स्टॉक मार्केट ऑपरेटर (Stock market operator)

दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे, Stock market operator के बारे में। आपने बहुत बार लोगों के मुंह से यह जरूर सुना होगा कि इस स्टॉक में आज इतनी प्वाइंट की रैली देखने को मिली। या फिर इस स्टॉक का वॉल्यूम आज अन्य दिनों के मुकाबले बहुत अधिक है। तो इसमें पक्का Stock Market operator घुसा होगा।

तो चलिए दोस्तों आज की यह पोस्ट Stock market operator के नाम। आज हम Stock market Operator के बारे में विस्तार से जानेंगे। कि आखिर ये होते कौन हैं, और इनके पसंदीदा स्टॉक कौन से होते हैं।

स्टॉक मार्केट ऑपरेटर (Stock Market operator)

विवरण – जितने भी रिटेल इंवेस्टर होते हैं, उनका सबसे बड़ा नुकसान उनके डर से होता है। और इस कमजोरी का ही फायदा Stock market Operator द्वारा उठाया जाता है।

Stock market Operator

Stock market Operator के पास बहुत अधिक मात्रा में पैसा होता है। जिससे की वह किसी भी शेयर को अधिक क्वांटिटी में खरीद करके उस शेयर को आसानी से मैन्युकुलेट कर लेते हैं। और रिटेल निवेशक सस्ते के चक्कर में इन स्टॉक में फंस कर रह जाते हैं।

स्टॉक मार्केट ऑपरेटर कैसे काम करता है–

Stock market Operator के द्वारा कुछ इस तरह से स्टॉक के साथ खेल किया करते हैं, जिससे रिटेल निवेशकों को फंसाया जा सके। उनके द्वारा ऐसे स्टॉक में काफी अधिक मात्रा में पैसे लगाए जाते हैं, जिनका कोई भी फ्यूचर नही होता है। और यह ऐसे स्टॉक होते हैं, जो हर किसी को सस्ते दाम में मिल रहे होते है, ताकि हर कोई रिटेल निवेशक इन्हें लेने में सक्षम हो।

जो भी नए निवेशक होते हैं, वह हमेशा सस्ते शेयर में ही अपना फ्यूचर समझते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है, कि कम प्राइस में ज्यादा शेयर उनको मिल जाएंगे। लेकिन stock market operator द्वारा इन शेयर को ऑपरेट किया जाता है। और जैसे ही इन शेयर में ऑपरेटर को अच्छा पैसा दिखने लगता है, वैसे ही वह इन सब शेयर को एक साथ बेच देते हैं। और रिटेल निवेशक को भारी नुकसान देखने को मिलता है।

ऑपरेटर छोटे निवेशकों को क्यों फंसाते हैं–

ऑपरेटर को यह बात अच्छे से पता होती है, कि छोटे निवेशक बड़ी आसानी से लालच में फंस जाते हैं। इसके साथ साथ जो नए निवेशक होते हैं, उनके पास डर काफी अधिक होता है, जिस वजह से वह महंगे शेयर लेने की जगह बेकार के सस्ते शेयर खरीदना चाहते हैं। इसके साथ साथ वह पैनी स्टॉक में पैसे काफी अधिक लगाते हैं। इसके साथ साथ वह news based stocks में पैसा लगाते हैं।

ऑपरेटर से कैसे बचें–

नए निवेशक को हमेशा ही फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग शेयर को ही चुनना चाहिए। इसमें यदि नए निवेशक अपना निवेश करते हैं, तो छोटी अवधि में उन्हें नुकसान देखना पड़ सकता है। लेकिन लंबी अवधि के अंतर्गत उन्हे एक अच्छा रिटर्न्स ही देखने को मिलेगा।

असल मायने में ऑपरेटर वह होते हैं, जिनके पास बहुत अधिक पैसा होता है, ये आपके ब्रोकर भी हो सकते हैं, या फिर म्यूचुअल फंड हाउस भी हो सकते हैं, या फिर कोई बड़े इंस्टीट्यूशन भी हो सकते हैं। लेकिन हमें इनसे बच कर रहना है, इससे बचने के लिए हमें अच्छे फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग शेयर में ही अपना निवेश करना चाहिए।

जिन कंपनियों का मार्केट कैप बहुत बड़ा होता है। उन कंपनियो में ऑपरेटर के पैसों का अधिक असर नहीं पड़ता है। और वह कंपनियां 1 से 2 प्वाइंट भी मुश्किल से बढ़ पाती है। इसलिए आप उन कंपनियो में भी अपना निवेश कर सकते हैं, जिनका मार्केट कैप काफी बड़ा होता है।

Tax saving tips

आज कल की महंगाई से सभी लोगों की जेब ढ़ीली होती दिख रही है। वहीं जिन लोगों की सालाना कमाई 5 लाख से थोड़ा ही ज्यादा है, तो उनको इस बात की टेंशन हुई रहती है, कि पहले ही इतने खर्चे हैं, और ऊपर से उनको टैक्स भी चुकाना पड़ता है। उन लोगों को Tax saving tips के बारे में कुछ भी नॉलेज नही रहता जिस वजह से वह अपने आप को कोश्ते रहते हैं।

तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको उन Tax saving tips के बारे में बताऊंगा जिनकी मदद से की आप कम टैक्स देकर के अपनी मनी की सेविंग कर सकते हैं।

टैक्स सेविंग टिप्स (Tax Saving Tips)

टैक्स सेविंग टिप्स (Tax saving tips) को जानने से पहले आपको टैक्स रूल के बारे में सामान्य जानकारी दे देता हूं।

Tax Saving Tips

टैक्स नियम के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की सालाना कमाई ढाई लाख (2.5 लाख) तक की है, तो उस व्यक्ति को कोई भी टैक्स पे नहीं करना होता है। यदि 2.5 लाख रुपए से और 5 लाख तक के बीच में है, तो उस व्यक्ति को 5% तक का टैक्स देना पड़ता है। और यदि उस व्यक्ति की सालाना इनकम 5 से 10 लाख रुपए तक है, तो उसको 20% टैक्स और यदि 10 लाख से ऊपर की इनकम है, तो उसे 30% टैक्स देना होता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि टैक्स के स्लैब प्रत्येक साल वित्तीय वर्ष में चेंज किए जाते हैं। कभी कभी सरकार इसमें कोई बदलाव भी नही करती है।

तो चलिए जानते हैं, Tax saving tips को जिनकी मदद से आप अपने कैपिटल inco को सेफ कर सकते हो।

1.स्टैंडर्ड डिड्क्शन (Standard Deduction)

Tax Saving Tips में आपका सबसे पहले स्टैंडर्ड डिडक्सन आ जाएगा। जिसके तहत की आपको अपनी इनकम में 50,000 रुपए तक की छूट मिलती है।

2. सेक्शन 80C धारा

सेक्शन 80C धारा के तहत आप अपने लगभग डेढ़ लाख रुपए तक बचा सकते हैं। इसके लिए आपका निवेश PPF, ELSS, NSC, EPF आदि में निवेश करना होता है। इसके अलावा यदि आपके बच्चे हैं, तो आप उनकी शिक्षा के लिए 1.5 लाख रुपए तक की इनकम पर इनकम टैक्स (Income tax) छूट का लाभ ले सकते हैं।

3. नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)

यदि आप नेशनल पेंशन स्कीम में सालाना 50,000 रुपए तक इन्वेस्ट करते हैं, तो सेक्शन 80 CCD के तहत आप अपनी इनकम में 50 हजार रुपए तक बचा सकते हैं। जोकि आपको इनकम टैक्स देने से बचा सकते हैं।

4. होम लोन (Home Loan)

यदि आपने बैंक से अपने लिए होम लोन लिया हुआ है, तो आप अपने अतिरिक्त 2 लाख रुपए तक की सेविंग कर सकते हो। इनकम टैक्स के सेक्शन 24 B के तहत 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर आप टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हो। जिसे की आप अपनी सालाना आय से घटा सकते हो।

5. सेक्शन 80D की धारा

सेक्शन 80D की धारा के तहत आप मेडिकल पॉलिसी को ले सकते हैं। इस हेल्थ इंश्योरेंस में आपका, आपकी पत्नी और बच्चों का नाम भी होना चाहिए। इसमें आप प्राइवेंटिव हेल्थकेयर चेकअप की लागत के साथ साथ हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिए 25 हजार रुपए तक का क्लेम कर सकते हैं।

इसके अलावा यदि आपके माता–पिता सीनियर सिटीजन के हैं, तो फिर आप उनके नाम पर भी हेल्थ इंश्योरेंस को खरीदकर 50 हजार रुपए तक का अतिरिक्त क्लेम ले सकते हैं।

6. सेक्शन 80G की धारा

इनकम टैक्स के इस सेक्शन के अंदर आप 25 हजार तक का टैक्स डेडक्शन दान या फिर चंदा देकर के माफ कर सकते हैं। लेकिन यह तब ही मान्य होगा जब आप दान या फिर चंदा की मुहर लगी हुई रसीद को जमा करेंगे। इनकम टैक्स के सेक्शन 80G के तहत आपको 25 हजार तक के अमाउंट में छूट मिल सकती है। यह भी एक tax saving Tips है, जोकि बहुत से लोगो को पता नहीं होती है।

7. सेक्शन 87A की धारा

इनकम टैक्स के अनुसार यदि आप 5 लाख रुपए की कमाई सालाना करते हैं, तो आप पर टैक्स 12,500 रुपए याने की ढाई लाख का 5% बनता है। ऐसे स्तिथि में सेक्शन 87A के तहत साढ़े 12 हजार रुपए तक का डिबेट मिल जाता है। और आपको कोई भी टैक्स नहीं देना होता है।

उम्मीद करता हूं कि आपको आज का टॉपिक Tax Saving Tips के बारे में अच्छे से समझ आ गया होगा।

Fundamental analysis

बहुत से लोगों को Fundamental analysis के नाम से ही डर लगने लगता है, लेकिन यदि शेयर मार्केट (Stock market) में किसी कंपनी में इन्वेस्ट करना है, तो Fundamental analysis सबसे जरूरी होती है। जिसका मतलब होता है, कि किसी भी कंपनी की पूरी डिटेल्स को निकालना। स्टॉक मार्केट में कंपनी का दो तरीके से एनालिसिस किया जाता है। पहला Technical analysis और दूसरा Fundamental analysis,

तो चलिए दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा की Fundamental analysis क्या होता है।

फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis)

फंडामेंटल एनालिसिस वह प्रोसेस होती है, जिसमें की निवेशकों को किसी स्टॉक्स के चयन के लिए उसकी पुरानी हिस्ट्री जाननी होती है, जिससे की निवेशक उसके पुराने सारे रिकॉर्ड्स को अच्छे से जान कर उसमें इन्वेस्ट कर सकें।

Fundamental analysis

किसी भी कंपनी के पिछले रिकॉर्ड्स निकालने से मतलब उस कंपनी के प्रॉफिट–लॉस, रेवेन्यू, कंपनी का मैनेजमेंट, कंपनी क्या प्रोडक्ट बनाती है, उस प्रोडक्ट की डिमांड कितनी है, आदि चीजों से है। कोई भी कंपनी हो यदि उसमें स्मार्ट इंवेस्टर इन्वेस्ट करे तो वह कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis) जरूर करेगा।

फंडामेटल एनालिसिस को देखने से हमें कंपनी की ग्रोथ का यह पता भी लग जाता है, कि कंपनी प्रॉफिट कर रही है, या फिर लॉस। क्योंकि इसमें कंपनी का बहुत ही बारीकी से विश्लेषण किया जाता है। Fundamental analysis में यह देखा जाता है, कि वह कंपनी आर्थिक रूप से कितनी मजबूत है, क्या यह कंपनी हमें लॉन्ग टर्म में एक अच्छा रिटर्न्स दे सकती है।

अधिकतर लॉन्ग टर्म इंवेस्टर (Long term investing) जो होते हैं, वह कंपनी में इन्वेस्ट उस कंपनी के फंडामेंटल को देख कर ही किया करते हैं। Fundamental analysis भी दो प्रकार के होते हैं।

  • Qualitative Analysis
  • Quantitative Analysis
Qualitative Analysis

Quanlitative Analysis में किसी भी कंपनी के एनालिसिस को हम नंबर के फॉर्म में नहीं देख सकते हैं। इसमें हम नंबर को देखने की जगह कंपनी की ब्रांड वैल्यू को देखते हैं। और कंपनी के जो भी कंपीटीटर होते हैं, उनसे आपस में तुलना करते हैं। इस तरीके से हमको किसी भी कंपनी की जानकारी मिलती है। यह प्रत्येक इंसान के लिए अलग अलग हो सकती है। किसी भी कोई प्रोडक्ट अच्छा लगता है, तो किसी को कोई और प्रोडक्ट अच्छे लगते हैं।

Quantitative analysis

Quantitative analysis में हम किसी भी कंपनी के बारे में नंबर में जान सकते हैं। इसमें कंपनी की बैलेंस शीट को देखा जाता है, जिसमें की कंपनी का PE Ratio, Earning, EPS Ratio, Dividend, Cash Flow आदि चीजों के आधार पर इन्वेस्ट किया जाता है। यदि ये सब चीजें कंपनी की खराब रहती है, तो कंपनी को कमजोर समझा जा सकता है।

कंपनी का फंडामेटल एनालिसिस कैसे करें

किसी भी किसी कंपनी का जब हमें Fundamental analysis करना होता है, तो हम सबसे पहले उस कंपनी का बैलेंस शीट देखेंगे। इससे हमें कंपनी की पूरी जानकारी मिल जाती है। यदि हमें कंपनी का फंडामेंटल चेक करना है, तो हम गूगल में जा कर के NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) की वेबसाइट में VISIT कर सकते हैं। जोकि एक सेबी रजिस्टर्ड वेबसाइट है। इसमें हमें किसी एक्सपर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ती है। और कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी भी मिल जाती है। और फिर हम एक अच्छी कंपनी में इन्वेस्ट भी कर सकते हैं।

