टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) के बारे में तो आपने पिछली पोस्ट में जान ही लिया था। लेकिन आपको यह भी पता होना चाहिए, कि टर्म इंश्योरेंस में हर तरह की मृत्यु को कवर नहीं किया जाता है। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंग की Term Insurance में किन वजहों से मृत्यु नहीं होती कवर।

टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance)–
टर्म इंश्योरेंस एक जीवन बीमा प्लान होता है, जिसमें की बीमा कंपनी के द्वारा पॉलिसीधारक के परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करना होता है। यह आपको तब प्रदान किया जाता है, जब पॉलिसीधारक की असमय मृत्यु हो जाती है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो जब बीमाधारक की असमय मौत हो जाती है, तो उसका परिवार वित्तीय संकट से न गुजरे, इसलिए बीमा कंपनी द्वारा उसके घर वालों को या फिर जिस व्यक्ति का नाम पॉलिसी में दर्ज किया रहता है। उसको दे दिया जाता है। ताकि क्लेम के पैसे मिलने पर उन्हें काफी हद तक राहत मिल सके।
आपको बता दें कि आपको क्लेम का पैसा भी तब मिलेगा जब आपके पास बीमाधारक की मृत्यु की कोई वजह हो। और मृत्यु की वजह यदि नीचे दिए गए विकल्पों में से रहती है, तो फिर आपको क्लेम नहीं मिलता है। Term Insurance में किन वजहों से मृत्यु नहीं होती कवर यह नीचे दिया बताया गया है। और उन परिस्थितियों में आपके बीमा के क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाता है।
Term Insurance में किन वजहों से मृत्यु नहीं होती कवर–
आपका यह पता होना बहुत जरूरी है, कि आखिर किन परिस्थितियों में बीमा कंपनियों द्वारा बीमा को क्लेम करवाने से रिजेक्ट कर दिया जाता है। तो चलिए जानते हैं–
1–बीमाधारक के मर्डर होने पर।
टर्म इंश्योरेंस प्लान के मुताबिक यदि बीमाधाराक का मर्डर होता है, तो नॉमिनी को इस परिस्थिति में क्लेम नहीं दिया जाता है। क्योंकि इस परिस्थिति में पैसों के लालच के चक्कर में नॉमिनी द्वारा भी पॉलिसीधारक का मर्डर किया जा सकता है। इसलिए ऐसी स्तिथि में क्लेम तब तक होल्ड पर रहेगा जब तक की नॉमिनी पूरी तरह से निर्दोष साबित नहीं हो जाता है। इसके अलावा यदि बीमाधारक किसी भी अपराधिक मामले में लिप्त हो, और उस वजह से उसकी हत्या हुई हो, तो इस स्तिथि में भी नॉमिनी को बीमा की रकम नहीं मिलेगी।
2–खतरों का खिलाड़ी होने पर।
यदि बीमा धारक खतरों वाले खेल में हिस्सा लेता है, और उस वजह से उसकी मौत हो जाती है। तो इस स्तिथि में भी कंपनी बीमा को रिजेक्ट कर देती है। हमारे जीवन को खतरा पैदा करने वाली कोई भी गतिविधि इस विकल्प के अंदर शामिल कर दी जाएगी। और क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाएगा। इसके उद्धरण देखें तो कार या बाइक रेस, पैरा ग्लाइडिंग, बंजी जंपिंग, पैराशूट आदि शामिल हैं।
3–नशा करने से मौत होने पर।
यदि पॉलिसीधारक नशे का आदी है। या फिर नशे लेने के बाद गाड़ी या फिर किसी अन्य दुर्घटना में अपनी जान गंवा बैठता है। तो इस स्तिथि में कम्पनी द्वारा क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाएगा। ड्रग्स या नशे के ओवरडोज से मरने पर बीमा कंपनी टर्म प्लान की क्लेम राशि देने से इंकार कर सकती है।
4–पुरानी बीमारी से हुई मृत्यु।
