Term Insurance में किन वजहों से मृत्यु नहीं होती कवर।

टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) के बारे में तो आपने पिछली पोस्ट में जान ही लिया था। लेकिन आपको यह भी पता होना चाहिए, कि टर्म इंश्योरेंस में हर तरह की मृत्यु को कवर नहीं किया जाता है। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंग की Term Insurance में किन वजहों से मृत्यु नहीं होती कवर।

Term Insurance में किन वजहों से मृत्यु नहीं होती कवर

टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance)–

टर्म इंश्योरेंस एक जीवन बीमा प्लान होता है, जिसमें की बीमा कंपनी के द्वारा पॉलिसीधारक के परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करना होता है। यह आपको तब प्रदान किया जाता है, जब पॉलिसीधारक की असमय मृत्यु हो जाती है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो जब बीमाधारक की असमय मौत हो जाती है, तो उसका परिवार वित्तीय संकट से न गुजरे, इसलिए बीमा कंपनी द्वारा उसके घर वालों को या फिर जिस व्यक्ति का नाम पॉलिसी में दर्ज किया रहता है। उसको दे दिया जाता है। ताकि क्लेम के पैसे मिलने पर उन्हें काफी हद तक राहत मिल सके।

आपको बता दें कि आपको क्लेम का पैसा भी तब मिलेगा जब आपके पास बीमाधारक की मृत्यु की कोई वजह हो। और मृत्यु की वजह यदि नीचे दिए गए विकल्पों में से रहती है, तो फिर आपको क्लेम नहीं मिलता है। Term Insurance में किन वजहों से मृत्यु नहीं होती कवर यह नीचे दिया बताया गया है। और उन परिस्थितियों में आपके बीमा के क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाता है।

Term Insurance में किन वजहों से मृत्यु नहीं होती कवर–

आपका यह पता होना बहुत जरूरी है, कि आखिर किन परिस्थितियों में बीमा कंपनियों द्वारा बीमा को क्लेम करवाने से रिजेक्ट कर दिया जाता है। तो चलिए जानते हैं–

1–बीमाधारक के मर्डर होने पर।

टर्म इंश्योरेंस प्लान के मुताबिक यदि बीमाधाराक का मर्डर होता है, तो नॉमिनी को इस परिस्थिति में क्लेम नहीं दिया जाता है। क्योंकि इस परिस्थिति में पैसों के लालच के चक्कर में नॉमिनी द्वारा भी पॉलिसीधारक का मर्डर किया जा सकता है। इसलिए ऐसी स्तिथि में क्लेम तब तक होल्ड पर रहेगा जब तक की नॉमिनी पूरी तरह से निर्दोष साबित नहीं हो जाता है। इसके अलावा यदि बीमाधारक किसी भी अपराधिक मामले में लिप्त हो, और उस वजह से उसकी हत्या हुई हो, तो इस स्तिथि में भी नॉमिनी को बीमा की रकम नहीं मिलेगी।

2–खतरों का खिलाड़ी होने पर।

यदि बीमा धारक खतरों वाले खेल में हिस्सा लेता है, और उस वजह से उसकी मौत हो जाती है। तो इस स्तिथि में भी कंपनी बीमा को रिजेक्ट कर देती है। हमारे जीवन को खतरा पैदा करने वाली कोई भी गतिविधि इस विकल्प के अंदर शामिल कर दी जाएगी। और क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाएगा। इसके उद्धरण देखें तो कार या बाइक रेस, पैरा ग्लाइडिंग, बंजी जंपिंग, पैराशूट आदि शामिल हैं।

3–नशा करने से मौत होने पर।

यदि पॉलिसीधारक नशे का आदी है। या फिर नशे लेने के बाद गाड़ी या फिर किसी अन्य दुर्घटना में अपनी जान गंवा बैठता है। तो इस स्तिथि में कम्पनी द्वारा क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाएगा। ड्रग्स या नशे के ओवरडोज से मरने पर बीमा कंपनी टर्म प्लान की क्लेम राशि देने से इंकार कर सकती है।

4–पुरानी बीमारी से हुई मृत्यु।

यदि पॉलिसीधारक को कोई बीमारी है, और वह पॉलिसी लेते समय उसमे यह क्लेम नहीं करता की उसको यह बीमारी है। तो उस बीमारी की वजह से मौत हो जाने पर बीमा कंपनी टर्म प्लान का क्लेम रिजेक्ट कर सकती है। इसके अलावा यदि पॉलिसीधारक को HIV या फिर एड्स की बीमारी है, तो इस स्तिथि में भी क्लेम स्वीकार नहीं किया जाता है।

5–प्राकृतिक आपदा से हुई मौत।

यदि किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से काफी बड़े स्थान में लाखों की संख्या में लोग मरे हुए हैं तो उस स्तिथि में भी कंपनी द्वारा क्लेम को स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत आपका भूकंप, सुनामी, बाढ़ आदि चीजें शामिल हैं। हालांकि यदि पॉलिसीधारक ने टर्म प्लान के अलावा कोई अलग सा प्लान लिया हुआ है, तो फिर उसको इसका फायदा मिल सकता है। लेकिन अन्य परिस्थिति में क्लेम को रिजेक्ट भी किया जा सकता है।

