जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है?

आपने शेयर मार्केट के उतार चढ़ाव को तो देखा ही होगा। जिसमें गिरावट और बढ़त जैसे खबरें आम होती हैं। तो जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, यह सवाल आपके मन में भी जरूर आया होगा। आखिर कहां जाता है, आपका पैसा गंवाने के बाद।

तो चलिए आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताऊंगा कि आखिर जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है। क्या किसी के नुकसान होने पर किसी दूसरे निवेशक को फायदा होता है? आइए जानते हैं।

जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है–

जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, इसको समझने से पहले आपका यह समझना जरूरी है, कि जब भी कंपनी शेयर बाजार में लिस्टेड होती है, तो कंपनियों के शेयर में इंवेस्टर निवेश करते हैं। और जो कंपनी जितना अच्छा परफॉर्मेंस करती है, उस कंपनी के शेयर उतने ही बढ़ते जाते हैं। और कंपनी की डिमांड भी बड़ जाती है।

जब शेयर मार्केट गिरता है,

इसके साथ साथ जिन कंपनियों का खराब परफॉर्मेंस होता है, उन कंपनियों के शेयर प्राइस उतने ही कम होते चले जाते हैं। इसका मतलब यह है, कि कंपनी के अच्छा परफॉर्मेंस करने पर कंपनी में इंवेस्टर इन्वेस्ट करते हैं। और खराब प्रदर्शन होने पर इंवेस्टर अपनी इन्वेस्टमेंट को निकाल लेते हैं।

जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, तो इसका जवाब है, की आपका पैसा इंवेस्टर के पास ही जाता है। क्योंकि शेयर मार्केट एक सप्लाई और डिमांड के फॉर्मूले पर काम करता है। हर किसी इंवेस्टर को अपना फैसला सही ही लगता है। शेयर बेचने वाला सोचता है, की वह बेच कर एक अच्छा डिसीजन ले रहा है, वहीं खरीदने वाला सोचता है, कि वह इस समय शेयर को खरीद कर अच्छा फैसला ले रहा है।

माना किसी कंपनी के शेयर का प्राइस अभी 80 रुपए चल रहा है, और वह शेयर किसी A इंवेस्टर के आस पहले से मौजूद है, और उसको लगता है, की वह शेयर का प्राइस अब 80 से उप्पर न बढ़कर अब नीचे जा सकता है। वह उसको बेचना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ B इंवेस्टर सोचता है, की इस कंपनी के शेयर प्राइस अभी और बढ़ सकता है। तो वह उस शेयर को खरीदना चाहता है।

दोनों ही इंवेस्टर A और B को लगता है, की वह दोनों अपना फैसला सही ले रहे हैं। लेकिन आपको बता दें, की जिस तरफ शेयर में बायर की संख्या अधिक होगी तो शेयर का प्राइस उप्पर और यदि सेलर की संख्या ज्यादा होगी तो शेयर का प्राइस नीचे की ओर चलने लगेगा।

और मार्केट में जिधर भी बायर या फिर सेलर का प्रेशर अधिक होगा, मार्केट उधर ही अपनी movement करेगा। किसी का पैसा डूब जाने पर वह पैसा किसी दूसरे इंवेस्टर के पास ही जाता है। मतलब की यदि यहां किसी इंवेस्टर का नुकसान हुआ है, तो उतना ही फायदा किसी दूसरे इंवेस्टर को हुआ होगा।

शेयर मार्केट कैसे चलता है

जब कोई भी व्यक्ति अपना बिजनेस स्टार्ट करता है, और उसको फंडिंग की जरूरत होती है। फंडिंग के ना मिलने पर वह व्यक्ति कंपनी बनाता है, और उस कंपनी को SEBI की मदद से स्टॉक मार्केट में उतारने का प्रयास करता है। सेबी के रूल और रेगुलेशन को पूरा करता है। और सेबी की मंजूरी मिलने पर वह स्टॉक मार्केट में लिस्टेड करते हैं।

शेयर बाजार में लिस्ट करने के लिए नई कंपनी का होना जरूरी नहीं है, पुरानी कंपनी भी शेयर मार्केट में लिस्टेड होती हैं। और जो कंपनी शेयर मार्केट में लिस्टेड हो जाती है, उसमे इंवेस्टर इन्वेस्ट कर सकते हैं। और उस कंपनी का हिस्सेदार बन सकते हैं।

आपको बता दें, कि स्टॉक मार्केट में आने के लिए आपको BSE, या फिर NSE में रसिस्टर करवाना होता है। और जिस किसी भी कंपनी में निवेशक निवेश करता है, वह उस कंपनी का हिस्सेदार बन जाता है। यह हिस्सेदारी खरीदे गए शेयर की संख्या पर निर्भर करता है। शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर करता है। मार्केट में कंपनी और शेयर धारक के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर ही करते हैं।

स्टॉक मार्केट ऑपरेटर (Stock market operator)

दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे, Stock market operator के बारे में। आपने बहुत बार लोगों के मुंह से यह जरूर सुना होगा कि इस स्टॉक में आज इतनी प्वाइंट की रैली देखने को मिली। या फिर इस स्टॉक का वॉल्यूम आज अन्य दिनों के मुकाबले बहुत अधिक है। तो इसमें पक्का Stock Market operator घुसा होगा।

तो चलिए दोस्तों आज की यह पोस्ट Stock market operator के नाम। आज हम Stock market Operator के बारे में विस्तार से जानेंगे। कि आखिर ये होते कौन हैं, और इनके पसंदीदा स्टॉक कौन से होते हैं।

स्टॉक मार्केट ऑपरेटर (Stock Market operator)

विवरण – जितने भी रिटेल इंवेस्टर होते हैं, उनका सबसे बड़ा नुकसान उनके डर से होता है। और इस कमजोरी का ही फायदा Stock market Operator द्वारा उठाया जाता है।

Stock market Operator

Stock market Operator के पास बहुत अधिक मात्रा में पैसा होता है। जिससे की वह किसी भी शेयर को अधिक क्वांटिटी में खरीद करके उस शेयर को आसानी से मैन्युकुलेट कर लेते हैं। और रिटेल निवेशक सस्ते के चक्कर में इन स्टॉक में फंस कर रह जाते हैं।

स्टॉक मार्केट ऑपरेटर कैसे काम करता है–

Stock market Operator के द्वारा कुछ इस तरह से स्टॉक के साथ खेल किया करते हैं, जिससे रिटेल निवेशकों को फंसाया जा सके। उनके द्वारा ऐसे स्टॉक में काफी अधिक मात्रा में पैसे लगाए जाते हैं, जिनका कोई भी फ्यूचर नही होता है। और यह ऐसे स्टॉक होते हैं, जो हर किसी को सस्ते दाम में मिल रहे होते है, ताकि हर कोई रिटेल निवेशक इन्हें लेने में सक्षम हो।

जो भी नए निवेशक होते हैं, वह हमेशा सस्ते शेयर में ही अपना फ्यूचर समझते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है, कि कम प्राइस में ज्यादा शेयर उनको मिल जाएंगे। लेकिन stock market operator द्वारा इन शेयर को ऑपरेट किया जाता है। और जैसे ही इन शेयर में ऑपरेटर को अच्छा पैसा दिखने लगता है, वैसे ही वह इन सब शेयर को एक साथ बेच देते हैं। और रिटेल निवेशक को भारी नुकसान देखने को मिलता है।

ऑपरेटर छोटे निवेशकों को क्यों फंसाते हैं–

ऑपरेटर को यह बात अच्छे से पता होती है, कि छोटे निवेशक बड़ी आसानी से लालच में फंस जाते हैं। इसके साथ साथ जो नए निवेशक होते हैं, उनके पास डर काफी अधिक होता है, जिस वजह से वह महंगे शेयर लेने की जगह बेकार के सस्ते शेयर खरीदना चाहते हैं। इसके साथ साथ वह पैनी स्टॉक में पैसे काफी अधिक लगाते हैं। इसके साथ साथ वह news based stocks में पैसा लगाते हैं।

ऑपरेटर से कैसे बचें–

नए निवेशक को हमेशा ही फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग शेयर को ही चुनना चाहिए। इसमें यदि नए निवेशक अपना निवेश करते हैं, तो छोटी अवधि में उन्हें नुकसान देखना पड़ सकता है। लेकिन लंबी अवधि के अंतर्गत उन्हे एक अच्छा रिटर्न्स ही देखने को मिलेगा।

असल मायने में ऑपरेटर वह होते हैं, जिनके पास बहुत अधिक पैसा होता है, ये आपके ब्रोकर भी हो सकते हैं, या फिर म्यूचुअल फंड हाउस भी हो सकते हैं, या फिर कोई बड़े इंस्टीट्यूशन भी हो सकते हैं। लेकिन हमें इनसे बच कर रहना है, इससे बचने के लिए हमें अच्छे फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग शेयर में ही अपना निवेश करना चाहिए।

जिन कंपनियों का मार्केट कैप बहुत बड़ा होता है। उन कंपनियो में ऑपरेटर के पैसों का अधिक असर नहीं पड़ता है। और वह कंपनियां 1 से 2 प्वाइंट भी मुश्किल से बढ़ पाती है। इसलिए आप उन कंपनियो में भी अपना निवेश कर सकते हैं, जिनका मार्केट कैप काफी बड़ा होता है।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए

शेयर मार्केट में कब इन्वेस्ट करना चाहिए, या फिर शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए, मार्केट में सबसे अच्छा समय कौन सा रहेगा जब हमको इन्वेस्ट करना चाहिए, ताकि हम एक अच्छा रिटर्न्स कमा सकें, ये सवाल हर किसी निवेशक के मन में घूमते रहते हैं।

तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा कि शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए। ताकि आपको एक अच्छा रिटर्न्स मिल सके।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए ?