यदि पॉलिसीधारक को कोई बीमारी है, और वह पॉलिसी लेते समय उसमे यह क्लेम नहीं करता की उसको यह बीमारी है। तो उस बीमारी की वजह से मौत हो जाने पर बीमा कंपनी टर्म प्लान का क्लेम रिजेक्ट कर सकती है। इसके अलावा यदि पॉलिसीधारक को HIV या फिर एड्स की बीमारी है, तो इस स्तिथि में भी क्लेम स्वीकार नहीं किया जाता है।
5–प्राकृतिक आपदा से हुई मौत।
यदि किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से काफी बड़े स्थान में लाखों की संख्या में लोग मरे हुए हैं तो उस स्तिथि में भी कंपनी द्वारा क्लेम को स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत आपका भूकंप, सुनामी, बाढ़ आदि चीजें शामिल हैं। हालांकि यदि पॉलिसीधारक ने टर्म प्लान के अलावा कोई अलग सा प्लान लिया हुआ है, तो फिर उसको इसका फायदा मिल सकता है। लेकिन अन्य परिस्थिति में क्लेम को रिजेक्ट भी किया जा सकता है।
6–आत्महत्या करने पर–
यदि पॉलिसीधारक द्वारा आत्महत्या की जाती है, तो उस स्तिथि में भी बीमा कंपनी द्वारा क्लेम को एक्सेप्ट नही किया जाता है। आत्महत्या इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने टर्म इंश्योरेंस के तहत आत्महत्या के क्लॉज में 1 जनवरी 2014 से बदलाव किए हैं।
यदि 1 जनवरी 2014 से पहले के जारी हुए पॉलिसी में आत्महत्या के पुराने क्लॉज वही रहेंगे। लेकिन बाद की नई पॉलिसी नए आत्महत्या क्लॉज को लागू किया जाएगा। आपको बता दें, कि बहुत सी बीमा कम्पनी आत्महत्या होने पर कवरेज देती है। जबकि काफी कंपनियां इसको स्वीकार नहीं करती हैं।
पुराने क्लॉज के तहत यदि कोई बीमा धारक पॉलिसी लेने के एक साल के अंदर अंदर ही आत्महत्या कर लेता है, तो उसको क्लेम नहीं दिया जाएगा। लेकिन यदि उसका टाइम पीरियड 1 साल से अधिक का हो गया है, तो फिर उसको क्लेम मिलने की संभावना थी। कुछ कंपनिया इसका टाइम पीरियड 2 साल भी रखती हैं।
यदि हम नई पॉलिसी क्लॉज की बात करें तो इसमें यदि बीमाधारक 1 साल के अंदर अंदर आत्महत्या कर लेता है, और उसकी पॉलिसी लिंक्ड प्लान है, तो वह पूरे 100 फीसदी पॉलिसी फंड पाने का हकदार है। लेकिन यदि नॉन लिंक्ड प्लान है, तो फिर नॉमिनी को 80 फीसदी ही राशि मिलेगी। इसके साथ साथ यदि 1 साल पूरा हो जाता है। तो पॉलिसी रद्द हो जाती है। और कोई भी लाभ नहीं मिलता है।
इस तरह की मृत्यु होती है Term Insurance में कवर–
1–नेचुरल डेथ या स्वास्थ्य की वजह से–
यदि पॉलिसीधारक की प्राकृतिक तौर पर मौत हुई है, या फिर किसी स्वास्थ्य खराब होने की वजह से मौत होती है। तो उस स्तिथि में आपके बीमा को कवर किया जाता है। गंभीर बीमारी से हुई मौत पर भी क्लेम दिया जाता है।
2–एक्सीडेंट में मौत होने पर–
यदि पॉलिसीधारक की ड्राइविंग करते समय एक्सीडेंट हो जाता है। और वह उस दौरान मर जाता है, तो कंपनी द्वारा उसका क्लेम स्वीकार किया जाएगा। हालांकि जैसे आपको बताया गया था कि यदि व्यक्ति नशे में गाड़ी चला रहा है, और तब उसकी मृत्यु होती है, तो तब उसका क्लेम रिजेक्ट कर दिया जाएगा।
फैक्ट्री में मशीनरियों की चपेट में आना, अचानक आग लगना, बिल्डिंग या छत से गिर जाना, बाथरूम में फिसल जाना, नदी में डूबना, इलेक्ट्रिक शॉक से मृत्यु आदि इसी से संबंधित चीजें। आपको पॉलिसी लेने से पहले इनके बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए। और तब जाके ही पॉलिसी को खरीदनी चाहिए।