जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है?

आपने शेयर मार्केट के उतार चढ़ाव को तो देखा ही होगा। जिसमें गिरावट और बढ़त जैसे खबरें आम होती हैं। तो जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, यह सवाल आपके मन में भी जरूर आया होगा। आखिर कहां जाता है, आपका पैसा गंवाने के बाद।

तो चलिए आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताऊंगा कि आखिर जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है। क्या किसी के नुकसान होने पर किसी दूसरे निवेशक को फायदा होता है? आइए जानते हैं।

जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है–

जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, इसको समझने से पहले आपका यह समझना जरूरी है, कि जब भी कंपनी शेयर बाजार में लिस्टेड होती है, तो कंपनियों के शेयर में इंवेस्टर निवेश करते हैं। और जो कंपनी जितना अच्छा परफॉर्मेंस करती है, उस कंपनी के शेयर उतने ही बढ़ते जाते हैं। और कंपनी की डिमांड भी बड़ जाती है।

जब शेयर मार्केट गिरता है,

इसके साथ साथ जिन कंपनियों का खराब परफॉर्मेंस होता है, उन कंपनियों के शेयर प्राइस उतने ही कम होते चले जाते हैं। इसका मतलब यह है, कि कंपनी के अच्छा परफॉर्मेंस करने पर कंपनी में इंवेस्टर इन्वेस्ट करते हैं। और खराब प्रदर्शन होने पर इंवेस्टर अपनी इन्वेस्टमेंट को निकाल लेते हैं।

जब शेयर मार्केट गिरता है, तो आपका पैसा कहां जाता है, तो इसका जवाब है, की आपका पैसा इंवेस्टर के पास ही जाता है। क्योंकि शेयर मार्केट एक सप्लाई और डिमांड के फॉर्मूले पर काम करता है। हर किसी इंवेस्टर को अपना फैसला सही ही लगता है। शेयर बेचने वाला सोचता है, की वह बेच कर एक अच्छा डिसीजन ले रहा है, वहीं खरीदने वाला सोचता है, कि वह इस समय शेयर को खरीद कर अच्छा फैसला ले रहा है।

माना किसी कंपनी के शेयर का प्राइस अभी 80 रुपए चल रहा है, और वह शेयर किसी A इंवेस्टर के आस पहले से मौजूद है, और उसको लगता है, की वह शेयर का प्राइस अब 80 से उप्पर न बढ़कर अब नीचे जा सकता है। वह उसको बेचना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ B इंवेस्टर सोचता है, की इस कंपनी के शेयर प्राइस अभी और बढ़ सकता है। तो वह उस शेयर को खरीदना चाहता है।

दोनों ही इंवेस्टर A और B को लगता है, की वह दोनों अपना फैसला सही ले रहे हैं। लेकिन आपको बता दें, की जिस तरफ शेयर में बायर की संख्या अधिक होगी तो शेयर का प्राइस उप्पर और यदि सेलर की संख्या ज्यादा होगी तो शेयर का प्राइस नीचे की ओर चलने लगेगा।

और मार्केट में जिधर भी बायर या फिर सेलर का प्रेशर अधिक होगा, मार्केट उधर ही अपनी movement करेगा। किसी का पैसा डूब जाने पर वह पैसा किसी दूसरे इंवेस्टर के पास ही जाता है। मतलब की यदि यहां किसी इंवेस्टर का नुकसान हुआ है, तो उतना ही फायदा किसी दूसरे इंवेस्टर को हुआ होगा।

शेयर मार्केट कैसे चलता है

जब कोई भी व्यक्ति अपना बिजनेस स्टार्ट करता है, और उसको फंडिंग की जरूरत होती है। फंडिंग के ना मिलने पर वह व्यक्ति कंपनी बनाता है, और उस कंपनी को SEBI की मदद से स्टॉक मार्केट में उतारने का प्रयास करता है। सेबी के रूल और रेगुलेशन को पूरा करता है। और सेबी की मंजूरी मिलने पर वह स्टॉक मार्केट में लिस्टेड करते हैं।

शेयर बाजार में लिस्ट करने के लिए नई कंपनी का होना जरूरी नहीं है, पुरानी कंपनी भी शेयर मार्केट में लिस्टेड होती हैं। और जो कंपनी शेयर मार्केट में लिस्टेड हो जाती है, उसमे इंवेस्टर इन्वेस्ट कर सकते हैं। और उस कंपनी का हिस्सेदार बन सकते हैं।

