Future and Option trading in hindi

Future and option

Future and option – फ्यूचर और ऑप्शन | हिन्दी में |

कॉन्ट्रेक्ट की शर्तों के आधार पर डेरिवेटिव को दो मुख्य भागों के बांटा गया है। जिन्हें की Future and option कहा जाता है।

1- फ्यूचर।
2- ऑप्शन।

Future and option प्रॉफिट को कमाने के लिए और उस ट्रेड में हो रहे नुकसान को सीमित करने के लिए जिससे कि हमको ज्यादा नुकसान न झेलना पड़े, उसके लिए, यह मार्केट में ट्रेड करने के लिए एक सही और बेहतर तरीका है।

Future and option एक दूसरे से अलग बहुत से कारणों से होते है। यह वास्तव में ट्रेडर के हो जोखिम को कम करता है। या फिर आप यह मान सकते हैं, इससे ट्रेडर ज्यादा नुकसान होने से बच सकता है।

Future and option एक डेरिवेटिव होते हैं। और फ्यूचर और ऑप्शन एसेट के प्राइस पर निर्भर करता है। इसमें अनुबंध ट्रेडर जो होता है, वह आने वाले समय में एसेट को खरीदने के लिए या फिर बेचने की अनुमति देता है।

      Future and options  दोनों के दोनों ही सारे मौलिक आधारों को समान रखा गया है, परंतु दोनों के अलग-अलग शर्तो और मापदंड होने के कारण ही दोनो को अलग रखा जा सकता है। इन दोनों में ही मार्केट प्राइस और मूवमेंट के बारे में अनुमान लगाकर अपने मुनाफे को कमाने और घाटे को कम से कम करने के साधन है।

* सपोर्ट और रेसिस्टेंस ( Support or Resistance )

* डेरिवेटिव्स ( Derivative ) के प्रकार।

* म्यूचुअल फंड ( Mutual fund )

ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट जो होता है, वह खरीदार को सिर्फ अधिकार ही देता है, कॉन्ट्रेक्ट को नहीं। जबकि फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट जो होता है, वह खरीदार को एसेट को खरीदने के लिए और विक्रेता को एसेट बेचने के लिए एक निश्चित आने वाले समय की कीमतों पर आपको कन्फर्म करता है।

या फिर आप यह कह सकते हैं, कि यह एक निश्चित आने वाले समय की कीमतों पर काम को करने का वादा करता है। इसलिए ही जो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट होता है, वह केवल विक्रेता के लिए जरूरी होता है, जबकि फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए ही जरूरी होता है।

ऑप्शन जो होता है, वह अपने ट्रेडर्स के बारे में या फिर उसकी योग्यताएं हमको प्रदान करता है, जो कि लगभग सारी रणनीतियों में उपयोग किया जाता है। जबकि फ्यूचर सरल और समझने में काफी आसान होता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग को पहले ही शुल्क के रूप में जमा या फिर देने की आवश्यकता होती है। जबकि फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट को उसके बड़ते या घटते चार्जेस को दिए बिना भी दर्ज किया जा सकता है। साथ ही फ्यूचर मार्केट जो होता है, उसमे ऑप्शन मार्केट की तुलना में ज्यादा रिस्क होता है।

ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट में लाभ की क्षमता जो होती है, उसकी कोई सीमा नहीं होती है, अर्थात वह असीमित होती है। और फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट में लाभ और हानि दोनो की ही असीमित क्षमता होती है।

भारत में Future and option में अंतर

1- फ्यूचर्स ट्रेडिंग में हमको बहुत कम घाटा उठाना पड़ता है, परन्तु ऑप्शन ट्रेडिंग में नहीं। क्योंकि फ्यूचर ट्रेडिंग ऑप्शन ट्रेडिंग के मुकाबले में बहुत कम जोखिम शामिल होता है।

2- फ्यूचर ट्रेडिंग, ट्रेडर को कॉन्ट्रेक्ट को पूरा करने के लिए एक अधिकार और दायित्व देता है। जबकि ऑप्शन ट्रेडिंग इस सारी सुविधाओ को नही देता है। अब उसमें चाहे तुम्हारा कॉन्ट्रैक्ट हो या फिर ना हो।

3- फ्यूचर ट्रेडिंग में लाभ और हानि की कोई सीमा नहीं होती है। मतलब की आपको इस ट्रेड के दौरान कितना भी लाभ हो सकता है, साथ ही आपको जितना लाभ हुआ है, उतना आपको घाटा भी हो सकता है, इसमें कुछ बोला नहीं जा सकता है।

  जबकि ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट जो होता है, उसमें खाली आपके नुकसान की एक लिमिट होती है। ओर आपको फायदा कितना भी हो सकता है। लेकिन नुकसान आपका सीमित रहेगा।

4- फ्यूचर ट्रेडिंग को किसी भी अग्रिम शुल्क की आवश्यकता नहीं होती। मतलब की आपको इस ट्रेडिंग के दौरान पहले ही शुल्क देने की कोई जरूरत नहीं होती है।  जबकि ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट में प्रवेश करते समय ही आपको मामूली भुगतान करने की आवश्यकता होती है। तभी ही आप उसमें ट्रेड कर सकते हैं।

यदि अब आप पूछते हैं, कि Future and option में से कौन सा बेहतर ऑप्शन रहेगा? तो आपको बता दें, कि यह ट्रेडिंग की वरीयता, जोखिम उठाने की क्षमता, समय, अन्य बहुत से कारक और निवेश के उद्देश्यों पर निर्भर करता है। क्योंकि प्रत्येक चीज के फायदे जहां होते हैं, तो उसके कहीं न कहीं नुकसान भी जरूर होते हैं।

साथ में आपको यह भी बता दें कि फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट जो होता है, वह आपके एक निश्चित संभावित लाभ के लिए आपकी सहायता करता है। जबकि ऑप्शन ट्रेड जो होता है, वह आपके नुकसान को कम करने में मदद करता है।

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