आपने शेयर मार्केट के उतार चढ़ाव को तो देखा ही होगा। जिसमें गिरावट और बढ़त जैसे खबरें आम होती हैं। तो जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, यह सवाल आपके मन में भी जरूर आया होगा। आखिर कहां जाता है, आपका पैसा गंवाने के बाद।
तो चलिए आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताऊंगा कि आखिर जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है। क्या किसी के नुकसान होने पर किसी दूसरे निवेशक को फायदा होता है? आइए जानते हैं।
जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है–
जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, इसको समझने से पहले आपका यह समझना जरूरी है, कि जब भी कंपनी शेयर बाजार में लिस्टेड होती है, तो कंपनियों के शेयर में इंवेस्टर निवेश करते हैं। और जो कंपनी जितना अच्छा परफॉर्मेंस करती है, उस कंपनी के शेयर उतने ही बढ़ते जाते हैं। और कंपनी की डिमांड भी बड़ जाती है।
इसके साथ साथ जिन कंपनियों का खराब परफॉर्मेंस होता है, उन कंपनियों के शेयर प्राइस उतने ही कम होते चले जाते हैं। इसका मतलब यह है, कि कंपनी के अच्छा परफॉर्मेंस करने पर कंपनी में इंवेस्टर इन्वेस्ट करते हैं। और खराब प्रदर्शन होने पर इंवेस्टर अपनी इन्वेस्टमेंट को निकाल लेते हैं।
जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, तो इसका जवाब है, की आपका पैसा इंवेस्टर के पास ही जाता है। क्योंकि शेयर मार्केट एक सप्लाई और डिमांड के फॉर्मूले पर काम करता है। हर किसी इंवेस्टर को अपना फैसला सही ही लगता है। शेयर बेचने वाला सोचता है, की वह बेच कर एक अच्छा डिसीजन ले रहा है, वहीं खरीदने वाला सोचता है, कि वह इस समय शेयर को खरीद कर अच्छा फैसला ले रहा है।
माना किसी कंपनी के शेयर का प्राइस अभी 80 रुपए चल रहा है, और वह शेयर किसी A इंवेस्टर के आस पहले से मौजूद है, और उसको लगता है, की वह शेयर का प्राइस अब 80 से उप्पर न बढ़कर अब नीचे जा सकता है। वह उसको बेचना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ B इंवेस्टर सोचता है, की इस कंपनी के शेयर प्राइस अभी और बढ़ सकता है। तो वह उस शेयर को खरीदना चाहता है।
दोनों ही इंवेस्टर A और B को लगता है, की वह दोनों अपना फैसला सही ले रहे हैं। लेकिन आपको बता दें, की जिस तरफ शेयर में बायर की संख्या अधिक होगी तो शेयर का प्राइस उप्पर और यदि सेलर की संख्या ज्यादा होगी तो शेयर का प्राइस नीचे की ओर चलने लगेगा।
और मार्केट में जिधर भी बायर या फिर सेलर का प्रेशर अधिक होगा, मार्केट उधर ही अपनी movement करेगा। किसी का पैसा डूब जाने पर वह पैसा किसी दूसरे इंवेस्टर के पास ही जाता है। मतलब की यदि यहां किसी इंवेस्टर का नुकसान हुआ है, तो उतना ही फायदा किसी दूसरे इंवेस्टर को हुआ होगा।
जब कोई भी व्यक्ति अपना बिजनेस स्टार्ट करता है, और उसको फंडिंग की जरूरत होती है। फंडिंग के ना मिलने पर वह व्यक्ति कंपनी बनाता है, और उस कंपनी को SEBI की मदद से स्टॉक मार्केट में उतारने का प्रयास करता है। सेबी के रूल और रेगुलेशन को पूरा करता है। और सेबी की मंजूरी मिलने पर वह स्टॉक मार्केट में लिस्टेड करते हैं।
शेयर बाजार में लिस्ट करने के लिए नई कंपनी का होना जरूरी नहीं है, पुरानी कंपनी भी शेयर मार्केट में लिस्टेड होती हैं। और जो कंपनी शेयर मार्केट में लिस्टेड हो जाती है, उसमे इंवेस्टर इन्वेस्ट कर सकते हैं। और उस कंपनी का हिस्सेदार बन सकते हैं।
आपको बता दें, कि स्टॉक मार्केट में आने के लिए आपको BSE, या फिर NSE में रसिस्टर करवाना होता है। और जिस किसी भी कंपनी में निवेशक निवेश करता है, वह उस कंपनी का हिस्सेदार बन जाता है। यह हिस्सेदारी खरीदे गए शेयर की संख्या पर निर्भर करता है। शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर करता है। मार्केट में कंपनी और शेयर धारक के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर ही करते हैं।
शेयर मार्केट के बारे में आपको अगर थोड़ा भी ज्ञान है, तो आपने SGX NIFTY का नाम जरूर सुना होगा। और यदि नहीं है तो आपने बहुत बार टीवी में, न्यूज में, और भी जगह आपने Expert से यह सुना होगा कि आज SGX nifty इतने प्वाइंट बढ़ा है, या फिर इतने point गिरा है। आज gap up ओपन हुआ है, आज gap down खुला है।
आपके मन में यह सवाल तो आया ही होगा की आखिर ये SGX NIFTY क्या होता है। चलिए आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से SGX NIFTY के बारे में सभी मुख्य चीजों को बताऊंगा। ताकि आपके मन में कोई भी सवाल न रह सके।
एसजीएक्स (SGX Nifty) क्या है –