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए

स्टॉक मार्केट (Stock market) में सबसे अच्छा समय इन्वेस्ट करने का वह होता है, जब पूरा मार्केट गिरा हुआ होता है। इसकी मुख्य वजह यह है, क्योंकि मार्केट के गिरने के दौरान पूरा बाजार डरा होता है, और इंवेस्टर अपने शेयर को बेचने लगते हैं। जिस वजह से हमको शेयर बड़े सस्ते दाम में मिल जाते हैं। अतः आपको शेयर बाजार में पैसा गिरावट के समय ही लगाना चाहिए। यह बात तो हो गई, शॉर्ट टर्म के लिए। लेकिन क्या इतना ही सब काफी है, इन्वेस्टमेट के लिए, तो उत्तर है, नहीं। तो आइए जानते हैं, उन महत्वपूर्ण बातों को जिन्हें शेयर खरीदते समय ध्यान में रखना चाहिए।

  • कभी भी लोगों की बातों में विश्वास कर के पैनी स्टॉक में पैसा नहीं लगना चाहिए, हमको अपनी खुद की रिसर्च भी कर लेनी चाहिए। और तब पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए।
  • दूसरों की टिप्स लेने से अच्छा आप खुद की रिसर्च करें, ताकि आप अच्छे से सीख भी सकें, और आपको अच्छा रिटर्न्स भी मिल सकें। वरना आप सिर्फ लास्ट में अपना पैसा ही गंवाएंगे।
  • स्टॉक मार्केट कोई जुए की तरह नहीं है, कि आप रात ही रात इससे अमीर बन जाओगे, इसमें यदि आपको इन्वेस्ट करना है, तो आपको स्टॉक मार्केट का बेसिक नॉलेज होनी चाहिए। यदि आप बिना सीखें ही इन्वेस्ट करेंगे, और आपको नुकसान होगा तो आप इसे जुआ कह कर छोड़ देंगे।
  • आप केवल उन ही शेयर में इन्वेस्ट करें जिनके फंडामेंटल अच्छे होंगे, ताकि आपको नुकसान कम से कम नुकसान हों सके। और फंडामेंटल अच्छी कंपनियां आपको तब ही मिलेगी, जब आप किसी शेयर में अच्छे से रिसर्च करेंगे।
  • हर समझदार निवेशक अपनी कैपिटल को तब ही निवेश करता है, जब वह अच्छे से किसी शेयर में रिसर्च करता है, और उसे लगता है, कि कंपनी में सही में ही काफी दम है। और वह कंपनी उसे एक अच्छा रिटर्न्स कमा कर दे सकती है।

शेयर मार्केट में पैसे लगाने का एक बेहतर समय।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए की यदि हम बात करें तो आपको बता दूं, कि मार्केट ओपन होते ही कभी भी सीधे ट्रेड में नहीं घुसना चाहिए। बल्कि आपको थोड़ी देर इंतजार करने के बाद उसका वॉल्यूम और ट्रेड देखने के बाद ही इन्वेस्ट करना चाहिए।

आपको मार्केट में कुछ घंटे इंतजार करने के बाद दिखेगा कि मार्केट में अब एक अच्छा खासा वॉल्यूम दिखने को मिल जाएगा। और आप फिर इस चीज का डिसीजन ले सकते हैं, कि आपको ट्रेड करना चाहिए, या फिर नहीं। वॉल्यूम का मतलब होता है, कि इंवेस्टर या फिर ट्रेडर अपने कितने शेयर को खरीद और बेच रहे हैं।

यदि इंवेस्टर अपने शेयर को बहुत ज्यादा खरीद और बेच रहे हैं, और आपको इंट्राडे ट्रेड करना है, तो आप इस स्तिथि में शॉर्ट सेल कर के उससे एक अच्छा रिटर्न्स कमा सकते हैं। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे, कि इंट्राडे में काफी अधिक रिस्क होता है। जिससे आपके पैसे डूबने के चांसेस भी अधिक हो जाता है। इसी लिए यह सलाह दी जाती है, कि आपको हमेशा स्टॉप लॉस को लगा कर ही ट्रेड करना चाहिए।

मेरी सलाह तो आपको यही रहेगी की यदि आपको टेक्निकल एनालिसिस की अच्छी खासी नॉलेज है, तो ही आप यह करें, वरना आप शुरुआत में इन चीजों से दूर ही रहें, तो ही ज्यादा सही रहेगा।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए ― आपको बाजार में पैसा लगाने से पहले इस चीज की जानकारी होनी चाहिए, कि आखिर किसी भी शेयर का प्राइस उप्पर या फिर नीचे क्यों जाता है।
यह सवाल जानने की जरूरत आपको इस लिए है, क्युकी जब कभी भी वह शेयर डाउन जाने लगे जिसमे की आपने पैसे लगाएं हैं, तो आप पैनिक में आ कर के उस शेयर को बेचने लगेंगे। और यह अक्सर वे लोग होते हैं, जो अधिकांशत एक्सपर्ट की बातों में यकीन या फिर टीवी चैनल में देख कर के इन्वेस्ट करते हैं।
लेकिन आपको बता दें, की यह समय ही सबसे अच्छा समय होता है, जिस समय आप अपना पैसा मार्केट में लगा सकते हैं। यदि आपने एक फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग कंपनी को चुना है, तो आपको किसी कंपनी के शेयर के घटने या फिर बढ़ने से कोई फर्क नहीं पड़ता चाहिए, क्योंकि यह कुछ ही समय तक दिखने वाली गिरावट होती है, लॉन्ग टर्म में यह एक अच्छा रिटर्न कमा कर ही देते हैं।