फंडामेंटल एनालिसिस कैसे उपयोगी है–

जो भी इंवेस्टर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग करते हैं, उनके लिए फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है, एनालिसिस करने से उनको वे स्टॉक्स बड़ी आसानी से मिल जाते हैं, जिनसे की उन्हें आने वाले समय में एक अच्छा रिटर्न्स मिल सकता है। साथ ही अच्छे बिसनेस वाली कंपनियां भी आसानी से मिल जाती है। फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग हमेशा लंबे समय के लिए इन्वेस्ट के लिए किया जाता है। इसमें जल्दी पैसा कमाने का टारगेट नही रखा जाता है। बल्कि इन्वेस्ट किए गए शेयर में सही रेट ऑफ रिटर्न्स पर कंपाउंडिंग करने में ध्यान दिया जाता है।

फंडामेंटल एनालिसिस के लिए मुख्य बिंदु

  • Balance sheet
  • Profit or loss
  • Annual report
  • Cash Flow
  • EPS (Earning per share)
  • Book value
  • Sales
  • Growth
  • Opponent company
  • Debt
  • Company Managemet Ect

Rupee Vs Dollar

हाल ही में Rupee Vs Dollar के बीच टक्कर देखने को मिल रही है। एक डॉलर की कीमत 80 रुपये तक पहुंच गई है। संसद में बहुत से बड़े नेताओं का कहना है, कि 2014 के बाद डॉलर के मुकाबले रुपए में अभी तक 25 परसेंट की गिरावट देखी गई है। आखिर Rupee Vs Dollar में रुपए कमजोर क्यों होता चला जा रहा है।

तो चलिए आज मैं आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताऊंगा की आखिर किस वजह से रुपए कमजोर होता चला जा रहा है। और क्या बाकी करेंसी स्टेबल हैं, या फिर उनमें भी गिरावट देखने को मिल रही है।

Rupee Vs Dollar

19 जुलाई 2022 मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपए गिरकर के ऑल टाइम लो पर मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण विनिमय दर के स्तर डॉलर के मुकाबले 80 पर पहुंच गया। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की माने तो रुपया घटकर 80.06 प्रति डॉलर पर आ गया।

Rupee Vs Dollar

रुपया विनिमय दर क्या है?

अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर जो है, वह अनिवार्य रूप से एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए आवश्यक रुपये की संख्या है। और यह न केवल अमेरिकी सामान को खरीदने बल्कि अन्य सेवा जैसे की कच्चा तेल, कमोडिटी के अन्य इक्विपमेंट आदि की पूरी मेजबानी के लिए एक मुख्य मीट्रिक है, जिसके लिए भारतीय लोगों व कंपनियों को डॉलर की आवश्यकता होती है।

जब भी भारतीय रूपये कमजोर होता है, तो बाहर से सामानों को लेना (आयात करना) महंगा हो जाता है। और यदि कोई भारतीय समानों को बाहर देश बेचता है, (निर्यात करना) तो उसे तो फायदा होगा ही इसके साथ साथ अमेरिका देश को भी इसका फायदा होगा, क्युकी अमेरिका को इसमें कम डॉलर पे करने पड़ेंगे।

डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों कमजोर हो रहा। (Rupee Vs Dollar)

सरल शब्दों में कहा जाए तो Rupee Vs Dollar में रुपए इसलिए कमजोर होता चला जा रहा है, क्योंकि बाजार में रुपए की तुलना में डॉलर की मांग ज्यादा है। और यह मांग डॉलर की दो कारणों से बढ़ रही है।

पहला कारण यह है, कि भारत जितना निर्यात करता है, उससे ज्यादा भारत वस्तुओं और सेवाओं का आयात करता है। इसे ही CAD (CURRENT ACCOUNT DEFISIT) कहा जाता है। इसका तात्पर्य यह है, कि जितना विदेशी मुद्रा भारत में आ रही है, उससे अधिक विदेशी मुद्रा (विशेषकर डॉलर) भारत से बाहर चली जा रही है।

2022 की शुरुआत के बाद से ही जैसे ही यूक्रेन रसिया वॉर चल रहा है, कच्चे तेल और अन्य कमोडिटी के कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से भारत का CAD बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। और जो सामान विदेशों से मंगवाया जा रहा है, उसमें भारतीय ज्यादा डॉलर देने की मांग कर रहे हैं।

दूसरा कारण यह है, कि भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश में गिरावट दर्ज की गई है। भारत देश के साथ साथ अधिकांश विकाशील देशों में CAD की प्रवृत्ति होती है। लेकिन विदेशी निवेशकों द्वारा अपना कैपिटल भारत से निकालने में ज्यादा जोर दिया जा रहा है। और यह निकासी 2022 शुरुआती से ही देखने को मिल रही है।

ऐसा इसलिए भी हुआ है, क्योंकि भारत की तुलना में अमेरिका में व्याज दर अधिक तेजी से बढ़ रहा है। अमरीका में उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक द्वारा बड़ी तेजी से व्याज दर बढ़ा रहा है। जिस वजह से लोग भारतीय शेयर मार्केट (Stock market) में इन्वेस्ट न करके अपने ही देश में इन्वेस्ट कर रहे हैं। ताकि उनको भी एक अच्छा रिटर्न्स मिल सके।

इन दोनों कारणों से ही डॉलर के सामने रूपये की मांग बहुत कम होती जा रही है। यही वजह है, कि डॉलर के मुकाबले रुपए कमजोर होता चला जा रहा है।

केवल रुपए में ही या फिर अन्य मुद्रा में भी आई गिरावट

भारतीय मुद्रा के साथ साथ अन्य करेंसी में भी गिरावट देखने को मिली है। यूरो और जापानी येन समेत अन्य सभी मुद्रा के मुकाबले डॉलर मजबूत हो रहा है। परंतु यूरो जैसी बहुत से मुद्राओं के मुकाबले रुपए में तेजी देखने को भी मिली है।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

अमीर होना किसको पसंद नहीं होता, लेकिन आपकी कुछ गलतियों की वजह से आप अपने मिशन में सफल नहीं हो पाते हैं। और अमीरी की ओर बढ़ने से रुक जाते हैं। अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके यदि आप अपनाते हैं, तो आप अपने लक्ष्य को बड़ी आसानी से हासिल कर सकते हैं।

तो चलिए आज मैं आपको अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके बताऊंगा, जिससे कि आप गरीब होने से बच सकते हैं।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके (How to Get Rich)

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

बहुत से लोगों का जो अमीर बनने का सपना होता है, वह कुछ ही लोग साकार कर पाते हैं। और वह अपनी जिंदगी में अच्छा खासा आनंद भी लेते हैं। और ये वे लोग हैं, जो कि अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके अपनाते हैं। तो चलिए जानते हैं, उन तरीकों को –

1. बचत करना सीखें

बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जोकि बचत नहीं किया करते हैं। और बचत न होने की वजह से वह गरीबी की ओर बढ़ते जाते हैं। सीमित आमदनी के बाद भी यदि आप अमीर बनना चाहते हैं, तो आपको आज से ही बचत को शुरू कर लेना चाहिए।

आपको यह बात हमेशा ध्यान में रखना चाहिए, कि जीवन में कमाना, बचाना बहुत जरूरी है, लेकिन अपनी बचत पर सबसे ज्यादा रिटर्न्स कमाना अमीर बनने की नींव होती है।

