होता है, लेकिन बस इसमें फर्क इतना है, कि स्टॉक मार्केट में खुद रिसर्च करनी होती है। और म्यूचुअल फंड में आपके लिए मैनेजमेंट कंपनी कार्य करती है।

3. किराए पर रखना (Room Rent)

यदि आप अपने घर में अनावश्यक कमरों को किसी को किराए में दे देते हैं, तो वहां से भी आपकी महीने महीने इनकम आती रहेगी। जोकि पैसिव इनकम कह लाएगी।

4. बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (Bank Fixed Deposit)

बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट भारत में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाला पैसिव इनकम मैथड है। इसके माध्यम से आप अधिक तो नही लेकिन सालाना लगभग 6 परसेंट तक का रिटर्न्स कमा सकते हैं। यह रिटर्न आपको बैंक में रखे धनराशि के उप्पर मिलती है।

5. रियल स्टेट (Real State)

रियल स्टेट भी बहुत से लोगों द्वारा अपनाए जाने वाला पैसिव इनकम मैथड है। इसमें आप किसी प्रॉपर्टी को सस्ते दामों में खरीदते हो, और किसी और को थोड़ा ज्यादा प्राइस में बेच देते हो। या फिर समय के साथ साथ उस प्रॉपर्टी का प्राइस भी बढ़ जाता है। तो तब आपको उससे एक अच्छा रिटर्न्स कमाने को मिलता है।

6. बिजनेस (Business)

बड़े बड़े सफल लोग बिजनेस करने से ज्यादा पैसे कमाने पर ज्यादा यकीन करते हैं। उन्हे इस बात का डर नही रहता है, कि इसमें यदि उनका लॉस हो जाए तो उनका क्या होगा। बल्कि वह उसे समझदारी से ऑनलाइन डालकर के उस बिजनेस को अपने लिए पैसिव इनकम में बदल लेते हैं।

7. यूट्यूब (Youtube)

डिजिटल के जमाने में डिजिटली तरीके से पैसे कमाना आज कल सामान्य सी बात हो गई है। लोग यूट्यूब के माध्यम से वीडियो बना कर पैसे कमा रहे हैं। और जब तक वह वीडियो लोगों के द्वारा देखा जायेगी, तब तक आपकी उससे इनकम आती रहेगी। यह भी एक पैसिव इनकम का ही सोर्स है।

Passive income ideas

8. आर्टिकल ब्लॉगिंग और एफिलिएट मार्केटिंग (Article Blogging and Affiliate Marketing)

एफिलिएट मार्केटिंग में आप किसी कंपनी के प्रोडक्ट को प्रमोट करते हैं। और किसी के द्वारा वह प्रोडक्ट को लेने पर आपको उसका कुछ परसेंट हिस्सा कमीशन के तौर पर मिल जाता है। यह प्रॉडक्ट आप सोशल मीडिया में या फिर ब्लॉगिंग आर्टिकल के जरिए कहीं भी प्रमोट कर सकते हैं। यह भी पैसिव इनकम का ही काम करती है।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

अमीर होना किसको पसंद नहीं होता, लेकिन आपकी कुछ गलतियों की वजह से आप अपने मिशन में सफल नहीं हो पाते हैं। और अमीरी की ओर बढ़ने से रुक जाते हैं। अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके यदि आप अपनाते हैं, तो आप अपने लक्ष्य को बड़ी आसानी से हासिल कर सकते हैं।

तो चलिए आज मैं आपको अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके बताऊंगा, जिससे कि आप गरीब होने से बच सकते हैं।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके (How to Get Rich)

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

बहुत से लोगों का जो अमीर बनने का सपना होता है, वह कुछ ही लोग साकार कर पाते हैं। और वह अपनी जिंदगी में अच्छा खासा आनंद भी लेते हैं। और ये वे लोग हैं, जो कि अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके अपनाते हैं। तो चलिए जानते हैं, उन तरीकों को –

1. बचत करना सीखें

बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जोकि बचत नहीं किया करते हैं। और बचत न होने की वजह से वह गरीबी की ओर बढ़ते जाते हैं। सीमित आमदनी के बाद भी यदि आप अमीर बनना चाहते हैं, तो आपको आज से ही बचत को शुरू कर लेना चाहिए।