आपको बता दें, कि स्टॉक मार्केट में आने के लिए आपको BSE, या फिर NSE में रसिस्टर करवाना होता है। और जिस किसी भी कंपनी में निवेशक निवेश करता है, वह उस कंपनी का हिस्सेदार बन जाता है। यह हिस्सेदारी खरीदे गए शेयर की संख्या पर निर्भर करता है। शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर करता है। मार्केट में कंपनी और शेयर धारक के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर ही करते हैं।

स्टॉक मार्केट ऑपरेटर (Stock market operator)

दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे, Stock market operator के बारे में। आपने बहुत बार लोगों के मुंह से यह जरूर सुना होगा कि इस स्टॉक में आज इतनी प्वाइंट की रैली देखने को मिली। या फिर इस स्टॉक का वॉल्यूम आज अन्य दिनों के मुकाबले बहुत अधिक है। तो इसमें पक्का Stock Market operator घुसा होगा।

तो चलिए दोस्तों आज की यह पोस्ट Stock market operator के नाम। आज हम Stock market Operator के बारे में विस्तार से जानेंगे। कि आखिर ये होते कौन हैं, और इनके पसंदीदा स्टॉक कौन से होते हैं।

स्टॉक मार्केट ऑपरेटर (Stock Market operator)

विवरण – जितने भी रिटेल इंवेस्टर होते हैं, उनका सबसे बड़ा नुकसान उनके डर से होता है। और इस कमजोरी का ही फायदा Stock market Operator द्वारा उठाया जाता है।

Stock market Operator

Stock market Operator के पास बहुत अधिक मात्रा में पैसा होता है। जिससे की वह किसी भी शेयर को अधिक क्वांटिटी में खरीद करके उस शेयर को आसानी से मैन्युकुलेट कर लेते हैं। और रिटेल निवेशक सस्ते के चक्कर में इन स्टॉक में फंस कर रह जाते हैं।

स्टॉक मार्केट ऑपरेटर कैसे काम करता है–

Stock market Operator के द्वारा कुछ इस तरह से स्टॉक के साथ खेल किया करते हैं, जिससे रिटेल निवेशकों को फंसाया जा सके। उनके द्वारा ऐसे स्टॉक में काफी अधिक मात्रा में पैसे लगाए जाते हैं, जिनका कोई भी फ्यूचर नही होता है। और यह ऐसे स्टॉक होते हैं, जो हर किसी को सस्ते दाम में मिल रहे होते है, ताकि हर कोई रिटेल निवेशक इन्हें लेने में सक्षम हो।

जो भी नए निवेशक होते हैं, वह हमेशा सस्ते शेयर में ही अपना फ्यूचर समझते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है, कि कम प्राइस में ज्यादा शेयर उनको मिल जाएंगे। लेकिन stock market operator द्वारा इन शेयर को ऑपरेट किया जाता है। और जैसे ही इन शेयर में ऑपरेटर को अच्छा पैसा दिखने लगता है, वैसे ही वह इन सब शेयर को एक साथ बेच देते हैं। और रिटेल निवेशक को भारी नुकसान देखने को मिलता है।

ऑपरेटर छोटे निवेशकों को क्यों फंसाते हैं–

ऑपरेटर को यह बात अच्छे से पता होती है, कि छोटे निवेशक बड़ी आसानी से लालच में फंस जाते हैं। इसके साथ साथ जो नए निवेशक होते हैं, उनके पास डर काफी अधिक होता है, जिस वजह से वह महंगे शेयर लेने की जगह बेकार के सस्ते शेयर खरीदना चाहते हैं। इसके साथ साथ वह पैनी स्टॉक में पैसे काफी अधिक लगाते हैं। इसके साथ साथ वह news based stocks में पैसा लगाते हैं।

ऑपरेटर से कैसे बचें–

नए निवेशक को हमेशा ही फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग शेयर को ही चुनना चाहिए। इसमें यदि नए निवेशक अपना निवेश करते हैं, तो छोटी अवधि में उन्हें नुकसान देखना पड़ सकता है। लेकिन लंबी अवधि के अंतर्गत उन्हे एक अच्छा रिटर्न्स ही देखने को मिलेगा।