6–आत्महत्या करने पर–

यदि पॉलिसीधारक द्वारा आत्महत्या की जाती है, तो उस स्तिथि में भी बीमा कंपनी द्वारा क्लेम को एक्सेप्ट नही किया जाता है। आत्महत्या इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने टर्म इंश्योरेंस के तहत आत्महत्या के क्लॉज में 1 जनवरी 2014 से बदलाव किए हैं।

यदि 1 जनवरी 2014 से पहले के जारी हुए पॉलिसी में आत्महत्या के पुराने क्लॉज वही रहेंगे। लेकिन बाद की नई पॉलिसी नए आत्महत्या क्लॉज को लागू किया जाएगा। आपको बता दें, कि बहुत सी बीमा कम्पनी आत्महत्या होने पर कवरेज देती है। जबकि काफी कंपनियां इसको स्वीकार नहीं करती हैं।

पुराने क्लॉज के तहत यदि कोई बीमा धारक पॉलिसी लेने के एक साल के अंदर अंदर ही आत्महत्या कर लेता है, तो उसको क्लेम नहीं दिया जाएगा। लेकिन यदि उसका टाइम पीरियड 1 साल से अधिक का हो गया है, तो फिर उसको क्लेम मिलने की संभावना थी। कुछ कंपनिया इसका टाइम पीरियड 2 साल भी रखती हैं।

यदि हम नई पॉलिसी क्लॉज की बात करें तो इसमें यदि बीमाधारक 1 साल के अंदर अंदर आत्महत्या कर लेता है, और उसकी पॉलिसी लिंक्ड प्लान है, तो वह पूरे 100 फीसदी पॉलिसी फंड पाने का हकदार है। लेकिन यदि नॉन लिंक्ड प्लान है, तो फिर नॉमिनी को 80 फीसदी ही राशि मिलेगी। इसके साथ साथ यदि 1 साल पूरा हो जाता है। तो पॉलिसी रद्द हो जाती है। और कोई भी लाभ नहीं मिलता है।

इस तरह की मृत्यु होती है Term Insurance में कवर–

1–नेचुरल डेथ या स्वास्थ्य की वजह से–

यदि पॉलिसीधारक की प्राकृतिक तौर पर मौत हुई है, या फिर किसी स्वास्थ्य खराब होने की वजह से मौत होती है। तो उस स्तिथि में आपके बीमा को कवर किया जाता है। गंभीर बीमारी से हुई मौत पर भी क्लेम दिया जाता है।

2–एक्सीडेंट में मौत होने पर–

यदि पॉलिसीधारक की ड्राइविंग करते समय एक्सीडेंट हो जाता है। और वह उस दौरान मर जाता है, तो कंपनी द्वारा उसका क्लेम स्वीकार किया जाएगा। हालांकि जैसे आपको बताया गया था कि यदि व्यक्ति नशे में गाड़ी चला रहा है, और तब उसकी मृत्यु होती है, तो तब उसका क्लेम रिजेक्ट कर दिया जाएगा।

फैक्ट्री में मशीनरियों की चपेट में आना, अचानक आग लगना, बिल्डिंग या छत से गिर जाना, बाथरूम में फिसल जाना, नदी में डूबना, इलेक्ट्रिक शॉक से मृत्यु आदि इसी से संबंधित चीजें। आपको पॉलिसी लेने से पहले इनके बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए। और तब जाके ही पॉलिसी को खरीदनी चाहिए।

  1. Health insurance और term insurance में अंतर।
  2. Best investment plan क्या हो सकते हैं?

Difference between Term insurance and Health insurance

देश दुनिया में आ रहे कुछ न कुछ बीमारियों ने लोगों को स्वयं और परिवारजनों के स्वास्थ्य के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है। क्योंकि हर कोई खुद को और परिवार वालों को सुरक्षित रखना चाहता है। बीमारी के होने पर हेल्थ इंश्योरेंस एक काफी अच्छा विकल्प होता है। फिर भी लोग इस सोच में कन्फ्यूज रहते हैं कि उनको Health insurance and life insurance में से क्या लेना चाहिए।

इसकी मुख्य वजह यह होती है, कि लोगों को Health insurance and life insurance में पूरी जानकारी नहीं होती है। और बहुत बार तो लोगों को जानकारी होती भी है तो वह उसे एक एक्स्ट्रा खर्च मान कर के टाल देते हैं।

तो चलिए आज मैं आपको Health insurance and life insurance में क्या अंतर होता है। कौन सा विकल्प आपके लिए सही रहेगा। और भी बहुत सी चीजें मैं आपको इस आर्टिकल के माध्यम से समझाऊंगा।

Health insurance and life insurance

Health insurance and life insurance में अंतर–

इंश्योरेंस का अर्थ ही जोखिम से सुरक्षा करना होता है। इसमें पॉलिसीधारक व्यक्ति और बीमा कंपनी के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट होता है। जिसमें की पॉलिसीधारक व्यक्ति बीमा कंपनी को एक प्रीमियम पे करता है। और उसके बदले में कंपनी उस व्यक्ति को इंश्योरेंस से रिलेटेड सुविधा प्रदान करती है। लेकिन आपको बता दें कि Health insurance and life insurance दोनो ही अलग अलग जरूरतों को पूरा करते हैं। तो चलिए समझते हैं, आखिर इनमें अंतर क्या है।

