जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है?

आपने शेयर मार्केट के उतार चढ़ाव को तो देखा ही होगा। जिसमें गिरावट और बढ़त जैसे खबरें आम होती हैं। तो जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, यह सवाल आपके मन में भी जरूर आया होगा। आखिर कहां जाता है, आपका पैसा गंवाने के बाद।

तो चलिए आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताऊंगा कि आखिर जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है। क्या किसी के नुकसान होने पर किसी दूसरे निवेशक को फायदा होता है? आइए जानते हैं।

जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है–

जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, इसको समझने से पहले आपका यह समझना जरूरी है, कि जब भी कंपनी शेयर बाजार में लिस्टेड होती है, तो कंपनियों के शेयर में इंवेस्टर निवेश करते हैं। और जो कंपनी जितना अच्छा परफॉर्मेंस करती है, उस कंपनी के शेयर उतने ही बढ़ते जाते हैं। और कंपनी की डिमांड भी बड़ जाती है।

जब शेयर मार्केट गिरता है,

इसके साथ साथ जिन कंपनियों का खराब परफॉर्मेंस होता है, उन कंपनियों के शेयर प्राइस उतने ही कम होते चले जाते हैं। इसका मतलब यह है, कि कंपनी के अच्छा परफॉर्मेंस करने पर कंपनी में इंवेस्टर इन्वेस्ट करते हैं। और खराब प्रदर्शन होने पर इंवेस्टर अपनी इन्वेस्टमेंट को निकाल लेते हैं।

जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, तो इसका जवाब है, की आपका पैसा इंवेस्टर के पास ही जाता है। क्योंकि शेयर मार्केट एक सप्लाई और डिमांड के फॉर्मूले पर काम करता है। हर किसी इंवेस्टर को अपना फैसला सही ही लगता है। शेयर बेचने वाला सोचता है, की वह बेच कर एक अच्छा डिसीजन ले रहा है, वहीं खरीदने वाला सोचता है, कि वह इस समय शेयर को खरीद कर अच्छा फैसला ले रहा है।

माना किसी कंपनी के शेयर का प्राइस अभी 80 रुपए चल रहा है, और वह शेयर किसी A इंवेस्टर के आस पहले से मौजूद है, और उसको लगता है, की वह शेयर का प्राइस अब 80 से उप्पर न बढ़कर अब नीचे जा सकता है। वह उसको बेचना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ B इंवेस्टर सोचता है, की इस कंपनी के शेयर प्राइस अभी और बढ़ सकता है। तो वह उस शेयर को खरीदना चाहता है।

दोनों ही इंवेस्टर A और B को लगता है, की वह दोनों अपना फैसला सही ले रहे हैं। लेकिन आपको बता दें, की जिस तरफ शेयर में बायर की संख्या अधिक होगी तो शेयर का प्राइस उप्पर और यदि सेलर की संख्या ज्यादा होगी तो शेयर का प्राइस नीचे की ओर चलने लगेगा।

और मार्केट में जिधर भी बायर या फिर सेलर का प्रेशर अधिक होगा, मार्केट उधर ही अपनी movement करेगा। किसी का पैसा डूब जाने पर वह पैसा किसी दूसरे इंवेस्टर के पास ही जाता है। मतलब की यदि यहां किसी इंवेस्टर का नुकसान हुआ है, तो उतना ही फायदा किसी दूसरे इंवेस्टर को हुआ होगा।

शेयर मार्केट कैसे चलता है

जब कोई भी व्यक्ति अपना बिजनेस स्टार्ट करता है, और उसको फंडिंग की जरूरत होती है। फंडिंग के ना मिलने पर वह व्यक्ति कंपनी बनाता है, और उस कंपनी को SEBI की मदद से स्टॉक मार्केट में उतारने का प्रयास करता है। सेबी के रूल और रेगुलेशन को पूरा करता है। और सेबी की मंजूरी मिलने पर वह स्टॉक मार्केट में लिस्टेड करते हैं।

शेयर बाजार में लिस्ट करने के लिए नई कंपनी का होना जरूरी नहीं है, पुरानी कंपनी भी शेयर मार्केट में लिस्टेड होती हैं। और जो कंपनी शेयर मार्केट में लिस्टेड हो जाती है, उसमे इंवेस्टर इन्वेस्ट कर सकते हैं। और उस कंपनी का हिस्सेदार बन सकते हैं।

आपको बता दें, कि स्टॉक मार्केट में आने के लिए आपको BSE, या फिर NSE में रसिस्टर करवाना होता है। और जिस किसी भी कंपनी में निवेशक निवेश करता है, वह उस कंपनी का हिस्सेदार बन जाता है। यह हिस्सेदारी खरीदे गए शेयर की संख्या पर निर्भर करता है। शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर करता है। मार्केट में कंपनी और शेयर धारक के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर ही करते हैं।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए

शेयर मार्केट में कब इन्वेस्ट करना चाहिए, या फिर शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए, मार्केट में सबसे अच्छा समय कौन सा रहेगा जब हमको इन्वेस्ट करना चाहिए, ताकि हम एक अच्छा रिटर्न्स कमा सकें, ये सवाल हर किसी निवेशक के मन में घूमते रहते हैं।

तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा कि शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए। ताकि आपको एक अच्छा रिटर्न्स मिल सके।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए ?

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए

स्टॉक मार्केट (Stock market) में सबसे अच्छा समय इन्वेस्ट करने का वह होता है, जब पूरा मार्केट गिरा हुआ होता है। इसकी मुख्य वजह यह है, क्योंकि मार्केट के गिरने के दौरान पूरा बाजार डरा होता है, और इंवेस्टर अपने शेयर को बेचने लगते हैं। जिस वजह से हमको शेयर बड़े सस्ते दाम में मिल जाते हैं। अतः आपको शेयर बाजार में पैसा गिरावट के समय ही लगाना चाहिए। यह बात तो हो गई, शॉर्ट टर्म के लिए। लेकिन क्या इतना ही सब काफी है, इन्वेस्टमेट के लिए, तो उत्तर है, नहीं। तो आइए जानते हैं, उन महत्वपूर्ण बातों को जिन्हें शेयर खरीदते समय ध्यान में रखना चाहिए।

