Types of Trading

आप यदि स्टॉक मार्केट में इंटरेस्ट रखते होंगे, तो आपको ट्रेडिंग के बारे में अवश्य ही पता होगा। लेकिन काफी लोगों के मन में यह सवाल भी जरूर आता है, कि ट्रेडिंग आखिर कितने प्रकार (Types of Trading) की होती है।

तो चलिए आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे की ट्रेडिंग के प्रकार (Types of Trading) कितने होते हैं।

ट्रेडिंग के प्रकार (Types of Trading)

स्टॉक मार्केट (Stock Market) में ट्रेडिंग के मुख्यत चार प्रकार होते हैं। तो चलिए जानते हैं, – Types of Trading के बारे में।

Types of Trading
  • इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading)
  • स्विंग ट्रेडिंग (Swing trading)
  • शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग (Short term trading)
  • लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग (Long term trading)

1. इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading)

इंट्राडे ट्रेडिंग के अंतर्गत आपको अपने द्वारा लिए गए ट्रेड को एक ही दिन की अंदर लेना भी होता है, साथ ही उसी दिन बेचना भी होता है। यदि आप अपने शेयर या फिर ट्रेड को किसी भी वजह से बेचना नही चाहते हो, तो आपका वह शेयर ऑटोमैटिक मार्केट बंद होने पर खुद का खुद सेल हो जायेगा। भारतीय स्टॉक मार्केट का समय सुबह 9:15AM से शाम के 3:30PM तक होता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे

इंट्राडे ट्रेडिंग का सबसे मुख्य फायदा यह है, कि यदि आपके पास स्टॉक को लेने लायक कैपिटल नहीं भी हो, तभी भी आपको वह स्टॉक एक सस्ते प्राइस पर मिल जाता है। मतलब की इसमें आपको ब्रोकर की तरफ से एक अच्छा खासा मार्जिन देखने को मिल जाता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान

इंट्राडे ट्रेडिंग का नुकसान यह है, कि आपको उसी दिन ट्रेड को लेना भी होता है, और बंद भी करना होता है। अब चाहे आप फायदे में हो या फिर नुकसान में। इसमें रिस्क भी काफी अधिक होता है। यदि आपको स्टॉक मार्केट के बारे में अधिक नॉलेज नही है, तो फिर आपको इससे दूर रहना चाहिए, क्योंकि शुरुआती दौर में सभी लोग इंट्राडे ट्रेडिंग को काफी पसंद करते हैं। और आखिरी में उनको असफलता ही देखने को मिलती है।

2. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)

स्विंग ट्रेडिंग में आपके द्वारा लिए गए ट्रेड को कुछ दिनों या फिर कुछ हप्तों तक होल्ड करने के बाद बेच सकते हो। जिसे स्विंग ट्रेडिंग कहा जाता है। यह ट्रेडिंग आपकी इंट्राडे ट्रेडिंग से बिल्कुल अलग होती है। इसमें आप अपना लॉस और प्रॉफिट को आसानी से झेल सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग के फायदे

यदि आप ट्रेडिंग के फील्ड में नए उतरे हैं, तो आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग एक अच्छी ऑपोच्युनिटी हो सकती है। इसके बाद आप अच्छे स्टॉक्स को भी सेलेक्ट कर सकोगे। साथ ही आप स्टॉक मार्केट के उतार चढ़ाव को भी आसानी से समझ पाओगे।

स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान

स्विंग ट्रेडिंग में यदि आपके द्वारा अच्छे स्टॉक्स को नहीं चुना गया तो आप नुकसान में जाओगे। इस ट्रेडिंग में आपके द्वारा अच्छे स्टॉक्स को चुनना बहुत जरूरी है, ताकि आप स्टॉक में काफी दिनों तक इन्वेस्ट रख सके।

3. शॉर्ट टर्म इन्वेस्टिंग (Short term investing)

ट्रेडिंग में कुछ ट्रेड ऐसे भी होते हैं, जोकि लोग कुछ हप्तों से लेकर के महीनों तक भी होल्ड करके रखते हैं। उसे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग कहा जा सकता है। शॉर्ट टर्म इन्वेस्टिंग में एक एक्टिव ट्रेड इन्वेस्टमेंट होती है, जिसमे की आपको नजर रखनी होती है, तभी जाकर के आप अपने स्टॉक को मिनिमाइज कर सकते हो।

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे

शॉर्ट टर्म में यदि आप अपनी पूरी रिसर्च के साथ स्टॉक्स को सेलेक्ट करते हो, तो आप अपने लॉस को मिनिमाइज कर सकते हो। और प्रॉफिट में रह सकते हो।

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के नुकसान

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में आप नुकसान में तब जा सकते हो, यदि आप दूसरों की राय लेकर के स्टॉक्स को बाय करोगे। यदि आपने यूट्यूब या फिर किसी अन्य प्लेटफॉर्म से सुन कर के स्टॉक्स में इन्वेस्ट किया है, तो आप पक्का लॉस मे जाओगे। क्योंकि इसमें खुद की रिसर्च के साथ साथ आपको स्टॉक के फंडामेंटल भी पता होने चाहिए।

4. लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग (Long term trading)

लॉन्ग टर्म के नाम से ही आपको पता चल रहा होगा, कि आखिर लॉन्ग टर्म किसे कहेंगे, लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग आप उसे कह सकते हैं, जिसमे आप स्टॉक्स को एक साल से अधिक समय तक होल्ड कर के रखते हैं। लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग कहलाती है।

लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग के फायदा और नुकसान

लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग में यदि आपने स्टॉक्स के फंडामेंटल को अच्छे से देख करके स्टॉक्स को बाय किया है, तो आप एक अच्छा रिटर्न्स कमा सकते हैं। लेकिन यदि आपने स्टॉक्स को बिना सोचे समझे किस्मत के भरोसे लिया है, तो आप हमेशा नुकसान में ही रहोगे।

इसलिए आप जब भी स्टॉक्स को बाय करोगे तो आपको उस स्टॉक्स के फंडामेंटल जान लेना चाहिए। ताकि आप हमेशा लॉन्ग टर्म में प्रॉफिटेबल में रहो।

उम्मीद करता हूं कि आपको Types of Trading अच्छे से समझ आ गई होगी। यदि आपका कोई भी सवाल हो, तो आप कमेंट में पूछ सकते हैं।

Trading vs Investing

नए नए लोग जब स्टॉक मार्केट में उतरते हैं, तो उन्हें ट्रेडर और इन्वेस्टर का शब्द काफी बार सुनने को मिलता है। यदि आप स्टॉक मार्केट में इंटरेस्ट रखते हो, या फिर मार्केट को सीखना चाहते हो, तो आपको Trading vs Investing के बारे में आपको पता होना चाहिए। बहुत से लोगों को Trading और Investment का मतलब एक ही लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है, दोनों में काफी फर्क है। Trading vs Investing में कौन बेहतर है, आइए जानते हैं।