जीवन बीमा (Life Insurance)–

Life insurance को हिंदी में जीवन बीमा भी कहा जाता है। यह इंश्योरेंस आपके जीवन को प्रोटेक्ट करता है। इस इंश्योरेंस के तहत यदि किसी व्यक्ति की इंश्योरेंस अवधि के से पहले किसी भी वजह से मौत हो जाती है, तो पॉलिसीधारक द्वारा नामित किए गए व्यक्ति को वह धनराशि दे दी जाती है। जितना की इंश्योरेंस में प्रदर्शित की रहती है।

इसके साथ साथ यदि आप पॉलिसी टर्म के लास्ट तक जीवित रहते हैं, तो वह कैश आपको दे दिया जाता है। इसको एक उद्धरण के तौर पर समझते हैं।

माना किसी व्यक्ति ने 30 लाख का सम-इनश्योर्ड का जीवन बीमा करवाया है, और वह व्यक्ति पॉलिसी के अंतिम डेट से पहले ही मर जाता है। तो वह सारा रुपए उसको मिल जायेगा, जिसका नाम की पॉलिसीधारक ने इंश्योरेंस डॉक्यूमेंट में डलवाया होगा। और उस व्यक्ति के मौत के साथ ही प्रीमियम देना बंद हो जाता है। यदि वह व्यक्ति अंतिम तक जिंदा रहता है, तो उस व्यक्ति को बोनस और अन्य फायदों के साथ सम-इनश्योर्ड का पूरा पैसा मिल जाता है।

हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance)–

हेल्थ इंश्योरेंस में आपकी स्वास्थ्य संबंधी चीजें कवर होती हैं। इसमें आपको टर्म इंश्योरेंस की तरह सुविधा नहीं मिलती है। यदि आपकी पॉलिसी टर्म से पहले मौत हो जाती है, तो इस पर आपको कोई भी धनराशि नहीं दी जाती है। इस इंश्योरेंस के तहत यदि आप कभी बीमार होते हैं, या फिर आपका कभी एक्सीडेंट होता है, तो आपको बीमा कंपनी द्वारा वह सारा खर्च दे दिया जाता है।

इसमें आप चाहें तो आप कंपनी के नेटवर्क के जरिए कैशलेश सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। या फिर आप हॉस्पिटल में इलाज कराने के बाद बीमा को क्लेम कर सकते हैं। आज की तारीख में बहुत सी ऐसी कंपनियां भी हैं, जिनमें की आपको कम प्रीमियम देकर के अच्छी सुविधाएं दी जा रही हैं।

प्रीमियम में अंतर–

Health insurance and life insurance में आप चाहे किसी भी इंश्योरेंस की बात करें यदि आपने उस इंश्योरेंस को कम उम्र में शुरू किया है, तो आपका प्रीमियम उतना ही काफी कम होगा।

Health insurance and life insurance में जो लाइफ इंश्योरेंस होता है, उसमें एक बार जो प्रीमियम तय हो जाता है, वही प्रीमियम हमको पॉलिसी टर्म के अंत तक चुकाना होता है। जबकि हेल्थ इंश्योरेंस में समय समय में आपके प्रीमियम बदलते रहते है। इसमें जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती जायेगी। वैसे वैसे आपका प्रीमियम भी बढ़ता जाता है।

इसका मुख्य कारण यह है, कि जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती जाती है। वैसे वैसे इंसान का बीमार होना भी बढ़ता जाता है।

टर्म इंश्योरेन्स आप किसी छोटे बच्चे के लिए भी खरीद सकते हो। टर्म इंश्योरेंस 50 से अधिक उमर वालों को अधिकतर नही दिया जाता है। जबकि 60 उम्र वालों के लिए भी हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइड किया जाता है। कम उम्र के बच्चों के लिए हेल्थ प्लान शामिल नहीं किया जाता। इसके साथ साथ यदि आपको हेल्थ इंश्योरेंस खरीदना है, तो आपकी मिनिमम उमर 18 साल तो होनी ही चाहिए।

मेडिकल टेस्ट क्यों है जरुरी–

किसी भी व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद हेल्थ बीमा कंपनी यह डिसाइड करती है, कि इस व्यक्ति का मेडिकल चेकअप होना है या फिर नहीं। यदि किसी व्यक्ति की उम्र बहुत अधिक या फिर बहुत ही ज्यादा कम होती है, तो उस स्तिथि में बीमा कंपनी मेडिकल चेकअप की सलाह देती है। यह कोई जरूरी नहीं है, कि आपका हैल्थ चेकअप होगा ही होगा। बहुत बार ऐसा भी होता है, कि हेल्थ बीमा कंपनी बिना मेडिकल के ही आपको हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइड करवा देती है।

यदि हम टर्म इंश्योरेंस की बात करें तो बहुत सी कंपनियां आपको मेडिकल की सलाह नहीं देती और बिना मेडिकल लिए ही आपको इंश्योरेंस प्रोवाइड करवा लेती है। लेकिन आपको इससे सावधान रहना चाहिए। क्योंकि उस समय तो बीमा कंपनी आपसे मेडिकल नहीं मांगती है।