आपको यह बात हमेशा ध्यान में रखना चाहिए, कि जीवन में कमाना, बचाना बहुत जरूरी है, लेकिन अपनी बचत पर सबसे ज्यादा रिटर्न्स कमाना अमीर बनने की नींव होती है।

2. बिजनेस करना

काफी लोग बिजनेस के नाम सुनते ही डरने लगते हैं, लेकिन आपको बता दें, कि जिस चीज में जितना अधिक रिस्क होता है। उसमे प्रॉफिट की संभावना भी उतनी ही अधिक होती है। आप बिसनेस शुरू करे लेकिन कम रिस्क के साथ। एक्सपीरियंस के साथ साथ अपने रिस्क को बाद में बड़ा सकते हैं।

3. जल्द बचाना शुरू करें

इसे सीधे एक उद्धरण से समझते हैं, यदि किसी व्यक्ति ने 25 साल की उम्र में सालाना 1 लाख का निवेश किया है, और उसे 12 परसेंट का रिटर्न्स इंडेक्स फंड में मिल रहा है, तो वह 60 की उम्र में 5 करोड़ का मालिक होगा। लेकिन यदि आपने 10 साल बाद निवेश शुरू किया तो आपको 5 करोड़ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सालाना साढ़े 3 लाख रुपए इन्वेस्ट करने होंगें। और यही अमाउंट आपको 45 की उमर में शुरू करने पर 12 लाख इन्वेस्ट करने होंगे।

4. क्रेडिट और डेबिट कार्ड का सदुपयोग करना

क्रेडिट कार्ड (Credit Card) या डेबिट कार्ड (Debit Card) का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए। अनावश्यक चीजों की खरीददारी नही करनी चाहिए। और इसमें मिले गए बोनस को भी सैलरी की तरह मानकर आपको हमेशा खर्च और बचत करना चाहिए।

5. समय के अनुसार बचत को बढ़ाए

सालाना बचत की रकम को बढ़ाते रहने से आप अपने वित्तीय लक्ष्य को जल्दी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ साथ बड़े लक्ष्यों को भी आप आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। यदि आप अपने बचत में वृद्धि नहीं करेंगे तो महंगाई की वजह से आपकी बचत में बड़ोतरी नही हो पाएगी।

आप अपने एसआईपी (SIP) में कुछ ही परसेंट की बदोतरी के साथ साथ एक अच्छा अमाउंट रिटर्न में पा सकते हैं।

6. इन्वेस्ट करें

इन्वेस्टमेंट अमीर बनने की सबसे मुख्य कुंजी है। हर कोई अमीर आदमी आपको इन्वेस्टमेंट करने की सलाह जरूर देगा। यदि आप अपनी इन्वेस्टमेंट को अच्छी जगह में लगाएंगे तो आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलेगा। लेकिन आप अपनी इन्वेस्टमेंट को किसी भी जगह लगाते हैं, तो फिर आपको बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

7. फंड का प्रयोग दूसरे काम में न करें

आपको अपने फंड का पैसा कभी भी दूसरे चीजों को लेने के लिए प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। चाहे आपको कितनी भी जरूरत क्यों न पड़ें। इससे आपका मनी मैनेजमेंट पूरा खराब हो जाता है। और फिर आप एक बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं।

8. इमरजेंसी फंड बनाना

निवेश को सुरक्षित बनाने का एक तरीका इमरजेंसी फंड को बनाना है। इस फंड की मदद से आप आकस्मिक आर्थिक विपत्ति से बच सकते है। इसकी मदद से आप अपनी किसी भी इन्वेस्टमेंट को मुसीबत की घड़ी में रोकने से बच जाते हैं।

9. लॉक इन वाले निवेश में लगाए पैसे

लॉक इन वाला निवेश, को आप निवेश को सेफ रखने का सबसे सुरक्षित तरीका समझ सकते हैं। क्युकी इसमें आप समय से पहले अपने निवेश को तोड़ नहीं सकते हैं। और यदि आपने तोड़ ली तो फिर आपको रिटर्न्स भी कम और एक बड़ा नुकसान देखने को अधिक मिलेगा।