असल मायने में ऑपरेटर वह होते हैं, जिनके पास बहुत अधिक पैसा होता है, ये आपके ब्रोकर भी हो सकते हैं, या फिर म्यूचुअल फंड हाउस भी हो सकते हैं, या फिर कोई बड़े इंस्टीट्यूशन भी हो सकते हैं। लेकिन हमें इनसे बच कर रहना है, इससे बचने के लिए हमें अच्छे फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग शेयर में ही अपना निवेश करना चाहिए।

जिन कंपनियों का मार्केट कैप बहुत बड़ा होता है। उन कंपनियो में ऑपरेटर के पैसों का अधिक असर नहीं पड़ता है। और वह कंपनियां 1 से 2 प्वाइंट भी मुश्किल से बढ़ पाती है। इसलिए आप उन कंपनियो में भी अपना निवेश कर सकते हैं, जिनका मार्केट कैप काफी बड़ा होता है।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए

शेयर मार्केट में कब इन्वेस्ट करना चाहिए, या फिर शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए, मार्केट में सबसे अच्छा समय कौन सा रहेगा जब हमको इन्वेस्ट करना चाहिए, ताकि हम एक अच्छा रिटर्न्स कमा सकें, ये सवाल हर किसी निवेशक के मन में घूमते रहते हैं।

तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा कि शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए। ताकि आपको एक अच्छा रिटर्न्स मिल सके।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए ?

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए

स्टॉक मार्केट (Stock market) में सबसे अच्छा समय इन्वेस्ट करने का वह होता है, जब पूरा मार्केट गिरा हुआ होता है। इसकी मुख्य वजह यह है, क्योंकि मार्केट के गिरने के दौरान पूरा बाजार डरा होता है, और इंवेस्टर अपने शेयर को बेचने लगते हैं। जिस वजह से हमको शेयर बड़े सस्ते दाम में मिल जाते हैं। अतः आपको शेयर बाजार में पैसा गिरावट के समय ही लगाना चाहिए। यह बात तो हो गई, शॉर्ट टर्म के लिए। लेकिन क्या इतना ही सब काफी है, इन्वेस्टमेट के लिए, तो उत्तर है, नहीं। तो आइए जानते हैं, उन महत्वपूर्ण बातों को जिन्हें शेयर खरीदते समय ध्यान में रखना चाहिए।

  • कभी भी लोगों की बातों में विश्वास कर के पैनी स्टॉक में पैसा नहीं लगना चाहिए, हमको अपनी खुद की रिसर्च भी कर लेनी चाहिए। और तब पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए।
  • दूसरों की टिप्स लेने से अच्छा आप खुद की रिसर्च करें, ताकि आप अच्छे से सीख भी सकें, और आपको अच्छा रिटर्न्स भी मिल सकें। वरना आप सिर्फ लास्ट में अपना पैसा ही गंवाएंगे।
  • स्टॉक मार्केट कोई जुए की तरह नहीं है, कि आप रात ही रात इससे अमीर बन जाओगे, इसमें यदि आपको इन्वेस्ट करना है, तो आपको स्टॉक मार्केट का बेसिक नॉलेज होनी चाहिए। यदि आप बिना सीखें ही इन्वेस्ट करेंगे, और आपको नुकसान होगा तो आप इसे जुआ कह कर छोड़ देंगे।
  • आप केवल उन ही शेयर में इन्वेस्ट करें जिनके फंडामेंटल अच्छे होंगे, ताकि आपको नुकसान कम से कम नुकसान हों सके। और फंडामेंटल अच्छी कंपनियां आपको तब ही मिलेगी, जब आप किसी शेयर में अच्छे से रिसर्च करेंगे।
  • हर समझदार निवेशक अपनी कैपिटल को तब ही निवेश करता है, जब वह अच्छे से किसी शेयर में रिसर्च करता है, और उसे लगता है, कि कंपनी में सही में ही काफी दम है। और वह कंपनी उसे एक अच्छा रिटर्न्स कमा कर दे सकती है।