लेकिन जब इंश्योरेंस को क्लेम करने की बारी आती है, तो उस स्तिथि में बीमा कंपनी द्वारा इसको रिजेक्ट या फिर आपसे बहुत सवाल जवाब किए जाते हैं। उनका तब कहना यह होता है, की आपने हमको इंश्योरेंस लेते समय पूरी जानकारी ठीक से नही दी थी। इसलिए आप जब भी टर्म इंश्योरेन्स लें तो इस बात का ध्यान रखें जो कंपनियां आपसे मेडिकल देने को नहीं बोलती हैं। आपको उनसे सावधान रहना चाहिए।

Health insurance and life insurance में कौन बेहतर निवेश–

Health insurance and life insurance दोनो के दोनों ही अपनी अपनी जगह एक अच्छे निवेश (Investment) के साधन हैं। इसमें हेल्थ इंश्योरेंस जो होता है, वह आपके हेल्थ के लिए काफी इंपोर्टेंट है। और टर्म इंश्योरेंस आपके परिवार या फिर प्रियजन को प्रोटेक्ट करने का काम करता है।

Health insurance and life insurance

हेल्थ इंश्योरेंस को देखा जाए तो यह टर्म इंश्योरेंस के मुकाबले कोई अच्छा निवेश नहीं है, क्योंकि इसमें आपका केवल स्वास्थ्य संबंधी चीजों को लिया जाता है। आपके बीमार होने पर यह आपका हॉस्पिटल बिल का भुगतान कर सकती है। और आपको रिटर्न में कुछ नही मिलता है।

लेकिन टर्म इंश्योरेंस की बात करें तो आपका पैसा आपको वापस भी मिलता है। और समयावधि से पहले मौत होने पर भी आपको पूरा पैसा वापस दे दिया जाता है। इसके साथ साथ आपको व्याज और बोनस आदि चीजें भी मिलती है। यदि आपकी टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी मार्केट लिंक्ड है तो फिर आप स्टॉक मार्केट (Stock Market) का उतार चढ़ाव का भी फायदा ले सकते हैं।

निष्कर्ष–

जैसे जैसे दिन बीतते जा रहे हैं। वैसे वैसे मेडिकल की चीजों के दाम भी आसमान छूते जा रहे हैं। और इसका आम आदमी की लाइफ में बहुत ही गंदा असर देखने को मिल रहा है। इसलिए अपने आप को और परिवार वालों को सुरक्षित रखने के लिए आपको हेल्थ इंश्योरेंस ले लेना चाहिए।

दूसरी तरफ यदि टर्म इंश्योरेंस की बात करें तो आने वाले समय में पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए आप टर्म इंश्योरेंस में इन्वेस्ट कर सकते हैं। वैसे आज के समय में निवेश के बहुत से और भी अच्छे ऑप्शन मौजूद हैं। लेकिन आपके अचानक न रहने पर यह इंश्योरेंस आपके परिवार को प्रोटेक्ट जरूर कर सकता है।

Health insurance kya hai

Health insurance आज के समय में कितना महत्वपूर्ण हो गया है, इस चीज की तो आपको जानकारी होगी ही। लेकिन अभी भी बहुत से लोगों को यह पता नही होता की आखिर Health insurance होता क्या है? और यह किस तरीके से हमारे आमदनी के खर्चों को कम करती है। इसके साथ साथ यह हमारी एक तरह की इन्वेस्टमेंट ही है, जिसमे की हमारे पैसे जमा तो नहीं लेकिन पैसों की बचत जरूर हो जाती है।

तो चलिए आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताऊंगा कि आखिर Health insurance क्या होता है। और यह हमारे लिए क्यों जरूरी होता है।

Health insurance

स्वास्थ्य बीमा (Health insurance)–

Health insurance को हिंदी में स्वास्थ्य बीमा कहा जाता है। इसको मेडिक्लेम और मेडिकल बीमा भी कहा जाता है।

Health insurance एक बीमा कंपनी और पॉलिसीधारक के बीच का वह कॉन्ट्रैक्ट होता है, जिसमे की बीमा कंपनी द्वारा पॉलिसीधारक को महंगी स्वास्थ्य लागतों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की जाती है। हालांकि इसमें पॉलिसीधारक को महीने या फिर साल के हिसाब से बीमा कंपनी को एक प्रीमियम भुगतान करना पड़ता है।

सरल शब्दों में कहें तो हेल्थ इंश्योरेंस में पॉलिसीधारक के द्वारा लिए गए हेल्थ इंश्योरेंस के खत्म होने की अवधि दौरान तक कभी भी पॉलिसीधारक के इलाज और सर्जरी पर होने वाला खर्च का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा किया जाता है, या फिर pay किया जाता है। इसमें उस व्यक्ति द्वारा स्वास्थ्य कवर के लिए प्रत्येक साल एक निश्चित अमाउंट देना पड़ता है। Health insurance का लाभ किसी सरकारी एजेंसी या निजी व्यवसाय के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है।