वे चीजें जो आपको गरीब बनाती हैं। The things that make you poor

कोई भी इंसान अपने भाग्य या फिर किस्मत की वजह से गरीब नही होता बल्कि वह व्यक्ति अपनी सोच की वजह से गरीब होता है। इसलिए बहुत बार यह भी कहा जाता है, कि गरीब सोच वाले हमेशा गरीब ही जीवन व्यतीत करते हैं। और अमीर सोच वाले लोग एक न एक दिन अमीर बन ही जाते हैं। देखा जाए तो एक गरीब और अमीर इंसान के बीच केवल उनकी सोच का ही अंतर होता है। आखिर कौन सी हैं, वे चीजें जो आपको गरीब बनाती हैं।

गरीब बनाती हैं

तो चलिए आज के इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा, वे चीजें जो आपको गरीब बनाती हैं। और किन चीजों की वजह से व्यक्ति गरीब बन कर रह जाता है।

गरीब बनाने वाले कारक–

गरीबी की ओर ले जाने वाले बहुत से कारक हैं। जोकि हमें अमीर बनने से रोकते हैं। चलिए जानते हैं, आखिर कौन सी चीजें हैं वो जो हमें अमीर बनने से रोकते हैं।

1. दूसरों को जिम्मेदार ठहराना

गरीब मानसिकता वाले लोग कभी भी अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते हैं, वे हमेशा अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनके मुंह से अक्सर यह सुनने को जरूर मिल जाता है, कि भगवान आखिर मेरे ही साथ ऐसे क्यों करता है। उसने मुझे धोखा दिया है। और भी चीजें अक्सर उनके मुंह से सुनने को जरूर मिल जाती है। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं जो अमीर मानसिकता वाले लोग होते हैं, वे कभी भी दूसरों को जिम्मेदार नहीं ठहराते हैं। उन्हें पता होता है, कि यदि कुछ करना है, तो उसमे कुछ परसेंट हमको रिस्क भी उतना पड़ सकता है। वह अपनी गलतियों से सीखते हैं, कि आखिर उन्होंने ऐसा क्या किया जिनसे उनके साथ ये सब घटित हुआ और वह फिर उसको सुधारने में विश्वास रखते हैं।

2. दिखावे को बढ़ावा देना

गरीब सोच वाले लोग हमेशा अपने आप को अमीर बनने का दिखावा किया करते हैं। वे लोग अपना स्टेटस हाई दिखाने के लिए अपना सारा पैसा बेवजह के खर्चों में लगा देते हैं। वे अपने आप को अमीर बताने के लिए महंगे कपड़े, गाडियां, मोबाइल आदि चीजें लोन पर ले लेते हैं। जिसकी वजह से उनकी फाइनेंशियल कंडीशन खराब होती जाती है। और फिर वे अपने खर्चों को आने वाले समय में अच्छे से मैनेज नहीं कर पाते हैं। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं अमीर सोच वाले लोग कभी भी दिखावा नहीं किया करते है। चाहे उनके पास करोड़ों रुपए भी हो वह एक लिमिट तक ही खर्च करते है। उनको जिन चीजों की जरूरत होती है, केवल उन्हीं चीजों में वह पैसे लगते हैं। बाकी बेकार की चीजों में वह अपना पैसा खर्च नही किया करते हैं। वे बेकार की चीजें लेने की जगह इन्वेस्टमेंट में ज्यादा फोकस किया करते हैं। यदि लोन भी लेते हैं, तो कोई एसेट खरीदने के लिए ताकि वह अपनी इनकम रिसोर्स को बढ़ा सके।

3. सेविंग का ना करना

गरीब सोच वाले लोगों का एक ही उसूल होता है। कमाओ, खाओ और उड़ाओ। और जैसे ही उनके हाथों में पैसा आता है, वह तुरंत ही अपने पैसों को खत्म कर लेते हैं। और आखिरी में उनके पास सेविंग के नाम में कुछ नही बचता है। और जिंदगी भर इसी फंडे में चलते रहते हैं। कमाओ और खाओ। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं अमीर सोच वाले लोग पहले सेविंग किया करते हैं। और फिर बाद में जितना पैसा बचता है, उसे तब खर्च किया करते हैं। उन लोगों के पास चाहे कितनी भी उधारी हो फिर भी वह पैसों को रेगुलर नियम के आधार पर सेविंग्स को इन्वेस्टमेंट (Investment) में लगाते हैं।