  • कभी भी लोगों की बातों में विश्वास कर के पैनी स्टॉक में पैसा नहीं लगना चाहिए, हमको अपनी खुद की रिसर्च भी कर लेनी चाहिए। और तब पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए।
  • दूसरों की टिप्स लेने से अच्छा आप खुद की रिसर्च करें, ताकि आप अच्छे से सीख भी सकें, और आपको अच्छा रिटर्न्स भी मिल सकें। वरना आप सिर्फ लास्ट में अपना पैसा ही गंवाएंगे।
  • स्टॉक मार्केट कोई जुए की तरह नहीं है, कि आप रात ही रात इससे अमीर बन जाओगे, इसमें यदि आपको इन्वेस्ट करना है, तो आपको स्टॉक मार्केट का बेसिक नॉलेज होनी चाहिए। यदि आप बिना सीखें ही इन्वेस्ट करेंगे, और आपको नुकसान होगा तो आप इसे जुआ कह कर छोड़ देंगे।
  • आप केवल उन ही शेयर में इन्वेस्ट करें जिनके फंडामेंटल अच्छे होंगे, ताकि आपको नुकसान कम से कम नुकसान हों सके। और फंडामेंटल अच्छी कंपनियां आपको तब ही मिलेगी, जब आप किसी शेयर में अच्छे से रिसर्च करेंगे।
  • हर समझदार निवेशक अपनी कैपिटल को तब ही निवेश करता है, जब वह अच्छे से किसी शेयर में रिसर्च करता है, और उसे लगता है, कि कंपनी में सही में ही काफी दम है। और वह कंपनी उसे एक अच्छा रिटर्न्स कमा कर दे सकती है।

शेयर मार्केट में पैसे लगाने का एक बेहतर समय।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए की यदि हम बात करें तो आपको बता दूं, कि मार्केट ओपन होते ही कभी भी सीधे ट्रेड में नहीं घुसना चाहिए। बल्कि आपको थोड़ी देर इंतजार करने के बाद उसका वॉल्यूम और ट्रेड देखने के बाद ही इन्वेस्ट करना चाहिए।

आपको मार्केट में कुछ घंटे इंतजार करने के बाद दिखेगा कि मार्केट में अब एक अच्छा खासा वॉल्यूम दिखने को मिल जाएगा। और आप फिर इस चीज का डिसीजन ले सकते हैं, कि आपको ट्रेड करना चाहिए, या फिर नहीं। वॉल्यूम का मतलब होता है, कि इंवेस्टर या फिर ट्रेडर अपने कितने शेयर को खरीद और बेच रहे हैं।

यदि इंवेस्टर अपने शेयर को बहुत ज्यादा खरीद और बेच रहे हैं, और आपको इंट्राडे ट्रेड करना है, तो आप इस स्तिथि में शॉर्ट सेल कर के उससे एक अच्छा रिटर्न्स कमा सकते हैं। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे, कि इंट्राडे में काफी अधिक रिस्क होता है। जिससे आपके पैसे डूबने के चांसेस भी अधिक हो जाता है। इसी लिए यह सलाह दी जाती है, कि आपको हमेशा स्टॉप लॉस को लगा कर ही ट्रेड करना चाहिए।

मेरी सलाह तो आपको यही रहेगी की यदि आपको टेक्निकल एनालिसिस की अच्छी खासी नॉलेज है, तो ही आप यह करें, वरना आप शुरुआत में इन चीजों से दूर ही रहें, तो ही ज्यादा सही रहेगा।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए ― आपको बाजार में पैसा लगाने से पहले इस चीज की जानकारी होनी चाहिए, कि आखिर किसी भी शेयर का प्राइस उप्पर या फिर नीचे क्यों जाता है।
यह सवाल जानने की जरूरत आपको इस लिए है, क्युकी जब कभी भी वह शेयर डाउन जाने लगे जिसमे की आपने पैसे लगाएं हैं, तो आप पैनिक में आ कर के उस शेयर को बेचने लगेंगे। और यह अक्सर वे लोग होते हैं, जो अधिकांशत एक्सपर्ट की बातों में यकीन या फिर टीवी चैनल में देख कर के इन्वेस्ट करते हैं।
लेकिन आपको बता दें, की यह समय ही सबसे अच्छा समय होता है, जिस समय आप अपना पैसा मार्केट में लगा सकते हैं। यदि आपने एक फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग कंपनी को चुना है, तो आपको किसी कंपनी के शेयर के घटने या फिर बढ़ने से कोई फर्क नहीं पड़ता चाहिए, क्योंकि यह कुछ ही समय तक दिखने वाली गिरावट होती है, लॉन्ग टर्म में यह एक अच्छा रिटर्न कमा कर ही देते हैं।

और सबसे मुख्य बात की किसी भी शेयर में हमें पैसे तब लगाना चाहिए, जब वह शेयर अपनी इंट्रांसिक वैल्यू (Intrinsic value) से कम प्राइस पर ट्रेड कर रहा हो। दुनिया के जाने माने निवेशक वारेन बफेट भी इसी तरीके से वैल्यू इन्वेस्टिंग कर के अपने लिए मजबूत शेयर को चुनते हैं।

Tax saving tips

आज कल की महंगाई से सभी लोगों की जेब ढ़ीली होती दिख रही है। वहीं जिन लोगों की सालाना कमाई 5 लाख से थोड़ा ही ज्यादा है, तो उनको इस बात की टेंशन हुई रहती है, कि पहले ही इतने खर्चे हैं, और ऊपर से उनको टैक्स भी चुकाना पड़ता है। उन लोगों को Tax saving tips के बारे में कुछ भी नॉलेज नही रहता जिस वजह से वह अपने आप को कोश्ते रहते हैं।

तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको उन Tax saving tips के बारे में बताऊंगा जिनकी मदद से की आप कम टैक्स देकर के अपनी मनी की सेविंग कर सकते हैं।

टैक्स सेविंग टिप्स (Tax Saving Tips)

टैक्स सेविंग टिप्स (Tax saving tips) को जानने से पहले आपको टैक्स रूल के बारे में सामान्य जानकारी दे देता हूं।

Tax Saving Tips

टैक्स नियम के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की सालाना कमाई ढाई लाख (2.5 लाख) तक की है, तो उस व्यक्ति को कोई भी टैक्स पे नहीं करना होता है। यदि 2.5 लाख रुपए से और 5 लाख तक के बीच में है, तो उस व्यक्ति को 5% तक का टैक्स देना पड़ता है। और यदि उस व्यक्ति की सालाना इनकम 5 से 10 लाख रुपए तक है, तो उसको 20% टैक्स और यदि 10 लाख से ऊपर की इनकम है, तो उसे 30% टैक्स देना होता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि टैक्स के स्लैब प्रत्येक साल वित्तीय वर्ष में चेंज किए जाते हैं। कभी कभी सरकार इसमें कोई बदलाव भी नही करती है।

तो चलिए जानते हैं, Tax saving tips को जिनकी मदद से आप अपने कैपिटल inco को सेफ कर सकते हो।

1.स्टैंडर्ड डिड्क्शन (Standard Deduction)

Tax Saving Tips में आपका सबसे पहले स्टैंडर्ड डिडक्सन आ जाएगा। जिसके तहत की आपको अपनी इनकम में 50,000 रुपए तक की छूट मिलती है।