Health insurance के अनुसार उस व्यक्ति (पॉलिसीधारक व्यक्ति) के इलाज के दौरान अपने जेब से भुगतान करना पड़ता है। उसके बाद बीमा कंपनी द्वारा आपका भुगतान कर दिया जाएगा। या फिर बीमा कंपनी के द्वारा सीधा ही पॉलिसी धारक को इलाज के लिए भुगतान कर लिया जायेगा।

बहुत से अधिकतर लोग तो ऐसे भी होते हैं, जिनके लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना आसान नहीं हो पाता, क्योंकि उनकी जो आय होती है, उसके मुकाबले उनको हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम काफी महंगा लगता है। और वह फिर बिना हेल्थ इंश्योरेंस में रहने का विचार बना लेते हैं। लेकिन आपको बता दें, हेल्थ इंश्योरेंस की कीमत उन लोगों को तब समझ आती है, जब उनका किसी मेडिकल का खर्चा काफी महंगा होता है। और उनको वह मनी अपने जेब से भरनी पड़ती है। और तब उन्हे अहसास हो पाता है, की आखिर उन्हें Health insurance की जरूरत है या नहीं।

आपको यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि जब आप लोग स्वस्थ होते हैं, और सायद ही कभी किसी डॉक्टर के पास जाते हैं, तो इस स्तिथि में आपको लगता है, की हेल्थ इंश्योरेंस को लेने से हमारा नुकसान हो रहा है। लेकिन आपको बता दें कि किसी भी इंसान को कभी भी बीमारी हो सकती है, और यह किसी ने नहीं देखा है, कि उसमें आपका खर्चा कम होगा या फिर बहुत अधिक। इसलिए आपको Health insurance को अपनी सेफ्टी के तौर पर ले लेना चाहिए।

प्रत्येक व्यक्ति के पास आज के जमाने में Health insurance का कोई न कोई रूप होना ही चाहिए। इसकी वजह यह है, की मेडिकल सेवाएं, दवाई आदि चीजें काफी महंगी हो गई हैं। यदि आप हेल्थ इंश्योरेंस के बिना हैं, तो इमरजेंसी स्तिथि में आपको बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जिस स्तिथि में आपके पास और कोई दूसरा रास्ता न होकर के आपको कर्ज लेना पड़ सकता है।

Health insurance के प्रकार–

Health insurance वैसे तो बहुत से प्रकार के होते हैं। लेकिन मुख्य रूप से हेल्थ इंश्योरेंस के दो प्रकार हैं।

  • निजी स्वास्थ्य बीमा।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा।

निजी स्वास्थ्य बीमा–

निजी स्वास्थ्य कंपनियों के द्वारा 2 प्रकार की हेल्थ इंश्योरेंस व्यक्ति को दिया जाता है। जिसमें की पहले इंश्योरेंस में आपका हॉस्पिटल पॉलिसी होती है, जो आपके हॉस्पिटल जाने पर होने वाले खर्चे को कवर करती है। और दूसरा इंश्योरेंस पॉलिसी होती है, जनरल ट्रीटमेन्ट पॉलिसी, जिसमे की आपके कुछ सहायक उपचार को प्राथमिकता दी जाती है। इसका उद्धरण – दांतों से संबंधित ( Dental Health ) और फिजियोथेरेपी आदि हैं।

आपको बता दें की बहुत सी बीमा कंपनियां दोनो ही पॉलिसी को मिक्सअप करती हैं। जोकि आपका हॉस्पिटल और नॉर्मल उपचार सेवा, दोनों के लिए कवर देती है। इसमें आप अलग अलग पॉलिसी भी खरीद सकते हैं।

Health insurance

सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा–

सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा में सरकार द्वारा आपके इंश्योरेंस के कुछ हिस्से के प्रीमियम का भुगतान स्वयं करती है। या फिर उसके बदले में आपको सब्सिडी दी जाती है। ताकि आपको कम कीमत पर बीमा कवर प्राप्त हो सके।

Health insurance की आवश्यकता क्यों है–

आय दिन लोगों को कोई न कोई बीमारी पकड़ती ही जा रही है। और उसके इलाज में मेडिकल का खर्चा उनका पूरा बजट हिला कर रख देता है। इंश्योरेंस वाले लोगों को सही समय में अधिक मेडिकल की सुविधाएं मिल जाती हैं। हेल्थ इंश्योरेंस होने पर परिवार का वित्तीय बोझ कम हो जाता है। किसी बीमारी के हो जाने पर मेडिकल में आए खर्चों का भुगतान काफी अधिक मात्रा में करना होता है, जोकि हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बाद आपका लगभग फ्री हो जाता है।

Health insurance इसलिए बनाया गया है, ताकि यदि किसी को भी भविष्य में चिकित्सा संबधी उपचार की आवश्यकता हो। और वह उस पेमेंट को देने में सक्षम न हो तो उसका खर्चा बीमा कंपनी द्वारा या फिर सरकार द्वारा उठाया जा सके। और उस व्यक्ति को मनी की कोई प्रोब्लम न हो।