तो चलिए आज के इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको Trading vs Investing के बीच अंतर बताऊंगा। और इनके कितने प्रकार होते हैं, यह सब जानकारी आपको दूंगा।

Trading vs Investing

Trading vs Investing में आपको पहले ट्रेडिंग के बारे में बताते हैं।

Trading vs Investing

ट्रेडिंग (Trading) क्या है–

ट्रेडिंग में आप किसी भी शेयर को या फिर इंडेक्स को शॉर्ट टर्म (Short term) के लिए Buy करके रखते हैं। इसमें शॉर्ट टर्म से आशय किसी भी शेयर को 1 साल से कम समय के लिए अपने पास होल्ड रखने से है। अब वह चाहे आपका 1 ही दिन हो, एक हप्ता या फिर 3 महीने ही क्यों न हों।

स्टॉक मार्केट (Stock market) में ट्रेडिंग करके आप कितना भी रिटर्न्स जेनरेट कर सकते हैं। इसकी कोई लिमिट नही होती है। लेकिन आपको यह ध्यान में रखना चाहिए, जिसमे आपको जितना अधिक प्रॉफिट देखने को मिलेगा उसमे आपका रिस्क उतना ही अधिक होगा।

जो लोग स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग किया करते हैं, उन्हें ट्रेडर कहा जाता है। जो भी बड़े बड़े ट्रेडर होते हैं, वह ट्रेडिंग करते समय सिर्फ कंपनी के स्टॉक प्राइस के पैटर्न को एनालिसिस करके उनको खरीद और बेचते हैं। ट्रेडर जो होता है, वह कंपनी के फंडामेंटल को चेक नही करता है, क्योंकि ट्रेडिंग करते समय हर सेकंड हर मिनट में उनका प्राइस चेंज होता रहता है। इसलिए वह स्टॉक के पैटर्न और वॉल्यूम को एनालिसिस करते हैं।

ट्रेडिंग के प्रकार (Types of Trading)

ट्रेडिंग एक शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट होती है। इसमें आपको बहुत से प्रकार देखने को मिलता हैं। तो चलिए जानते हैं, उन प्रकारों को –

  • यदि कोई भी ट्रेडर कुछ मिनट के लिए किसी भी शेयर को होल्ड करके रखता है, और उसके बाद सेल कर देता है, तो उसे Scalp trading कहते हैं।
  • यदि कोई ट्रेडर केवल एक दिन के अंदर ही शेयर को खरीदता और बेचता है, तो उसे Intraday trading कहा जाता है।
  • यदि कोई ट्रेडर कुछ दिनों के लिए या फिर कुछ सप्ताह के लिए शेयर को होल्ड करके रखता है, और फिर सेल कर लेता है, तो उसे Swing trading कहते हैं।
  • यदि कोई ट्रेडर शेयर्स को कुछ महीने तक होल्ड करके रखता है, और तब सेल करता है, तो उसे Position Trading कहते हैं।

इन्वेस्टमेट (Investment) क्या है–

वह स्टॉक्स जिन्हें की हम लॉन्ग टर्म (Long term) के लिए होल्ड करके रखते हैं। उसे इन्वेस्टमेंट कहा जा सकता है। इसमें लॉन्ग टर्म का आशय 1 साल से अधिक समय से है। और जो लोग इन्वेस्टमेंट करते हैं, उन्हे इन्वेस्टर (Investor) कहा जाता है। इन्वेस्टर को छोटे मोटे मूवमेंट से कोई भी फर्क नहीं पड़ता है। वह एक बार किसी भी शेयर के फंडामेंटल को अच्छे से जान लेते हैं, और उसके बाद उसे लॉन्ग टर्म तक होल्ड करके रखते हैं।

इन्वेस्टर जो होते हैं, वह स्मार्ट वर्क करते हैं। मतलब की वह एक बार शेयर को लेने के बाद उसमे ध्यान नहीं देते और 5, 10 सालों तक उसे होल्ड करके रखते हैं। और जब opportunity दिखती है, तब उसे सेल कर देते हैं। जिस तरह ट्रेडर का ध्यान टेक्निकल एनालिसिस के उप्पर होता है, ठीक उसी तरह से इन्वेस्टर का ध्यान कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस पर होता है। फंडामेंटल एनालिसिस करने से इन्वेस्टर को कंपनी के बारे में एक आइडिया मिल जाता है, कि यह कंपनी फ्यूचर में कहां तक ग्रोथ कर सकती है।

Trading vs Investing

इन्वेस्टिंग के प्रकार (Types of Investing)

इन्वेस्टिंग को मुख्यत हम 2 भागों में बांट सकते हैं।

  • वैल्यू इन्वेस्टिंग (Value investing) – भविष्य में जो इंडस्ट्री ज्यादा डेवलप होगी, उन कंपनियों को पहचानना और उनमें इन्वेस्ट करना वैल्यू इन्वेस्टिंग कहलाता है।
  • ग्रोथ इन्वेस्टिंग (Growth Investing) – ग्रोथ इन्वेस्टिंग का आशय उन कंपनियों में इन्वेस्टिंग करने से है, जो फंडामेंटल काफी स्ट्रांग होती है। जिन इंडस्ट्रियों का मार्केट में नाम भी होता है।

उम्मीद करता हूं, आपको मेरे द्वारा बताए गए Trading vs Investing के बीच क्या अंतर होता है, अच्छे से समझ आ गया होगा।

Forex Trading

फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex Trading) को आम तौर पर करेंसी ट्रेडिंग भी कहा जाता है। यह पिछले कुछ सालों से बहुत ही अधिक प्रचलन में आया है। और बहुत से निवेशकों के लिए यह पैसा कमाने का एक अवसर बन कर भी आया है। आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा, कि आखिर यह Forex Trading होती क्या है?