2. बिजनेस करना

काफी लोग बिजनेस के नाम सुनते ही डरने लगते हैं, लेकिन आपको बता दें, कि जिस चीज में जितना अधिक रिस्क होता है। उसमे प्रॉफिट की संभावना भी उतनी ही अधिक होती है। आप बिसनेस शुरू करे लेकिन कम रिस्क के साथ। एक्सपीरियंस के साथ साथ अपने रिस्क को बाद में बड़ा सकते हैं।

3. जल्द बचाना शुरू करें

इसे सीधे एक उद्धरण से समझते हैं, यदि किसी व्यक्ति ने 25 साल की उम्र में सालाना 1 लाख का निवेश किया है, और उसे 12 परसेंट का रिटर्न्स इंडेक्स फंड में मिल रहा है, तो वह 60 की उम्र में 5 करोड़ का मालिक होगा। लेकिन यदि आपने 10 साल बाद निवेश शुरू किया तो आपको 5 करोड़ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सालाना साढ़े 3 लाख रुपए इन्वेस्ट करने होंगें। और यही अमाउंट आपको 45 की उमर में शुरू करने पर 12 लाख इन्वेस्ट करने होंगे।

4. क्रेडिट और डेबिट कार्ड का सदुपयोग करना

क्रेडिट कार्ड (Credit Card) या डेबिट कार्ड (Debit Card) का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए। अनावश्यक चीजों की खरीददारी नही करनी चाहिए। और इसमें मिले गए बोनस को भी सैलरी की तरह मानकर आपको हमेशा खर्च और बचत करना चाहिए।

5. समय के अनुसार बचत को बढ़ाए

सालाना बचत की रकम को बढ़ाते रहने से आप अपने वित्तीय लक्ष्य को जल्दी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ साथ बड़े लक्ष्यों को भी आप आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। यदि आप अपने बचत में वृद्धि नहीं करेंगे तो महंगाई की वजह से आपकी बचत में बड़ोतरी नही हो पाएगी।

आप अपने एसआईपी (SIP) में कुछ ही परसेंट की बदोतरी के साथ साथ एक अच्छा अमाउंट रिटर्न में पा सकते हैं।

6. इन्वेस्ट करें

इन्वेस्टमेंट अमीर बनने की सबसे मुख्य कुंजी है। हर कोई अमीर आदमी आपको इन्वेस्टमेंट करने की सलाह जरूर देगा। यदि आप अपनी इन्वेस्टमेंट को अच्छी जगह में लगाएंगे तो आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलेगा। लेकिन आप अपनी इन्वेस्टमेंट को किसी भी जगह लगाते हैं, तो फिर आपको बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

7. फंड का प्रयोग दूसरे काम में न करें

आपको अपने फंड का पैसा कभी भी दूसरे चीजों को लेने के लिए प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। चाहे आपको कितनी भी जरूरत क्यों न पड़ें। इससे आपका मनी मैनेजमेंट पूरा खराब हो जाता है। और फिर आप एक बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं।

8. इमरजेंसी फंड बनाना

निवेश को सुरक्षित बनाने का एक तरीका इमरजेंसी फंड को बनाना है। इस फंड की मदद से आप आकस्मिक आर्थिक विपत्ति से बच सकते है। इसकी मदद से आप अपनी किसी भी इन्वेस्टमेंट को मुसीबत की घड़ी में रोकने से बच जाते हैं।

9. लॉक इन वाले निवेश में लगाए पैसे

लॉक इन वाला निवेश, को आप निवेश को सेफ रखने का सबसे सुरक्षित तरीका समझ सकते हैं। क्युकी इसमें आप समय से पहले अपने निवेश को तोड़ नहीं सकते हैं। और यदि आपने तोड़ ली तो फिर आपको रिटर्न्स भी कम और एक बड़ा नुकसान देखने को अधिक मिलेगा।

Types of GDP

पिछली पोस्ट में आपने जाना की जीडीपी (GDP) क्या होती है। यह देश की इकोनॉमी को किस तरीके से प्रदर्शित करती है। किस तरीके से यह बताती है, की किसी देश ने इस साल कितनी प्रोग्रेस की है। आज हम जीडीपी के प्रकार जानेंगे।

तो चलिए आज मैं आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बताऊंगा, कि जीडीपी के प्रकार कितने होते हैं। और जीडीपी (GDP) का क्या महत्व है।

जीडीपी (GDP)

जीडीपी (GDP) का प्रयोग किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मापने के लिए किया जाता है। किसी भी देश के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य क्या है, यह सब जीडीपी को प्रभावित करता है।

यदि जीडीपी का मूल्य अधिक होगा तो देश के अंदर उतनी अधिक विदेशी मुद्रा आएगी, जिससे उस देश की विकास दर उतनी ही तेजी से बड़ेगी। और यदि उस देश के अंदर उत्पादन अच्छा नहीं हो रहा तो जीडीपी घटने के उतने ज्यादा आसार हो सकते हैं।

जिस देश की GDP बढती जाती है वह विकास की उतनी ही ऊँचाइयों पर चढ़ता जाता है। जीडीपी के प्रकार मुख्यत 2 है। पहला नोमिनल जीडीपी (Nomical GDP) और दूसरा रियल जीडीपी (Real GDP)।

जीडीपी (GDP) के प्रकार–

जीडीपी के प्रकार मुख्य रूप से दो होते है।

जीडीपी के प्रकार
  • वास्तविक जीडीपी (Real GDP)
  • नॉमिनल जीडीपी (Nominal GDP)

वास्तविक जीडीपी (Real GDP)–

रियल जीडीपी से हमें किसी भी देश के आर्थिक विकास का लगभग सटीक जानकारी प्राप्त होती है। और यही कारण है, कि रियल जीडीपी को नॉमिकल जीडीपी से अधिक महत्व दिया जाता है।

रियल जीडीपी में आपका बेस इयर (Base Year) की कीमतों को लेकर जीडीपी की गणना की जाती है। याने की जब एक साल में देश में उत्पादित किए वस्तुओं या फिर सेवाओं के मूल्य की गणना आधार वर्ष के मूल्य या फिर स्थिर प्राइस पर की जाती है, तो तब हमें GDP की असल वैल्यू प्राप्त होती है। और इसे ही आप रियल जीडीपी कहते हैं। चलिए इसको एक उद्धरण के तौर पर समझते हैं।

उद्धरण – माना किसी देश ने 2021 में 10 फोन बनाए। और एक फोन की कीमत (2021) में 5 हजार रुपए है। माना कि इस देश की सरकार ने 2018 को अपना बेस ईयर माना है।

बेस ईयर 2018 की कीमतें – 1 फोन की कीमत 4 हजार रुपए है। जाहिर सी बात है, उस समय मोबाइल की कीमत भी कम ही रही होगी। इसके बाद हम जीडीपी को कैलकुलेट करते हैं।

अगर यदि हमें देश की वास्तविक जीडीपी निकलनी है, तो हम उत्पादन को बेस ईयर के मूल्य से गुना कर देंगें।