2. सेक्शन 80C धारा

सेक्शन 80C धारा के तहत आप अपने लगभग डेढ़ लाख रुपए तक बचा सकते हैं। इसके लिए आपका निवेश PPF, ELSS, NSC, EPF आदि में निवेश करना होता है। इसके अलावा यदि आपके बच्चे हैं, तो आप उनकी शिक्षा के लिए 1.5 लाख रुपए तक की इनकम पर इनकम टैक्स (Income tax) छूट का लाभ ले सकते हैं।

3. नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)

यदि आप नेशनल पेंशन स्कीम में सालाना 50,000 रुपए तक इन्वेस्ट करते हैं, तो सेक्शन 80 CCD के तहत आप अपनी इनकम में 50 हजार रुपए तक बचा सकते हैं। जोकि आपको इनकम टैक्स देने से बचा सकते हैं।

4. होम लोन (Home Loan)

यदि आपने बैंक से अपने लिए होम लोन लिया हुआ है, तो आप अपने अतिरिक्त 2 लाख रुपए तक की सेविंग कर सकते हो। इनकम टैक्स के सेक्शन 24 B के तहत 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर आप टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हो। जिसे की आप अपनी सालाना आय से घटा सकते हो।

5. सेक्शन 80D की धारा

सेक्शन 80D की धारा के तहत आप मेडिकल पॉलिसी को ले सकते हैं। इस हेल्थ इंश्योरेंस में आपका, आपकी पत्नी और बच्चों का नाम भी होना चाहिए। इसमें आप प्राइवेंटिव हेल्थकेयर चेकअप की लागत के साथ साथ हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिए 25 हजार रुपए तक का क्लेम कर सकते हैं।

इसके अलावा यदि आपके माता–पिता सीनियर सिटीजन के हैं, तो फिर आप उनके नाम पर भी हेल्थ इंश्योरेंस को खरीदकर 50 हजार रुपए तक का अतिरिक्त क्लेम ले सकते हैं।

6. सेक्शन 80G की धारा

इनकम टैक्स के इस सेक्शन के अंदर आप 25 हजार तक का टैक्स डेडक्शन दान या फिर चंदा देकर के माफ कर सकते हैं। लेकिन यह तब ही मान्य होगा जब आप दान या फिर चंदा की मुहर लगी हुई रसीद को जमा करेंगे। इनकम टैक्स के सेक्शन 80G के तहत आपको 25 हजार तक के अमाउंट में छूट मिल सकती है। यह भी एक tax saving Tips है, जोकि बहुत से लोगो को पता नहीं होती है।

7. सेक्शन 87A की धारा

इनकम टैक्स के अनुसार यदि आप 5 लाख रुपए की कमाई सालाना करते हैं, तो आप पर टैक्स 12,500 रुपए याने की ढाई लाख का 5% बनता है। ऐसे स्तिथि में सेक्शन 87A के तहत साढ़े 12 हजार रुपए तक का डिबेट मिल जाता है। और आपको कोई भी टैक्स नहीं देना होता है।

उम्मीद करता हूं कि आपको आज का टॉपिक Tax Saving Tips के बारे में अच्छे से समझ आ गया होगा।

Fundamental analysis

बहुत से लोगों को Fundamental analysis के नाम से ही डर लगने लगता है, लेकिन यदि शेयर मार्केट (Stock market) में किसी कंपनी में इन्वेस्ट करना है, तो Fundamental analysis सबसे जरूरी होती है। जिसका मतलब होता है, कि किसी भी कंपनी की पूरी डिटेल्स को निकालना। स्टॉक मार्केट में कंपनी का दो तरीके से एनालिसिस किया जाता है। पहला Technical analysis और दूसरा Fundamental analysis,

तो चलिए दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा की Fundamental analysis क्या होता है।

फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis)

फंडामेंटल एनालिसिस वह प्रोसेस होती है, जिसमें की निवेशकों को किसी स्टॉक्स के चयन के लिए उसकी पुरानी हिस्ट्री जाननी होती है, जिससे की निवेशक उसके पुराने सारे रिकॉर्ड्स को अच्छे से जान कर उसमें इन्वेस्ट कर सकें।

Fundamental analysis

किसी भी कंपनी के पिछले रिकॉर्ड्स निकालने से मतलब उस कंपनी के प्रॉफिट–लॉस, रेवेन्यू, कंपनी का मैनेजमेंट, कंपनी क्या प्रोडक्ट बनाती है, उस प्रोडक्ट की डिमांड कितनी है, आदि चीजों से है। कोई भी कंपनी हो यदि उसमें स्मार्ट इंवेस्टर इन्वेस्ट करे तो वह कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis) जरूर करेगा।

फंडामेटल एनालिसिस को देखने से हमें कंपनी की ग्रोथ का यह पता भी लग जाता है, कि कंपनी प्रॉफिट कर रही है, या फिर लॉस। क्योंकि इसमें कंपनी का बहुत ही बारीकी से विश्लेषण किया जाता है। Fundamental analysis में यह देखा जाता है, कि वह कंपनी आर्थिक रूप से कितनी मजबूत है, क्या यह कंपनी हमें लॉन्ग टर्म में एक अच्छा रिटर्न्स दे सकती है।

अधिकतर लॉन्ग टर्म इंवेस्टर (Long term investing) जो होते हैं, वह कंपनी में इन्वेस्ट उस कंपनी के फंडामेंटल को देख कर ही किया करते हैं। Fundamental analysis भी दो प्रकार के होते हैं।

  • Qualitative Analysis
  • Quantitative Analysis
Qualitative Analysis

Quanlitative Analysis में किसी भी कंपनी के एनालिसिस को हम नंबर के फॉर्म में नहीं देख सकते हैं। इसमें हम नंबर को देखने की जगह कंपनी की ब्रांड वैल्यू को देखते हैं। और कंपनी के जो भी कंपीटीटर होते हैं, उनसे आपस में तुलना करते हैं। इस तरीके से हमको किसी भी कंपनी की जानकारी मिलती है। यह प्रत्येक इंसान के लिए अलग अलग हो सकती है। किसी भी कोई प्रोडक्ट अच्छा लगता है, तो किसी को कोई और प्रोडक्ट अच्छे लगते हैं।

Quantitative analysis

Quantitative analysis में हम किसी भी कंपनी के बारे में नंबर में जान सकते हैं। इसमें कंपनी की बैलेंस शीट को देखा जाता है, जिसमें की कंपनी का PE Ratio, Earning, EPS Ratio, Dividend, Cash Flow आदि चीजों के आधार पर इन्वेस्ट किया जाता है। यदि ये सब चीजें कंपनी की खराब रहती है, तो कंपनी को कमजोर समझा जा सकता है।