Medical test for Term Insurance

बहुत ही कम प्रीमियम देकर के एक बड़ा कवरेज लेना टर्म इंश्योरेंस की खासियत है। और इसके लिए Medical test का होना बहुत फायदेमंद है। हमने पिछली पोस्ट में टर्म इंश्योरेंस के बारे में जान लिया था। इसके साथ साथ हमनें उस पोस्ट में यह भी देखा की हमारे लिए टर्म इंश्योरेन्स (Term Insurance) क्यों जरूरी है।

आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से यह बताऊंगा कि टर्म इंश्योरेंस या लाइफ इंश्योरेंस लेते समय हमें Medical test क्यों करवा लेना चाहिए।

Medical test

Medical test for Term Insurance–

टर्म इंश्योरेंस एक प्रकार का जीवन बीमा प्लान होता है, जिसके अनुसार यदि पॉलिसीधारक की पॉलिसी अवधि के दौरान किसी भी कारणवश मृत्यु हो जाती है। तो पॉलिसीधारक द्वारा नामित व्यक्ति को एक निश्चित अमाउंट कंपनी के द्वारा दिया जाता है। ताकि उसकी फैमिली या फिर कोई करीबी व्यक्ति का जीवन अच्छे से व्यतीत हो सके।

अपने बाद फैमिली और बाकी वित्तीय जरूरतों के लिए भी यह इंश्योरेंस काफी जरूरी हो गया है। मौजूदा समय में भी यह इंश्योरेंस काफी पॉपुलर होता जा रहा है। इसकी मुख्य वजह पॉलिसीधारक की असमय पर मौत हो जाने पर यह उसके परिवार वालों को आर्थिक मामले में एक मजबूत स्तिथि प्रदान करता है।

कम प्रीमियम के साथ बड़े कवरेज के चलते टर्म इंश्योरेंस काफी पॉपुलर होता जा रहा है। लोगों का यह इंश्योरेंस बहुत अच्छा पसंदीदा विकल्प बनता जा रहा है। लेकिन बहुत से लोगों को टर्म इंश्योरेंस लेते समय इस चीज की जानकारी नहीं होती है, कि इंश्योरेंस लेते समय उनको medical test करवा लेना चाहिए।

कई कंपनियों द्वारा medical test में काफी ढील दी जाती है। लेकिन यदि आपको जानकारी नहीं है, तो यह ढील आपको बाद में बड़ी महंगी पड़ सकती है। Medical test न होने पर कंपनी द्वारा आप पर झूट बोलके पैसे क्लेम न करने का आरोप भी लग सकता है।

Medical test क्यों है जरूरी–

बहुत से एक्सपर्ट और जानकर लोगों का कहना है, की यदि जो कंपनी टर्म इंश्योरेंस करवाते समय आपसे पूरा medical test चेकअप नहीं लेती है, तो आपको उन कंपनियों से इंश्योरेंस नहीं करवाना चाहिए।

आपको बता दें, कि यदि पॉलिसीधारक का इंश्योरेंस लेते समय मेडिकल टेस्ट चेकअप नहीं होता तो उस समय तो पॉलिसीधारक को बड़ा अच्छा मेहसूस होता है, कि चलो कम से कम मेडिकल टेस्ट के पीछे हमारा समय तो खराब नही हुआ, लेकिन यह मेडिकल टेस्ट न होने की वजह से उनको बाद में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

मेडिकल टेस्ट करवाने की मुख्य वजह यह है, कि medical test न होने पर पॉलिसीधारक द्वारा नामित व्यक्ति जब क्लेम करवाने जाता है, तो उस व्यक्ति को कंपनी द्वारा आसानी से क्लेम नहीं मिल पाता है। क्योंकि इस इंश्योरेंस में कम प्रीमियम में अधिक कवरेज दिया जाता है, तो कोई भी बीमा कंपनी पॉलिसी बेचने से पहले medical test करवाती हैं।

हालांकि यह बात अलग है, कि बहुत सी कंपनियां इस बात पर जोर नही देती और पॉलिसीधारक की तरफ से अच्छे स्वास्थ्य का डिक्लेरेशन देने से काम चला लेती हैं।

यदि किसी परिस्थिति में पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्ति की कुछ समय के बाद ही मौत हो जाती है, तो बहुत बार इंश्योरेंस कंपनी जानकारी छिपाने के आधार पर क्लेम खारिज कर देती हैं। और उन कंपनियों के द्वारा यह बोला जा सकता है, कि पॉलिसी खरीदते समय बीमाधारक ने अपने स्वास्थ्य की सही जानकारी नहीं दी। इसलिए वह क्लेम का भुगतान नहीं कर सकते हैं।

Medical test

बीमा कंपनी की होती है, Medical test की जिम्मेदारी–

यदि आप जीवन बीमा ( Term Insurance ) प्लान खरीदते समय medical test करवाते हैं, तो आपको बता दें, की मेडिकल टेस्ट रिपोर्ट की जिम्मेदारी बीमा कंपनी और इसके साथ चेकअप करने वाले डॉक्टर की हो जाती है। मेडिकल टेस्ट करने से बीमाधाराक द्वारा नामित व्यक्ति को क्लेम करते समय अधिक मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता और आसानी से उसका क्लेम सेटलमेंट हो जाता है। समझदारी इसी में होती है, कि आप टर्म इंश्योरेंस खरीदते समय वही प्लान खरीदें जिसमे की पूरा medical test चेकअप करवाना जरूरी होता है।