और सबसे मुख्य बात की किसी भी शेयर में हमें पैसे तब लगाना चाहिए, जब वह शेयर अपनी इंट्रांसिक वैल्यू (Intrinsic value) से कम प्राइस पर ट्रेड कर रहा हो। दुनिया के जाने माने निवेशक वारेन बफेट भी इसी तरीके से वैल्यू इन्वेस्टिंग कर के अपने लिए मजबूत शेयर को चुनते हैं।

Fundamental analysis

बहुत से लोगों को Fundamental analysis के नाम से ही डर लगने लगता है, लेकिन यदि शेयर मार्केट (Stock market) में किसी कंपनी में इन्वेस्ट करना है, तो Fundamental analysis सबसे जरूरी होती है। जिसका मतलब होता है, कि किसी भी कंपनी की पूरी डिटेल्स को निकालना। स्टॉक मार्केट में कंपनी का दो तरीके से एनालिसिस किया जाता है। पहला Technical analysis और दूसरा Fundamental analysis,

तो चलिए दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा की Fundamental analysis क्या होता है।

फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis)

फंडामेंटल एनालिसिस वह प्रोसेस होती है, जिसमें की निवेशकों को किसी स्टॉक्स के चयन के लिए उसकी पुरानी हिस्ट्री जाननी होती है, जिससे की निवेशक उसके पुराने सारे रिकॉर्ड्स को अच्छे से जान कर उसमें इन्वेस्ट कर सकें।

Fundamental analysis

किसी भी कंपनी के पिछले रिकॉर्ड्स निकालने से मतलब उस कंपनी के प्रॉफिट–लॉस, रेवेन्यू, कंपनी का मैनेजमेंट, कंपनी क्या प्रोडक्ट बनाती है, उस प्रोडक्ट की डिमांड कितनी है, आदि चीजों से है। कोई भी कंपनी हो यदि उसमें स्मार्ट इंवेस्टर इन्वेस्ट करे तो वह कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis) जरूर करेगा।

फंडामेटल एनालिसिस को देखने से हमें कंपनी की ग्रोथ का यह पता भी लग जाता है, कि कंपनी प्रॉफिट कर रही है, या फिर लॉस। क्योंकि इसमें कंपनी का बहुत ही बारीकी से विश्लेषण किया जाता है। Fundamental analysis में यह देखा जाता है, कि वह कंपनी आर्थिक रूप से कितनी मजबूत है, क्या यह कंपनी हमें लॉन्ग टर्म में एक अच्छा रिटर्न्स दे सकती है।

अधिकतर लॉन्ग टर्म इंवेस्टर (Long term investing) जो होते हैं, वह कंपनी में इन्वेस्ट उस कंपनी के फंडामेंटल को देख कर ही किया करते हैं। Fundamental analysis भी दो प्रकार के होते हैं।

  • Qualitative Analysis
  • Quantitative Analysis
Qualitative Analysis

Quanlitative Analysis में किसी भी कंपनी के एनालिसिस को हम नंबर के फॉर्म में नहीं देख सकते हैं। इसमें हम नंबर को देखने की जगह कंपनी की ब्रांड वैल्यू को देखते हैं। और कंपनी के जो भी कंपीटीटर होते हैं, उनसे आपस में तुलना करते हैं। इस तरीके से हमको किसी भी कंपनी की जानकारी मिलती है। यह प्रत्येक इंसान के लिए अलग अलग हो सकती है। किसी भी कोई प्रोडक्ट अच्छा लगता है, तो किसी को कोई और प्रोडक्ट अच्छे लगते हैं।

Quantitative analysis

Quantitative analysis में हम किसी भी कंपनी के बारे में नंबर में जान सकते हैं। इसमें कंपनी की बैलेंस शीट को देखा जाता है, जिसमें की कंपनी का PE Ratio, Earning, EPS Ratio, Dividend, Cash Flow आदि चीजों के आधार पर इन्वेस्ट किया जाता है। यदि ये सब चीजें कंपनी की खराब रहती है, तो कंपनी को कमजोर समझा जा सकता है।

कंपनी का फंडामेटल एनालिसिस कैसे करें

किसी भी किसी कंपनी का जब हमें Fundamental analysis करना होता है, तो हम सबसे पहले उस कंपनी का बैलेंस शीट देखेंगे। इससे हमें कंपनी की पूरी जानकारी मिल जाती है। यदि हमें कंपनी का फंडामेंटल चेक करना है, तो हम गूगल में जा कर के NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) की वेबसाइट में VISIT कर सकते हैं। जोकि एक सेबी रजिस्टर्ड वेबसाइट है। इसमें हमें किसी एक्सपर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ती है। और कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी भी मिल जाती है। और फिर हम एक अच्छी कंपनी में इन्वेस्ट भी कर सकते हैं।