कंपनी का फंडामेटल एनालिसिस कैसे करें

किसी भी किसी कंपनी का जब हमें Fundamental analysis करना होता है, तो हम सबसे पहले उस कंपनी का बैलेंस शीट देखेंगे। इससे हमें कंपनी की पूरी जानकारी मिल जाती है। यदि हमें कंपनी का फंडामेंटल चेक करना है, तो हम गूगल में जा कर के NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) की वेबसाइट में VISIT कर सकते हैं। जोकि एक सेबी रजिस्टर्ड वेबसाइट है। इसमें हमें किसी एक्सपर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ती है। और कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी भी मिल जाती है। और फिर हम एक अच्छी कंपनी में इन्वेस्ट भी कर सकते हैं।

फंडामेंटल एनालिसिस कैसे उपयोगी है–

जो भी इंवेस्टर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग करते हैं, उनके लिए फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है, एनालिसिस करने से उनको वे स्टॉक्स बड़ी आसानी से मिल जाते हैं, जिनसे की उन्हें आने वाले समय में एक अच्छा रिटर्न्स मिल सकता है। साथ ही अच्छे बिसनेस वाली कंपनियां भी आसानी से मिल जाती है। फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग हमेशा लंबे समय के लिए इन्वेस्ट के लिए किया जाता है। इसमें जल्दी पैसा कमाने का टारगेट नही रखा जाता है। बल्कि इन्वेस्ट किए गए शेयर में सही रेट ऑफ रिटर्न्स पर कंपाउंडिंग करने में ध्यान दिया जाता है।

फंडामेंटल एनालिसिस के लिए मुख्य बिंदु

  • Balance sheet
  • Profit or loss
  • Annual report
  • Cash Flow
  • EPS (Earning per share)
  • Book value
  • Sales
  • Growth
  • Opponent company
  • Debt
  • Company Managemet Ect

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

अमीर होना किसको पसंद नहीं होता, लेकिन आपकी कुछ गलतियों की वजह से आप अपने मिशन में सफल नहीं हो पाते हैं। और अमीरी की ओर बढ़ने से रुक जाते हैं। अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके यदि आप अपनाते हैं, तो आप अपने लक्ष्य को बड़ी आसानी से हासिल कर सकते हैं।

तो चलिए आज मैं आपको अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके बताऊंगा, जिससे कि आप गरीब होने से बच सकते हैं।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके (How to Get Rich)

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

बहुत से लोगों का जो अमीर बनने का सपना होता है, वह कुछ ही लोग साकार कर पाते हैं। और वह अपनी जिंदगी में अच्छा खासा आनंद भी लेते हैं। और ये वे लोग हैं, जो कि अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके अपनाते हैं। तो चलिए जानते हैं, उन तरीकों को –

1. बचत करना सीखें

बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जोकि बचत नहीं किया करते हैं। और बचत न होने की वजह से वह गरीबी की ओर बढ़ते जाते हैं। सीमित आमदनी के बाद भी यदि आप अमीर बनना चाहते हैं, तो आपको आज से ही बचत को शुरू कर लेना चाहिए।

आपको यह बात हमेशा ध्यान में रखना चाहिए, कि जीवन में कमाना, बचाना बहुत जरूरी है, लेकिन अपनी बचत पर सबसे ज्यादा रिटर्न्स कमाना अमीर बनने की नींव होती है।

2. बिजनेस करना

काफी लोग बिजनेस के नाम सुनते ही डरने लगते हैं, लेकिन आपको बता दें, कि जिस चीज में जितना अधिक रिस्क होता है। उसमे प्रॉफिट की संभावना भी उतनी ही अधिक होती है। आप बिसनेस शुरू करे लेकिन कम रिस्क के साथ। एक्सपीरियंस के साथ साथ अपने रिस्क को बाद में बड़ा सकते हैं।

3. जल्द बचाना शुरू करें

इसे सीधे एक उद्धरण से समझते हैं, यदि किसी व्यक्ति ने 25 साल की उम्र में सालाना 1 लाख का निवेश किया है, और उसे 12 परसेंट का रिटर्न्स इंडेक्स फंड में मिल रहा है, तो वह 60 की उम्र में 5 करोड़ का मालिक होगा। लेकिन यदि आपने 10 साल बाद निवेश शुरू किया तो आपको 5 करोड़ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सालाना साढ़े 3 लाख रुपए इन्वेस्ट करने होंगें। और यही अमाउंट आपको 45 की उमर में शुरू करने पर 12 लाख इन्वेस्ट करने होंगे।

4. क्रेडिट और डेबिट कार्ड का सदुपयोग करना

क्रेडिट कार्ड (Credit Card) या डेबिट कार्ड (Debit Card) का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए। अनावश्यक चीजों की खरीददारी नही करनी चाहिए। और इसमें मिले गए बोनस को भी सैलरी की तरह मानकर आपको हमेशा खर्च और बचत करना चाहिए।

5. समय के अनुसार बचत को बढ़ाए

सालाना बचत की रकम को बढ़ाते रहने से आप अपने वित्तीय लक्ष्य को जल्दी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ साथ बड़े लक्ष्यों को भी आप आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। यदि आप अपने बचत में वृद्धि नहीं करेंगे तो महंगाई की वजह से आपकी बचत में बड़ोतरी नही हो पाएगी।

आप अपने एसआईपी (SIP) में कुछ ही परसेंट की बदोतरी के साथ साथ एक अच्छा अमाउंट रिटर्न में पा सकते हैं।

6. इन्वेस्ट करें

इन्वेस्टमेंट अमीर बनने की सबसे मुख्य कुंजी है। हर कोई अमीर आदमी आपको इन्वेस्टमेंट करने की सलाह जरूर देगा। यदि आप अपनी इन्वेस्टमेंट को अच्छी जगह में लगाएंगे तो आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलेगा। लेकिन आप अपनी इन्वेस्टमेंट को किसी भी जगह लगाते हैं, तो फिर आपको बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

7. फंड का प्रयोग दूसरे काम में न करें

आपको अपने फंड का पैसा कभी भी दूसरे चीजों को लेने के लिए प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। चाहे आपको कितनी भी जरूरत क्यों न पड़ें। इससे आपका मनी मैनेजमेंट पूरा खराब हो जाता है। और फिर आप एक बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं।

8. इमरजेंसी फंड बनाना

निवेश को सुरक्षित बनाने का एक तरीका इमरजेंसी फंड को बनाना है। इस फंड की मदद से आप आकस्मिक आर्थिक विपत्ति से बच सकते है। इसकी मदद से आप अपनी किसी भी इन्वेस्टमेंट को मुसीबत की घड़ी में रोकने से बच जाते हैं।

9. लॉक इन वाले निवेश में लगाए पैसे

लॉक इन वाला निवेश, को आप निवेश को सेफ रखने का सबसे सुरक्षित तरीका समझ सकते हैं। क्युकी इसमें आप समय से पहले अपने निवेश को तोड़ नहीं सकते हैं। और यदि आपने तोड़ ली तो फिर आपको रिटर्न्स भी कम और एक बड़ा नुकसान देखने को अधिक मिलेगा।