यह जो शब्द है – SGX Nifty, यह दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, SGX और निफ्टी। जिसमें SGX का मतलब Singapur Exchange और Nifty का मतलब तो आपको पता ही होगा, जिसमें की देश के 12 अलग अलग सेक्टर के टॉप के 50 कंपनियां शामिल होती है। और यदि इन दोनों को ही मिला दिया जाए तो SGX Nifty बन जाता है। और इसी को हम SINGAPUR NIFTY भी कहते हैं।
जैसे हमारे देश में NSE में निफ्टी में ट्रेड किया जाता है, ठीक उसी तरीके से सिंगापुर में SGX में ट्रेड किया जाता है। इसी को SGX NIFTY कहा जाता है। और इसमें आपके विदेशी निवेशक भी ट्रेड किया करते हैं।
एसजीएक्स (SGX Nifty) में ट्रेड करने के कारण –
आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा की यदि किसी को ट्रेड ही करना है, तो वह इंडियन एक्सचेंज NSE में निफ्टी में ही क्यों न ट्रेड कर लें। इसके लिए हमको सिंगापुर एक्सचेंज में ट्रेड करने की क्या जरूरत है। तो चलिए आपको बताते हैं, कि आखिर क्यों सिंगापुर एक्सचेंज में भी ट्रेड किया जाता है।
बहुत से इंडियन लोग India से बाहर किसी दूसरे देश में निवास करते हैं। और वह आसानी से निवेश कर लेते हैं। लेकिन वह निफ्टी में ट्रेड नहीं कर सकते हैं, क्योंकि कुछ ऐसे इंटरनेशनल रूल बनाए गए हैं, जिसमे की ट्रेडर या फिर इन्वेस्टर केवल अपने ही देश में ट्रेड कर सकतें हैं। लेकिन वह अपने देश के अलावा अन्य किसी देश में डेरिवेटिव्स ( Derivatives ) में ट्रेड नहीं कर सकते हैं। इसलिए वह ट्रेडर्स जोकि इंडिया से बाहर रह रहे हैं, वह भी Nifty में ट्रेड नहीं कर सकते हैं। और ऐसी स्तिथि में यह एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है, कि वह SGX Nifty में ट्रेड कर सकते हैं।
आपके मन में अभी भी यह सवाल आ रहा होगा की आखिर दूसरे देश के निवेशक भी तो इंडिया के स्टॉक्स में अपना पैसा लगाते हैं। तो आपको बता दूं कि वह Foreign Institutions होते हैं जिन्होंने की इंडिया में इनवेस्ट किया होता है। बहुत से देश ऐसे भी हैं, जिनका इंडिया में अच्छा खासा अमाउंट इनवेस्ट किया गया है। और यह निवेश इंडिया में इसलिए किया जाता है, क्योंकि इंडिया एक Growing इकोनॉमी है।
कई बार कुछ ऐसी घटना भी घट जाती है, जिनसे की इन निवेशकों के पोर्टफोलियो पर बुरा प्रभाव पड़ जाता है। इसी वजह से ये विदेशी कंपनियां इंडिया में अपने पोर्टफोलियो को प्रोटेक्ट करने के लिए SGX Nifty में कुछ ऐसी पोजीशन बनाते हैं। खासकर यह ऐसा तब करते हैं जब मार्केट ट्रेडिंग के लिए बंद हो चुका होता है। जिससे की यह कंपनियां अपने नुकसान को काफी हद तक कम कर सकें।
आप यदि इंडिया में निवास करते हैं, तो आप SGX NIFTY में ट्रेड नहीं कर सकते हैं। क्योंकि बहुत से रूल्स और रेगुलेशन ऐसे होते हैं, जिनमें की दूसरी कंट्री में डेरिवेटिव में ट्रेड करना मना होता है। लेकिन यदि आप एक NRI ( Non Resident Indian ) हो और इंडिया से बाहर रहते हो तो तब आप SGX Nifty में ट्रेड कर सकते हैं। आपको बता दें, कि जिस देश में आप रहते हैं, वहां के कानून पर यह निर्भर करता है।
ट्रेडिंग करने के लिए SGX Nifty का समय–
इंडिया में स्टॉक मार्केट ( Stock market ) में ट्रेड करने का समय केवल 6 घंटे का होता है। जिसका समय 9:15AM से 3:30PM तक रहता है। और जो सिंगापुर का समय है, वह इंडिया के समय से ढाई घंटे ( 2 घंटा और 30 मिनट ) आगे है। वहां का ट्रेडिंग करने का समय काफी अधिक होता है। इसका समय 6:30AM से 11:30PM तक रहता है। आप यह मान सकते हैं, कि यह मार्केट पूरा 16 घंटे तक चलता है। और यही कारण है, कि SGX NIFTY जो है, वह इंडिया के बाहर होने पर भी इंडिया में इतना पॉपुलर है।
हमSGX Nifty में क्यों ट्रेड करें –
SGX Nifty में ट्रेड करने का कारण यह है, कि एक तो हमें इसके द्वारा अपने इंडियन मार्केट के ट्रेंड का पता चलता है, कि आखिर यह मार्केट कहां और किस तरफ ओपन होगा। और इंडियन ट्रेडर पहले ही तैयार हो जाते हैं, कि आखिर उनको क्या डिसीजन लेना है। और जिन लोगों को ट्रेड करने का समय नहीं हो पाता है, तो वह जिस समय भी फ्री होंगे तो वह अपनी ट्रेडिंग कर सकते हैं। क्योंकि इसका ट्रेडिंग का समय काफी अधिक होता है।
वैसे तो मैने आपको sensex and nifty के बारे में पिछली पोस्ट में बता दिया था, कि आखिर यह क्या होता है। लेकिन आज मैं आपको दोनो के बीच डिफरेंस बताने वाला हूं की इन दोनो में अंतर क्या है, और यह किस तरीके से एक दूसरे से अलग हैं।
हम में से ही बहुत बार लोग जब टीवी, अखबार, रेडियो या फिर कुछ अन्य चीजें सुनते हैं, तो हमने sensex and nifty का नाम काफी बार सुना होता है, और हम यह जानने की कोशिश करते हैं की आखिर यह होता क्या है, और जब इसे अखबार में देखते हैं, तो हमको यह समझ में नहीं आता की आखिर इसमें नंबर क्यों दिए हुए हैं। और इसका इससे क्या लेना देना है।
तो चलिए आपको बताते हैं कि sensex and nifty क्या हैं। और इनमे आखिर अंतर क्या है।
Sensex and Nifty क्या हैं?