4. समय की वैल्यू न समझना

गरीब सोच वाले लोग अपना अधिकतर समय बेकार के चीजों में खराब कर देते हैं। वे लोग अपना अधिकांश समय टीवी, मोबाइल पर फनी विडियो, दोस्तों के साथ बैठकर लोगों की चुगली करना आदि इन चीजों में बर्बाद कर लेते हैं। जोकि उनका एक डेली रूटीन बन जाता है। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं अमीर सोच वाले लोग टाइम की वैल्यू जानते हैं। वे अपना डेली का रूटीन बना कर चलते हैं। यदि उनके पास कभी खाली समय भी रहता है, तो वह उस समय अपने क्षेत्र से जुड़े हुए कामों को पढ़ने में समय लगाते हैं।

5. इन्वेस्टमेंट नहीं करते

गरीब लोग कभी भी इन्वेस्टमेंट नहीं किया करते हैं। वे सोचते हैं, कि आखिर कौन अपने पैसों को इन्वेस्ट में लगाये। और यदि लगा भी देंगे तो उसमे रिटर्न्स मिलेगा भी या फिर नहीं। और वह क्यों इतने समय तक अपने पैसे को दूसरे किसी अन्य क्षेत्र में लगा कर रखें। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं जो अमीर लोग रहते हैं, वह अपने पैसे को ज्यादा से ज्यादा इन्वेस्टमेंट में लगाया करते हैं। उनका मानना होता है, की इन्वेस्टमेंट जितनी अधिक होगी। उतना ही आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलेगा। क्योंकि वह पावर ऑफ कंपाउंडिंग को अच्छे से समझते हैं।

6. लोग क्या कहेंगे

गरीब सोच वाले लोग हमेशा ये सोचते रहते हैं, कि लोग क्या कहेंगे। वह कोई भी काम शुरू करने से पहले अपने मन को यह समझा लेते हैं, कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे, उनकी इज्जत बनी भी रहेगी या नहीं। लोग कहीं उनका मजाक तो नही उड़ाएंगे। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

अमीर लोग वहीं यह सोचते हैं, कि उनको अपनी लाइफ को और बेहतर बनाना है, तो वह क्या काम ओर कर सकते हैं। उनको यह मतलब नहीं रहता है, कि आखिर लोग उनके बारे में क्या कहेंगे। वे बस अपने काम से काम रखा करते हैं। उनकी नजर में कोई भी काम बड़ा या फिर छोटा नही होता है।

7. इनकम का केवल एक ही सोर्स बनाना

गरीब सोच वाले लोग केवल ये सोचा करते हैं, कि वह नौकरी कर रहे हैं। और उनकी लाइफ बड़े ही अच्छे से चल रही है। लेकिन उनके इनकम का केवल एक ही सोर्स उनको कभी भी बरबाद कर सकता है। यदि कभी ऐसी कंडीशन आती है, जिस वजह से उनको अपने नौकरी से हाथ धोना पड़े तो उनके पास बेरोजगारी के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

गरीब बनाती है

वहीं अमीर लोग अपनी इनकम के बहुत से सोर्स बना कर चलते हैं। ताकि कभी एक जगह से इनकम आनी बंद हो जाए तो वह किसी दूसरे इनकम सोर्स से अपना जीवन अच्छे से व्यतीत कर सके। और उनको बाद में कुछ ज्यादा दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

8. पैसों के लिए काम करना

अमीर और गरीब लोगों की सोच में सबसे बड़ा अंतर यह होता है, की गरीब लोग केवल पैसों के लिए काम करते हैं। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं। जबकि अमीर लोग पैसों से अपने लिए काम करवाते हैं। अमीर लोग हमेशा कुछ न कुछ सीखने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अधिकांशत यह देखने को मिला है, कि गरीब सोच वाले लोग उतना ही काम करना पसंद करते हैं, जितना उन्हें पैसा दिया जाता है। और यही वजह होती है, की कभी भी बॉस और एम्पलॉय के बीच कभी भी अच्छे से नही बनती है।

अमीर सोच वाले लोग विजनरी (Visionary) होते हैं। वे केवल अपनी सैलरी के लिए काम नहीं करते हैं। वे अपने काम के दौरान भी कुछ न कुछ सीखते रहते हैं। ताकि आने वाले समय में वह अपने अनुभवों का लाभ उठा सके।