वे चीजें जो आपको गरीब बनाती हैं। The things that make you poor

कोई भी इंसान अपने भाग्य या फिर किस्मत की वजह से गरीब नही होता बल्कि वह व्यक्ति अपनी सोच की वजह से गरीब होता है। इसलिए बहुत बार यह भी कहा जाता है, कि गरीब सोच वाले हमेशा गरीब ही जीवन व्यतीत करते हैं। और अमीर सोच वाले लोग एक न एक दिन अमीर बन ही जाते हैं। देखा जाए तो एक गरीब और अमीर इंसान के बीच केवल उनकी सोच का ही अंतर होता है। आखिर कौन सी हैं, वे चीजें जो आपको गरीब बनाती हैं।

गरीब बनाती हैं

तो चलिए आज के इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा, वे चीजें जो आपको गरीब बनाती हैं। और किन चीजों की वजह से व्यक्ति गरीब बन कर रह जाता है।

गरीब बनाने वाले कारक–

गरीबी की ओर ले जाने वाले बहुत से कारक हैं। जोकि हमें अमीर बनने से रोकते हैं। चलिए जानते हैं, आखिर कौन सी चीजें हैं वो जो हमें अमीर बनने से रोकते हैं।

1. दूसरों को जिम्मेदार ठहराना

गरीब मानसिकता वाले लोग कभी भी अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते हैं, वे हमेशा अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनके मुंह से अक्सर यह सुनने को जरूर मिल जाता है, कि भगवान आखिर मेरे ही साथ ऐसे क्यों करता है। उसने मुझे धोखा दिया है। और भी चीजें अक्सर उनके मुंह से सुनने को जरूर मिल जाती है। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं जो अमीर मानसिकता वाले लोग होते हैं, वे कभी भी दूसरों को जिम्मेदार नहीं ठहराते हैं। उन्हें पता होता है, कि यदि कुछ करना है, तो उसमे कुछ परसेंट हमको रिस्क भी उतना पड़ सकता है। वह अपनी गलतियों से सीखते हैं, कि आखिर उन्होंने ऐसा क्या किया जिनसे उनके साथ ये सब घटित हुआ और वह फिर उसको सुधारने में विश्वास रखते हैं।

2. दिखावे को बढ़ावा देना

गरीब सोच वाले लोग हमेशा अपने आप को अमीर बनने का दिखावा किया करते हैं। वे लोग अपना स्टेटस हाई दिखाने के लिए अपना सारा पैसा बेवजह के खर्चों में लगा देते हैं। वे अपने आप को अमीर बताने के लिए महंगे कपड़े, गाडियां, मोबाइल आदि चीजें लोन पर ले लेते हैं। जिसकी वजह से उनकी फाइनेंशियल कंडीशन खराब होती जाती है। और फिर वे अपने खर्चों को आने वाले समय में अच्छे से मैनेज नहीं कर पाते हैं। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं अमीर सोच वाले लोग कभी भी दिखावा नहीं किया करते है। चाहे उनके पास करोड़ों रुपए भी हो वह एक लिमिट तक ही खर्च करते है। उनको जिन चीजों की जरूरत होती है, केवल उन्हीं चीजों में वह पैसे लगते हैं। बाकी बेकार की चीजों में वह अपना पैसा खर्च नही किया करते हैं। वे बेकार की चीजें लेने की जगह इन्वेस्टमेंट में ज्यादा फोकस किया करते हैं। यदि लोन भी लेते हैं, तो कोई एसेट खरीदने के लिए ताकि वह अपनी इनकम रिसोर्स को बढ़ा सके।

3. सेविंग का ना करना

गरीब सोच वाले लोगों का एक ही उसूल होता है। कमाओ, खाओ और उड़ाओ। और जैसे ही उनके हाथों में पैसा आता है, वह तुरंत ही अपने पैसों को खत्म कर लेते हैं। और आखिरी में उनके पास सेविंग के नाम में कुछ नही बचता है। और जिंदगी भर इसी फंडे में चलते रहते हैं। कमाओ और खाओ। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं अमीर सोच वाले लोग पहले सेविंग किया करते हैं। और फिर बाद में जितना पैसा बचता है, उसे तब खर्च किया करते हैं। उन लोगों के पास चाहे कितनी भी उधारी हो फिर भी वह पैसों को रेगुलर नियम के आधार पर सेविंग्स को इन्वेस्टमेंट (Investment) में लगाते हैं।

4. समय की वैल्यू न समझना

गरीब सोच वाले लोग अपना अधिकतर समय बेकार के चीजों में खराब कर देते हैं। वे लोग अपना अधिकांश समय टीवी, मोबाइल पर फनी विडियो, दोस्तों के साथ बैठकर लोगों की चुगली करना आदि इन चीजों में बर्बाद कर लेते हैं। जोकि उनका एक डेली रूटीन बन जाता है। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं अमीर सोच वाले लोग टाइम की वैल्यू जानते हैं। वे अपना डेली का रूटीन बना कर चलते हैं। यदि उनके पास कभी खाली समय भी रहता है, तो वह उस समय अपने क्षेत्र से जुड़े हुए कामों को पढ़ने में समय लगाते हैं।

5. इन्वेस्टमेंट नहीं करते

गरीब लोग कभी भी इन्वेस्टमेंट नहीं किया करते हैं। वे सोचते हैं, कि आखिर कौन अपने पैसों को इन्वेस्ट में लगाये। और यदि लगा भी देंगे तो उसमे रिटर्न्स मिलेगा भी या फिर नहीं। और वह क्यों इतने समय तक अपने पैसे को दूसरे किसी अन्य क्षेत्र में लगा कर रखें। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

वहीं जो अमीर लोग रहते हैं, वह अपने पैसे को ज्यादा से ज्यादा इन्वेस्टमेंट में लगाया करते हैं। उनका मानना होता है, की इन्वेस्टमेंट जितनी अधिक होगी। उतना ही आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलेगा। क्योंकि वह पावर ऑफ कंपाउंडिंग को अच्छे से समझते हैं।

6. लोग क्या कहेंगे

गरीब सोच वाले लोग हमेशा ये सोचते रहते हैं, कि लोग क्या कहेंगे। वह कोई भी काम शुरू करने से पहले अपने मन को यह समझा लेते हैं, कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे, उनकी इज्जत बनी भी रहेगी या नहीं। लोग कहीं उनका मजाक तो नही उड़ाएंगे। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

अमीर लोग वहीं यह सोचते हैं, कि उनको अपनी लाइफ को और बेहतर बनाना है, तो वह क्या काम ओर कर सकते हैं। उनको यह मतलब नहीं रहता है, कि आखिर लोग उनके बारे में क्या कहेंगे। वे बस अपने काम से काम रखा करते हैं। उनकी नजर में कोई भी काम बड़ा या फिर छोटा नही होता है।