फंडामेंटल एनालिसिस कैसे उपयोगी है–

जो भी इंवेस्टर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग करते हैं, उनके लिए फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है, एनालिसिस करने से उनको वे स्टॉक्स बड़ी आसानी से मिल जाते हैं, जिनसे की उन्हें आने वाले समय में एक अच्छा रिटर्न्स मिल सकता है। साथ ही अच्छे बिसनेस वाली कंपनियां भी आसानी से मिल जाती है। फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग हमेशा लंबे समय के लिए इन्वेस्ट के लिए किया जाता है। इसमें जल्दी पैसा कमाने का टारगेट नही रखा जाता है। बल्कि इन्वेस्ट किए गए शेयर में सही रेट ऑफ रिटर्न्स पर कंपाउंडिंग करने में ध्यान दिया जाता है।

फंडामेंटल एनालिसिस के लिए मुख्य बिंदु

  • Balance sheet
  • Profit or loss
  • Annual report
  • Cash Flow
  • EPS (Earning per share)
  • Book value
  • Sales
  • Growth
  • Opponent company
  • Debt
  • Company Managemet Ect

Types of Trading

आप यदि स्टॉक मार्केट में इंटरेस्ट रखते होंगे, तो आपको ट्रेडिंग के बारे में अवश्य ही पता होगा। लेकिन काफी लोगों के मन में यह सवाल भी जरूर आता है, कि ट्रेडिंग आखिर कितने प्रकार (Types of Trading) की होती है।

तो चलिए आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे की ट्रेडिंग के प्रकार (Types of Trading) कितने होते हैं।

ट्रेडिंग के प्रकार (Types of Trading)

स्टॉक मार्केट (Stock Market) में ट्रेडिंग के मुख्यत चार प्रकार होते हैं। तो चलिए जानते हैं, – Types of Trading के बारे में।

Types of Trading
  • इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading)
  • स्विंग ट्रेडिंग (Swing trading)
  • शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग (Short term trading)
  • लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग (Long term trading)

1. इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading)

इंट्राडे ट्रेडिंग के अंतर्गत आपको अपने द्वारा लिए गए ट्रेड को एक ही दिन की अंदर लेना भी होता है, साथ ही उसी दिन बेचना भी होता है। यदि आप अपने शेयर या फिर ट्रेड को किसी भी वजह से बेचना नही चाहते हो, तो आपका वह शेयर ऑटोमैटिक मार्केट बंद होने पर खुद का खुद सेल हो जायेगा। भारतीय स्टॉक मार्केट का समय सुबह 9:15AM से शाम के 3:30PM तक होता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे

इंट्राडे ट्रेडिंग का सबसे मुख्य फायदा यह है, कि यदि आपके पास स्टॉक को लेने लायक कैपिटल नहीं भी हो, तभी भी आपको वह स्टॉक एक सस्ते प्राइस पर मिल जाता है। मतलब की इसमें आपको ब्रोकर की तरफ से एक अच्छा खासा मार्जिन देखने को मिल जाता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान

इंट्राडे ट्रेडिंग का नुकसान यह है, कि आपको उसी दिन ट्रेड को लेना भी होता है, और बंद भी करना होता है। अब चाहे आप फायदे में हो या फिर नुकसान में। इसमें रिस्क भी काफी अधिक होता है। यदि आपको स्टॉक मार्केट के बारे में अधिक नॉलेज नही है, तो फिर आपको इससे दूर रहना चाहिए, क्योंकि शुरुआती दौर में सभी लोग इंट्राडे ट्रेडिंग को काफी पसंद करते हैं। और आखिरी में उनको असफलता ही देखने को मिलती है।

2. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)

स्विंग ट्रेडिंग में आपके द्वारा लिए गए ट्रेड को कुछ दिनों या फिर कुछ हप्तों तक होल्ड करने के बाद बेच सकते हो। जिसे स्विंग ट्रेडिंग कहा जाता है। यह ट्रेडिंग आपकी इंट्राडे ट्रेडिंग से बिल्कुल अलग होती है। इसमें आप अपना लॉस और प्रॉफिट को आसानी से झेल सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग के फायदे

यदि आप ट्रेडिंग के फील्ड में नए उतरे हैं, तो आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग एक अच्छी ऑपोच्युनिटी हो सकती है। इसके बाद आप अच्छे स्टॉक्स को भी सेलेक्ट कर सकोगे। साथ ही आप स्टॉक मार्केट के उतार चढ़ाव को भी आसानी से समझ पाओगे।

स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान

स्विंग ट्रेडिंग में यदि आपके द्वारा अच्छे स्टॉक्स को नहीं चुना गया तो आप नुकसान में जाओगे। इस ट्रेडिंग में आपके द्वारा अच्छे स्टॉक्स को चुनना बहुत जरूरी है, ताकि आप स्टॉक में काफी दिनों तक इन्वेस्ट रख सके।

3. शॉर्ट टर्म इन्वेस्टिंग (Short term investing)