सेंसेक्स ( Sensex )
Sensex एक मार्केट एक्सचेंज है, जिसमे कि देश के सबसे बड़े अलग अलग सेक्टर के 30 बड़ी कंपनियां शामिल हैं। और इन 30 कंपनियो को इसमें इंडेक्स किया जाता है। इन कंपनियों में विख्यात कंपनियां रिलायंस, टीसीएस, एचडीएफसी, इन्फोसिस जैसी बड़ी कम्पनियां शामिल हैं। इसकी शुरुआत 1986 में हुई थी।
इसको BSE 30 नाम से भी जाना जाता है। इसकी वजह यह है, क्योंकि इसमें 30 कंपनियाँ शामिल हैं। और यह एक तरीके से देश की अर्थव्यवस्था को भी दर्शाते हैं। इन कंपनियों के उतार चढ़ाव से ही शेयर मार्केट की स्तिथि का पता चलता है, और इसके साथ इकोनॉमी का भी।
Nifty जो होता है, उसको हम निफ्टी 50 के नाम से भी जानते हैं। और यह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के अंतर्गत आता है। निफ्टी में देश की टॉप के 50 कंपनियां शामिल हैं। और यह भी कहीं न कहीं हमारी इकोनॉमी पर प्रभाव डालती हैं। इन कंपनियों में देश के 13 अलग अलग सेक्टर से 50 कंपनियों को चुना जाता है। और इन्ही कंपनियों को निफ्टी 50 नाम से जाना जाता है। निफ्टी की शुरुआत 1994 में की गई थी। और निफ्टी के कंपनियों के उतार चढ़ाव से भी शेयर मार्केट के उतार चढ़ाव में इफेक्ट पड़ता है।
Sensex and nifty में जो सेंसेक्स है, वह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) के अंतर्गत आता है। जबकि निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (Naitional Stock exchange ) के अंतर्गत आता है। सेंसेक्स में टॉप की 30 कंपनियां और निफ्टी में टॉप की 50 कंपनियां आती हैं। सेंसेक्स का बेस वैल्यू 100 का जबकि निफ्टी का 1000 का होता है।
उम्मीद करता हूं, की आपको मेरे द्वारा बताए Sensex and Nifty में क्या अंतर होता है। अच्छे से समझ आ गया होगा।
जब कहीं पर भी दो लोग या फिर कोई ग्रुप आपस में शेयर मार्केट के बारे में बात कर रहे हों, तो आपने उनके मुंह से निफ्टी का नाम तो जरूर सुना ही होगा। या फिर आपने जब भी कभी अखबार पड़ा होगा तो उसमें भी आपको Nifty और सेंसेक्स का नाम जरूर दिखा होगा, जिसमे की यह लिखा होता है, की आज यह इतने अंक टूटकर इतने में बंद हुआ या फिर इतने अंक बड़कर मार्केट में तेजी देखने को मिली।
उस समय आपके मन में यह सवाल भी जरूर आया होगा, कि आखिर यह निफ्टी होता क्या है। सेंसेक्स ( Sensex ) क्या होता है, के बारे में हमने पिछली पोस्ट में बात कर रखी है, आप यदि सेंसेक्स के बारे में नहीं जानते तो फिर आप उसे check कर सकते हैं। तो चलिए आपको आज मैं इस पोस्ट की मदद से Nifty के बारे में बताता हूं।
निफ्टी ( Nifty ) क्या है –
निफ्टी Naitional stock exchange of india का एक मुख्य Benchmark है, जिसका पूरा नाम Naitional stock exchange fifty है। निफ्टी को निफ्टी 50 के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे निफ्टी ही कहकर बुलाते हैं।
यह NSE (Naitional stock exchange) में लिस्टेड टॉप की 50 कंपनियों का समूह हैं, मतलब की यह देश की मुख्य 50 कंपनियों पर नजर रखती है। लेकिन इसमें सिर्फ वही 50 कंपनियां दिखेंगी जोकि स्टॉक मार्केट के लिस्टेड हुई होंगी। निफ्टी इन 50 कम्पनियों के स्टॉक्स पर होने वाले तेजी और मंदी पर नजर रखते हैं।
निफ्टी और सेंसेक्स भारत के मुख्य स्टॉक इंडेक्स हैं, जिसमें कि निफ्टी में सबसे अधिक ट्रेड किया जाता है। निफ्टी में कभी भी 50 से अधिक कंपनियों को लिस्ट नही किया जा सकता है। और इन 50 कंपनियों में भी Nifty में 12 सेक्टर के अलग अलग 50 कंपनियां शामिल होती हैं।
Nifty का work–
निफ्टी का काम 50 कंपनियों की मदद से जोकि निफ्टी 50 के अंतर्गत आते हैं, से बाजार का हाल बताना या फिर जानकारी देना होता है। NIFTY से हमें यह पता भी चलता है, कि जो कंपनियां भारत की दिग्गज कम्पनियां है, वह कंपनियां कैसे काम कर रही हैं।
और यदि कंपनी अच्छा काम कर रही होंगी तो इसका सीधा असर मार्केट में देखने को मिलता है, इसके साथ साथ कंपनी के प्राइस में भी हमें वृद्धि देखने को मिलेगी, और निफ्टी ( Nifty ) का इंडेक्स उप्पर की और बड़ने लगेगा। मतलब की यदि टॉप की 50 कंपनियों के द्वारा अच्छा काम हो रहा है, तो शेयर में वृद्धि होगी। और इस वृद्धि की वजह से Nifty का प्राइस भी बढ़ने लगेगा।
ठीक इसके विपरीत यदि उन कंपनियों को घाटा हो रहा हो, या फिर लोगों को ये लगे कि वे कंपनियां अच्छा काम नहीं कर रही हैं, तो इससे उन कंपनियों के प्राइस में कमी देखने को मिलेगी और कंपनी के स्टॉक का प्राइस यदि घटेगा तो Nifty का प्राइस भी हमें नीचे गिरते हुए नजर आएगा।
निफ्टी का अर्थव्यवस्था से संबंध–
आपको बता दें, कि Nifty और हमारी अर्थव्यवस्था कहीं न कहीं एक दूसरे से मिली हुई है। इन दोनो का आपस में एक गहरा संबंध है।