जो बीमा कंपनी, नियम या फिर शर्तों के मामले में सख्त नहीं होते हैं, उन पर भरोसा करना बहुत ही बड़ी बेवकुफी होती है। क्योंकि सही तरीके से medical test रिपोर्ट न होने पर क्लेम रद्द भी हो सकता है।

Term insurance kya hota hai

यदि आपको इन्वेस्टमेंट में काफी रुचि है। या फिर इन्वेस्टमेंट करने की सोच रहें हैं। तो आपने जब भी इन्वेस्टमेंट प्लान देखें होंगे तो उसमें आपने एक चीज प्रत्येक जगह देखी होगी, जो है आपका जीवन या फिर टर्म इंश्योरेन्स ( Term insurance )। और फिर आपके मन में यह सवाल भी जरूर आया होगा की आखिर ये इंश्योरेन्स किस तरीके से हमारी अच्छी इन्वेस्टमेंट बन सकती है।

तो चलिए आज मैं आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से Term insurance के बारे में सब कुछ डिटेल्स में बताऊंगा। कि आखिर यह क्या होता है। और हमें यह क्यों करवाना चाहिए।

Term insurance

टर्म इंश्योरेन्स ( Term Insurance )–

Term insurance एक प्रकार की जीवन बीमा पॉलिसी होती है, जो की एक निश्चित समय के लिए आपको कवरेज उपलब्ध करवाती है। इसमें यदि पॉलिसी धारक की उस समय अवधि के दौरान किसी कारणवश मृत्यु हो जाती है, तो उस मृत व्यक्ति द्वारा नामित किए गए व्यक्ति को एक निश्चित अमाउंट दे दिया जाता है।

सरल शब्दों में कहें तो Term insurance बीमा पॉलिसी का वह व्यापक रूप है, जो किसी व्यक्ति को अपने परिवार वालों या फिर प्रियजन व्यक्ति के भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए लिया जाता है। बहुत सी बीमा कंपनियों के द्वारा आज के समय में Term insurance उपलब्ध कराए जाते हैं।

आज भी बहुत से लोग Term insurance के महत्व को नहीं समझते हैं। उन्हे लगता है, की यह एक बेकार का इन्वेस्टमेंट है, क्योंकि इसमें पैसा तब मिलेगा जब पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है। और अगर नहीं हुई तो तब आपका पैसा बर्बाद चला जाता है। लेकिन आपको बता दें , समय को किसी ने नहीं देखा है। कब किसी के साथ क्या हो जाए। किसी को नहीं पता होता।

आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए जो परिवार सदस्य आप पर खर्चे के लिए निर्भर हैं। उनका जीवन आर्थिक मामले में इंश्योरेंस लेने पर काफी अच्छा रह सकता है।

टर्म इंश्योरेन्स की विशेषताएं –

Term insurance का मुख्य उद्देश्य किसी भी व्यक्ति के परिवार या फिर प्रियजन को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने से है। इसके अलावा बहुत सी विशेषताएं Term insurance की हैं, जो आपको आगे बताई जा रही है।

  • यदि आप टर्म इंश्योरेंस लेना चाहते हैं, तो आपकी मिनिमम आयु 18 साल होनी चाहिए। और अधिकतम आप 65 साल की आयु तक इसको ले सकते हैं। जैसे जैसे इंसान को उमर बड़ती जाती है, वैसे वैसे इंश्योरेंस के प्लान में भी बड़ोतरी होती रहती है। इसलिए ही कहा जाता है, की आपको टर्म इंश्योरेंस कम आयु से ही ले लेना चाहिए।
  • सबसे अच्छा Term insurance प्लान आपका वो होता है, जोकि आपको बीमा कम्पनी द्वारा लाइफ टाइम के लिए दिया जाता है। यदि कोई बीमा कंपनी आपको 75 से 80 साल तक का भी इंश्योरेंस प्रोवाइड करवाती है, तो वह आपको काफी अच्छा प्लान रहेगा। परंतु जितना ज्यादा साल उतने ही अधिक आपसे प्रीमियम लिया जायेगा।
  • टर्म इंश्योरेंस प्लान न्यूनतम 5 साल का प्लान उपलब्ध करवाता है। जबकि पॉलिसी की अधिकतम आयु 25 वर्ष से लेकर आपके जीवनकाल तक अलग अलग हो सकती है।
  • पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाने पर नामांकित व्यक्ति को वह रुपए मिल जायेगा। जितने की कि उसने बीमा ले रखी होती है।
  • जैसे जैसे प्रत्येक वर्ष बीतता जाता है, वैसे वैसे Term insurance पॉलिसी को उच्च पॉलिसी प्रीमियम के साथ अपडेट किया जाता है। यह इसलिए किया जाता है, क्योंकि पॉलिसी धारक की आयु भी बढ़ती रहती है।
  • पॉलिसीधारक सेक्शन 80 सी और 10 डी के तहत लीगली तरीके से अपना टैक्स बचा सकता है।