जीडीपी = 10 × 4000 = 4,00,00 रुपए।

4 लाख देश की वास्तविक जीडीपी है। वास्तविक जीडीपी को निकालने के लिए हमने 2021 की कीमतों को न इस्तेमाल कर, 2018 की कीमतो का प्रयोग किया। इसमें हमने मंहगाई दर का प्रयोग नहीं किया।

नॉमिनल जीडीपी (Nominal GDP)

नॉमिनल जीडीपी जो होता है, उसे वर्तमान बाजार मूल्य पर कैलकुलेट किया जाता है। जब किसी भी देश में एक साल में उत्पादित वस्तु या फिर सेवाओं के मूल्य की गणना बाजार मूल्य या फिर वर्तमान मूल्य पर की जाती है, तो जो भी जीडीपी की वैल्यू प्राप्त होती है, उसे नॉमिनल जीडीपी कहते हैं। इसको भी एक उद्धरण से समझते हैं।

उदाहरण – माना किसी देश में 2021 में 30 पेन बनाए। जिनका मूल्य 2021 में 10 रुपए है।

यदि हमको नॉमिनल जीडीपी निकलनी है, तो कुल उत्पादन की कीमतों से गुना कर देंगे।

जीडीपी = 30 × 10 = 300 रुपए, अतः उस देश की जीडीपी 300 रुपए होगी।

रियल जीडीपी और नॉमिनल जीडीपी के बीच मुख्य अंतर

रियल जीडीपी जो होती है, उसमें हम महंगाई को हटा सकते हैं। इसी वजह से हम जब जीडीपी निकलते हैं तो हम किसी भी बेस ईयर की कीमतों को लेते हैं। लेकिन जो नॉमिनल जीडीपी होती है, उसमें हम उसी साल की कीमतों को लेकर के जीडीपी की गणना करते हैं।

जीडीपी क्यों महत्वपूर्ण है

जीडीपी हमारी बहुत सी चीजों में मदद करती है।

  • किसी भी इन्वेस्टर के लिए जीडीपी की मदद से यह आसान हो जाता है, कि इस देश में पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए या नहीं। जिससे की उनको एक अच्छा रिटर्न्स मिल सके।
  • जीडीपी की मदद से हम किसी भी देश के आर्थिक विकास को अच्छे से जान सकते हैं।
  • जीडीपी किसी देश में किए गए उत्पादन को भी दर्शाता है। जिससे हमें उस देश का रोजगार और बेरोजगार के बारे में अच्छे से पता लग जाता है।
  • जीडीपी की मदद से आप एक देश की आर्थिक स्तिथि की तुलना बड़ी आसानी से दूसरे देश से कर सकते हैं।
  • जीडीपी एक मानक होता है, जिसकी मदद से हमें किसी देश में रोजगार, उत्पादन और मांग के बारे में काफी अच्छे से जानकारी होती है।

उम्मीद करता हूं, कि आपको जीडीपी के प्रकार के बारे में अच्छे से समझ आ गया होगा। यदि कोई भी प्रशन इससे रिलेटेड आपके मन में है, तो आप नीचे कॉमेंट में पूछ सकते हैं।

क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान

क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल करेंसी होती है, जिसका की वास्तविकता से कोई लेना देना नही होता है। इसका असल जिंदगी में कोई भी आकार नहीं होता और नाही इसे हम महसूस कर सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के बारे में हमने पिछली पोस्ट में जाना था, कि यह क्या होता है, कैसे काम करता है। और भी बहुत सी जानकारी। आज हम जानेंगे क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान क्या–क्या हैं।

तो चलिए जानते हैं, कि क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान क्या हैं? इसमें हमको कितना परसेंट टैक्स (Tax) देना होता है।

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)

क्रिप्टोक्यूरेंसी (Cryptocurrency) एक ऐसा डिजिटल भुगतान प्रणाली है, जोकि लेनदेन करने के लिए बैंकों पर निर्भर नहीं है। यह एक ऐसी मुद्रा है, जिसका कोई मालिक नहीं होता है। अतः इसको एक स्वतंत्र मुद्रा भी कहते हैं।

क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान

जिस प्रकार से प्रत्येक देश की अपनी एक मुद्रा होती है। ठीक उसी तरह से यह मुद्रा भी होती है, जिसमे की किसी भी बैंक या फिर देश का अधिकार नहीं होता है। जैसे किसी भी देश की मुद्रा घटती या फिर बढ़ती है। उसी तरह से यह भी घटती और बढ़ती है। लेकिन यह बहुत volitile होता है। जिस वजह से बहुत बड़ी तेजी और गिरावट देखने को मिलती है। याने कि इसमें अगर लोगों का बड़ा मुनाफा भी होता है, तो वहीं कई लोग इसमें डूब भी जाते हैं। इसलिए क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान बहुत से हैं।

प्रत्येक देश की अपनी मुद्रा होने पर वहां की मुद्रा उसी देश में चलती है। और यदि हमको किसी दूसरे देश में अपनी मुद्रा को चलाना है, तो हमको बैंक में जाकर के अपने देश की मुद्रा को उस देश की मुद्रा में बदलना होगा। और उसके बाद हम वहा कुछ भी खरीद सकते हैं। इसके साथ साथ यदि हम अपनी मुद्रा को एक देश से दूसरे देश में काफी बड़े अमाउंट में ले जाते हैं, तो यह गैर कानूनी भी होता है। लेकिन इसकी जगह क्रिप्टोकरेंसी को हम दूसरे देश में कितनी भी मात्रा में ले जा सकते हैं। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान भी बहुत से हैं।

क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान

क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान बहुत से हैं।

फायदे–

आज के समय में बहुत से लोग Cryptocurrency में पैंसे इन्वेस्ट करना चाहते हैं। और एक अच्छा रिटर्न्स कमाना चाहते हैं। लेकिन उनके मन में ये सवाल हमेशा बना रहता है, कि कहीं इसमें उनका सारा पैसा डूबेगा तो नही। तो इसके क्या लाभ हैं, आइए जानते हैं।

  • क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्ट करने के लिए आपको बैंकों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। इसमें आप घर बैठे ही मनी इन्वेस्ट कर सकते हैं।
  • क्रिप्टोकरेंसी में पैसे इन्वेस्ट करना बहुत सरल होता है, इसमें आपको चोरी का कोई डर नहीं होता है।
  • इसमें कम समय में अधिक प्रॉफिट देखने को भी मिलता है।
  • इसमें किसी भी बैंक या फिर सरकार का हाथ नही होता।
  • क्रिप्टोकरेंसी को आपको अपने साथ या फिर जेब में लेके भी नहीं घूमना पड़ता है।

नुकसान–

क्रिप्टोकरेंसी में आपको जितना प्रॉफिट देखने को मिलता है, उतना ही आपको इसमें नुकसान देखने को भी मिलता है। तो चलिए जानते हैं, कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी में लाभ के साथ साथ आपके क्या क्या नुकसान हो सकते हैं। क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान बहुत से हैं।

  • इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है, कि यदि आप अपना पासवर्ड भूल जाते हैं, तो आपको इसमें 10 ही बार ट्राई करने को मिलता है। और यदि आपके सारे ऑप्शन खराब हो जाए तो आपका सारा पैसा डूब जायेगा।
  • क्रिप्टोकरेंसी में बहुत ज्यादा वोलेटिलिटी रहती है। इसमें आपका फायदा जितना होगा, उतना ही आपका नुकसान भी हो सकता है।
  • यदि आपके द्वारा coin किसी दूसरे के अकाउंट में चले गए, तो फिर आपको वह coin वापस नहीं मिल सकते हैं। क्योंकि इसमें किसी का अधिकार नहीं होता है।
  • क्रिप्टोकरेंसी के प्रयोग से आतंकवाद, चोरी, डकैती आदि चीजों को बढ़ावा मिल रहा है। इस वजह से यह बहुत से देशों में बैन है।

क्रिप्टोकरेंसी में कहां से इन्वेस्ट करें

क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्ट करने की चाह तो हर किसी की होती है, लेकिन बहुत से लोगों को यह पता नही होता है, कि इसमें आखिर हमें कहा से इन्वेस्ट करना होता है। आज मैं आपको उन एप्लीकेशन के नाम बताऊंगा, जिससे की आप Cryptocurrency में इन्वेस्ट कर सकते हैं। और यह सब एप्लीकेशन आपको प्ले स्टोर में मिल जायेगी।

क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान
  • ग्रो (Grow)
  • कॉइन स्विच (Coin Switch)
  • कॉइन डीसीएक्स (Coin DCX)
  • वजीर एक्स (Wazir–X)
  • कॉइन बेस (Coin Base)

क्रिप्टोकरेंसी में टैक्स

वित्त वर्ष 2022–23 से भारत सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी में 30 परसेंट टैक्स देने का प्रावधान बना है। संसद में वित्त विधयेक पारित होने के साथ साथ क्रिप्टोकरेंसी में टैक्स का प्रावधान भी कर लिया गया। इसमें आपका यदि क्रिप्टो करेंसी में मुनाफा भी नही हुआ हो तो भी आपको टैक्स देना होगा। इसके साथ साथ निवेशक को क्रिप्टोकरेंसी बेचने पर एक फीसदी टीडीएस (TDS) का भुगतान भी करना होगा।

वित्त मंत्री का कहना है, की यदि आपका क्रिप्टो में फायदा होता है, तो आपको 30 परसेंट का टैक्स देना होगा। और यदि लाभ नहीं हुआ तो फिर आपको 1 परसेंट का टीडीएस देना होगा। जिससे की इस बात की जानकारी मिल सके की आखिर कहां कहां क्रिप्टो का लेन देन हुआ है। इसलिए क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान का रेश्यो देखें तो वह आपका 1:1 का ही बन पाएगा।

उम्मीद करता हूं, कि आपको मेरे द्वारा बताए गए क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान के बारे में अच्छे से समझ आ गया होगा। इसलिए क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान को देखते हुए इन्वेस्टमेंट अपने रिस्क पर करें। यदि कोई भी प्रशन आपके मन में चल रहा हो तो आप कमेंट में पूछ सकते हैं।

Cryptocurrency kya hai

कभी न कभी आपने भी बहुत बार न्यूज चैनल या फिर लोगों के मुंह से Cryptocurrency का नाम जरूर सुना होगा। सुना होगा की यदि हमने उस समय Cryptocurrency खरीदी होती तो आज हम एक अच्छी लाइफ जी रहे होते, या फिर काफी अमीर बन गए होते। तब आपके मन में भी यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर यह क्रिप्टो करेंसी क्या है।

तो चलिए आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताऊंगा कि आखिर Cryptocurrency होता क्या है? और यह कैसे काम करता है।

Cryptocurrency meaning in hindi

क्रिप्टोक्यूरेंसी (Cryptocurrency) एक ऐसा डिजिटल भुगतान प्रणाली है, जोकि लेनदेन करने के लिए बैंकों पर निर्भर नहीं है। यह एक पीयर-टू-पीयर सिस्टम होता है जो किसी को भी कहीं भी भुगतान भेजने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। यह एक ऐसी मुद्रा है, जिसका कोई मालिक नहीं होता है। अतः इसको एक स्वतंत्र मुद्रा भी कहते हैं।

Cryptocurrency

Cryptocurrency की शुरुआत सबसे पहले 2009 में हुई थी, जिसका नाम बिटकॉइन था। जिसे की जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के एक इंजीनियर ने बनाया था। आपको बता दें, कि Cryptocurrency में किसी के भी पास इसका स्वतंत्र अधिकार न होने पर यह किसी के काबू में नहीं होता है। क्युकी इसका स्वतंत्र रूप से एक इंसान से दूसरे इंसान में कम या फिर ज्यादा प्राइस में Buy अथवा Sell किया जाता है।

Cryptocurrency में किसी भी सरकार, राज्य या फिर देश का अधिकार नहीं होता है। जैसे की हमें रुपए या फिर डॉलर में देखने को मिलता है, की उसमें सरकार का देश और रिजर्व बैंक का अधिकार होता है। Cryptocurrency को आप अपने हाथ में एसेट के तौर पर भी नहीं रख सकते। क्योंकि यह एक डिजिटल करेंसी है। जिसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग सामान्यत किसी सामान को खरीदने के लिए या फिर किसी सर्विस को खरीदने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।

Cryptocurrency शुरुआत में तो इतनी पॉपुलर नहीं थी। लेकिन धीरे धीरे इसके प्राइस ने आसमान छूना शुरू कर लिया। जिससे की Cryptocurrency एक सफलता की ओर बढ़ने लगी। जब से क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत हुई, तब से अभी तक मार्केट में लगभग 1000 तक Cryptocurrency मौजूद हैं। जोकि पियर टू पियर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के रूप में कार्य करती है।

क्रिप्टो करेंसी ही नाम क्यों

जब कभी भी क्रिप्टो करेंसी में फंड को ट्रांसफर किया जाता है, तो जो भी लेन देन हुआ होता है। तो वह सार्वजनिक पासबुक में छाप दिए जाते हैं। Cryptocurrency को डिजिटल वॉलेट में स्टोर किया जाता है।

Cryptocurrency को यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह लेनदेन को सत्यापित करने के लिए एंक्रिप्शन का इस्तेमाल करता है। जिसका मतलब एक उत्तम कोडिंग वॉलेट और डाटा को संग्रहित और प्रसारित करना है। एंक्रिप्शन का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा प्रदान करना होता है। क्रिप्टो करेंसी में लोग अधिक लाभ कमाने के लिए इन्वेस्ट करते हैं। और जो सट्टेबाज होते हैं। कई बार यह उनकी किस्मत भी चमका देती है।

क्रिप्टोकरेंसी कैसे काम करता है

Cryptocurrency एक सार्वजनिक पासबुक पर काम करती है, जिसे कि ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी कहा जाता है। इसमें मुद्रधारक और रखे गए सभी लेन देन का रिकॉर्ड शामिल हुआ रहता है। Cryptocurrency को खनन प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है। इसमें सिक्कों को उत्पन्न करने वाली जटिल गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए कंप्यूटर शक्ति का उपयोग करना शामिल होता है।