शेयर मार्केट में पैसे लगाने का एक बेहतर समय।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए की यदि हम बात करें तो आपको बता दूं, कि मार्केट ओपन होते ही कभी भी सीधे ट्रेड में नहीं घुसना चाहिए। बल्कि आपको थोड़ी देर इंतजार करने के बाद उसका वॉल्यूम और ट्रेड देखने के बाद ही इन्वेस्ट करना चाहिए।

आपको मार्केट में कुछ घंटे इंतजार करने के बाद दिखेगा कि मार्केट में अब एक अच्छा खासा वॉल्यूम दिखने को मिल जाएगा। और आप फिर इस चीज का डिसीजन ले सकते हैं, कि आपको ट्रेड करना चाहिए, या फिर नहीं। वॉल्यूम का मतलब होता है, कि इंवेस्टर या फिर ट्रेडर अपने कितने शेयर को खरीद और बेच रहे हैं।

यदि इंवेस्टर अपने शेयर को बहुत ज्यादा खरीद और बेच रहे हैं, और आपको इंट्राडे ट्रेड करना है, तो आप इस स्तिथि में शॉर्ट सेल कर के उससे एक अच्छा रिटर्न्स कमा सकते हैं। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे, कि इंट्राडे में काफी अधिक रिस्क होता है। जिससे आपके पैसे डूबने के चांसेस भी अधिक हो जाता है। इसी लिए यह सलाह दी जाती है, कि आपको हमेशा स्टॉप लॉस को लगा कर ही ट्रेड करना चाहिए।

मेरी सलाह तो आपको यही रहेगी की यदि आपको टेक्निकल एनालिसिस की अच्छी खासी नॉलेज है, तो ही आप यह करें, वरना आप शुरुआत में इन चीजों से दूर ही रहें, तो ही ज्यादा सही रहेगा।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए।

शेयर बाजार में पैसा कब लगाना चाहिए ― आपको बाजार में पैसा लगाने से पहले इस चीज की जानकारी होनी चाहिए, कि आखिर किसी भी शेयर का प्राइस उप्पर या फिर नीचे क्यों जाता है।
यह सवाल जानने की जरूरत आपको इस लिए है, क्युकी जब कभी भी वह शेयर डाउन जाने लगे जिसमे की आपने पैसे लगाएं हैं, तो आप पैनिक में आ कर के उस शेयर को बेचने लगेंगे। और यह अक्सर वे लोग होते हैं, जो अधिकांशत एक्सपर्ट की बातों में यकीन या फिर टीवी चैनल में देख कर के इन्वेस्ट करते हैं।
लेकिन आपको बता दें, की यह समय ही सबसे अच्छा समय होता है, जिस समय आप अपना पैसा मार्केट में लगा सकते हैं। यदि आपने एक फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग कंपनी को चुना है, तो आपको किसी कंपनी के शेयर के घटने या फिर बढ़ने से कोई फर्क नहीं पड़ता चाहिए, क्योंकि यह कुछ ही समय तक दिखने वाली गिरावट होती है, लॉन्ग टर्म में यह एक अच्छा रिटर्न कमा कर ही देते हैं।

और सबसे मुख्य बात की किसी भी शेयर में हमें पैसे तब लगाना चाहिए, जब वह शेयर अपनी इंट्रांसिक वैल्यू (Intrinsic value) से कम प्राइस पर ट्रेड कर रहा हो। दुनिया के जाने माने निवेशक वारेन बफेट भी इसी तरीके से वैल्यू इन्वेस्टिंग कर के अपने लिए मजबूत शेयर को चुनते हैं।

Fundamental analysis

बहुत से लोगों को Fundamental analysis के नाम से ही डर लगने लगता है, लेकिन यदि शेयर मार्केट (Stock market) में किसी कंपनी में इन्वेस्ट करना है, तो Fundamental analysis सबसे जरूरी होती है। जिसका मतलब होता है, कि किसी भी कंपनी की पूरी डिटेल्स को निकालना। स्टॉक मार्केट में कंपनी का दो तरीके से एनालिसिस किया जाता है। पहला Technical analysis और दूसरा Fundamental analysis,

तो चलिए दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा की Fundamental analysis क्या होता है।

फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis)