जीवन इंश्योरेंस के लाभ –

Term insurance

Term insurance लेने के निम्न फायदे आपको मिलते हैं, चलिए जानते हैं, वह फायदे कौन से हैं –

  • पॉलिसीधारक के निधन पर नामांकित व्यक्ति को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाती है।
  • टर्म प्लान लोन और देनदारियों का भी इसमें ध्यान रखा जाता है।
  • उस व्यक्ति के परिवार वालों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान की जाती है। ताकि वह अच्छे से अपनी जीवन शैली को बिता सके।
  • Term insurance पॉलिसीधारक को एक ऐसा प्लान भी देती है, जिसमे की यदि व्यक्ति गंभीर या फिर विकलांग हालत से अपनी हानि कर रहा है, तो उसको कुछ आय प्रदान की जाती है।
  • यह महिलाओ के लिए और ध्रुमपान न करने वालों के लिए अपनी पॉलिसी में छूट प्रदान करता है।
  • यह स्वस्थ व्यक्तियों को कम प्रीमियम में अपनी पॉलिसी प्रदान करवाता है।
  • व्यक्ति अपना टर्म इंश्योरेंस ऑनलाइन खरीद सकता है।

Insurance kya hota hai

इन्वेस्टमेंट की दुनिया में Insurance का नाम अधिकतर हमें सुनने को मिल जाता है। कल किसने देखा है, ये किसी को पता नहीं होता। और आने वाले समय में कुछ बातें ऐसे होंगी जिनमें हमको खूब फायदा होते दिखे लेकिन कुछ ऐसे हादसे भी हो जाते हैं, जिनमे की हमको एक भारी नुकसान का सामना देखने को मिल सकता है। इसी भारी नुकसान से निपटने के लिए इंश्योरेंस (Insurance) होता है। जोकि हमारे नुकसान की भरपाई की कोशिश करता है।

Insurance

Insurance (इंश्योरेंस) की जानकारी –

इंश्योरेंस का मतलब किसी भी आर्थिक नुकसान से सुरक्षा करना होता है। जिसमें की किसी बीमा कंपनी द्वारा इंसान का बीमा करवाया जाता है। और व्यक्ति को जब भी आर्थिक नुकसान होता है, तो उसका आधे से ज्यादा प्रसेंट तक का खर्चा इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा उठाया जाता है।

आपको इसको एक छोटा सा उद्धरण से समझाते हैं। माना आपने किसी बीमा कंपनी से मोबाइल, कार, घर या फिर कोई अन्य चीज का इंश्योरेंस करवाया है, तो जब भी ये सामान किसी कारणवश टूटते हैं तो उस दौरान आपको बीमा कंपनी के द्वारा मुआवजा दिया जाएगा।

बीमा को आप कुछ ऐसे समझ सकते हो कि यह बीमा कम्पनी (Insurance company ) और व्यक्ति के बीच का एक कॉन्ट्रैक्ट होता है। जिसमे कि व्यक्ति को बीमा कंपनी को एक निश्चित राशि देनी होती है। और जब व्यक्ति को आर्थिक नुकसान होता है, तो कंपनी द्वारा उस चीज की भरपाई की जाती है।

इंश्योरेंस के प्रकार –

बीमा को आम तौर पर दो भागों में बांटा गया है।

  • जीवन बीमा ( Life Insurance )
  • साधारण बीमा ( General Insurance )

1–जीवन बीमा (Life Insurance)

Insurance

जीवन बीमा में किसी व्यक्ति के जीवन का बीमा करवाया जाता है। जिसका मतलब यह है, कि यदि बीमा करवाए गए व्यक्ति की मौत हो जाती है। तो जो व्यक्ति बीमा करवाए इंसान में आश्रित होगा तो उसको कंपनी की तरफ से मुआवजा दिलवाया जायेगा।

इसको एक उद्धरण से समझते हैं। माना एक लड़का है, जिसका नाम रोहन है। और उसने अपना जीवन बीमा करवाया हुआ है। वह अपनी फैमिली में सबको देखता है। परिवार वालों का खर्चा संभालता है। पूरा परिवार उसमे हाई आश्रित है। कभी यदि उसकी किसी कारणवश मौत हो जाती है, तो उसको परिवार वालों को कंपनी की तरफ से मुआवजा दिया जाएगा। हालंकि इसकी भी कुछ शर्तें होती हैं। जोकि आपको दूसरे टॉपिक में विस्तार से समझा दिया जायेगा।

जीवन बीमा करवाना बहुत जरूरी होता है। ताकि वह आने वाले समय में अपने परिवार या करीबी को प्रोटेक्ट कर सके। और यही वजह होती है, कि वित्तीय योजना में सबसे पहले व्यक्ति को जीवन बीमा करवाने की सलाह दी जाती है।

2–साधारण बीमा (General Insurance)

जनरल इंश्योरेंस के अंदर आपकी वह चीजें आती हैं। जिनका की व्यक्ति अपने नॉर्मल लाइफ में इस्तेमाल किया करता है।

  • वाहन बीमा।
  • घर का बीमा।
  • पशु का बीमा।
  • स्वास्थ्य बीमा।
  • फसल बीमा।
  • यात्रा बीमा।
  • अन्य सामानों का बीमा।