आप उपयोगकर्ता लोगों से मुद्राएं भी खरीद सकते हैं। और फिर बाद में क्रिप्टोवॉलेट का प्रयोग करके उन्हें स्टोर के खर्च कर सकते हैं। यदि आपके पास कोई भी Cryptocurrency मौजूद है, तो आप किसी विश्वसनीय थर्ड पार्टी के बिना किसी रिकॉर्ड या माप की इकाई को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में देने की अनुमति देती है। समय के साथ इस टेक्नोलॉजी में बहुत से उन्नत बदलाव देखने को मिल रहे हैं। और उम्मीद है, की आने वाले समय में यह और ज्यादा उपयोग और अपने आपको डेवलप करेगा।

क्रिप्टोकरेंसी के उद्धरण

वैसे तो वर्तमान समय में बहुत से क्रिप्टो करेंसी मौजूद हैं। लेकिन मैं आपको कुछ ही Cryptocurrency के उद्धरण दूंगा। जोकि थोड़ा पॉपुलर भी हैं।

Cryptocurrency

1. बिटकॉइन (Bitcoin)

बिटकॉइन सबसे पहले बना हुआ Cryptocurrency है, जोकि सन 2009 में बनी हुई थी। जिसमे की अभी तक सबसे ज्यादा ट्रेड किया जाता है। इसकी शुरुआत सातोशी नाकामोटो ने की थी। इसमें किसी भी मुद्रधारक की डिटेल्स को गुप्त रखा जाता है। जिसकी कोई सटीक पहचान नहीं कर सकता है।

2. इथिरियम (Etherium)

इथिरिएम को सन 2015 में बनाया गया। जिसको कि ईथर नाम से भी जाना जाता है। बिटकॉइन के बाद यह दूसरे नंबर का सबसे लोकप्रिय Cryptocurrency है। इसकी अपनी ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी है।

3. रिपल (Ripple)

रिप्पल को सन 2012 में बनाया गया था। यह एक वितरित प्रणाली है। इसका प्रयोग बहुत से लेनदेन को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। इसके पीछे बहुत सी कंपनियो और अलग अलग बैंक और वित्तीय संस्थान जो होते हैं, उनके साथ काम किया है।

Commodity meaning in hindi

आपमे से बहुत से लोगों ने स्टॉक मार्केट (Stock Market) में ट्रेडिंग तो की ही होगी। उसमें आपने फ्यूचर और ऑप्शन (Future or Option) में भी ट्रेड किया होगा। Commodity भी इसी प्रकार का एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, जिसमें की ट्रेड किया जाता है।

तो चलिए आज की इस पोस्ट में मैं आपको Commodity के बारे में विस्तार से बताऊंगा। बताऊंगा कि Commodity क्या होता है। यह कहां ट्रेड किया जाता है। इसके कितने प्रकार होते हैं। और भी इससे संबंधित बहुत सी महत्वपूर्ण चीजें।

कमोडिटी (Commodity)

अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जिस प्रकार से हम कोई सामान खरीदते हैं, जैसे की अनाज, मसाले, सोना,चांदी आदि। ठीक उसी प्रकार से स्टॉक मार्केट (Stock Market) में भी इन चीज़ों की खरीदी और बिकवाली की जाती है।

Commodity

सरल शब्दों में कहा जाए तो शेयर मार्केट में कमोडिटी सेक्शन में अनाज, मसालों, या फिर किसी मेटल की खरीद या बेच को कमोडिटी (Commodity) कहा जाता है। और इन Commodity में जो ट्रेडिंग की जाती है, उसे Commodity trading कहते हैं।

कमोडिटी ट्रेडिंग इक्विटी शेयर की ट्रेडिंग से थोड़ा अलग होती है। कमोडिटी की जो ट्रेडिंग होती है, वह अधिकतर फ्यूचर मार्केट (Future market) में की जाती है। भारत में कमोडिटी मार्केट काफी पहले से चलता था। लेकिन किसी कारणवश इसमें रोक लगा दी गई थी। लेकिन फिर 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था। और यह दुबारा से शुरू हो गई।

Commodity वह रूप है, जिसे की प्रकृति द्वारा हमें दिया जाता है। इसे एक जगह से दूसरी जगह जरूरतों को पूरा करने के लिए ले जाया जाता है। जिसे की धन से खरीदा या बेचा जा सकता है।

कमोडिटी ट्रेडिंग आपके पोर्टफोलियो में विविधता लाने का एक सरल तरीका होता है। लेकिन इसमें बहुत जोखिम भी शामिल रहता है। खासकर उनके लिए जोकि इसमें नए नए निवेशक हैं।

कमोडिटी (Commodity) उत्पाद के प्रकार

मुख्य तौर पर कमोडिटी उत्पाद को 4 भागों में बांटा गया है। जिसमे की ट्रेडिंग की जाती है।

  1. कृषि – गेंहू, चावल, मक्का, सेम आदि।
  2. धातु – सोना, चांदी, तांबा, प्लेटिनम।
  3. ऊर्जा – कच्चा तेल, मिट्टी का तेल, प्राकृतिक गैस आदि।
  4. पशुधन और मांस – पशु, अंडे, मांस, आदि।

कमोडिटी, स्टॉक ट्रेडिंग से कैसे अलग है–

कमोडिटी ट्रेडिंग और स्टॉक इक्विटी ट्रेडिंग दोनों एक दूसरे से अलग होते हैं। इक्विटी ट्रेडिंग जो होती है, उसमें हम स्टॉक्स को जब तक चाहे अपने पास होल्ड करके रख सकते हैं। और जब मर्जी उसे बेच सकते हैं। लेकिन कमोडिटी में ऐसा नहीं होता है। इसमें आपको आने वाले दो–तीन महीने में ही ट्रेड करना होता है। इसलिए इसमें सौदा करते समय खरीदना और बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है। यह भी इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (Future Trading) की तरह ही होता है।

Commodity में निवेश कहां से करें

Commodity में निवेश करने का सबसे बेहतर तरीका फ्यूचर अनुबंध होता है। फ्यूचर्स अनुबंध हर Commodity श्रेणी पर उपलब्ध होता है। यह एक निर्धारित मूल्य में किसी भी कमोडिटी की विशिष्ट मात्रा खरीदने अथवा बेचने का समझौता होता है।

विशेषज्ञों की माने तो पोर्टफोलियो में अलग अलग जगह निवेश करना निवेशक को फायदा दिलवाता है। इक्विटी के साथ साथ हमें कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए। इससे आप उतार चढ़ाव का फायदा ले सकते हैं। परन्तु इसमें नए और छोटे निवशकों को सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि बाजार की अस्थिरता और कम ज्ञान सारा पैसा डूबा लेती है। निवेशकों को उन कारकों को खोजना चाहिए, जोकि बाजार को प्रभावित करते हैं।

Commodity trading के फायदे

Commodity

1. लेवरेज (Leverage)

Commodity Market में भारत में हर साल लगभग 25 लाख करोड़ से बढ़ रहा है। इसमें आपको लेवरेज भी मिलता है, जिसमें की एक छोटे अमाउंट के साथ भी ट्रेड करने का मौका मिल जाता है। जिससे की छोटे मोटे निवेशक भी कम अमाउंट के साथ इसमें ट्रेड कर सकते हैं।

2. हेजिंग (Hedging)