फंडामेंटल एनालिसिस वह प्रोसेस होती है, जिसमें की निवेशकों को किसी स्टॉक्स के चयन के लिए उसकी पुरानी हिस्ट्री जाननी होती है, जिससे की निवेशक उसके पुराने सारे रिकॉर्ड्स को अच्छे से जान कर उसमें इन्वेस्ट कर सकें।

Fundamental analysis

किसी भी कंपनी के पिछले रिकॉर्ड्स निकालने से मतलब उस कंपनी के प्रॉफिट–लॉस, रेवेन्यू, कंपनी का मैनेजमेंट, कंपनी क्या प्रोडक्ट बनाती है, उस प्रोडक्ट की डिमांड कितनी है, आदि चीजों से है। कोई भी कंपनी हो यदि उसमें स्मार्ट इंवेस्टर इन्वेस्ट करे तो वह कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis) जरूर करेगा।

फंडामेटल एनालिसिस को देखने से हमें कंपनी की ग्रोथ का यह पता भी लग जाता है, कि कंपनी प्रॉफिट कर रही है, या फिर लॉस। क्योंकि इसमें कंपनी का बहुत ही बारीकी से विश्लेषण किया जाता है। Fundamental analysis में यह देखा जाता है, कि वह कंपनी आर्थिक रूप से कितनी मजबूत है, क्या यह कंपनी हमें लॉन्ग टर्म में एक अच्छा रिटर्न्स दे सकती है।

अधिकतर लॉन्ग टर्म इंवेस्टर (Long term investing) जो होते हैं, वह कंपनी में इन्वेस्ट उस कंपनी के फंडामेंटल को देख कर ही किया करते हैं। Fundamental analysis भी दो प्रकार के होते हैं।

  • Qualitative Analysis
  • Quantitative Analysis
Qualitative Analysis

Quanlitative Analysis में किसी भी कंपनी के एनालिसिस को हम नंबर के फॉर्म में नहीं देख सकते हैं। इसमें हम नंबर को देखने की जगह कंपनी की ब्रांड वैल्यू को देखते हैं। और कंपनी के जो भी कंपीटीटर होते हैं, उनसे आपस में तुलना करते हैं। इस तरीके से हमको किसी भी कंपनी की जानकारी मिलती है। यह प्रत्येक इंसान के लिए अलग अलग हो सकती है। किसी भी कोई प्रोडक्ट अच्छा लगता है, तो किसी को कोई और प्रोडक्ट अच्छे लगते हैं।

Quantitative analysis

Quantitative analysis में हम किसी भी कंपनी के बारे में नंबर में जान सकते हैं। इसमें कंपनी की बैलेंस शीट को देखा जाता है, जिसमें की कंपनी का PE Ratio, Earning, EPS Ratio, Dividend, Cash Flow आदि चीजों के आधार पर इन्वेस्ट किया जाता है। यदि ये सब चीजें कंपनी की खराब रहती है, तो कंपनी को कमजोर समझा जा सकता है।

कंपनी का फंडामेटल एनालिसिस कैसे करें

किसी भी किसी कंपनी का जब हमें Fundamental analysis करना होता है, तो हम सबसे पहले उस कंपनी का बैलेंस शीट देखेंगे। इससे हमें कंपनी की पूरी जानकारी मिल जाती है। यदि हमें कंपनी का फंडामेंटल चेक करना है, तो हम गूगल में जा कर के NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) की वेबसाइट में VISIT कर सकते हैं। जोकि एक सेबी रजिस्टर्ड वेबसाइट है। इसमें हमें किसी एक्सपर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ती है। और कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी भी मिल जाती है। और फिर हम एक अच्छी कंपनी में इन्वेस्ट भी कर सकते हैं।

फंडामेंटल एनालिसिस कैसे उपयोगी है–

जो भी इंवेस्टर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग करते हैं, उनके लिए फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है, एनालिसिस करने से उनको वे स्टॉक्स बड़ी आसानी से मिल जाते हैं, जिनसे की उन्हें आने वाले समय में एक अच्छा रिटर्न्स मिल सकता है। साथ ही अच्छे बिसनेस वाली कंपनियां भी आसानी से मिल जाती है। फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग हमेशा लंबे समय के लिए इन्वेस्ट के लिए किया जाता है। इसमें जल्दी पैसा कमाने का टारगेट नही रखा जाता है। बल्कि इन्वेस्ट किए गए शेयर में सही रेट ऑफ रिटर्न्स पर कंपाउंडिंग करने में ध्यान दिया जाता है।