Types of GDP

पिछली पोस्ट में आपने जाना की जीडीपी (GDP) क्या होती है। यह देश की इकोनॉमी को किस तरीके से प्रदर्शित करती है। किस तरीके से यह बताती है, की किसी देश ने इस साल कितनी प्रोग्रेस की है। आज हम जीडीपी के प्रकार जानेंगे।

तो चलिए आज मैं आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बताऊंगा, कि जीडीपी के प्रकार कितने होते हैं। और जीडीपी (GDP) का क्या महत्व है।

जीडीपी (GDP)

जीडीपी (GDP) का प्रयोग किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मापने के लिए किया जाता है। किसी भी देश के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य क्या है, यह सब जीडीपी को प्रभावित करता है।

यदि जीडीपी का मूल्य अधिक होगा तो देश के अंदर उतनी अधिक विदेशी मुद्रा आएगी, जिससे उस देश की विकास दर उतनी ही तेजी से बड़ेगी। और यदि उस देश के अंदर उत्पादन अच्छा नहीं हो रहा तो जीडीपी घटने के उतने ज्यादा आसार हो सकते हैं।

जिस देश की GDP बढती जाती है वह विकास की उतनी ही ऊँचाइयों पर चढ़ता जाता है। जीडीपी के प्रकार मुख्यत 2 है। पहला नोमिनल जीडीपी (Nomical GDP) और दूसरा रियल जीडीपी (Real GDP)।

जीडीपी (GDP) के प्रकार–

जीडीपी के प्रकार मुख्य रूप से दो होते है।

जीडीपी के प्रकार
  • वास्तविक जीडीपी (Real GDP)
  • नॉमिनल जीडीपी (Nominal GDP)

वास्तविक जीडीपी (Real GDP)–

रियल जीडीपी से हमें किसी भी देश के आर्थिक विकास का लगभग सटीक जानकारी प्राप्त होती है। और यही कारण है, कि रियल जीडीपी को नॉमिकल जीडीपी से अधिक महत्व दिया जाता है।

रियल जीडीपी में आपका बेस इयर (Base Year) की कीमतों को लेकर जीडीपी की गणना की जाती है। याने की जब एक साल में देश में उत्पादित किए वस्तुओं या फिर सेवाओं के मूल्य की गणना आधार वर्ष के मूल्य या फिर स्थिर प्राइस पर की जाती है, तो तब हमें GDP की असल वैल्यू प्राप्त होती है। और इसे ही आप रियल जीडीपी कहते हैं। चलिए इसको एक उद्धरण के तौर पर समझते हैं।

उद्धरण – माना किसी देश ने 2021 में 10 फोन बनाए। और एक फोन की कीमत (2021) में 5 हजार रुपए है। माना कि इस देश की सरकार ने 2018 को अपना बेस ईयर माना है।

बेस ईयर 2018 की कीमतें – 1 फोन की कीमत 4 हजार रुपए है। जाहिर सी बात है, उस समय मोबाइल की कीमत भी कम ही रही होगी। इसके बाद हम जीडीपी को कैलकुलेट करते हैं।

अगर यदि हमें देश की वास्तविक जीडीपी निकलनी है, तो हम उत्पादन को बेस ईयर के मूल्य से गुना कर देंगें।

जीडीपी = 10 × 4000 = 4,00,00 रुपए।

4 लाख देश की वास्तविक जीडीपी है। वास्तविक जीडीपी को निकालने के लिए हमने 2021 की कीमतों को न इस्तेमाल कर, 2018 की कीमतो का प्रयोग किया। इसमें हमने मंहगाई दर का प्रयोग नहीं किया।

नॉमिनल जीडीपी (Nominal GDP)

नॉमिनल जीडीपी जो होता है, उसे वर्तमान बाजार मूल्य पर कैलकुलेट किया जाता है। जब किसी भी देश में एक साल में उत्पादित वस्तु या फिर सेवाओं के मूल्य की गणना बाजार मूल्य या फिर वर्तमान मूल्य पर की जाती है, तो जो भी जीडीपी की वैल्यू प्राप्त होती है, उसे नॉमिनल जीडीपी कहते हैं। इसको भी एक उद्धरण से समझते हैं।

उदाहरण – माना किसी देश में 2021 में 30 पेन बनाए। जिनका मूल्य 2021 में 10 रुपए है।