तो चलिए आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम बताऊंगा कि आखिर Forex Trading होता क्या है। इसके क्या लाभ और क्या जोखिम हो सकते हैं।

फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex Trading)

ट्रेडिंग के सबसे कठिन और दिलचस्प रूपों में से एक Forex Trading होती है। फॉरेक्स ट्रेडिंग का मतलब मूल रूप से फॉरेक्स या फिर करेंसी की खरीददारी और बिकवाली से है।

Forex trading

फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex trading) ट्रेडिंग का सबसे रोमांचक रूप है, जिसमें की एक बड़े पैमाने पर बैंक या फिर कोई संस्था निवेश करते हैं। हालांकि यह रिटेल निवेशकों के लिए भी उपलब्ध रहता है। यह दुनिया के सबसे बड़े वित्तीय मार्केट्स में से एक है। जहां की हमेशा प्रतिदिन 5 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक की ट्रेडिंग की जाती है।

बहुत से ट्रेडर स्टॉक्स, इक्विटी, कमोडिटी (Commodity) डेरिवेटिव, ऑप्शन और फ्यूचर (Option and future) आदि रूपों में ट्रेडिंग करते हैं। और उसके लिए ट्रेडर अपने लिए एक सेटअप तैयार करता है। जिसको कि फॉलो करके वह अपने लिए एक अच्छा रिटर्न्स कमा पाता है। फॉरेक्स ट्रेडिंग भी ठीक उसी प्रकार से ट्रेडिंग का एक जरिया है। जिससे कि निवेश्क एक अच्छा रिटर्न्स कमा सके। फॉरेक्स ट्रेडिंग को आप कभी भी किसी भी टाइम पर कर सकते हैं, क्युकी यह 24 घंटे चलता है।

फॉरेक्स ट्रेडिंग में पहले सारे काम फिजिकल रूप में किए जाते थे। लेकिन टेक्नोलॉजी के बढ़ने से फॉरेक्स और करेंसी से जुड़े अब हर काम या फिर छोटी मोटी जानकारी ट्रेडर्स को बड़ी आसानी से मिल जाती है। फॉरेक्स ट्रेडिंग की जानकारी पूरी दुनिया में बड़ी आसानी से मिल जाती है। क्योंकि फॉरेक्स ट्रेडिंग पूरी दुनिया में चलाई जाती है।

फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex Trading) के लाभ–

वैसे तो फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex Trading) काफी जोखिम भरा होता है। लेकिन कुछ अन्य तरीके भी हैं, जोकि हमें लाभ प्रदान करता है। तो चलिए जानते हैं, उन तरीकों को –

1. 24 घंटे ट्रेडिंग

फॉरेक्स ट्रेडिंग जो होती है, वह दुनिया में 24 ही घंटों तक की जा सकती है। आपको बता दें,, दुनिया में हर समय कोई न कोई मार्केट खुला ही होता है। इसलिए करेंसी ट्रेडिंग एक्सचेंज में करेंसी ट्रेडिंग जो होती है, वह 24 घंटे ही की जा सकती है।

2. हेजिंग

फॉरेक्स ट्रेडिंग जो है, वह मूल रूप से इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के द्वारा हेजिंग विधि से प्रयोग में लाया जाता है। इसको आपको एक उद्धरण से समझते हैं,

माना कोई व्यक्ति है, जिसे की भविष्य में डॉलर में भुगतान करना है। और उसे लगता है, कि डॉलर का भाव कम होगा, तो वह USD/INR खरीदकर अपने फॉरेक्स ट्रेडिंग के जोखिम को कम कर सकता है। और आज ही किसी से भुगतान दर तय कर सकता है।

3. सट्टेबाजी

वैसे तो सट्टेबाजी को हम बढ़ावा नहीं देते लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं, जोकि सट्टेबाजी करके एक अच्छा लाभ कमाते हैं। इसमें ट्रेडर जो होते हैं, वह इन्वेस्ट के आधार पर अनुमान लगा सकते हैं, और उसके आधार पर मुनाफा भी कमा लेते हैं।

इसको एक उद्धरण से समझते हैं, माना कोई ट्रेडर हाई FII के साथ किसी मुख्य स्थान में एक मजबूत एक्सपोर्ट का अनुमान लगा रहा है, तो वह INR के मूल्य में वृद्धि पर अनुमान लगा सकता है, और इसके साथ ही USD/INR बेचकर लाभ कमा सकता है।

4. लीवरेज

करेंसी ट्रेडिंग में आपको लीवरेज का लाभ प्रदान किया जाता है। जिससे कि ट्रेडर मार्केट में अधिक पैसों से ट्रेडिंग कर सकता है।

5. आर्बिट्रेज

फॉरेक्स ट्रेडिंग या करेंसी ट्रेडिंग उन लोगों को पर्याप्त आर्बिट्रेज के अवसर प्रदान करता है, जोकि एक एक्सचेंज पर करेंसी खरीद सकते हैं। और जैसे ही लाभ होता है, वह दूसरे को बेच देते हैं।

फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex Trading) के जोखिम

Forex trading

बहुत से ट्रेडिंग की तरह ही यह भी एक जोखिम भरा व्यवसाय है। इसमें भी लाभ के साथ साथ हमको नुकसान या फिर जोखिम देखने को मिलता है। चलिए देखते हैं, आखिर इसमें जोखिम क्या हैं–

  • फॉरेक्स करेंसी ट्रेडिंग एक बहुत ही अधिक Volatile market है। जोकि बहुत से नए निवेशकों और ट्रेडर के लिए काफी कठिन सा हो जाता है।
  • इसमें सबसे बड़ा जोखिम यह होता है, कि यह मार्केट न्यूज या फिर अन्य इन्वेस्टमेंट से प्रभावित नहीं होता है।
  • किसी भी घटना के सकारात्मक रूप से जोड़ी की दोनों करेंसी को प्रभावित कर सकती है। जिससे कि जोड़ी पर प्रभाव का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
  • इसमें निवेशकों को पहले ही रणनीति बना लेनी चाहिए, ताकि उनको कम से कम नुकसान हो और प्रॉफिट वह अधिक से अधिक ले सके।

Rupee Vs Dollar

हाल ही में Rupee Vs Dollar के बीच टक्कर देखने को मिल रही है। एक डॉलर की कीमत 80 रुपये तक पहुंच गई है। संसद में बहुत से बड़े नेताओं का कहना है, कि 2014 के बाद डॉलर के मुकाबले रुपए में अभी तक 25 परसेंट की गिरावट देखी गई है। आखिर Rupee Vs Dollar में रुपए कमजोर क्यों होता चला जा रहा है।

तो चलिए आज मैं आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताऊंगा की आखिर किस वजह से रुपए कमजोर होता चला जा रहा है। और क्या बाकी करेंसी स्टेबल हैं, या फिर उनमें भी गिरावट देखने को मिल रही है।

Rupee Vs Dollar

19 जुलाई 2022 मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपए गिरकर के ऑल टाइम लो पर मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण विनिमय दर के स्तर डॉलर के मुकाबले 80 पर पहुंच गया। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की माने तो रुपया घटकर 80.06 प्रति डॉलर पर आ गया।

Rupee Vs Dollar

रुपया विनिमय दर क्या है?

अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर जो है, वह अनिवार्य रूप से एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए आवश्यक रुपये की संख्या है। और यह न केवल अमेरिकी सामान को खरीदने बल्कि अन्य सेवा जैसे की कच्चा तेल, कमोडिटी के अन्य इक्विपमेंट आदि की पूरी मेजबानी के लिए एक मुख्य मीट्रिक है, जिसके लिए भारतीय लोगों व कंपनियों को डॉलर की आवश्यकता होती है।

जब भी भारतीय रूपये कमजोर होता है, तो बाहर से सामानों को लेना (आयात करना) महंगा हो जाता है। और यदि कोई भारतीय समानों को बाहर देश बेचता है, (निर्यात करना) तो उसे तो फायदा होगा ही इसके साथ साथ अमेरिका देश को भी इसका फायदा होगा, क्युकी अमेरिका को इसमें कम डॉलर पे करने पड़ेंगे।

डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों कमजोर हो रहा। (Rupee Vs Dollar)

सरल शब्दों में कहा जाए तो Rupee Vs Dollar में रुपए इसलिए कमजोर होता चला जा रहा है, क्योंकि बाजार में रुपए की तुलना में डॉलर की मांग ज्यादा है। और यह मांग डॉलर की दो कारणों से बढ़ रही है।

पहला कारण यह है, कि भारत जितना निर्यात करता है, उससे ज्यादा भारत वस्तुओं और सेवाओं का आयात करता है। इसे ही CAD (CURRENT ACCOUNT DEFISIT) कहा जाता है। इसका तात्पर्य यह है, कि जितना विदेशी मुद्रा भारत में आ रही है, उससे अधिक विदेशी मुद्रा (विशेषकर डॉलर) भारत से बाहर चली जा रही है।

2022 की शुरुआत के बाद से ही जैसे ही यूक्रेन रसिया वॉर चल रहा है, कच्चे तेल और अन्य कमोडिटी के कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से भारत का CAD बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। और जो सामान विदेशों से मंगवाया जा रहा है, उसमें भारतीय ज्यादा डॉलर देने की मांग कर रहे हैं।

दूसरा कारण यह है, कि भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश में गिरावट दर्ज की गई है। भारत देश के साथ साथ अधिकांश विकाशील देशों में CAD की प्रवृत्ति होती है। लेकिन विदेशी निवेशकों द्वारा अपना कैपिटल भारत से निकालने में ज्यादा जोर दिया जा रहा है। और यह निकासी 2022 शुरुआती से ही देखने को मिल रही है।

ऐसा इसलिए भी हुआ है, क्योंकि भारत की तुलना में अमेरिका में व्याज दर अधिक तेजी से बढ़ रहा है। अमरीका में उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक द्वारा बड़ी तेजी से व्याज दर बढ़ा रहा है। जिस वजह से लोग भारतीय शेयर मार्केट (Stock market) में इन्वेस्ट न करके अपने ही देश में इन्वेस्ट कर रहे हैं। ताकि उनको भी एक अच्छा रिटर्न्स मिल सके।

इन दोनों कारणों से ही डॉलर के सामने रूपये की मांग बहुत कम होती जा रही है। यही वजह है, कि डॉलर के मुकाबले रुपए कमजोर होता चला जा रहा है।

केवल रुपए में ही या फिर अन्य मुद्रा में भी आई गिरावट

भारतीय मुद्रा के साथ साथ अन्य करेंसी में भी गिरावट देखने को मिली है। यूरो और जापानी येन समेत अन्य सभी मुद्रा के मुकाबले डॉलर मजबूत हो रहा है। परंतु यूरो जैसी बहुत से मुद्राओं के मुकाबले रुपए में तेजी देखने को भी मिली है।

Passive income ideas in india

Passive Income पैसे कमाने का वह सरल तरीका है, जिससे की कोई भी व्यक्ति अपनी Earning को बढ़ाकर एक अच्छी लाइफ जी सकता है। आज पैसिव इनकम के तरीके को पूरी दुनिया के अमीर लोग, बिजनेस मैन आदि लोग अपनाते हैं। इनके पास Passive income ideas बहुत से होते हैं, जिनकी मदद से वह उनमें इन्वेस्ट करते हैं।

तो चलिए आज मैं आपको इस आर्टिकल के जरिए Passive income ideas बताऊंगा, जिनको की आप भी अपनी लाइफ में इस्तेमाल कर सकते हैं।

पैसिव इनकम (Passive Income)

Passive income एक ऐसी इनकम होती है, जिसे की एक बार हमारे द्वारा बना दिया जाता है, तो वह हमको उस परिस्थिति में भी पैसे बना कर देता है, जिस समय में हमारे द्वारा कुछ काम भी न किया जा रहा हो, या फिर हम किसी काम करने में हम असमर्थता महसूस कर रहे हों। Passive income के लिए आपको शुरुआत में परिश्रम तो करना पड़ सकता है, लेकिन बाद में इससे हमको एक बडा फायदा होता है।

पैसिव इनकम के सोर्स (Passive income ideas)

Passive income ideas

Passive income ideas वैसे तो बहुत से हैं, लेकिन मैं आपको कुछ मुख्य Passive income ideas के सोर्स बताऊंगा।

1. स्टॉक मार्केट (Stock Market)

आप स्टॉक मार्केट के जरिए अपने लिए पैसिव इनकम जेनरेट कर सकते हैं। अगर आपकी रिसर्च सही रही तो आपको इसमें मिनिमम 15 परसेंट से और आगे कितना भी परसेंट तक रिटर्न्स मिल सकता है। लेकिन इसके लिए आपको स्टॉक मार्केट (Stock Market) की समझ होनी चाहिए। और इसके साथ साथ आपको अच्छी कंपनी में डिविडेंट भी मिलता है।

2. म्यूचुअल फंड (Mutual Fund)

यदि आप स्टॉक मार्केट को अच्छे से नही समझते हैं, तो आप म्यूचुअल फंड की स्कीम में इन्वेस्ट कर सकते हैं। जोकि एक पैसिव इनकम है। यह लगभग शेयर मार्केट की तरह ही होता है, लेकिन बस इसमें फर्क इतना है, कि स्टॉक मार्केट में खुद रिसर्च करनी होती है। और म्यूचुअल फंड में आपके लिए मैनेजमेंट कंपनी कार्य करती है।

3. किराए पर रखना (Room Rent)

यदि आप अपने घर में अनावश्यक कमरों को किसी को किराए में दे देते हैं, तो वहां से भी आपकी महीने महीने इनकम आती रहेगी। जोकि पैसिव इनकम कह लाएगी।

4. बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (Bank Fixed Deposit)

बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट भारत में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाला पैसिव इनकम मैथड है। इसके माध्यम से आप अधिक तो नही लेकिन सालाना लगभग 6 परसेंट तक का रिटर्न्स कमा सकते हैं। यह रिटर्न आपको बैंक में रखे धनराशि के उप्पर मिलती है।