ट्रेडिंग में कुछ ट्रेड ऐसे भी होते हैं, जोकि लोग कुछ हप्तों से लेकर के महीनों तक भी होल्ड करके रखते हैं। उसे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग कहा जा सकता है। शॉर्ट टर्म इन्वेस्टिंग में एक एक्टिव ट्रेड इन्वेस्टमेंट होती है, जिसमे की आपको नजर रखनी होती है, तभी जाकर के आप अपने स्टॉक को मिनिमाइज कर सकते हो।

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे

शॉर्ट टर्म में यदि आप अपनी पूरी रिसर्च के साथ स्टॉक्स को सेलेक्ट करते हो, तो आप अपने लॉस को मिनिमाइज कर सकते हो। और प्रॉफिट में रह सकते हो।

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के नुकसान

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में आप नुकसान में तब जा सकते हो, यदि आप दूसरों की राय लेकर के स्टॉक्स को बाय करोगे। यदि आपने यूट्यूब या फिर किसी अन्य प्लेटफॉर्म से सुन कर के स्टॉक्स में इन्वेस्ट किया है, तो आप पक्का लॉस मे जाओगे। क्योंकि इसमें खुद की रिसर्च के साथ साथ आपको स्टॉक के फंडामेंटल भी पता होने चाहिए।

4. लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग (Long term trading)

लॉन्ग टर्म के नाम से ही आपको पता चल रहा होगा, कि आखिर लॉन्ग टर्म किसे कहेंगे, लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग आप उसे कह सकते हैं, जिसमे आप स्टॉक्स को एक साल से अधिक समय तक होल्ड कर के रखते हैं। लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग कहलाती है।

लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग के फायदा और नुकसान

लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग में यदि आपने स्टॉक्स के फंडामेंटल को अच्छे से देख करके स्टॉक्स को बाय किया है, तो आप एक अच्छा रिटर्न्स कमा सकते हैं। लेकिन यदि आपने स्टॉक्स को बिना सोचे समझे किस्मत के भरोसे लिया है, तो आप हमेशा नुकसान में ही रहोगे।

इसलिए आप जब भी स्टॉक्स को बाय करोगे तो आपको उस स्टॉक्स के फंडामेंटल जान लेना चाहिए। ताकि आप हमेशा लॉन्ग टर्म में प्रॉफिटेबल में रहो।

उम्मीद करता हूं कि आपको Types of Trading अच्छे से समझ आ गई होगी। यदि आपका कोई भी सवाल हो, तो आप कमेंट में पूछ सकते हैं।

Forex Trading

फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex Trading) को आम तौर पर करेंसी ट्रेडिंग भी कहा जाता है। यह पिछले कुछ सालों से बहुत ही अधिक प्रचलन में आया है। और बहुत से निवेशकों के लिए यह पैसा कमाने का एक अवसर बन कर भी आया है। आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा, कि आखिर यह Forex Trading होती क्या है?

तो चलिए आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम बताऊंगा कि आखिर Forex Trading होता क्या है। इसके क्या लाभ और क्या जोखिम हो सकते हैं।

फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex Trading)

ट्रेडिंग के सबसे कठिन और दिलचस्प रूपों में से एक Forex Trading होती है। फॉरेक्स ट्रेडिंग का मतलब मूल रूप से फॉरेक्स या फिर करेंसी की खरीददारी और बिकवाली से है।

Forex trading

फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex trading) ट्रेडिंग का सबसे रोमांचक रूप है, जिसमें की एक बड़े पैमाने पर बैंक या फिर कोई संस्था निवेश करते हैं। हालांकि यह रिटेल निवेशकों के लिए भी उपलब्ध रहता है। यह दुनिया के सबसे बड़े वित्तीय मार्केट्स में से एक है। जहां की हमेशा प्रतिदिन 5 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक की ट्रेडिंग की जाती है।

बहुत से ट्रेडर स्टॉक्स, इक्विटी, कमोडिटी (Commodity) डेरिवेटिव, ऑप्शन और फ्यूचर (Option and future) आदि रूपों में ट्रेडिंग करते हैं। और उसके लिए ट्रेडर अपने लिए एक सेटअप तैयार करता है। जिसको कि फॉलो करके वह अपने लिए एक अच्छा रिटर्न्स कमा पाता है। फॉरेक्स ट्रेडिंग भी ठीक उसी प्रकार से ट्रेडिंग का एक जरिया है। जिससे कि निवेश्क एक अच्छा रिटर्न्स कमा सके। फॉरेक्स ट्रेडिंग को आप कभी भी किसी भी टाइम पर कर सकते हैं, क्युकी यह 24 घंटे चलता है।

फॉरेक्स ट्रेडिंग में पहले सारे काम फिजिकल रूप में किए जाते थे। लेकिन टेक्नोलॉजी के बढ़ने से फॉरेक्स और करेंसी से जुड़े अब हर काम या फिर छोटी मोटी जानकारी ट्रेडर्स को बड़ी आसानी से मिल जाती है। फॉरेक्स ट्रेडिंग की जानकारी पूरी दुनिया में बड़ी आसानी से मिल जाती है। क्योंकि फॉरेक्स ट्रेडिंग पूरी दुनिया में चलाई जाती है।

फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex Trading) के लाभ–

वैसे तो फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex Trading) काफी जोखिम भरा होता है। लेकिन कुछ अन्य तरीके भी हैं, जोकि हमें लाभ प्रदान करता है। तो चलिए जानते हैं, उन तरीकों को –

1. 24 घंटे ट्रेडिंग

फॉरेक्स ट्रेडिंग जो होती है, वह दुनिया में 24 ही घंटों तक की जा सकती है। आपको बता दें,, दुनिया में हर समय कोई न कोई मार्केट खुला ही होता है। इसलिए करेंसी ट्रेडिंग एक्सचेंज में करेंसी ट्रेडिंग जो होती है, वह 24 घंटे ही की जा सकती है।

2. हेजिंग

फॉरेक्स ट्रेडिंग जो है, वह मूल रूप से इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के द्वारा हेजिंग विधि से प्रयोग में लाया जाता है। इसको आपको एक उद्धरण से समझते हैं,

माना कोई व्यक्ति है, जिसे की भविष्य में डॉलर में भुगतान करना है। और उसे लगता है, कि डॉलर का भाव कम होगा, तो वह USD/INR खरीदकर अपने फॉरेक्स ट्रेडिंग के जोखिम को कम कर सकता है। और आज ही किसी से भुगतान दर तय कर सकता है।

3. सट्टेबाजी

वैसे तो सट्टेबाजी को हम बढ़ावा नहीं देते लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं, जोकि सट्टेबाजी करके एक अच्छा लाभ कमाते हैं। इसमें ट्रेडर जो होते हैं, वह इन्वेस्ट के आधार पर अनुमान लगा सकते हैं, और उसके आधार पर मुनाफा भी कमा लेते हैं।

इसको एक उद्धरण से समझते हैं, माना कोई ट्रेडर हाई FII के साथ किसी मुख्य स्थान में एक मजबूत एक्सपोर्ट का अनुमान लगा रहा है, तो वह INR के मूल्य में वृद्धि पर अनुमान लगा सकता है, और इसके साथ ही USD/INR बेचकर लाभ कमा सकता है।

4. लीवरेज

करेंसी ट्रेडिंग में आपको लीवरेज का लाभ प्रदान किया जाता है। जिससे कि ट्रेडर मार्केट में अधिक पैसों से ट्रेडिंग कर सकता है।

5. आर्बिट्रेज

फॉरेक्स ट्रेडिंग या करेंसी ट्रेडिंग उन लोगों को पर्याप्त आर्बिट्रेज के अवसर प्रदान करता है, जोकि एक एक्सचेंज पर करेंसी खरीद सकते हैं। और जैसे ही लाभ होता है, वह दूसरे को बेच देते हैं।

फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex Trading) के जोखिम

Forex trading

बहुत से ट्रेडिंग की तरह ही यह भी एक जोखिम भरा व्यवसाय है। इसमें भी लाभ के साथ साथ हमको नुकसान या फिर जोखिम देखने को मिलता है। चलिए देखते हैं, आखिर इसमें जोखिम क्या हैं–

  • फॉरेक्स करेंसी ट्रेडिंग एक बहुत ही अधिक Volatile market है। जोकि बहुत से नए निवेशकों और ट्रेडर के लिए काफी कठिन सा हो जाता है।
  • इसमें सबसे बड़ा जोखिम यह होता है, कि यह मार्केट न्यूज या फिर अन्य इन्वेस्टमेंट से प्रभावित नहीं होता है।
  • किसी भी घटना के सकारात्मक रूप से जोड़ी की दोनों करेंसी को प्रभावित कर सकती है। जिससे कि जोड़ी पर प्रभाव का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
  • इसमें निवेशकों को पहले ही रणनीति बना लेनी चाहिए, ताकि उनको कम से कम नुकसान हो और प्रॉफिट वह अधिक से अधिक ले सके।

Commodity meaning in hindi

आपमे से बहुत से लोगों ने स्टॉक मार्केट (Stock Market) में ट्रेडिंग तो की ही होगी। उसमें आपने फ्यूचर और ऑप्शन (Future or Option) में भी ट्रेड किया होगा। Commodity भी इसी प्रकार का एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, जिसमें की ट्रेड किया जाता है।

तो चलिए आज की इस पोस्ट में मैं आपको Commodity के बारे में विस्तार से बताऊंगा। बताऊंगा कि Commodity क्या होता है। यह कहां ट्रेड किया जाता है। इसके कितने प्रकार होते हैं। और भी इससे संबंधित बहुत सी महत्वपूर्ण चीजें।

कमोडिटी (Commodity)

अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जिस प्रकार से हम कोई सामान खरीदते हैं, जैसे की अनाज, मसाले, सोना,चांदी आदि। ठीक उसी प्रकार से स्टॉक मार्केट (Stock Market) में भी इन चीज़ों की खरीदी और बिकवाली की जाती है।