निफ्टी के नीचे जाने से हमें यह पता चलता है, कि कंपनियां बेकार performance कर रही है, मतलब की कंपनियों का नुकसान चल रहा है, और जब Nifty उप्पर जाता है, तो इससे यह पता चलता है, कि कंपनियां अच्छा perform कर रही हैं। और मुनाफा कमा रही हैं।
कंपनियां जितना अधिक प्रॉफिट करेगी, उतना ही देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी, क्युकी जब कंपनियां जितना अधिक प्रॉफिट करेगी तो कंपनी को उतना अधिक टैक्स देना होगा, जोकि देश की अर्थव्यवस्था में काम आएगा। और भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगा।
NIFTY किस तरह बनता है–
जहां NSE में कम से कम 6 हजार कंपनियां लिस्ट होती है, वहीं निफ्टी में 50 कंपनियों को रखा जाता है, आपके मन में यह सवाल तो जरूर आया होगा की इतनी कंपनियों के बीच यह 50 कंपनियों को सिलेक्ट किस आधार पर करते हैं, तो आपको बता दें कि इसकी जो गणना होती है, वह अलग अलग सेक्टर के जानी मानी कंपनियां होती है, मतलब की प्रत्येक सेक्टर की वह कंपनिया जो की सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रही होती है, उनको इसके अंतर्गत रख लिया जाता है।
आपको बता दें कि इनका मार्केट कैपिटिलाइजेशन ( Market Capitalization ) पूरे बाजार का लगभग 60% तक होता है। जब कभी भी इन कंपनियों के शेयर ज्यादा खरीदे जाते हैं तो NIFTY ऊपर जाने लगता है, और यदि निवेशक बेचने लगे तो मार्केट में मंदी आने के आसार दिखने लगते हैं।
निफ्टी के क्या हैं फायदे–
देखा जाए तो NIFTY के वैसे बहुत से फायदे है, लेकिन इनमे से कुछ मुख्य फायदे हैं, जिसकी जानकारी होनी आवश्यक है–
1. NSE ( National stock exchange ) किस तरीके का काम कर रहा है, NSE की क्या performance चल रही है, उसका हमें एक ही नजर में पता चल जाता है।
2. बाजार में चल रही या फिर बाजार में होने वाली तेजी और मंदी की सूचना आसानी से मिल जाती है। अगर NIFTY नीचे जाता है तो बाजार में मंदी का और यदि बाजार उप्पर जाता है, तो बाजार में तेजी का पता चल जाता है।
3. NIFTY के सहयता से हमें देश की अर्थव्यवस्था की जानकारी आसानी से मिल जाती है।
निफ्टी और सेंसेक्स में अंतर –
निफ्टी देश की टॉप 50 कंपनियों को प्रदर्शित करती हैं, जबकि सेंसेक्स टॉप की 30 कंपनियों को दर्शाती हैं। इसके साथ साथ ये दोनों ही उन कंपनियों की परफॉर्मेंस के बारे में हमें बताते हैं।
सन 2000 में भारत के IISL ( Indian index service product limited ) द्वारा Bank Nifty को शेयर बाजार में लाया गया था। इसका कारण यह था कि बैंक निफ्टी की सहायता से बैंकिंग सेक्टर में मजबूत बनाना था। और भारतीय शेयर बाजार को विश्व स्तर पर मजबूत बनाना था। आपको बता दें, कि शुरुआत के दिनों में भी इसमें 12 ही बैंक सामिल थे।
क्या होता है, बैंक निफ्टी –
यदि आपको शेयर मार्केट ( Share market ) के बारे के थोडी बहुत भी जानकारी होगी, तो आपने कभी न कभी तो बैंक निफ्टी का नाम सुना ही होगा। और आपके मन में यह सवाल भी जरूर आया होगा कि आखिर ये Bank nifty क्या चीज है? तो चलिए बताते हैं आपको बैंक निफ्टी के बारे में।
Bank Nifty शेयर बाजार के बैंकिंग सेक्टर के टॉप के 12 स्टॉक्स के समूह से मिलकर बना हुआ होता है, जिनकी कैपिटल बहुत अधिक मात्रा में होता है, और साथ साथ उसमे वॉल्यूम भी काफी अधिक होता है। और इन 12 बैंकिंग सेक्टर के शेयरों से ही Bank Nifty में मूवमेंट देखने को मिलती है।
बहुत से ट्रेडर तो बैंक निफ्टी में इंट्राडे (Intraday) पर ही ट्रेड करना पसंद करते हैं। इंट्राडे को आप कुछ इस तरीके से समझ सकते हो, जिसमे की आपको स्टॉक्स को एक ही दिन के अंदर Buy और sell करना होता है। अब उसमें आपको चाहे लाभ हो या फिर हानि।
Bank Nifty में ट्रेड करके वही ट्रेडर पैसे कमाते हैं, जिनके पास शेयर बाजार की एक अच्छी नॉलेज और साथ साथ कुछ सालों का एक्सपीरियंस भी होता है, इसकी वजह यह है, कि बैंक निफ्टी में Volume काफी अधिक होता है, जिसकी वजह से उसकी volatility भी बहुत ज्यादा बड़ी रहती है, जिसको की नए ट्रेडर हैंडल नही कर पाते, या फिर समझ नही पाते हैं।
आज के दिनों में ट्रेडर इसका प्रयोग इंट्राडे के लिए ही करते हैं। क्योंकि इसमें volatility अच्छी होने से इसमें थोड़े ही समय में एक अच्छा प्रॉफिट मिल जाता है, लेकिन फिर इसमें नुकसान की भी उतनी ही संभावना है।
आपको बता दें कि नए ट्रेडर के लिए बैंक निफ्टी में ट्रेड करना जोखिम भरा हो सकता है। लेकिन उसे यदि इसकी मूवमेंट क्या चल रही है, चार्ट को अच्छे से समझना, और टाइम के साथ एक्सपीरियंस आ गया कि किस तरीके से इसमें ट्रेड किया जाता है, तो फिर उसको आने वाले समय में एक अच्छा खासा प्रॉफिट देखने को भी मिल सकता है।
Bank Nifty का Lot size –