इसमें किसान, अथवा कोई भी उपयोगकर्ता के लिए कमोडिटी के प्राइस में उतार चढ़ाव की वजह से रिस्क कम हो जाता है।

3. पोर्टफोलियो का डायवर्सिफाई

यदि आप Commodity में भी ट्रेड करते हैं। तो आप अपने पोर्टफोलियो को इक्विटी ट्रेड के साथ साथ अन्य जगह भी डायवर्सिफाई कर सकते हैं। इससे आपके रिस्क की क्षमता भी कम हो जाती है।

4. ट्रेडिंग (Trading Opportunity)

कमोडिटी आपको एक ट्रेडिंग ऑपर्च्युनिटी भी प्रदान करती है। क्योंकि कमोडिटी का डेली का टर्नओवर लगभग 22 हजार से 25 हजार करोड़ रुपए तक है।

Long term investment

यह तो हर किसी को पता होता है, कि इन्वेस्टमेंट दो तरह की होती है, पहली शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट और दूसरी Long term investment, पिछली पोस्ट में आपने जाना की शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट (Short term investment) क्या होता है। और शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट में आपके लिए कौन से विकल्प बेहतर हो सकते हैं।

इस पोस्ट में आप जानेंगे की लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long term investment) क्या होता है। यह कैसे एक बेहतर विकल्प होता है। और बड़े बड़े दिग्गज निवेशक Long term investment ही क्यों करते हैं। साथ ही इसको अपनाने से क्या–क्या फायदे हो सकते हैं।

Long Term Investment

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long Term Investment)

जब भी आपके द्वारा शेयर या फिर किसी फाइनेंशियल एसेट्स को 2 साल से अधिक अवधि के लिए होल्ड करके रखते हैं, तो उसे Long Term Investment कहते हैं। आपको बता दें, की फाइनेंशियल एसेट को आप कितने भी समय तक अपने पास रख सकते हैं। यह जरूरी नहीं है, की आपको 2 साल से अधिक समय तक ही होल्ड करना होता है।

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के एक्सपर्ट का कहना है, की Long term investment वह होती है, जिसमे की हमारे द्वारा फाइनेंशियल एसेट्स को 5 साल से अधिक समय के लिए होल्ड करके रखा जाता है।

स्टॉक मार्केट में भी Long Term Investment करना चाहिए, इससे आपको आने वाले समय में एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलता है। आपको बता दें, कि दुनिया में जितने भी बड़े दिग्गज निवेशक हुए हैं, वह स्टॉक मार्केट (Stock market) में Long Term Investment ही किया करते हैं। अब चाहे वह वारेन बफेट हो या फिर राकेश झुनझुनवाला।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर जो होते हैं, वह कंपनी के वर्तमान एनालिसिस को देख कर के उसमे निवेश नहीं करते हैं, बल्कि वह पहले तो कंपनी के फंडामेंटल को अच्छे से देखते हैं। फंडामेंटल देखने के बाद में वह उस बिजनेस को अच्छे से समझते हैं। और तब जाकर के उसमे निवेश करते हैं। इस तरह से निवेशक कंपनी के आने वाले फ्यूचर का अंदाजा लगाकर के उसे लंबे समय तक इन्वेस्ट (Investment) करके रख देते हैं।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर कभी भी छोटे मोटे मूवमेंट पर ध्यान नहीं देते हैं। अब उसमे चाहे उनको काफी प्रॉफिट हो रहा हो, या फिर काफी नुकसान।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए स्टॉक्स कैसे चुनें–

Long Term Investment के लिए आप स्टॉक्स को चुनने के लिए आप निम्न चीजें देख सकते हैं।

  • कंपनी का फंडामेंटल जितना ज्यादा अच्छा होगा, वह कंपनी उतनी अच्छी कहलाएगी। आपको ऐसी कंपनियों में इन्वेस्ट करना चाहिए।
  • आपको देश की ब्लू चिप कंपनियों में निवेश करना चाहिए। ब्लू चिप कंपनियां अपने फील्ड की टॉप कंपनियों को कहा जाता है।
  • आपको ऐसी कंपनियों में निवेश करना चाहिए, जिसमे की आगे फ्यूचर हो, या फिर फ्यूचर में इसकी डिमांड ज्यादा हो। उद्धरण के लिए Electrical vehicle और Renewable energy सेक्टर की कंपनियां।
  • यदि कंपनी के पास उसके एसेट्स से ज्यादा का लोन है, तो आपको ऐसी कंपनियों में कभी निवेश नही करना चाहिए।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के फायदे

Long term investment के बहुत से फायदे होते हैं। जिस वजह से दिग्गज निवेशक इनको फॉलो करते हैं।

1. अच्छा रिटर्न (Better Return)

लॉन्ग टर्म तक इन्वेस्ट करने से आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलता है। आप जितने अधिक सालों तक अपने पैसों को इन्वेस्ट करके रखते हैं। उनमें आपको उतना अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलेगा। यह इसलिए क्युकी इसमें तब कंपाउंड इंटरेस्ट भी लगता जाता है। और यह काफी बार देखा गया है, कि जितना अधिक समय इन्वेस्टमेंट को होता है। वह उतना अच्छा रिटर्न्स आपको देता है। बशर्तें स्टॉक्स के फंडामेंटल और उसका फ्यूचर अच्छा होना चाहिए।

2. सरल इन्वेस्टमेंट (Easy to invest for longterm)

यदि आपके द्वारा इन्वेटमेंट को छोटे समय के लिए रखा जाता है, तो उसमे आपको उस कंपनी को बार बार देखना पड़ता है, कि आखिर कंपनी को अभी कितना प्रॉफिट या लॉस हुआ है। इसके साथ ही आपके द्वारा बार बार प्राइस मूवमेंट और चार्ट को देखना पड़ता है।

कभी कभी तो ऐसे भी होता है, कि कुछ पैसों को कमाने के लिए आप लालच में आकर के अपना सारा पैसा ही उड़ा देते हैं। इससे अच्छा तो आप एक अच्छी कंपनी में इन्वेस्ट करके उसपे ध्यान देना ही छोड़ दें। तब आने वाले समय में आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिल सकता है।

3. इमोशन में कंट्रोल (Control of Emotion)

शॉर्ट टर्म में इन्वेस्टर बार बार अपने पोर्टफोलियो को देखता रहता है, यदि उसको लॉस हो रहा हो, या फिर थोड़ा बहुत फायदा तो वह उसे बेच कर निकल जाता है। लेकिन लॉन्ग टर्म में इन्वेस्टर को इन छोटी मोटी मूवमेंट से कोई भी फरक नही पड़ता है। और वह इनसे घबराता नहीं है। इस तरह से वह अपने इमोशन को भी कंट्रोल कर लेता है।

4. कंपाउंड इंटरेस्ट (Compound Interest)

यदि आप long term investment करते हैं, तो इसमें आपको रिटर्न के ऊपर भी रिटर्न्स देखने को मिलेगा। याने कि इसमें हमें पावर ऑफ कंपाउंडिंग देखने को मिलती है। और एक अच्छा रिटर्न्स हमको लास्ट में देखने को मिलता है। जोकि बहुत ही अविश्वनीय होता है।