फंडामेंटल एनालिसिस के लिए मुख्य बिंदु

  • Balance sheet
  • Profit or loss
  • Annual report
  • Cash Flow
  • EPS (Earning per share)
  • Book value
  • Sales
  • Growth
  • Opponent company
  • Debt
  • Company Managemet Ect

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

अमीर होना किसको पसंद नहीं होता, लेकिन आपकी कुछ गलतियों की वजह से आप अपने मिशन में सफल नहीं हो पाते हैं। और अमीरी की ओर बढ़ने से रुक जाते हैं। अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके यदि आप अपनाते हैं, तो आप अपने लक्ष्य को बड़ी आसानी से हासिल कर सकते हैं।

तो चलिए आज मैं आपको अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके बताऊंगा, जिससे कि आप गरीब होने से बच सकते हैं।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके (How to Get Rich)

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

बहुत से लोगों का जो अमीर बनने का सपना होता है, वह कुछ ही लोग साकार कर पाते हैं। और वह अपनी जिंदगी में अच्छा खासा आनंद भी लेते हैं। और ये वे लोग हैं, जो कि अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके अपनाते हैं। तो चलिए जानते हैं, उन तरीकों को –

1. बचत करना सीखें

बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जोकि बचत नहीं किया करते हैं। और बचत न होने की वजह से वह गरीबी की ओर बढ़ते जाते हैं। सीमित आमदनी के बाद भी यदि आप अमीर बनना चाहते हैं, तो आपको आज से ही बचत को शुरू कर लेना चाहिए।

आपको यह बात हमेशा ध्यान में रखना चाहिए, कि जीवन में कमाना, बचाना बहुत जरूरी है, लेकिन अपनी बचत पर सबसे ज्यादा रिटर्न्स कमाना अमीर बनने की नींव होती है।

2. बिजनेस करना

काफी लोग बिजनेस के नाम सुनते ही डरने लगते हैं, लेकिन आपको बता दें, कि जिस चीज में जितना अधिक रिस्क होता है। उसमे प्रॉफिट की संभावना भी उतनी ही अधिक होती है। आप बिसनेस शुरू करे लेकिन कम रिस्क के साथ। एक्सपीरियंस के साथ साथ अपने रिस्क को बाद में बड़ा सकते हैं।

3. जल्द बचाना शुरू करें

इसे सीधे एक उद्धरण से समझते हैं, यदि किसी व्यक्ति ने 25 साल की उम्र में सालाना 1 लाख का निवेश किया है, और उसे 12 परसेंट का रिटर्न्स इंडेक्स फंड में मिल रहा है, तो वह 60 की उम्र में 5 करोड़ का मालिक होगा। लेकिन यदि आपने 10 साल बाद निवेश शुरू किया तो आपको 5 करोड़ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सालाना साढ़े 3 लाख रुपए इन्वेस्ट करने होंगें। और यही अमाउंट आपको 45 की उमर में शुरू करने पर 12 लाख इन्वेस्ट करने होंगे।

4. क्रेडिट और डेबिट कार्ड का सदुपयोग करना

क्रेडिट कार्ड (Credit Card) या डेबिट कार्ड (Debit Card) का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए। अनावश्यक चीजों की खरीददारी नही करनी चाहिए। और इसमें मिले गए बोनस को भी सैलरी की तरह मानकर आपको हमेशा खर्च और बचत करना चाहिए।

5. समय के अनुसार बचत को बढ़ाए

सालाना बचत की रकम को बढ़ाते रहने से आप अपने वित्तीय लक्ष्य को जल्दी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ साथ बड़े लक्ष्यों को भी आप आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। यदि आप अपने बचत में वृद्धि नहीं करेंगे तो महंगाई की वजह से आपकी बचत में बड़ोतरी नही हो पाएगी।

आप अपने एसआईपी (SIP) में कुछ ही परसेंट की बदोतरी के साथ साथ एक अच्छा अमाउंट रिटर्न में पा सकते हैं।