यदि हमको नॉमिनल जीडीपी निकलनी है, तो कुल उत्पादन की कीमतों से गुना कर देंगे।

जीडीपी = 30 × 10 = 300 रुपए, अतः उस देश की जीडीपी 300 रुपए होगी।

रियल जीडीपी और नॉमिनल जीडीपी के बीच मुख्य अंतर

रियल जीडीपी जो होती है, उसमें हम महंगाई को हटा सकते हैं। इसी वजह से हम जब जीडीपी निकलते हैं तो हम किसी भी बेस ईयर की कीमतों को लेते हैं। लेकिन जो नॉमिनल जीडीपी होती है, उसमें हम उसी साल की कीमतों को लेकर के जीडीपी की गणना करते हैं।

जीडीपी क्यों महत्वपूर्ण है

जीडीपी हमारी बहुत सी चीजों में मदद करती है।

  • किसी भी इन्वेस्टर के लिए जीडीपी की मदद से यह आसान हो जाता है, कि इस देश में पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए या नहीं। जिससे की उनको एक अच्छा रिटर्न्स मिल सके।
  • जीडीपी की मदद से हम किसी भी देश के आर्थिक विकास को अच्छे से जान सकते हैं।
  • जीडीपी किसी देश में किए गए उत्पादन को भी दर्शाता है। जिससे हमें उस देश का रोजगार और बेरोजगार के बारे में अच्छे से पता लग जाता है।
  • जीडीपी की मदद से आप एक देश की आर्थिक स्तिथि की तुलना बड़ी आसानी से दूसरे देश से कर सकते हैं।
  • जीडीपी एक मानक होता है, जिसकी मदद से हमें किसी देश में रोजगार, उत्पादन और मांग के बारे में काफी अच्छे से जानकारी होती है।

उम्मीद करता हूं, कि आपको जीडीपी के प्रकार के बारे में अच्छे से समझ आ गया होगा। यदि कोई भी प्रशन इससे रिलेटेड आपके मन में है, तो आप नीचे कॉमेंट में पूछ सकते हैं।

GDP kya hai

आजकल कहीं भी जहां पर दो राजनीतिक पार्टी देश के विकास के बारे में बात कर रहे होते हैं, तो वहां पर जीडीपी (GDP) के बारे में सुनना एक आम सी बात हो गई है। उस समय पर बहुत से लोगों के मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि आखिर यह जीडीपी (GDP) होता क्या है।

तो चलिए आज मैं आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से यह बताने वाला हूं, कि आखिर जीडीपी (GDP) होती क्या है? यह कैसे काम करती है। और इसको किस फार्मूले से निकाला जाता है। और भी बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारी।

GDP full form

GDP

GDP का फुल फॉर्म Gross domestic product होता है। जिसे कि हिंदी में सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। किसी भी देश के अर्थव्यवस्था के विकास दर को मापने के लिए जीडीपी का प्रयोग किया जाता है।

GDP क्या है–

जीडीपी (GDP) का प्रयोग किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मापने के लिए किया जाता है। जिस देश की जितनी अच्छी जीडीपी होती है, उस देश की अर्थव्यस्था को उतना ही अच्छा समझा जाता है। और जिसकी जीडीपी में जितनी अधिक गिरावट देखने को मिलती है।

किसी भी देश के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य क्या है, यह सब जीडीपी को प्रभावित करता है। यदि इसका मूल्य अधिक होगा तो देश के अंदर उतनी अधिक विदेशी मुद्रा आएगी, जिससे उस देश की विकास दर उतनी ही तेजी से बड़ेगी। और यदि उस देश के अंदर उत्पादन अच्छा नहीं हो रहा या फिर ऐसे वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है, जिसका की मूल्य बहुत कम होगा तो उस देश की जीडीपी पर भी इसका बुरा प्रभाव देखने को मिलेगा।

जीडीपी कम होने पर देश की विकास दर को उतना ही धीमा समझा जाता है। और इसका जिम्मेदार वहां की सरकार को ठहराया जाता है। इसका कारण यह है, क्योंकि प्रत्येक देश की सरकार के अपनी अपनी आर्थिक नीतियां होती है, जोकि देश की अर्थव्यवस्था को बनाए रखते हैं। एक गलत निर्णय के कारण वहां के लोगों को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

जीडीपी को मापा जाता है–

जीडीपी एक आर्थिक व्यवस्था का पैमाना होता है, जोकि किसी देश की आर्थिक स्तिथि को बताता है। इसको लगभग हर 3 महीनों में मापा जाता है।