5. रियल स्टेट (Real State)

रियल स्टेट भी बहुत से लोगों द्वारा अपनाए जाने वाला पैसिव इनकम मैथड है। इसमें आप किसी प्रॉपर्टी को सस्ते दामों में खरीदते हो, और किसी और को थोड़ा ज्यादा प्राइस में बेच देते हो। या फिर समय के साथ साथ उस प्रॉपर्टी का प्राइस भी बढ़ जाता है। तो तब आपको उससे एक अच्छा रिटर्न्स कमाने को मिलता है।

6. बिजनेस (Business)

बड़े बड़े सफल लोग बिजनेस करने से ज्यादा पैसे कमाने पर ज्यादा यकीन करते हैं। उन्हे इस बात का डर नही रहता है, कि इसमें यदि उनका लॉस हो जाए तो उनका क्या होगा। बल्कि वह उसे समझदारी से ऑनलाइन डालकर के उस बिजनेस को अपने लिए पैसिव इनकम में बदल लेते हैं।

7. यूट्यूब (Youtube)

डिजिटल के जमाने में डिजिटली तरीके से पैसे कमाना आज कल सामान्य सी बात हो गई है। लोग यूट्यूब के माध्यम से वीडियो बना कर पैसे कमा रहे हैं। और जब तक वह वीडियो लोगों के द्वारा देखा जायेगी, तब तक आपकी उससे इनकम आती रहेगी। यह भी एक पैसिव इनकम का ही सोर्स है।

Passive income ideas

8. आर्टिकल ब्लॉगिंग और एफिलिएट मार्केटिंग (Article Blogging and Affiliate Marketing)

एफिलिएट मार्केटिंग में आप किसी कंपनी के प्रोडक्ट को प्रमोट करते हैं। और किसी के द्वारा वह प्रोडक्ट को लेने पर आपको उसका कुछ परसेंट हिस्सा कमीशन के तौर पर मिल जाता है। यह प्रॉडक्ट आप सोशल मीडिया में या फिर ब्लॉगिंग आर्टिकल के जरिए कहीं भी प्रमोट कर सकते हैं। यह भी पैसिव इनकम का ही काम करती है।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

अमीर होना किसको पसंद नहीं होता, लेकिन आपकी कुछ गलतियों की वजह से आप अपने मिशन में सफल नहीं हो पाते हैं। और अमीरी की ओर बढ़ने से रुक जाते हैं। अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके यदि आप अपनाते हैं, तो आप अपने लक्ष्य को बड़ी आसानी से हासिल कर सकते हैं।

तो चलिए आज मैं आपको अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके बताऊंगा, जिससे कि आप गरीब होने से बच सकते हैं।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके (How to Get Rich)

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

बहुत से लोगों का जो अमीर बनने का सपना होता है, वह कुछ ही लोग साकार कर पाते हैं। और वह अपनी जिंदगी में अच्छा खासा आनंद भी लेते हैं। और ये वे लोग हैं, जो कि अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके अपनाते हैं। तो चलिए जानते हैं, उन तरीकों को –

1. बचत करना सीखें

बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जोकि बचत नहीं किया करते हैं। और बचत न होने की वजह से वह गरीबी की ओर बढ़ते जाते हैं। सीमित आमदनी के बाद भी यदि आप अमीर बनना चाहते हैं, तो आपको आज से ही बचत को शुरू कर लेना चाहिए।

आपको यह बात हमेशा ध्यान में रखना चाहिए, कि जीवन में कमाना, बचाना बहुत जरूरी है, लेकिन अपनी बचत पर सबसे ज्यादा रिटर्न्स कमाना अमीर बनने की नींव होती है।

2. बिजनेस करना

काफी लोग बिजनेस के नाम सुनते ही डरने लगते हैं, लेकिन आपको बता दें, कि जिस चीज में जितना अधिक रिस्क होता है। उसमे प्रॉफिट की संभावना भी उतनी ही अधिक होती है। आप बिसनेस शुरू करे लेकिन कम रिस्क के साथ। एक्सपीरियंस के साथ साथ अपने रिस्क को बाद में बड़ा सकते हैं।

3. जल्द बचाना शुरू करें

इसे सीधे एक उद्धरण से समझते हैं, यदि किसी व्यक्ति ने 25 साल की उम्र में सालाना 1 लाख का निवेश किया है, और उसे 12 परसेंट का रिटर्न्स इंडेक्स फंड में मिल रहा है, तो वह 60 की उम्र में 5 करोड़ का मालिक होगा। लेकिन यदि आपने 10 साल बाद निवेश शुरू किया तो आपको 5 करोड़ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सालाना साढ़े 3 लाख रुपए इन्वेस्ट करने होंगें। और यही अमाउंट आपको 45 की उमर में शुरू करने पर 12 लाख इन्वेस्ट करने होंगे।

4. क्रेडिट और डेबिट कार्ड का सदुपयोग करना

क्रेडिट कार्ड (Credit Card) या डेबिट कार्ड (Debit Card) का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए। अनावश्यक चीजों की खरीददारी नही करनी चाहिए। और इसमें मिले गए बोनस को भी सैलरी की तरह मानकर आपको हमेशा खर्च और बचत करना चाहिए।

5. समय के अनुसार बचत को बढ़ाए

सालाना बचत की रकम को बढ़ाते रहने से आप अपने वित्तीय लक्ष्य को जल्दी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ साथ बड़े लक्ष्यों को भी आप आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। यदि आप अपने बचत में वृद्धि नहीं करेंगे तो महंगाई की वजह से आपकी बचत में बड़ोतरी नही हो पाएगी।

आप अपने एसआईपी (SIP) में कुछ ही परसेंट की बदोतरी के साथ साथ एक अच्छा अमाउंट रिटर्न में पा सकते हैं।

6. इन्वेस्ट करें

इन्वेस्टमेंट अमीर बनने की सबसे मुख्य कुंजी है। हर कोई अमीर आदमी आपको इन्वेस्टमेंट करने की सलाह जरूर देगा। यदि आप अपनी इन्वेस्टमेंट को अच्छी जगह में लगाएंगे तो आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलेगा। लेकिन आप अपनी इन्वेस्टमेंट को किसी भी जगह लगाते हैं, तो फिर आपको बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

7. फंड का प्रयोग दूसरे काम में न करें

आपको अपने फंड का पैसा कभी भी दूसरे चीजों को लेने के लिए प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। चाहे आपको कितनी भी जरूरत क्यों न पड़ें। इससे आपका मनी मैनेजमेंट पूरा खराब हो जाता है। और फिर आप एक बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं।