7. इनकम का केवल एक ही सोर्स बनाना

गरीब सोच वाले लोग केवल ये सोचा करते हैं, कि वह नौकरी कर रहे हैं। और उनकी लाइफ बड़े ही अच्छे से चल रही है। लेकिन उनके इनकम का केवल एक ही सोर्स उनको कभी भी बरबाद कर सकता है। यदि कभी ऐसी कंडीशन आती है, जिस वजह से उनको अपने नौकरी से हाथ धोना पड़े तो उनके पास बेरोजगारी के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं।

गरीब बनाती है

वहीं अमीर लोग अपनी इनकम के बहुत से सोर्स बना कर चलते हैं। ताकि कभी एक जगह से इनकम आनी बंद हो जाए तो वह किसी दूसरे इनकम सोर्स से अपना जीवन अच्छे से व्यतीत कर सके। और उनको बाद में कुछ ज्यादा दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

8. पैसों के लिए काम करना

अमीर और गरीब लोगों की सोच में सबसे बड़ा अंतर यह होता है, की गरीब लोग केवल पैसों के लिए काम करते हैं। जोकि उन्हें गरीब बनाती हैं। जबकि अमीर लोग पैसों से अपने लिए काम करवाते हैं। अमीर लोग हमेशा कुछ न कुछ सीखने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अधिकांशत यह देखने को मिला है, कि गरीब सोच वाले लोग उतना ही काम करना पसंद करते हैं, जितना उन्हें पैसा दिया जाता है। और यही वजह होती है, की कभी भी बॉस और एम्पलॉय के बीच कभी भी अच्छे से नही बनती है।

अमीर सोच वाले लोग विजनरी (Visionary) होते हैं। वे केवल अपनी सैलरी के लिए काम नहीं करते हैं। वे अपने काम के दौरान भी कुछ न कुछ सीखते रहते हैं। ताकि आने वाले समय में वह अपने अनुभवों का लाभ उठा सके।

Long term investment

यह तो हर किसी को पता होता है, कि इन्वेस्टमेंट दो तरह की होती है, पहली शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट और दूसरी Long term investment, पिछली पोस्ट में आपने जाना की शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट (Short term investment) क्या होता है। और शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट में आपके लिए कौन से विकल्प बेहतर हो सकते हैं।

इस पोस्ट में आप जानेंगे की लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long term investment) क्या होता है। यह कैसे एक बेहतर विकल्प होता है। और बड़े बड़े दिग्गज निवेशक Long term investment ही क्यों करते हैं। साथ ही इसको अपनाने से क्या–क्या फायदे हो सकते हैं।

Long Term Investment

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long Term Investment)

जब भी आपके द्वारा शेयर या फिर किसी फाइनेंशियल एसेट्स को 2 साल से अधिक अवधि के लिए होल्ड करके रखते हैं, तो उसे Long Term Investment कहते हैं। आपको बता दें, की फाइनेंशियल एसेट को आप कितने भी समय तक अपने पास रख सकते हैं। यह जरूरी नहीं है, की आपको 2 साल से अधिक समय तक ही होल्ड करना होता है।

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के एक्सपर्ट का कहना है, की Long term investment वह होती है, जिसमे की हमारे द्वारा फाइनेंशियल एसेट्स को 5 साल से अधिक समय के लिए होल्ड करके रखा जाता है।

स्टॉक मार्केट में भी Long Term Investment करना चाहिए, इससे आपको आने वाले समय में एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलता है। आपको बता दें, कि दुनिया में जितने भी बड़े दिग्गज निवेशक हुए हैं, वह स्टॉक मार्केट (Stock market) में Long Term Investment ही किया करते हैं। अब चाहे वह वारेन बफेट हो या फिर राकेश झुनझुनवाला।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर जो होते हैं, वह कंपनी के वर्तमान एनालिसिस को देख कर के उसमे निवेश नहीं करते हैं, बल्कि वह पहले तो कंपनी के फंडामेंटल को अच्छे से देखते हैं। फंडामेंटल देखने के बाद में वह उस बिजनेस को अच्छे से समझते हैं। और तब जाकर के उसमे निवेश करते हैं। इस तरह से निवेशक कंपनी के आने वाले फ्यूचर का अंदाजा लगाकर के उसे लंबे समय तक इन्वेस्ट (Investment) करके रख देते हैं।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर कभी भी छोटे मोटे मूवमेंट पर ध्यान नहीं देते हैं। अब उसमे चाहे उनको काफी प्रॉफिट हो रहा हो, या फिर काफी नुकसान।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए स्टॉक्स कैसे चुनें–

Long Term Investment के लिए आप स्टॉक्स को चुनने के लिए आप निम्न चीजें देख सकते हैं।

  • कंपनी का फंडामेंटल जितना ज्यादा अच्छा होगा, वह कंपनी उतनी अच्छी कहलाएगी। आपको ऐसी कंपनियों में इन्वेस्ट करना चाहिए।
  • आपको देश की ब्लू चिप कंपनियों में निवेश करना चाहिए। ब्लू चिप कंपनियां अपने फील्ड की टॉप कंपनियों को कहा जाता है।
  • आपको ऐसी कंपनियों में निवेश करना चाहिए, जिसमे की आगे फ्यूचर हो, या फिर फ्यूचर में इसकी डिमांड ज्यादा हो। उद्धरण के लिए Electrical vehicle और Renewable energy सेक्टर की कंपनियां।
  • यदि कंपनी के पास उसके एसेट्स से ज्यादा का लोन है, तो आपको ऐसी कंपनियों में कभी निवेश नही करना चाहिए।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के फायदे

Long term investment के बहुत से फायदे होते हैं। जिस वजह से दिग्गज निवेशक इनको फॉलो करते हैं।

1. अच्छा रिटर्न (Better Return)

लॉन्ग टर्म तक इन्वेस्ट करने से आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलता है। आप जितने अधिक सालों तक अपने पैसों को इन्वेस्ट करके रखते हैं। उनमें आपको उतना अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलेगा। यह इसलिए क्युकी इसमें तब कंपाउंड इंटरेस्ट भी लगता जाता है। और यह काफी बार देखा गया है, कि जितना अधिक समय इन्वेस्टमेंट को होता है। वह उतना अच्छा रिटर्न्स आपको देता है। बशर्तें स्टॉक्स के फंडामेंटल और उसका फ्यूचर अच्छा होना चाहिए।

2. सरल इन्वेस्टमेंट (Easy to invest for longterm)

यदि आपके द्वारा इन्वेटमेंट को छोटे समय के लिए रखा जाता है, तो उसमे आपको उस कंपनी को बार बार देखना पड़ता है, कि आखिर कंपनी को अभी कितना प्रॉफिट या लॉस हुआ है। इसके साथ ही आपके द्वारा बार बार प्राइस मूवमेंट और चार्ट को देखना पड़ता है।

