Smart Investment

आय–दिन आप लोगों के मुंह से यह जरूर सुनते होंगे की यदि आपको जल्द से जल्दी फाइनेंशियल फ्री होना है, तो आपका निवेश ( Investment ) करना बहुत जरूरी है। या फिर आपने यह सुना होगा की यदि आपने इस समय में इनवेस्ट किया होता तो आज आप इतने रुपयों के मालिक होते। तब आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा की आखिर हम इन्वेस्टमेंट कहेंगे किसे? और यह किस तरीके से हमको अमीर बना सकता है। साथ ही इसमें कितना रिस्क हो सकता है।

Investment

तो चलिए आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताऊंगा की आखिर निवेश (Investment) हम किसे कहेंगे। और इन्वेस्टमेंट में जोखिम के कौन कौन से कारक हो सकते हैं।

निवेश (Investment) क्या है?

निवेश (Investment) एक संपत्ति, वस्तु या फिर कोई स्थान होता है, जोकि हमारे द्वारा वर्तमान समय में खरीदा या उपयोग में लाया जाता है। ताकि वह आने वाले समय में हमको एक अच्छा रिटर्न दे सकें। स्टॉक, प्रॉपर्टी, जमीन, व्यवसाय आदि इसके उद्धरण हैं। निवेश किए गए धन का प्रयोग उपभोग न करके उसे उसी जगह इनवेस्ट कर दिया जाता है। जहां से उनको प्रॉफिट हुआ होता है।

निवेश में जोखिम कारक–

कोई भी व्यक्ति हो वह निवेश तब ही करेगा जब उसे किए गए निवेश पर अच्छे रिटर्न का आश्वासन दिया जाता हो। जोखिम की बात करें तो हर किसी चीज में जोखिम मौजूद होता है। यह कहना गलत नहीं होगा की निवेश करने से आपको अच्छा रिटर्न्स मिल सकता है। प्रत्येक जगह निवेश करने से दो ही रिजल्ट्स सामने देखने को मिलते हैं। एक तो ज्यादा ही रिटर्न्स का मिलना और दूसरा बहुत ही कम रिटर्न्स का मिलना या फिर पैसों का डूब जाना।

अलग अलग निवेश साधन में विभिन्न तरीके के जोखिम होते हैं। साथ ही निवेश और जोखिम पर लाभ का सीधा संबध होता है। जब भी कोई निवेश का विकल्प आपको अच्छा रिटर्न्स दे रहा है, तो उसमें आपको उतना अधिक जोखिम भी उठाना पड़ेगा।

दूसरी तरफ जब निवेश साधन बहुत ही सरल और कम रिटर्न देने वाले होते हैं, तो वह आपके रिस्क को उतना ही कम कर देगा। इसका सीधा मतलब यह हुआ की जितना अधिक जोखिम होगा उतना ही अधिक आपको रिटर्न्स मिलने की संभावना है। और जितना कम जोखिम होगा, उतना ही कम आपको रिटर्न्स मिलने की संभावना है।

फिर भी निवेशक अपने पैसों को वहां निवेश करते हैं, जहां उनको अधिक रिटर्न्स मिलता है। उस स्तिथि में भी वह अपने रिस्क लेने को भी तैयार होते हैं। जबकि जो व्यक्ति जोखिम नहीं लेना चाहता वह कम जोखिम वाली संपत्ति में निवेश करता है।

यदि हम सुरक्षित निवेश की बात करें तो जमीन, सोना, घर, अचल संपत्ति आदि हो सकती हैं। और इन संपतियों में निवेशक आने वाले समय में इनके प्राइस बढ़ने की उम्मीद करता है। और जब इन संपतियों का प्राइस किसी उच्चतम अमाउंट तक पहुंच जाता है, तो तब वह इन्हें बेच देते हैं।

इन स्थितियों को देखकर आप यह समझ सकते हैं, कि निवेश सक्रिय रूप से उन जोखिम कारकों को ध्यान में रखती है, जिनसे की निवेशकों को निपटना होता है।

निवेश (Investment) से पहले ध्यान देने वाली बातें–

निवेश करने से पहले हमको इन बातों का ध्यान रख लेना चाहिए, कि आखिर निवेश किसे कह सकते हैं।

  • अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए या फिर आने वाले समय में अपनी पूंजी को बढ़ाने के लिए Investment की जाती है।
  • Investment जो होती है, वह शॉर्ट टर्म वित्तीय लक्ष्य के साथ साथ लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किया जाता है।
  • निवेश ( Investment ) को एक लक्ष्य देख कर करना चाहिए। ताकि जब वह लक्ष्य आए तो वह बिना किसी सोच विचार के उसको खरीद या बीच ले।
  • स्टॉक, बॉन्ड, रियल स्टेट, जमीन आदि ये सब चीजें Investment के अंतर्गत आती हैं।
  • किसी भी क्षेत्र में जहां से उस व्यक्ति को लगे की उसका इसको लेने से फायदा हुआ है, अब चाहे वह शिक्षा हो या फिर कोई अन्य जगह यह सब चीजें हमारी इन्वेस्टमेंट के अंतर्गत आती है।

उम्मीद करता हूं, कि आप इस आर्टिकल के माध्यम से यह समझ गए होंगे की निवेश क्या होता है। लोग कैसी परिस्थिति में किस तरीके का निवेश करते हैं। निवेश करने का सरल और सहज ऑप्शन क्या हो सकता है। आपको किसी भी योजना के साथ आगे बढ़ने से पहले वित्तीय सलाहकार से बातचीत जरूर करनी चाहिए। क्योंकि सही मार्गदर्शन निवेशक को एक अच्छा निवेश के सही रास्ते में ले जा सकती है।

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