6. इन्वेस्ट करें

इन्वेस्टमेंट अमीर बनने की सबसे मुख्य कुंजी है। हर कोई अमीर आदमी आपको इन्वेस्टमेंट करने की सलाह जरूर देगा। यदि आप अपनी इन्वेस्टमेंट को अच्छी जगह में लगाएंगे तो आपको एक अच्छा रिटर्न्स देखने को मिलेगा। लेकिन आप अपनी इन्वेस्टमेंट को किसी भी जगह लगाते हैं, तो फिर आपको बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

अमीर बनने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके

7. फंड का प्रयोग दूसरे काम में न करें

आपको अपने फंड का पैसा कभी भी दूसरे चीजों को लेने के लिए प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। चाहे आपको कितनी भी जरूरत क्यों न पड़ें। इससे आपका मनी मैनेजमेंट पूरा खराब हो जाता है। और फिर आप एक बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं।

8. इमरजेंसी फंड बनाना

निवेश को सुरक्षित बनाने का एक तरीका इमरजेंसी फंड को बनाना है। इस फंड की मदद से आप आकस्मिक आर्थिक विपत्ति से बच सकते है। इसकी मदद से आप अपनी किसी भी इन्वेस्टमेंट को मुसीबत की घड़ी में रोकने से बच जाते हैं।

9. लॉक इन वाले निवेश में लगाए पैसे

लॉक इन वाला निवेश, को आप निवेश को सेफ रखने का सबसे सुरक्षित तरीका समझ सकते हैं। क्युकी इसमें आप समय से पहले अपने निवेश को तोड़ नहीं सकते हैं। और यदि आपने तोड़ ली तो फिर आपको रिटर्न्स भी कम और एक बड़ा नुकसान देखने को अधिक मिलेगा।

Cryptocurrency kya hai

कभी न कभी आपने भी बहुत बार न्यूज चैनल या फिर लोगों के मुंह से Cryptocurrency का नाम जरूर सुना होगा। सुना होगा की यदि हमने उस समय Cryptocurrency खरीदी होती तो आज हम एक अच्छी लाइफ जी रहे होते, या फिर काफी अमीर बन गए होते। तब आपके मन में भी यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर यह क्रिप्टो करेंसी क्या है।

तो चलिए आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताऊंगा कि आखिर Cryptocurrency होता क्या है? और यह कैसे काम करता है।

Cryptocurrency meaning in hindi

क्रिप्टोक्यूरेंसी (Cryptocurrency) एक ऐसा डिजिटल भुगतान प्रणाली है, जोकि लेनदेन करने के लिए बैंकों पर निर्भर नहीं है। यह एक पीयर-टू-पीयर सिस्टम होता है जो किसी को भी कहीं भी भुगतान भेजने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। यह एक ऐसी मुद्रा है, जिसका कोई मालिक नहीं होता है। अतः इसको एक स्वतंत्र मुद्रा भी कहते हैं।

Cryptocurrency

Cryptocurrency की शुरुआत सबसे पहले 2009 में हुई थी, जिसका नाम बिटकॉइन था। जिसे की जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के एक इंजीनियर ने बनाया था। आपको बता दें, कि Cryptocurrency में किसी के भी पास इसका स्वतंत्र अधिकार न होने पर यह किसी के काबू में नहीं होता है। क्युकी इसका स्वतंत्र रूप से एक इंसान से दूसरे इंसान में कम या फिर ज्यादा प्राइस में Buy अथवा Sell किया जाता है।

Cryptocurrency में किसी भी सरकार, राज्य या फिर देश का अधिकार नहीं होता है। जैसे की हमें रुपए या फिर डॉलर में देखने को मिलता है, की उसमें सरकार का देश और रिजर्व बैंक का अधिकार होता है। Cryptocurrency को आप अपने हाथ में एसेट के तौर पर भी नहीं रख सकते। क्योंकि यह एक डिजिटल करेंसी है। जिसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग सामान्यत किसी सामान को खरीदने के लिए या फिर किसी सर्विस को खरीदने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।

Cryptocurrency शुरुआत में तो इतनी पॉपुलर नहीं थी। लेकिन धीरे धीरे इसके प्राइस ने आसमान छूना शुरू कर लिया। जिससे की Cryptocurrency एक सफलता की ओर बढ़ने लगी। जब से क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत हुई, तब से अभी तक मार्केट में लगभग 1000 तक Cryptocurrency मौजूद हैं। जोकि पियर टू पियर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के रूप में कार्य करती है।