आपको बता दें, कृषि, उद्योग और सेवाएं यह तीनों GDP के प्रमुख घटक हैं। इन क्षेत्रों में उत्पादन में औसत वृद्धि या कमी के आधार पर GDP दर तय की जाती है। मतलब की यदि इन सेवाओं में इनका उत्पादन बड़ेगा या घटेगा, तो इसका प्रभाव आपको जीडीपी में देखने को मिलता है। और इसी आधार पर जीडीपी की दर तय होती है।

जीडीपी (GDP) शब्द का प्रयोग–

GDP शब्द का पहली बार प्रयोग एक अमेरिकी अर्थशास्त्री साइमन द्वारा सन 1935 से 44 के मध्य में किया गया था। साइमन द्वारा इस शब्द को अमेरिका में पेश किया गया था।

यह दौर वही था जिसमें की बहुत से बैंक सेक्टर, बैंक संस्थाएं आदि आर्थिक विकास का अनुमान लगाने का काम संभाल रही थी। और उनमें से किसी को इसके लिए एक विशेष शब्द नहीं मिल रहा था। और तब साइमन ने अमेरिकी कांग्रेस में GDP का नाम प्रस्तुत किया था। और तब इसे IMF द्वारा इसका प्रयोग किया जाने लगा।

GDP कैसे कैलकुलेट की जाती है–

GDP के मापन और निर्धारण करने का आम तरीका खर्च या व्यय विधि है। जोकि –

GDP

GDP (सकल घरेलू उत्पाद) = उपभोग + सकल निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात – आयात)

GDP = C + I + G + ( X–M )

यदि इसमें शुद्ध निवेश को उपर्युक्त समीकरण में सकल निवेश के स्थान पर लगाया जाए, तो शुद्ध घरेलू उत्पाद का सूत्र हमें प्राप्त हो जाता है।

उम्मीद करता हूं, कि आपको जीडीपी के बारे में अच्छे से जानकारी मिल गई होगी। यदि आपके मन में कोई भी इससे रिलेटेड सवाल चल रहा है, तो आप नीचे कॉमेंट में पूछ सकते हैं।

Long term investment

यह तो हर किसी को पता होता है, कि इन्वेस्टमेंट दो तरह की होती है, पहली शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट और दूसरी Long term investment, पिछली पोस्ट में आपने जाना की शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट (Short term investment) क्या होता है। और शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट में आपके लिए कौन से विकल्प बेहतर हो सकते हैं।

इस पोस्ट में आप जानेंगे की लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long term investment) क्या होता है। यह कैसे एक बेहतर विकल्प होता है। और बड़े बड़े दिग्गज निवेशक Long term investment ही क्यों करते हैं। साथ ही इसको अपनाने से क्या–क्या फायदे हो सकते हैं।

Long Term Investment

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long Term Investment)

जब भी आपके द्वारा शेयर या फिर किसी फाइनेंशियल एसेट्स को 2 साल से अधिक अवधि के लिए होल्ड करके रखते हैं, तो उसे Long Term Investment कहते हैं। आपको बता दें, की फाइनेंशियल एसेट को आप कितने भी समय तक अपने पास रख सकते हैं। यह जरूरी नहीं है, की आपको 2 साल से अधिक समय तक ही होल्ड करना होता है।

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के एक्सपर्ट का कहना है, की Long term investment वह होती है, जिसमे की हमारे द्वारा फाइनेंशियल एसेट्स को 5 साल से अधिक समय के लिए होल्ड करके रखा जाता है।

स्टॉक मार्केट में भी Long Term Investment करना चाहिए, इससे आपको आने वाले समय में एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलता है। आपको बता दें, कि दुनिया में जितने भी बड़े दिग्गज निवेशक हुए हैं, वह स्टॉक मार्केट (Stock market) में Long Term Investment ही किया करते हैं। अब चाहे वह वारेन बफेट हो या फिर राकेश झुनझुनवाला।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर जो होते हैं, वह कंपनी के वर्तमान एनालिसिस को देख कर के उसमे निवेश नहीं करते हैं, बल्कि वह पहले तो कंपनी के फंडामेंटल को अच्छे से देखते हैं। फंडामेंटल देखने के बाद में वह उस बिजनेस को अच्छे से समझते हैं। और तब जाकर के उसमे निवेश करते हैं। इस तरह से निवेशक कंपनी के आने वाले फ्यूचर का अंदाजा लगाकर के उसे लंबे समय तक इन्वेस्ट (Investment) करके रख देते हैं।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर कभी भी छोटे मोटे मूवमेंट पर ध्यान नहीं देते हैं। अब उसमे चाहे उनको काफी प्रॉफिट हो रहा हो, या फिर काफी नुकसान।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए स्टॉक्स कैसे चुनें–