8. इमरजेंसी फंड बनाना

निवेश को सुरक्षित बनाने का एक तरीका इमरजेंसी फंड को बनाना है। इस फंड की मदद से आप आकस्मिक आर्थिक विपत्ति से बच सकते है। इसकी मदद से आप अपनी किसी भी इन्वेस्टमेंट को मुसीबत की घड़ी में रोकने से बच जाते हैं।

9. लॉक इन वाले निवेश में लगाए पैसे

लॉक इन वाला निवेश, को आप निवेश को सेफ रखने का सबसे सुरक्षित तरीका समझ सकते हैं। क्युकी इसमें आप समय से पहले अपने निवेश को तोड़ नहीं सकते हैं। और यदि आपने तोड़ ली तो फिर आपको रिटर्न्स भी कम और एक बड़ा नुकसान देखने को अधिक मिलेगा।

वे चीजें जो आपको गरीब बनाती हैं। The things that make you poor

कोई भी इंसान अपने भाग्य या फिर किस्मत की वजह से गरीब नही होता बल्कि वह व्यक्ति अपनी सोच की वजह से गरीब होता है। इसलिए बहुत बार यह भी कहा जाता है, कि गरीब सोच वाले हमेशा गरीब ही जीवन व्यतीत करते हैं। और अमीर सोच वाले लोग एक न एक दिन अमीर बन ही जाते हैं। देखा जाए तो एक गरीब और अमीर इंसान के बीच केवल उनकी सोच का ही अंतर होता है। आखिर कौन सी हैं, वे चीजें जो आपको गरीब बनाती हैं।

गरीब बनाती हैं

तो चलिए आज के इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा, वे चीजें जो आपको गरीब बनाती हैं। और किन चीजों की वजह से व्यक्ति गरीब बन कर रह जाता है।

गरीब बनाने वाले कारक–

गरीबी की ओर ले जाने वाले बहुत से कारक हैं। जोकि हमें अमीर बनने से रोकते हैं। चलिए जानते हैं, आखिर कौन सी चीजें हैं वो जो हमें अमीर बनने से रोकते हैं।

1. दूसरों को जिम्मेदार ठहराना

गरीब मानसिकता वाले लोग कभी भी अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते हैं, वे हमेशा अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनके मुंह से अक्सर यह सुनने को जरूर मिल जाता है, कि भगवान आखिर मेरे ही साथ ऐसे क्यों करता है। उसने मुझे धोखा दिया है। और भी चीजें अक्सर उनके मुंह से सुनने को जरूर मिल जाती है। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं जो अमीर मानसिकता वाले लोग होते हैं, वे कभी भी दूसरों को जिम्मेदार नहीं ठहराते हैं। उन्हें पता होता है, कि यदि कुछ करना है, तो उसमे कुछ परसेंट हमको रिस्क भी उतना पड़ सकता है। वह अपनी गलतियों से सीखते हैं, कि आखिर उन्होंने ऐसा क्या किया जिनसे उनके साथ ये सब घटित हुआ और वह फिर उसको सुधारने में विश्वास रखते हैं।

2. दिखावे को बढ़ावा देना

गरीब सोच वाले लोग हमेशा अपने आप को अमीर बनने का दिखावा किया करते हैं। वे लोग अपना स्टेटस हाई दिखाने के लिए अपना सारा पैसा बेवजह के खर्चों में लगा देते हैं। वे अपने आप को अमीर बताने के लिए महंगे कपड़े, गाडियां, मोबाइल आदि चीजें लोन पर ले लेते हैं। जिसकी वजह से उनकी फाइनेंशियल कंडीशन खराब होती जाती है। और फिर वे अपने खर्चों को आने वाले समय में अच्छे से मैनेज नहीं कर पाते हैं। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं अमीर सोच वाले लोग कभी भी दिखावा नहीं किया करते है। चाहे उनके पास करोड़ों रुपए भी हो वह एक लिमिट तक ही खर्च करते है। उनको जिन चीजों की जरूरत होती है, केवल उन्हीं चीजों में वह पैसे लगते हैं। बाकी बेकार की चीजों में वह अपना पैसा खर्च नही किया करते हैं। वे बेकार की चीजें लेने की जगह इन्वेस्टमेंट में ज्यादा फोकस किया करते हैं। यदि लोन भी लेते हैं, तो कोई एसेट खरीदने के लिए ताकि वह अपनी इनकम रिसोर्स को बढ़ा सके।

3. सेविंग का ना करना

गरीब सोच वाले लोगों का एक ही उसूल होता है। कमाओ, खाओ और उड़ाओ। और जैसे ही उनके हाथों में पैसा आता है, वह तुरंत ही अपने पैसों को खत्म कर लेते हैं। और आखिरी में उनके पास सेविंग के नाम में कुछ नही बचता है। और जिंदगी भर इसी फंडे में चलते रहते हैं। कमाओ और खाओ। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं अमीर सोच वाले लोग पहले सेविंग किया करते हैं। और फिर बाद में जितना पैसा बचता है, उसे तब खर्च किया करते हैं। उन लोगों के पास चाहे कितनी भी उधारी हो फिर भी वह पैसों को रेगुलर नियम के आधार पर सेविंग्स को इन्वेस्टमेंट (Investment) में लगाते हैं।

4. समय की वैल्यू न समझना

गरीब सोच वाले लोग अपना अधिकतर समय बेकार के चीजों में खराब कर देते हैं। वे लोग अपना अधिकांश समय टीवी, मोबाइल पर फनी विडियो, दोस्तों के साथ बैठकर लोगों की चुगली करना आदि इन चीजों में बर्बाद कर लेते हैं। जोकि उनका एक डेली रूटीन बन जाता है। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं अमीर सोच वाले लोग टाइम की वैल्यू जानते हैं। वे अपना डेली का रूटीन बना कर चलते हैं। यदि उनके पास कभी खाली समय भी रहता है, तो वह उस समय अपने क्षेत्र से जुड़े हुए कामों को पढ़ने में समय लगाते हैं।

5. इन्वेस्टमेंट नहीं करते

गरीब लोग कभी भी इन्वेस्टमेंट नहीं किया करते हैं। वे सोचते हैं, कि आखिर कौन अपने पैसों को इन्वेस्ट में लगाये। और यदि लगा भी देंगे तो उसमे रिटर्न्स मिलेगा भी या फिर नहीं। और वह क्यों इतने समय तक अपने पैसे को दूसरे किसी अन्य क्षेत्र में लगा कर रखें। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं जो अमीर लोग रहते हैं, वह अपने पैसे को ज्यादा से ज्यादा इन्वेस्टमेंट में लगाया करते हैं। उनका मानना होता है, की इन्वेस्टमेंट जितनी अधिक होगी। उतना ही आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलेगा। क्योंकि वह पावर ऑफ कंपाउंडिंग को अच्छे से समझते हैं।