कभी कभी तो ऐसे भी होता है, कि कुछ पैसों को कमाने के लिए आप लालच में आकर के अपना सारा पैसा ही उड़ा देते हैं। इससे अच्छा तो आप एक अच्छी कंपनी में इन्वेस्ट करके उसपे ध्यान देना ही छोड़ दें। तब आने वाले समय में आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिल सकता है।

3. इमोशन में कंट्रोल (Control of Emotion)

शॉर्ट टर्म में इन्वेस्टर बार बार अपने पोर्टफोलियो को देखता रहता है, यदि उसको लॉस हो रहा हो, या फिर थोड़ा बहुत फायदा तो वह उसे बेच कर निकल जाता है। लेकिन लॉन्ग टर्म में इन्वेस्टर को इन छोटी मोटी मूवमेंट से कोई भी फरक नही पड़ता है। और वह इनसे घबराता नहीं है। इस तरह से वह अपने इमोशन को भी कंट्रोल कर लेता है।

4. कंपाउंड इंटरेस्ट (Compound Interest)

यदि आप long term investment करते हैं, तो इसमें आपको रिटर्न के ऊपर भी रिटर्न्स देखने को मिलेगा। याने कि इसमें हमें पावर ऑफ कंपाउंडिंग देखने को मिलती है। और एक अच्छा रिटर्न्स हमको लास्ट में देखने को मिलता है। जोकि बहुत ही अविश्वनीय होता है।

Short term investment

यदि हमको जीवन में एक अच्छा लाइफस्टाइल व्यतीत करना है, तो इसमें इन्वेस्टमेंट (Investment) अपनी सबसे अहम भूमिका निभाता है। इन्वेस्टमेंट वैसे तो बहुत से प्रकार की होती हैं। लेकिन यह मुख्यत 2 प्रकार के होते हैं। पहला SHORT TERM INVESTMET और दूसरा LONG TERM INVESTMET, बहुत से लोगों को इसके बारे में पता भी होगा।

Short term investment

आज मैं आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट (Short term investment) के बारे में विस्तार से बताऊंगा और किन जगह हमें Short term investment करना चाहिए, यह सब जानकारी आपको दूंगा। तो चलिए जानते हैं, कि आखिर शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट (Short term investment) क्या होती है।

शॉर्ट टर्म इंवेस्टमेंट (Short term investment)

Short term investment उस इन्वेस्टमेंट (Investment) को कहते हैं, जिसमें की आपका निवेश 1 साल से कम टाइम के लिए किया जाता है। Short term investment को आप बड़ी आसानी से अपनी जरूरत के हिसाब से कैश में बदल सकते हैं। शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट के अंदर आपका फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit), शेयर में इन्वेस्टमेंट (1 साल के अंदर सेल कर देना) आदि चीजें सम्मिलित होती हैं।

Short term investment को एक उद्धरण से समझते हैं। जैसे की आपके द्वारा बैंक में fixed deposit की गई है। तो आप उस पैसे को अपने जरूरत के हिसाब से कभी भी निकाल सकते हैं। इससे आपको अधिक नुकसान भी नहीं होगा, और उस राशि को अपने लिए प्रयोग में ले सकते हैं। इसको यदि सरल शब्दों में समझें तो वह राशि जिसकी हमें कभी भी जरूरत पड़ सकती है। तो उस स्तिथि में अपनी राशि को इन्वेस्ट करने के लिए Short term investment एक अच्छा विकल्प होता है।

Best Short term investment

शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए बेस्ट ऑप्शन बहुत से हैं। जिनकी मदद से आप एक अच्छा रिटर्न जेनरेट कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं, कि यह कौन से विकल्प हैं।

1. सेविंग बैंक अकाउंट (Saving Bank Account)

यदि आप उन लोगों में आते हैं, जिनको बिना रिस्क के 3 से 6 परसेंट तक का व्याज चाहिए, तो आप अपने पैसे को सेविंग अकाउंट में डाल सकते हैं। यह भी एक Short term investment का बेस्ट ऑप्शन है। जिसमें की लोगों द्वारा सबसे ज्यादा निवेश किया जाता है।

आपको सेविंग अकाउंट (Saving Account) खुलवाने से पहले यह जान लेना चाहिए, कि आपको कौन सा बैंक कितने परसेंट का रिटर्न्स व्याज के तौर में दे रहा है। क्युकी सभी बैंकों का व्याज रेट अलग अलग होता है।

2. RD (Reccuring Deposit)

Rd (Reccuring Deposit) में आपको सालाना 6 परसेंट तक का रिटर्न्स मिलता है। यदि आप प्रत्येक माह रुपयों को इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो यह आपके लिए एक बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट (Short term investment) हो सकता है। यह स्कीम आप बैंकों में या फिर पोस्ट ऑफिस में जाकर खुलवा सकते हैं।

3. फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit)

फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) अभी तक की सबसे अच्छी इन्वेस्टमेंट हैं। जोकि बहुत से लोगों द्वारा की जाती है। इसमें आप बहुत ही कम रिस्क में सालाना 5 से 6 परसेंट तक का रिटर्न जेनरेट कर सकते हैं। इसमें भी आपको अलग अलग बैंकों में अलग अलग रिटर्न्स देखने को मिल सकता है।

4. लिक्विड फंड (Liquid Fund)

लिक्विड फंड में आप अपने पैसों को कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक भी निवेश कर सकते हैं। इस फंड में निवेश करके आप 7 से 8 परसेंट तक का रिटर्न्स कमा सकते हैं। इस फंड की खाश बात यह है, कि इसमें आप अपने पैसों को एक दिन के लिए भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। इसके साथ ही यदि आप लिक्विड फंड में निवेश करते हैं, तो इसमें आपके पास कोई भी चार्ज नहीं लगता हैं।

5. Lumpsum investment

Lump sum में आपके पैसे को म्यूचुअल फंड में एक ही बारी में निवेश कर दिया जाता है। और बाद में आपको इसके उप्पर रिटर्न मिलता है। म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के 2 प्रकार Debt fund और दूसरा इक्विटी फंड होता है।

Debt Mutual fund में यह आपके पैसों को लोन के रूप में आगे भेजते हैं, और इसके बदले में यह व्याज जमा करते हैं। इसमें आपको सालाना लगभग 7 से 11 परसेंट तक का व्याज मिल सकता है।

यदि हम इक्विटी म्यूचुअल फंड की बात करें तो इसमें आपके पैसों को शेयर मार्केट के शेयर में लगाते हैं। और इससे मिलने वाले रिटर्न्स से यह लाभ कमाते हैं। इसमें आपको सालाना 13 से 15 परसेंट तक का रिटर्न्स मिल सकता है।

