Elss tax saving

ELSS tax saving

ELSS tax saving | हिन्दी में |

         ELSS tax saving में ELSS का पूरा नाम इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम है। दरसल जब इन्वेस्टमेंट की बात आती है, तो हम Elss को एक बेस्ट ऑप्शन समझते हैं, क्योंकि यह भी एक म्यूचुअल फंड ( Mutual fund ) की ही तरह है, तो इससे हमको अच्छे फायदे भी मिल जाते हैं। ELSS tax saving में हमको बहुत से एडवांटेज मिल जाते हैं। उनमें से तीन बेस्ट एडवांटेज हैं, जिन्हे देख कर हर कोई इसमें इनवेस्ट करके टैक्स सेविंग एक लीगल तरीके से करना चाहते हैं। और एक अच्छा रिटर्न्स कमाना चाहते हैं।

1– अच्छे रिटर्न्स – ELSS tax saving में हमको अन्य किसी टैक्स पेइंग स्कीम से एक अच्छा रिटर्न्स मिल जाता है। और साथ ही यह एक अच्छा इन्वेस्टमेंट प्लान भी है। इसमें लगभग 13 से 14 पर्सेंट तक के रिटर्न्स हमको मिल जाते हैं।

2– टैक्स बेनिफिट – ELSS tax saving टैक्स को बचाने का एक बेस्ट इन्वेस्टमेंट प्लान होता है, जिसके अंतर्गत हमको डेड लाख तक का डिडेक्सन मिल जाता है। इसी लिए लोग अन्य स्कीम की जगह इस स्कीम में इनवेस्ट करना ज्यादा पसंद करते हैं।

3– मॉडरेट रिस्क – ELSS tax saving में इनवेस्ट करके हम अपने रिस्क को कम भी कर सकते हैं। क्युकी यदि हम अपने पैसों को इक्विटी में लगाते हैं, तो उसमे हमको स्टॉक मार्केट ( stock market ) के बारे में जानकारी होनी चाहिए। लेकिन यहां हमारे पैसों को बड़े बड़े फंड मैनेजर के द्वारा ट्रैक और इनवेस्ट किया जाता है। जिससे हमारा रिस्क भी कम हो जाता है।

ELSS tax saving का अन्य स्कीम से तुलना–

1– FD, / NSC – ELSS tax saving में हमारा रिस्क कम होता है, क्युकी इसको बड़े फंड मैनेजर द्वारा ट्रैक किया जाता है। साथ ही इनकी बेस्ट इन्वेस्टमेट प्लानिंग रहती है, जहां रिस्क कम होता है। कम से कम इसमें 5 साल के लिए इनवेस्ट करके रखना जरूरी होता है। और टैक्सेबल रिटर्न्स की बात करे तो इसमें हमको रिटर्न्स आने के बाद हमें उसमें टैक्स को भी पे करना पड़ता है। और इसमें रिटर्न्स की बात करे तो कम से कम हमें इसमें 5 से 6 पर्सेंट का रिटर्न्स मिलता है।

2– PPF – ELSS tax saving में भी हमको कम रिस्क ही देखने को मिलता है, क्योंकि इसमें भी सेव इन्वेस्टमेंट की जाती है। इसका लॉक इन पीरियड की बात करे तो कम से कम हमको इसमें 15 साल के लिए इनवेस्ट करना होता है। टैक्सेबल रिटर्न्स की बात करे तो इसमें कोई भी टैक्सेबल रिटर्न्स नही देना होता है। और इसके रिटर्न्स की बात करे तो इसमें हमें 8 पर्सेंट तक के रिटर्न्स मिल जाते हैं।

3– NPS – ELSS tax saving में हमें  मॉडरेट रिस्क देखने को मिलता है।इसकी लॉक इन पीरियड की बात करे तो इसका लॉक इन पीरियड रिटायरमेंट तक के लिए किया जाता है, ताकि जब कोई भी रिटायरमेंट हो तो उसके यह पैसे उसके बाद के काम आ सके। इसके टैक्सेबल रिटर्न्स की बात करे तो इसमें हमें कोई भी टैक्स रिटर्न्स पर नहीं देना होता है। साथ ही रिटर्न्स की बात करे तो इसमें हमको 8 से 13 पर्सेंट तक का रिटर्न्स मिल जाता है।

अब इनकी तुलना में हमें क्यों ELSS tax saving में इनवेस्ट करना चाहिए–

1– पहली बात की इसमें हमको मॉडरेट रिस्क देखने को मिलता है।

2– दूसरी बात जो की सबसे सही है, कि इसमें हमारा लॉक इन पीरियड 3 साल का होता है। मतलब की इसमें हमको अन्य स्कीम से कम समय में ही अपनी इन्वेस्टमेंट को निकाल सकते हैं।

3– हालांकि इसमें टैक्सेबल रिटर्न्स अमाउंट लगता है, परंतु लास्ट में इससे हमको 13 से 14 पर्सेंट तक के रिटर्न्स हमें देखने को मिलते हैं।

हमें SIP / LUMPSUM क्या करना चाहिए–

यदि आपको शेयर बाजार में जानकारी है, या फिर आप मार्केट को समय समय में ट्रैक कर लेते हैं। तो आपको लंप्सम में इनवेस्ट कर लेना चाहिए। क्योंकि इसमें मार्केट के बारे में जानकारी होना जरूरी होता है। लेकिन अगर आपको मार्केट के बारे में जानकारी नहीं है, तो आपको एसआईपी ( SIP ) ही कर लेना चाहिए। ताकि आपका ऑन एन एवरेज होने पर आपको एक अच्छा रिटर्न्स बहुत ही कम रिस्क में मिल सके। और यह इन्वेस्टमेंट कम से कम 5 से 10 साल( लॉन्ग टर्म ) तक के लिए होने चाहिए। तभी आपको एक अच्छा रिटर्न्स मिल सकता है।

फंड के प्रकार जहां निवेश करना चाहिए–

इसमें हम फंड को दो भागों में डिवाइड कर सकते हैं।

1– ग्रोथ फंड,
2– डिविडेंट फंड,

(i)–ग्रोथ फंड – इस फंड में हमको एक अच्छा रिटर्न्स मिल जाता है, क्योंकि इसमें हमें पावर ऑफ कंपाउंडिंग का इफेक्ट देखने को मिलता है। जो टाइम के साथ साथ बढ़ता रहता है। याने की मिले हुए व्याज में भी व्याज लगता रहता है।

(ii)– डिविडेंड फंड – यदि हम इस फंड की बात करे तो इसमें हमको डिविडेंट कैश के रूप में मिल जाता है। और जब डिविडेंट कैश के रूप में मिल जाता है, तो इसमें हमें पावर ऑफ कंपाउंडिंग का इफेक्ट देखने को नहीं मिल पाता है।

अब यदि आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा की हम डिवीडेंट के द्वारा मिले रुपयों को भी तो रेंवेस्ट कर सकते हैं, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपका जो लॉक इन स्टार्ट पीरियड होता है, वह तब से शुरू होगा जिस तारीख से आपके द्वारा दुबारा से रेनवेस्टिंग की जायेगी।

मेरी तो सलाह यही रहेगी कि आप ग्रोथ फंड में ही इनवेस्ट करें ताकि आपको कंपाउंडिंग का फायदा भी मिल सके।

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