6. लोग क्या कहेंगे

गरीब सोच वाले लोग हमेशा ये सोचते रहते हैं, कि लोग क्या कहेंगे। वह कोई भी काम शुरू करने से पहले अपने मन को यह समझा लेते हैं, कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे, उनकी इज्जत बनी भी रहेगी या नहीं। लोग कहीं उनका मजाक तो नही उड़ाएंगे। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

अमीर लोग वहीं यह सोचते हैं, कि उनको अपनी लाइफ को और बेहतर बनाना है, तो वह क्या काम ओर कर सकते हैं। उनको यह मतलब नहीं रहता है, कि आखिर लोग उनके बारे में क्या कहेंगे। वे बस अपने काम से काम रखा करते हैं। उनकी नजर में कोई भी काम बड़ा या फिर छोटा नही होता है।

7. इनकम का केवल एक ही सोर्स बनाना

गरीब सोच वाले लोग केवल ये सोचा करते हैं, कि वह नौकरी कर रहे हैं। और उनकी लाइफ बड़े ही अच्छे से चल रही है। लेकिन उनके इनकम का केवल एक ही सोर्स उनको कभी भी बरबाद कर सकता है। यदि कभी ऐसी कंडीशन आती है, जिस वजह से उनको अपने नौकरी से हाथ धोना पड़े तो उनके पास बेरोजगारी के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

गरीब बनाती है

वहीं अमीर लोग अपनी इनकम के बहुत से सोर्स बना कर चलते हैं। ताकि कभी एक जगह से इनकम आनी बंद हो जाए तो वह किसी दूसरे इनकम सोर्स से अपना जीवन अच्छे से व्यतीत कर सके। और उनको बाद में कुछ ज्यादा दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

8. पैसों के लिए काम करना

अमीर और गरीब लोगों की सोच में सबसे बड़ा अंतर यह होता है, की गरीब लोग केवल पैसों के लिए काम करते हैं। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं। जबकि अमीर लोग पैसों से अपने लिए काम करवाते हैं। अमीर लोग हमेशा कुछ न कुछ सीखने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अधिकांशत यह देखने को मिला है, कि गरीब सोच वाले लोग उतना ही काम करना पसंद करते हैं, जितना उन्हें पैसा दिया जाता है। और यही वजह होती है, की कभी भी बॉस और एम्पलॉय के बीच कभी भी अच्छे से नही बनती है।

अमीर सोच वाले लोग विजनरी (Visionary) होते हैं। वे केवल अपनी सैलरी के लिए काम नहीं करते हैं। वे अपने काम के दौरान भी कुछ न कुछ सीखते रहते हैं। ताकि आने वाले समय में वह अपने अनुभवों का लाभ उठा सके।

Types of GDP

पिछली पोस्ट में आपने जाना की जीडीपी (GDP) क्या होती है। यह देश की इकोनॉमी को किस तरीके से प्रदर्शित करती है। किस तरीके से यह बताती है, की किसी देश ने इस साल कितनी प्रोग्रेस की है। आज हम जीडीपी के प्रकार जानेंगे।

तो चलिए आज मैं आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बताऊंगा, कि जीडीपी के प्रकार कितने होते हैं। और जीडीपी (GDP) का क्या महत्व है।

जीडीपी (GDP)

जीडीपी (GDP) का प्रयोग किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मापने के लिए किया जाता है। किसी भी देश के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य क्या है, यह सब जीडीपी को प्रभावित करता है।

यदि जीडीपी का मूल्य अधिक होगा तो देश के अंदर उतनी अधिक विदेशी मुद्रा आएगी, जिससे उस देश की विकास दर उतनी ही तेजी से बड़ेगी। और यदि उस देश के अंदर उत्पादन अच्छा नहीं हो रहा तो जीडीपी घटने के उतने ज्यादा आसार हो सकते हैं।

जिस देश की GDP बढती जाती है वह विकास की उतनी ही ऊँचाइयों पर चढ़ता जाता है। जीडीपी के प्रकार मुख्यत 2 है। पहला नोमिनल जीडीपी (Nomical GDP) और दूसरा रियल जीडीपी (Real GDP)।

जीडीपी (GDP) के प्रकार–

जीडीपी के प्रकार मुख्य रूप से दो होते है।

जीडीपी के प्रकार
  • वास्तविक जीडीपी (Real GDP)
  • नॉमिनल जीडीपी (Nominal GDP)

वास्तविक जीडीपी (Real GDP)–

रियल जीडीपी से हमें किसी भी देश के आर्थिक विकास का लगभग सटीक जानकारी प्राप्त होती है। और यही कारण है, कि रियल जीडीपी को नॉमिकल जीडीपी से अधिक महत्व दिया जाता है।

रियल जीडीपी में आपका बेस इयर (Base Year) की कीमतों को लेकर जीडीपी की गणना की जाती है। याने की जब एक साल में देश में उत्पादित किए वस्तुओं या फिर सेवाओं के मूल्य की गणना आधार वर्ष के मूल्य या फिर स्थिर प्राइस पर की जाती है, तो तब हमें GDP की असल वैल्यू प्राप्त होती है। और इसे ही आप रियल जीडीपी कहते हैं। चलिए इसको एक उद्धरण के तौर पर समझते हैं।

उद्धरण – माना किसी देश ने 2021 में 10 फोन बनाए। और एक फोन की कीमत (2021) में 5 हजार रुपए है। माना कि इस देश की सरकार ने 2018 को अपना बेस ईयर माना है।

बेस ईयर 2018 की कीमतें – 1 फोन की कीमत 4 हजार रुपए है। जाहिर सी बात है, उस समय मोबाइल की कीमत भी कम ही रही होगी। इसके बाद हम जीडीपी को कैलकुलेट करते हैं।

अगर यदि हमें देश की वास्तविक जीडीपी निकलनी है, तो हम उत्पादन को बेस ईयर के मूल्य से गुना कर देंगें।

जीडीपी = 10 × 4000 = 4,00,00 रुपए।

4 लाख देश की वास्तविक जीडीपी है। वास्तविक जीडीपी को निकालने के लिए हमने 2021 की कीमतों को न इस्तेमाल कर, 2018 की कीमतो का प्रयोग किया। इसमें हमने मंहगाई दर का प्रयोग नहीं किया।

नॉमिनल जीडीपी (Nominal GDP)

नॉमिनल जीडीपी जो होता है, उसे वर्तमान बाजार मूल्य पर कैलकुलेट किया जाता है। जब किसी भी देश में एक साल में उत्पादित वस्तु या फिर सेवाओं के मूल्य की गणना बाजार मूल्य या फिर वर्तमान मूल्य पर की जाती है, तो जो भी जीडीपी की वैल्यू प्राप्त होती है, उसे नॉमिनल जीडीपी कहते हैं। इसको भी एक उद्धरण से समझते हैं।