Commodity

सरल शब्दों में कहा जाए तो शेयर मार्केट में कमोडिटी सेक्शन में अनाज, मसालों, या फिर किसी मेटल की खरीद या बेच को कमोडिटी (Commodity) कहा जाता है। और इन Commodity में जो ट्रेडिंग की जाती है, उसे Commodity trading कहते हैं।

कमोडिटी ट्रेडिंग इक्विटी शेयर की ट्रेडिंग से थोड़ा अलग होती है। कमोडिटी की जो ट्रेडिंग होती है, वह अधिकतर फ्यूचर मार्केट (Future market) में की जाती है। भारत में कमोडिटी मार्केट काफी पहले से चलता था। लेकिन किसी कारणवश इसमें रोक लगा दी गई थी। लेकिन फिर 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था। और यह दुबारा से शुरू हो गई।

Commodity वह रूप है, जिसे की प्रकृति द्वारा हमें दिया जाता है। इसे एक जगह से दूसरी जगह जरूरतों को पूरा करने के लिए ले जाया जाता है। जिसे की धन से खरीदा या बेचा जा सकता है।

कमोडिटी ट्रेडिंग आपके पोर्टफोलियो में विविधता लाने का एक सरल तरीका होता है। लेकिन इसमें बहुत जोखिम भी शामिल रहता है। खासकर उनके लिए जोकि इसमें नए नए निवेशक हैं।

कमोडिटी (Commodity) उत्पाद के प्रकार

मुख्य तौर पर कमोडिटी उत्पाद को 4 भागों में बांटा गया है। जिसमे की ट्रेडिंग की जाती है।

  1. कृषि – गेंहू, चावल, मक्का, सेम आदि।
  2. धातु – सोना, चांदी, तांबा, प्लेटिनम।
  3. ऊर्जा – कच्चा तेल, मिट्टी का तेल, प्राकृतिक गैस आदि।
  4. पशुधन और मांस – पशु, अंडे, मांस, आदि।

कमोडिटी, स्टॉक ट्रेडिंग से कैसे अलग है–

कमोडिटी ट्रेडिंग और स्टॉक इक्विटी ट्रेडिंग दोनों एक दूसरे से अलग होते हैं। इक्विटी ट्रेडिंग जो होती है, उसमें हम स्टॉक्स को जब तक चाहे अपने पास होल्ड करके रख सकते हैं। और जब मर्जी उसे बेच सकते हैं। लेकिन कमोडिटी में ऐसा नहीं होता है। इसमें आपको आने वाले दो–तीन महीने में ही ट्रेड करना होता है। इसलिए इसमें सौदा करते समय खरीदना और बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है। यह भी इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (Future Trading) की तरह ही होता है।

Commodity में निवेश कहां से करें

Commodity में निवेश करने का सबसे बेहतर तरीका फ्यूचर अनुबंध होता है। फ्यूचर्स अनुबंध हर Commodity श्रेणी पर उपलब्ध होता है। यह एक निर्धारित मूल्य में किसी भी कमोडिटी की विशिष्ट मात्रा खरीदने अथवा बेचने का समझौता होता है।

विशेषज्ञों की माने तो पोर्टफोलियो में अलग अलग जगह निवेश करना निवेशक को फायदा दिलवाता है। इक्विटी के साथ साथ हमें कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए। इससे आप उतार चढ़ाव का फायदा ले सकते हैं। परन्तु इसमें नए और छोटे निवशकों को सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि बाजार की अस्थिरता और कम ज्ञान सारा पैसा डूबा लेती है। निवेशकों को उन कारकों को खोजना चाहिए, जोकि बाजार को प्रभावित करते हैं।

Commodity trading के फायदे

Commodity

1. लेवरेज (Leverage)

Commodity Market में भारत में हर साल लगभग 25 लाख करोड़ से बढ़ रहा है। इसमें आपको लेवरेज भी मिलता है, जिसमें की एक छोटे अमाउंट के साथ भी ट्रेड करने का मौका मिल जाता है। जिससे की छोटे मोटे निवेशक भी कम अमाउंट के साथ इसमें ट्रेड कर सकते हैं।

2. हेजिंग (Hedging)

इसमें किसान, अथवा कोई भी उपयोगकर्ता के लिए कमोडिटी के प्राइस में उतार चढ़ाव की वजह से रिस्क कम हो जाता है।

3. पोर्टफोलियो का डायवर्सिफाई

यदि आप Commodity में भी ट्रेड करते हैं। तो आप अपने पोर्टफोलियो को इक्विटी ट्रेड के साथ साथ अन्य जगह भी डायवर्सिफाई कर सकते हैं। इससे आपके रिस्क की क्षमता भी कम हो जाती है।

4. ट्रेडिंग (Trading Opportunity)

कमोडिटी आपको एक ट्रेडिंग ऑपर्च्युनिटी भी प्रदान करती है। क्योंकि कमोडिटी का डेली का टर्नओवर लगभग 22 हजार से 25 हजार करोड़ रुपए तक है।