6. शेयर मार्केट में शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट (Stock market Short term investment)

यदि आप रिस्क अधिक लेने को तैयार रहते हैं, तो आपके लिए स्टॉक मार्केट (Stock market) एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसमें आपको कम से कम 15 से 30 परसेंट तक के सालाना रिटर्न्स देखने को मिल सकते हैं।

स्टॉक मार्केट में निवेश करने के लिए आपको डीमैट अकाउंट (Demat Account) की जरूरत होती है। डीमैट अकाउंट को आप किसी भी ब्रोकर जैसे अपस्टॉक (Upstox), zerodha, Angle one आदि ब्रोकर के साथ खोल सकते हैं।

ध्यान रहे की शेयर मार्केट (Stock market) में निवेश करने के लिए आपको इसका बेसिक नॉलेज होना चाहिए। वरना आपको इसमें एक बड़ा नुकसान भी देखने को मिल सकता है। बेसिक ज्ञान होने के बाद ही आप शेयर मार्केट में निवेश करने की सोचें।

Primary market and Secondary market

Primary market and secondary market

प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट – Primary market and Secondary market | हिन्दी में |

     Primary market and secondary market कैपिटल मार्केट के ही भाग होते हैं। चलिए आपको बताते हैं, कि प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट क्या हैं। और ये एक दूसरे से कैसे डिफरेंट हैं।

Primary market (प्राइमरी मार्केट)

1- प्राइमरी मार्केट  में सब चीजें जैसे नई सिक्योरिटी, नए शेयर, बॉन्ड्स इश्यू किए जाते हैं। इसलिए प्राइमरी मार्केट को न्यू इश्यू मार्केट भी कहा जाता है। प्राईमरी मार्केट में कंपनी के शेयर इश्यू होते हैं, जब कंपनी अपना IPO (Initial public offering) फिक्स कर लेती है, या फिर निकालती है।

2- प्राइमरी मार्केट में कंपनी, इन्वेस्टर को शेयर बेचती है, जिस वजह से कंपनी को ग्रो करने के लिए पैसा या फिर फंड मिल जाता है। ओर जिन इंवेस्टर द्वारा इन कंपनी के शेयर को खरीदा जाता है, उन इंवेस्टर को कंपनी की हिस्सेदारी मिल जाती है।

3- प्राइमरी मार्केट में सीधे कंपनी और इन्वेस्टर के बीच ही ट्रांजैक्शन होता है। इन दोनों के बीच में कोई भी तीसरा पार्ट या फिर सहायक हिस्सा भाग नहीं लेता है।

4- प्राइमरी मार्केट में इन्वेस्टर द्वारा इन्वेस्ट किया हुआ पैसा सीधा कंपनी के पास जाता है। और इन्वेस्टर को कंपनी के शेयर मिल जाते हैं। जिससे वह उस कंपनी में भागीदार बन जाता है।

5- प्राइमरी मार्केट में कंपनी अलग-अलग तरीके से फंड जमा करती है। जैसे कि पब्लिक इश्यू, प्राइवेट प्लेसमेंट, राइट इश्यू, आदि। इन तरीकों से प्राईमरी मार्केट में वह पैसे को इक्कठा कर कंपनी को प्रोफेटेबल बनाती है।

6- प्राइमरी मार्केट  में इन्वेस्टर द्वारा सिर्फ शेयर को खरीदा जा सकता है। लेकिन वह उन्हें बेच नहीं सकती    यदि आपको प्राइमरी मार्केट में खरीदे हुए शेयर को सेल करना है, तो आपको उन्हें बेचने के लिए सेकेंडरी मार्केट की जरूरत होगी। या फिर आप सेकंडरी मार्केट से ही अपने शेयर को सेल कर सकते हैं।

Secondary market (सेकेंडरी मार्केट)

1- सेकेंडरी मार्केट  में शेयर और पैसे दोनों इन्वेस्टर ओर मार्केट के बीच एक्सचेंज हो पाता है।

2- सेकेंडरी मार्केट में जो ट्रांजेक्शन भी होता है। उसमे कोई भी कंपनी भाग नही लेती है।  

3- सेकेंडरी मार्केट को आफ्टर मार्केट भी कहते हैं। क्योंकि यहां पहले ही इश्यू किए हुई शेयर यानी की जो शेयर हमारेे द्वारा प्राईमरी मार्केट में ट्रेड किया होता है। उनको ट्रेड किया जाता है।

4–स्टॉक एक्सचेंज ही सेकेंडरी मार्केट होता है, जहां पर कि आईपीओ में आए हुए शेयर को बेच सकते हैं।

* डेट फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट ( Debt fund or Fixed Deposit )

* शेयर मार्केट टिप्स ( Share market tips )

* डेट फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट ( Debt fund or Fixed Deposit )

Difference between Primary market and secondary market-

प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट –

1- प्राइमरी मार्केट में नए शेयर और बोंड इश्यू किए जाते हैं।

जबकि सेकेंडरी मार्केट में पहले ही इश्यू हुए शेयर, या फिर बॉन्ड्स को ट्रेड किया जाता है।

2- प्राइमरी मार्केट में कंपनियो और इन्वेस्टर दोनों के बीच ट्रांजैक्शन होता है।

जबकि सेकेंडरी मार्केट में इन्वेस्टरों के बीच ट्रांजैक्शन होता है। यदि एक इंवेस्टर शेयर को सेल करना चाहता है, तो वह तब तक सेल नहीं होगा जब तक कि कोई इंवेस्टर उसको बाय नहीं करना चाहता हो।

3- प्राइमरी मार्केट में जब हम पैसे इन्वेस्ट करते हैं तो वह पैसा सीधा कंपनी के पास जाता है। क्योंकि जब कंपनी ipo के माध्यम से यह करती है, तो उसमें जो भी पैसा आता है, वह कंपनी के पास जाता है।

जबकि सेकेंडरी मार्केट में इन्वेस्ट किया हुआ पैसा एक इन्वेस्टर से दूसरे इन्वेस्टर के पास आता है। यही कारण है कि शेयर मार्केट में एक इंसान को लॉस होता है, तो दूसरे इंसान को वहीं प्रॉफिट होता रहता है।

4- प्राइमरी मार्केट में शेयर की प्राइस कंपनी डिसाइड करती है। कंपनी द्वारा यह डिसाइड किया जाता है, कि आखिर इस कंपनी के एक शेयर का प्राइस कितना रखना उचित होगा।

वहीं सेकेंडरी मार्केट  में कम्पनी, शेयर की प्राइस, उसकी जो सप्लाई और डिमांड होती है, उससे ही शेयर के प्राइस का पता चलता है।

उम्मीद करता हूं, आपको मेरे द्वारा बताए गए Primary market and secondary market क्या होते हैं। अच्छे से समझ आ गया होगा।