उदाहरण – माना किसी देश में 2021 में 30 पेन बनाए। जिनका मूल्य 2021 में 10 रुपए है।

यदि हमको नॉमिनल जीडीपी निकलनी है, तो कुल उत्पादन की कीमतों से गुना कर देंगे।

जीडीपी = 30 × 10 = 300 रुपए, अतः उस देश की जीडीपी 300 रुपए होगी।

रियल जीडीपी और नॉमिनल जीडीपी के बीच मुख्य अंतर

रियल जीडीपी जो होती है, उसमें हम महंगाई को हटा सकते हैं। इसी वजह से हम जब जीडीपी निकलते हैं तो हम किसी भी बेस ईयर की कीमतों को लेते हैं। लेकिन जो नॉमिनल जीडीपी होती है, उसमें हम उसी साल की कीमतों को लेकर के जीडीपी की गणना करते हैं।

जीडीपी क्यों महत्वपूर्ण है

जीडीपी हमारी बहुत सी चीजों में मदद करती है।

  • किसी भी इन्वेस्टर के लिए जीडीपी की मदद से यह आसान हो जाता है, कि इस देश में पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए या नहीं। जिससे की उनको एक अच्छा रिटर्न्स मिल सके।
  • जीडीपी की मदद से हम किसी भी देश के आर्थिक विकास को अच्छे से जान सकते हैं।
  • जीडीपी किसी देश में किए गए उत्पादन को भी दर्शाता है। जिससे हमें उस देश का रोजगार और बेरोजगार के बारे में अच्छे से पता लग जाता है।
  • जीडीपी की मदद से आप एक देश की आर्थिक स्तिथि की तुलना बड़ी आसानी से दूसरे देश से कर सकते हैं।
  • जीडीपी एक मानक होता है, जिसकी मदद से हमें किसी देश में रोजगार, उत्पादन और मांग के बारे में काफी अच्छे से जानकारी होती है।

उम्मीद करता हूं, कि आपको जीडीपी के प्रकार के बारे में अच्छे से समझ आ गया होगा। यदि कोई भी प्रशन इससे रिलेटेड आपके मन में है, तो आप नीचे कॉमेंट में पूछ सकते हैं।

GDP kya hai

आजकल कहीं भी जहां पर दो राजनीतिक पार्टी देश के विकास के बारे में बात कर रहे होते हैं, तो वहां पर जीडीपी (GDP) के बारे में सुनना एक आम सी बात हो गई है। उस समय पर बहुत से लोगों के मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि आखिर यह जीडीपी (GDP) होता क्या है।

तो चलिए आज मैं आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से यह बताने वाला हूं, कि आखिर जीडीपी (GDP) होती क्या है? यह कैसे काम करती है। और इसको किस फार्मूले से निकाला जाता है। और भी बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारी।

GDP full form

GDP

GDP का फुल फॉर्म Gross domestic product होता है। जिसे कि हिंदी में सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। किसी भी देश के अर्थव्यवस्था के विकास दर को मापने के लिए जीडीपी का प्रयोग किया जाता है।

GDP क्या है–

जीडीपी (GDP) का प्रयोग किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मापने के लिए किया जाता है। जिस देश की जितनी अच्छी जीडीपी होती है, उस देश की अर्थव्यस्था को उतना ही अच्छा समझा जाता है। और जिसकी जीडीपी में जितनी अधिक गिरावट देखने को मिलती है।

किसी भी देश के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य क्या है, यह सब जीडीपी को प्रभावित करता है। यदि इसका मूल्य अधिक होगा तो देश के अंदर उतनी अधिक विदेशी मुद्रा आएगी, जिससे उस देश की विकास दर उतनी ही तेजी से बड़ेगी। और यदि उस देश के अंदर उत्पादन अच्छा नहीं हो रहा या फिर ऐसे वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है, जिसका की मूल्य बहुत कम होगा तो उस देश की जीडीपी पर भी इसका बुरा प्रभाव देखने को मिलेगा।

जीडीपी कम होने पर देश की विकास दर को उतना ही धीमा समझा जाता है। और इसका जिम्मेदार वहां की सरकार को ठहराया जाता है। इसका कारण यह है, क्योंकि प्रत्येक देश की सरकार के अपनी अपनी आर्थिक नीतियां होती है, जोकि देश की अर्थव्यवस्था को बनाए रखते हैं। एक गलत निर्णय के कारण वहां के लोगों को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

जीडीपी को मापा जाता है–

जीडीपी एक आर्थिक व्यवस्था का पैमाना होता है, जोकि किसी देश की आर्थिक स्तिथि को बताता है। इसको लगभग हर 3 महीनों में मापा जाता है।

आपको बता दें, कृषि, उद्योग और सेवाएं यह तीनों GDP के प्रमुख घटक हैं। इन क्षेत्रों में उत्पादन में औसत वृद्धि या कमी के आधार पर GDP दर तय की जाती है। मतलब की यदि इन सेवाओं में इनका उत्पादन बड़ेगा या घटेगा, तो इसका प्रभाव आपको जीडीपी में देखने को मिलता है। और इसी आधार पर जीडीपी की दर तय होती है।

जीडीपी (GDP) शब्द का प्रयोग–

GDP शब्द का पहली बार प्रयोग एक अमेरिकी अर्थशास्त्री साइमन द्वारा सन 1935 से 44 के मध्य में किया गया था। साइमन द्वारा इस शब्द को अमेरिका में पेश किया गया था।

यह दौर वही था जिसमें की बहुत से बैंक सेक्टर, बैंक संस्थाएं आदि आर्थिक विकास का अनुमान लगाने का काम संभाल रही थी। और उनमें से किसी को इसके लिए एक विशेष शब्द नहीं मिल रहा था। और तब साइमन ने अमेरिकी कांग्रेस में GDP का नाम प्रस्तुत किया था। और तब इसे IMF द्वारा इसका प्रयोग किया जाने लगा।

GDP कैसे कैलकुलेट की जाती है–

GDP के मापन और निर्धारण करने का आम तरीका खर्च या व्यय विधि है। जोकि –

GDP

GDP (सकल घरेलू उत्पाद) = उपभोग + सकल निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात – आयात)

GDP = C + I + G + ( X–M )

यदि इसमें शुद्ध निवेश को उपर्युक्त समीकरण में सकल निवेश के स्थान पर लगाया जाए, तो शुद्ध घरेलू उत्पाद का सूत्र हमें प्राप्त हो जाता है।

उम्मीद करता हूं, कि आपको जीडीपी के बारे में अच्छे से जानकारी मिल गई होगी। यदि आपके मन में कोई भी इससे रिलेटेड सवाल चल रहा है, तो आप नीचे कॉमेंट में पूछ सकते हैं।