Bank Nifty को आप अन्य स्टॉक्स की तरह एक या दो नहीं खरीद सकते हो, बल्कि इसको आपको एक lot के हिसाब से खरीदना पड़ता है, आज के समय में इसका Lot Size 25 Quantity का है।
इसका मतलब यह है, की यदि आप बैंक निफ्टी में ट्रेड करना चाहते हो, तो आपको कम से कम 25 क्वांटिटी तो लेनी ही पड़ेगी। और अगर आपको इससे ज्यादा क्वांटिटी लेनी है, तो फिर भी आप 25 के हिसाब से ही buy करेंगे। याने की आप 25, 50,75,100,125……. के हिसाब से आपको लेना पड़ेगा।
आपको बता दें कि बैंक निफ्टी में जो ट्रेड किया जाता है, वह इसके Options और Future को buy या फिर Sell करके किया जाता है, इसे हमारे द्वारा अधिक दिनों तक होल्ड करके नहीं रखा जा सकता है। इसमें option की एक्सपायरी हर होते के गुरुवार को होती है, और दूसरा Future जो होता है, उसकी एक्सपायरी हर महीने होती है। मतलब की Option को हमारे द्वारा एक हफ्ता और Future को महीने भर तक हमारे द्वारा होल्ड नहीं रखा जा सकता है।
ध्यान दें – ट्रेडिंग एक रिस्क से भरा हुआ बिजनेस होता है, लेकिन यदि आप इसमें टेक्निकल एनालिसिस को समझते हैं, और इसका प्रयोग करते हैं, तो फिर आप इसमें अपने रिस्क को कम कर सकते हैं।
इसलिए आपके लिए सलाह यह ही है, कि आप पहले इसको अच्छे से देखें, समझें, और परखें, तब ही जा कर के आप शुरुआत में कम क्वांटिटी के साथ ट्रेडिंग करें। और जैसे जैसे आपको एक्सपीरियंस होता जायेगा। आप अपने कैपिटल को उस हिसाब से बढ़ाते रहें।
Support and Resistance शेयर मार्केट के ट्रेडिंग करने के बहुत ही अच्छे पैरामीटर हैं। वह चाहे इंट्राडे हो या पोजिसनल या फिर इंडीकेटर, हर किसी में ये काम आता है। और आप यह भी समझ सकते हैं, की Support and Resistance की कोई भी वैल्यू नही है। क्योंकि चाहे कोई सा भी ट्रेडिंग हो, वह सपोर्ट और रेसिस्टेंट पर ही आधारित होता है।
Support and Resistance जो होता है, वह किसी भी स्टॉक के लिए बहुत मायने रखती है। सीधे शब्दों में यह कह सकते हैं, कि जिसमें बायर और सेलर सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं, वह यह ही होता है। और साथ ही इसकी मदद से ही ट्रेडिंग ( Trading ) करने वाले लोग चार्ट को अच्छे तरीके से समझ भी पाते हैं। मतलब की यह स्टॉक के प्राइस की जानकारी हमें देता है।
Support and Resistance दोनों के दोनों ही अलग अलग प्राइस पॉइंट होते हैं, जिसमें की शेयर के हाई और लॉ की व्याख्या की जाती है। इनको शॉर्ट में S & R कहा जाता है।
रजिस्टेंस जो होता है, वह प्राइस चार्ट का वह प्राइस पॉइंट होता है, जिसमें कि बायर के मुकाबले सेलर की संख्या ज्यादा होती है। या फिर होने की संभावना होती है। तथा सपोर्ट जो होता है, वह प्राइस चार्ट का वह पॉइंट होता है जहां सेलर के मुकाबले बायर की ज्यादा संख्या होती है। या फिर होने की संभावना होती है।
1- एंट्री प्वाइंट – जब हम किसी शेयर जिस प्राइस पर खरीदते हैं, तो उस प्वाइंट को हम एंट्री प्वाइंट कहते हैं।
2- एग्जिट प्वाइंट – जब ट्रेडिंग के दौरान हम ट्रेड को जिस प्राइस में सेल करते हैं, तो उस प्राइस प्वाइंट को हम एग्जिट प्वाइंट कहते हैं।
3- टारगेट – टारगेट प्वाइंट वह प्वाइंट होता है, जिसमें की हम ट्रेड से जिस प्राइस से अपने लिए लाभ कमाने की सोचते हैं। अथवा किसी भी ट्रेड से कितना लाभ कमाया जा सकता है।
सपोर्ट प्राइस प्वाइंट जो होता है, उसमें शेयर के प्राइस में तेजी होने की संभावना होती है। मतलब की सपोर्ट लाइन को छूकर वह दुबारा से उप्पर उछलेगा। और रेसिस्टेंस की तरफ जाने लगेगा। तथा रेसिस्टेंट प्राइस प्वाइंट में शेयर के प्राइस में मंदी आने की संभावना होती है। मतलब की अब वह रेसिस्टटेंस से टकराकर दुबारा सपोर्ट की और जाने लगेगा।
Support and Resistance लेवल में अंतर
किसी भी शेयर का रजिस्टेंस लेवल वह लेबल होता है, जिसमे की किसी भी शेयर का प्राइस करंट मार्केट प्राइस से अधिक चलता रहता है। जबकि शेयर का सपोर्ट पॉइंट वह प्वाइंट होता है, जिसमे की उसकी करंट मार्केट प्राइस कम चलती रहती है।
मुख्य बातें –
1- Support and Resistance चार्ट पर प्राइस प्वाइंट होते हैं। इनको हमें खुद ही डिसाइड करना होता है, कि किसे हम सपोर्ट माने और किसे रेसिस्टेंस।
2- सरल शब्दों में कहें तो करंट मार्केट प्राइस के ऊपर का प्राइस प्वाइंट रेजिस्टेंस कहलाता है।
3- और करंट मार्केट प्राइस के नीचे का प्राइस प्वाइंट को हम सपोर्ट कह सकते हैं।
4- जितने अधिक प्राइस एक्शन ज़ोन रेखा से जुड़ेंगे उतना ही मजबूत हमको Support and Resistance देखने को मिलता है।
5- यदि आपको ट्रेड से अच्छे नतीजे पाने हैं, तो उसके लिए आपको ब्रोकर एप में दिया गए इंडिकेटर का इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे की आपको एक कन्फर्मेशन मिल जाए। साथ ही चेक लिस्ट की शर्तों का हमको अच्छे से पालन भी करना चाहिए।