Long Term Investment के लिए आप स्टॉक्स को चुनने के लिए आप निम्न चीजें देख सकते हैं।

  • कंपनी का फंडामेंटल जितना ज्यादा अच्छा होगा, वह कंपनी उतनी अच्छी कहलाएगी। आपको ऐसी कंपनियों में इन्वेस्ट करना चाहिए।
  • आपको देश की ब्लू चिप कंपनियों में निवेश करना चाहिए। ब्लू चिप कंपनियां अपने फील्ड की टॉप कंपनियों को कहा जाता है।
  • आपको ऐसी कंपनियों में निवेश करना चाहिए, जिसमे की आगे फ्यूचर हो, या फिर फ्यूचर में इसकी डिमांड ज्यादा हो। उद्धरण के लिए Electrical vehicle और Renewable energy सेक्टर की कंपनियां।
  • यदि कंपनी के पास उसके एसेट्स से ज्यादा का लोन है, तो आपको ऐसी कंपनियों में कभी निवेश नही करना चाहिए।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के फायदे

Long term investment के बहुत से फायदे होते हैं। जिस वजह से दिग्गज निवेशक इनको फॉलो करते हैं।

1. अच्छा रिटर्न (Better Return)

लॉन्ग टर्म तक इन्वेस्ट करने से आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलता है। आप जितने अधिक सालों तक अपने पैसों को इन्वेस्ट करके रखते हैं। उनमें आपको उतना अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलेगा। यह इसलिए क्युकी इसमें तब कंपाउंड इंटरेस्ट भी लगता जाता है। और यह काफी बार देखा गया है, कि जितना अधिक समय इन्वेस्टमेंट को होता है। वह उतना अच्छा रिटर्न्स आपको देता है। बशर्तें स्टॉक्स के फंडामेंटल और उसका फ्यूचर अच्छा होना चाहिए।

2. सरल इन्वेस्टमेंट (Easy to invest for longterm)

यदि आपके द्वारा इन्वेटमेंट को छोटे समय के लिए रखा जाता है, तो उसमे आपको उस कंपनी को बार बार देखना पड़ता है, कि आखिर कंपनी को अभी कितना प्रॉफिट या लॉस हुआ है। इसके साथ ही आपके द्वारा बार बार प्राइस मूवमेंट और चार्ट को देखना पड़ता है।

कभी कभी तो ऐसे भी होता है, कि कुछ पैसों को कमाने के लिए आप लालच में आकर के अपना सारा पैसा ही उड़ा देते हैं। इससे अच्छा तो आप एक अच्छी कंपनी में इन्वेस्ट करके उसपे ध्यान देना ही छोड़ दें। तब आने वाले समय में आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिल सकता है।

3. इमोशन में कंट्रोल (Control of Emotion)

शॉर्ट टर्म में इन्वेस्टर बार बार अपने पोर्टफोलियो को देखता रहता है, यदि उसको लॉस हो रहा हो, या फिर थोड़ा बहुत फायदा तो वह उसे बेच कर निकल जाता है। लेकिन लॉन्ग टर्म में इन्वेस्टर को इन छोटी मोटी मूवमेंट से कोई भी फरक नही पड़ता है। और वह इनसे घबराता नहीं है। इस तरह से वह अपने इमोशन को भी कंट्रोल कर लेता है।

4. कंपाउंड इंटरेस्ट (Compound Interest)

यदि आप long term investment करते हैं, तो इसमें आपको रिटर्न के ऊपर भी रिटर्न्स देखने को मिलेगा। याने कि इसमें हमें पावर ऑफ कंपाउंडिंग देखने को मिलती है। और एक अच्छा रिटर्न्स हमको लास्ट में देखने को मिलता है। जोकि बहुत ही अविश्वनीय होता है।