What is stock market index – स्टॉक मार्केट इंडेक्स क्या होता है। | हिंदी में |
Stock market index से आप लोग यह समझ सकते हैं, कि यह एक प्रकार की सूची है, जो की अंकों की गिरावट या बढ़ोतरी को दिखाता है। सूची का अर्थ लिस्ट समझ सकते हैं। और सूचकांक से आशय अंको की सूचना से है।
अर्थात यह कह सकते हैं, कि Stock market index वह प्रोसेस होता है, जिसके द्वारा स्टॉक मार्केट में लिस्ट हुई कंपनी के बारे में अंकों द्वारा बताया जाता है।
Stock market index की मदद से हम किसी भी कंपनी के सेक्टर के प्रॉफिट और लॉस के बारे में समझ सकते हैं, की कंपनी की वर्तमान में क्या वैल्यू चल रही है। साथ ही शेयर में आए बदलाव जैसे कि तेज़ी अथवा मंदी को भी आसानी से समझा जा सकता है।
यदि Stock market index अपने पिछले बीते सालों या फिर दिनों से नीचे की और है या चल रहा है, तो आप यह समझ सकते हैं, कि बाजार नुकसान में चल रहा है। और इसके ठीक विपरीत यदि इंडेक्स अपने पिछले सालों या दिनों के अंको से ऊपर चल रहा है, तो बाजार को यह समझा जा सकता है, की मार्केट फायदे में चल रहा है।
जैसे – यदि सेंसेक्स में लिस्ट हुई कंपनियां 4 अक्टूबर 2021 को 58200 पर बंद होता है, और उसके कुछ दिनों बाद मांन लेें कि वह 25 अक्टूबर 2021 को 58400 पर बंद होती है, तो ऐसे में आप यह समझ सकते है, की बाजार कुछ दिनों में फायदा में रहा है। ओर बाजार के कारोबार में तेजी देखने को मिली है।
प्रत्येक देश का अपना एक स्टॉक एक्सचेंज होता है, अब वह चाहे जापान हो या फिर आपका अमेरिका। और हर स्टॉक एक्सचेंज का अपना अपना इंडेक्स होता है, जिसके जरिए से वह अपने देश के Stock market index से यह पता लगा सकते हैं, कि उनके देश की कंपनियों की परफॉर्मेंस कैसी चल रही है।
यदि एक्सचेंज में लिस्ट हुई कोई भी कंपनी को यदि लोग buy करते हैं, जो कंपनी की इंडेक्स की टॉप में रैंक कर रही हों, तो स्टॉक मार्केट के एक्सचेंज का भी ग्राफ बढ़ता है, यानी की इंडेक्स उप्पर की ओर जाता है। जिसे की bull market भी कहा जाता है।
और यदि कंपनी के शेयर को लोग सेल करने लगते हैं, तो आप यह समझ सकते हैं, की उस देश का कारोबार नुकसान में है। और वह Stock market index में गिरावट देखने को मिलेगी। जिसे की आप Bear market कह सकते हैं।
अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा, कि अपने देश भारत मे इसके कितने एक्सचेंज होंगे। तो भारत में इसके दो स्टॉक एक्सचेंज हैं। जिनके की अलग अलग ग्राफ हैं। चलिए बताते हैं, इनके बारे में।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को शॉर्ट में BSE भी कहा जाता है। यह एक पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। यह स्टॉक एक्सचेंज लिस्टेड कंपनियों के बारे में हमे जानकारी देता है। या फिर यह समझ सकते हैं, कि शेयर में आई तेजी और मंदी का पता हम इसके द्वारा लगा सकते हैं।
आपको बता दें, कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लगभग 5000 से भी अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं। लेकिन सेंसेक्स में केवल टॉप में रैंक कर रही 30 कंपनियां ही आती हैं। अर्थात सेंसेक्स (Sensex) का इंडेक्स, टॉप 30 कंपनियों पर ही आधारित रहता है।
(ii)- National stock exchange –
नेशनल स्टॉक इंडेक्स को शॉर्ट में हम NSE कहते हैं। यह स्टॉक एक्सचेंज भी लिस्टेड कंपनियों के शेयर में तेजी और मंदी की सूचना हमें देती है। NSE में लगभग 2000 से भी ज्यादा कंपनियां लिस्टेड हैं।
जेसे सेंसेक्स में टॉप 30 कंपनियां आती हैं, उसी प्रकार से निफ्टी ( Nifty ) में भी देश के टॉप 50 कम्पनी को रखा गया है। सन 1986 से पहले इंडेक्स नाम की कोई चीज ही नहीं हुआ करती थी। सबसे पहले 1986 में ही इंडिया में इसकी शुरुआत हुई।
Stock market index के प्रयोग और फायदे-
(i)- स्टॉक मार्केट में होने वाले बदलाव को समझने के लिए –
Stock market index की सहायता से हम स्टॉक मार्केट में होने वाले बदलाव को समझ सकते हैं, कि आखिर स्टॉक में प्रॉफिट हो रहा है, या फिर वह लॉस झेल रही हैं। साथ ही कंपनी की कैपिटल मार्केट ( Capital market ) की परफॉर्मेंस कैसी है, इसका पता भी लगा सकते हैं।
(ii)- आर्थिक ट्रेंड समझने के लिए –
Stock market index की सहायता से हमें आर्थिक ट्रेड को समझने में भी आसानी होती है। या फिर आप यह मान सकते हैं, कि इसकी मदद से हम पूंजी बाजार के ट्रेंड को भी समझ सकते हैं। साथ ही कंपनियों में आई तेज़ी और मंदी का भी पता कर सकते हैं।
(iii)- मार्केट की टॉप कंपनी जानने के लिए-
Stock market index की सहायता से हम टॉप कंपनियों का पता लगा सकते हैं। जैसे कि सेंसेक्स की टॉप 30 कंपनियां और निफ्टी में टॉप की 50 कंपनियों को सिलेक्ट कर हम भी इनमें इन्वेस्ट कर सकते हैं, क्योंकि यह कारोबार के मामले में बहुत बड़ी कंपनियां हैं।
(iv)- स्टॉक मार्केट इंडेक्स ट्रेडिंग –
स्टॉक मार्केट इंडेक्स का सबसे मुख्य और सबसे कीमती प्रयोग ट्रेडिंग ही है। इसकी सहायता से हम स्टॉक में निवेश तो कर ही सकते हैं, साथ ही जो लोग ट्रेडिंग करते हैं, उनके लिए यह बहुत कारगर सिद्ध होता है।
इससे हम फ्यूचर और ऑप्शन (Future or option) में ट्रेडिंग कर सकते हैं। और शेयर के बदलते बढ़ते या घटते दाम को देखकर, अपनी प्लानिंग की सहायता से हम स्टॉक में ट्रेडिंग कर सकते हैं।
बहुत से लोगों का यह कहना होता है, कि शेयर मार्केट एक जुआ है। इसमें यह कहना गलत होगा की उनकी सोच बहुत ही बेकार है, बल्कि ये वे लोग होते हैं जिन्होंने खाली दूसरे लोगों से सुना होता है स्टॉक मार्केट क्रेश ( stock market crash ) होने पर उनको बहुत नुकसान हुआ है। और इससे उन्हे दूरी बना के रखनी चाहिए, और इसे सुनने के बाद वह बाकी अन्य लोगों को भी कुछ इसी तरह की सलाह देते हैं। परंतु ऐसा कुछ भी नही है, तो चलिए जानते हैं, कि Stock market आखिर क्या है और यह कैसे काम करता है।
Stock market (स्टॉक मार्केट)-
सरल शब्दों में कहा जाए तो Stock market एक ऐसा मार्केट है, जहां बहुत सी कंपनियों के शेयर को खरीदा या बेचा जाता है। और किसी कंपनी के शेयर खरीदने पर हम उस कंपनी के उतने % के हिस्सेदार बन जाते हैं। अर्थात् हम जितने परसेंट कंपनी के शेयर खरीदेंगे हम उस कंपनी के उतने के हिस्सेदार बन जाएंगे। भविष्य में यदि कंपनी ग्रो करती है तो हमें भी उतना ही प्रॉफिट होगा। और यदि कंपनी नुकसान में जाती है तो हमें भी फिर नुकसान झेलना को तैयार रहना होगा।
Stock market कैसे चलता है-
Stock marketमें शेयर को खरीदा या बेचा जाता है। ठीक उसी तरह से जिस तरीके से हम मार्केट में समान को खरीदते और बेचते हैं। मतलब की हमे कंपनी को रुपए देने होंगे और कंपनी उसकी जगह हमे कंपनी के शेयर दे देगी। अब बात यह आती है कि आखिर हम कंपनी को कहां खोजेंगे ? या फिर कंपनी को रुपए कैसे पे करेंगे। सीधे कंपनी में जाकर या फिर कहीं दूसरी जगह से ??
तो देखिए,, हमे कंपनी के शेयर खरीदने के लिए कहीं नहीं जाना होता है, यह हम घर बैठ कर कंपनी के शेयर को खरीद सकते हैं। क्यों कि कंपनी Stock market में लिस्टेड रहती है, मतलब की जो कंपनी Stock market में लिस्टेड होंगी हम केवल उन्हीं के शेयर को ही खरीद पाएंगे। बाकी दूसरे कंपनी के शेयर को हम नही खरीद सकते हैं। इसके लिए कंपनी का Stock market में लिस्टेड होना जरूरी है।
कंपनियां क्यों और किस तरीके से लिस्ट होती है-
जब कोई कंपनी अपना बिज़नेस को बढ़ाना चाहती है या कंपनी को पूंजी की जरूरत हो। अपने बिजनेस को और बेहतर बनाने के लिए अथवा कंपनी को कर्ज मुक्त करने के लिए या फिर कंपनी नए प्रोडक्ट व सर्विस निकालना चाहते है, तो इनके लिए उन्हें पूंजी की जरूरत पड़ती है। तो इतने पैसों की जरूरत को वह खुद से पूरा नहीं कर सकते तो वह पूंजी को प्राप्त करने के लिए stock market मे लिस्टऐड हो जाते है, ताकि वह अपनी कंपनी को और बेहतर बना सके, और अपनी इन सारी जरूरत को पूरी कर सके।
अब सवाल यह आता है कि क्या कोई भी कंपनी stock market लिस्टेड हो सकती हैं,? तो नही, कोई भी कम्पनी ऐसे ही लिस्टऐड नहीं होती है। इसके लिए उन्हें एक प्रोसेस से होकर गुजरना होता है जिसे कहा जाता है – IPO, आईपीओ (Initial public offering)
आईपीओ का मतलब कंपनी अपने शेयर को पब्लिक को ऑफर कर रही है, इसके लिए सेबी की निगरानी में कंपनी को stock market में लिस्टेड किया जाता है। और आईपीओ के जरिए कंपनी के शेयर को मार्केट में लॉन्च करके पब्लिक को दिया जाता है। और उस शेयर के बदले में कंपनी को पब्लिक से पैसा मिल जाता है। आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर यह सेबी क्या चीज है ? तो आपको बता दें, कि इस सारी प्रोसेस को SEBI ही रेगुलेट करता है। जैसे की सभी बैंकों को RBI रेगुलेट करता है, ठीक उसी तरीके से SEBI भी इस प्रोसेस को रेगूलेट करता है। एक्सचेंज में कंपनियां लिस्टेड की जाती हैं।
कंपनियों के लिस्ट हो जाने के बाद ही आप कंपनी के शेयर खरीद सकते हैं। SEBI के निगरानी में हमारे इंडिया में दो बड़ी एक्सचेंज एजेंसियां NSE और BSE हैं, जिसमें की सारी कंपनियां लिस्टेड हुई रहती हैं जिन कंपनियों का कि आईपीओ निकाला जा चुका होता है।
NSE और BSE क्या हैं-
अलग अलग देशों के पास stock market में अपने एक्सचेंज होते हैं। ठीक हमारे पास Stock market में NSE और BSE हैं। जो की भारत की दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज कंपनियां हैं। साल 2016 तक के आंकड़ों से ज्ञात होता चाहे कि भारत में कुल 23 स्टॉक एक्सचेंज है। जैसे कोलकाता, जयपुर, चेन्नई स्टॉक एक्सचेंज, आदि लेकिन NSE और BSE ये दो ऐसे एक्सचेंज थे, जिनमे की सबसे ज्यादा ट्रेड की जाती है। NSE और BSE दोनों मुंबई में ही स्थित हैं।
BSE की शुरुआत 1875 में की हुई थी। और यह एशिया का सबसे प्राचीन और पहला एक्सचेंज है। साथ ही NSE की शुरुआत 1992 को हुई थी। जिसमें की सारी प्रोसेस को कंप्यूटर के द्वारा आयोजित किया गया था। NSE पर 4000 कंपनियां और बीएसई में 9000 कंपनियां लिस्टेड है। एक्टिव कंपनियों की बात करें तो BSE में 3000 कंपनियां अभी तक लिस्टेड है।
शेयर मार्केट कैसे शुरू करें-
Stock market में यदि आप शुरुआत करने की सोच रहे हैं, और आप शेयर खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो आप NSE और BSE एक्सचेंज से डायरेक्ट शेयर नहीं खरीद सकते हैं, इसके लिए आपको फाइनेंसियल ब्रोकर की जरूरत पड़ती है। जिसके माध्यम से आप शेयर की खरीदारी कर सकते हैं।
Stock market में शुरुआत करने के लिए आपको डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट को जरूरत पड़ती है। डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट फाइनेंसियल ब्रोकर द्वारा प्रोवाइड किया जाता है। जिसके माध्यम से आप ऑनलाइन ट्रेडिंग,ऑनलाइन शेयर खरीद या बेच सकते हैं। यह सब आप अपने मोबाइल से,पीसी से, घर बैठे कर सकते हैं।
डिमैट अकाउंट को ओपन करने के लिए यह जरूरी है, कि आपके पास एक बैंक अकाउंट और उसके साथ साथ जो डॉक्यूमेंट जरूरी है वह हो – पैन कार्ड, आधार कार्ड, अपने हस्ताक्षर और बैंक की स्टेटमेंट। यदि आपके पास ये सारी चीजें हैं तो आप अपना डीमैट एकाउंट खुलवा सकते हैं। जिसके बाद आप स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग कर सकते हैं।
BUY और SELL होने की प्रक्रिया-
यदि आपने डीमैट अकाउंट ( Demat account ) बना लिया है, और आपको उसमे यह समझ नही आता की इसमें buy और सेल होने का प्रोसेस क्या है, तो आपको मैं बहुत ही आसान उदहारण से समझता हूं। माना कि Mr.राम, विप्रो कंपनी के शेयर Buy करना चाहता है। तो Mr. राम फाइनेंस ब्रोकर के माध्यम से कंपनी का शेयर Buy करेगा। और यदि Mr.श्याम में पहले से इन कंपनी के शेयर पड़े हैं, और वह sell करना चाहता है तो वह भी फाइनेंस शेयर ब्रोकर के माध्यम से ही इसे Sell करेगा।
माना विप्रो company के 1 शेयर की मार्केट वैल्यू चल रही है – ₹700, और Mr.राम 10 Quantity शेयर buy करना चाहता है , तो उसको Pay करना होगा।
700 × 10 = ₹7000 और 2 दिन के अंदर ही उनके Demat account में उस कंपनी के 10 शेयर आ आएंगे। अथवा यह डीमेट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में जमा हो जाएंगे, लेकिन Mr. श्याम ब्रोकर के माध्यम से 10 शेयर sell करता है तो उनके ट्रेडिंग अकाउंट में ₹7000 deposite हो जाएंगे।
Mr. श्याम जब चाहे वह ₹7000 को अपने ट्रेडिंग का अकाउंट से सेविंग अकाउंट में ट्रांसफर कर सकता है। इस तरीके से शेयर को buy एंड sell किया जाता है। और इस सारी प्रोसेस को सेवी द्वारा रेगुलेट किया जाता है ।
स्टॉक मार्केट में शेयर की खरीदारी कैसे करें-
जब हम डिमैट एंड ट्रेडिंग अकाउंट बनाते हैं तो उस समय हमारा बैंक उस अकाउंट के साथ लिंक रहता है। यदि हमे शेयर की खरीदारी करनी है तो हम money transfer के जरिए अपनी जरूरत के अनुसार trading account में लेंगे। उसके बाद ट्रेडिंग अकाउंट ( Trading account ) से स्टॉक को Buy करने का आर्डर place करेंगे। वह ब्रोकरेज ऑर्डर स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई के पास चला जाएगा। अब स्टॉक एक्सचेंज वह आर्डर सैलर के साथ मैच करेगा और उसके बाद आपका order Executed हो जाएगा।
इसमें आप प्राइस भी सेट कर सकते हैं। जिस प्राइज में आप Buy करना चाहते हैं। और मार्केट प्राइस पर भी। उसके बाद हमारा खरीदा हुआ शेयर दो दिन बाद ट्रेडिंग अकाउंट में आ जाएगा। ट्रेडिंग अकाउंट के बाद इसे आसानी से सेविंग अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं। और अपना दिमाग लगाकर प्रॉफिट भी कर सकते हैं। यदि आप नए हैं, तो आप स्टॉक मार्केट चार्ट ( stock market chart ) की मदद ले सकते हैं।
लेकिन हम इससे 24 घंटे शेयर की खरीदारी नहीं कर सकते हैं। जिस तरह सब चीजों का एक स्पेशल टाइम होता है, चाहे वह बैंक हो या स्कूल या फिर कोई अन्य जगह हर जगह का एक स्पेशल टाइमिंग होती है। इनकी भी एक timing होती है जिसे स्टॉक मार्केट टाइमिंग कहते हैं। यह मार्केट टाइमिंग 9:00 से शाम के 3:00 बजे तक होता है सुबह 9:00 बजे यहां open होता है, 9 बजे से 9:15 से पहले ही मार्केट अपना डिसीजन ले चुका होता है। जिसे की प्री ओपन मार्केट ( pre open market) कहा जाता है। और मार्केट तब शाम को 3:00 बजे close हो जाता है।