क्रिप्टो करेंसी ही नाम क्यों

जब कभी भी क्रिप्टो करेंसी में फंड को ट्रांसफर किया जाता है, तो जो भी लेन देन हुआ होता है। तो वह सार्वजनिक पासबुक में छाप दिए जाते हैं। Cryptocurrency को डिजिटल वॉलेट में स्टोर किया जाता है।

Cryptocurrency को यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह लेनदेन को सत्यापित करने के लिए एंक्रिप्शन का इस्तेमाल करता है। जिसका मतलब एक उत्तम कोडिंग वॉलेट और डाटा को संग्रहित और प्रसारित करना है। एंक्रिप्शन का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा प्रदान करना होता है। क्रिप्टो करेंसी में लोग अधिक लाभ कमाने के लिए इन्वेस्ट करते हैं। और जो सट्टेबाज होते हैं। कई बार यह उनकी किस्मत भी चमका देती है।

क्रिप्टोकरेंसी कैसे काम करता है

Cryptocurrency एक सार्वजनिक पासबुक पर काम करती है, जिसे कि ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी कहा जाता है। इसमें मुद्रधारक और रखे गए सभी लेन देन का रिकॉर्ड शामिल हुआ रहता है। Cryptocurrency को खनन प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है। इसमें सिक्कों को उत्पन्न करने वाली जटिल गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए कंप्यूटर शक्ति का उपयोग करना शामिल होता है।

आप उपयोगकर्ता लोगों से मुद्राएं भी खरीद सकते हैं। और फिर बाद में क्रिप्टोवॉलेट का प्रयोग करके उन्हें स्टोर के खर्च कर सकते हैं। यदि आपके पास कोई भी Cryptocurrency मौजूद है, तो आप किसी विश्वसनीय थर्ड पार्टी के बिना किसी रिकॉर्ड या माप की इकाई को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में देने की अनुमति देती है। समय के साथ इस टेक्नोलॉजी में बहुत से उन्नत बदलाव देखने को मिल रहे हैं। और उम्मीद है, की आने वाले समय में यह और ज्यादा उपयोग और अपने आपको डेवलप करेगा।

क्रिप्टोकरेंसी के उद्धरण

वैसे तो वर्तमान समय में बहुत से क्रिप्टो करेंसी मौजूद हैं। लेकिन मैं आपको कुछ ही Cryptocurrency के उद्धरण दूंगा। जोकि थोड़ा पॉपुलर भी हैं।

Cryptocurrency

1. बिटकॉइन (Bitcoin)

बिटकॉइन सबसे पहले बना हुआ Cryptocurrency है, जोकि सन 2009 में बनी हुई थी। जिसमे की अभी तक सबसे ज्यादा ट्रेड किया जाता है। इसकी शुरुआत सातोशी नाकामोटो ने की थी। इसमें किसी भी मुद्रधारक की डिटेल्स को गुप्त रखा जाता है। जिसकी कोई सटीक पहचान नहीं कर सकता है।

2. इथिरियम (Etherium)

इथिरिएम को सन 2015 में बनाया गया। जिसको कि ईथर नाम से भी जाना जाता है। बिटकॉइन के बाद यह दूसरे नंबर का सबसे लोकप्रिय Cryptocurrency है। इसकी अपनी ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी है।

3. रिपल (Ripple)

रिप्पल को सन 2012 में बनाया गया था। यह एक वितरित प्रणाली है। इसका प्रयोग बहुत से लेनदेन को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। इसके पीछे बहुत सी कंपनियो और अलग अलग बैंक और वित्तीय संस्थान जो होते हैं, उनके साथ काम किया है।

Commodity meaning in hindi

आपमे से बहुत से लोगों ने स्टॉक मार्केट (Stock Market) में ट्रेडिंग तो की ही होगी। उसमें आपने फ्यूचर और ऑप्शन (Future or Option) में भी ट्रेड किया होगा। Commodity भी इसी प्रकार का एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, जिसमें की ट्रेड किया जाता है।

तो चलिए आज की इस पोस्ट में मैं आपको Commodity के बारे में विस्तार से बताऊंगा। बताऊंगा कि Commodity क्या होता है। यह कहां ट्रेड किया जाता है। इसके कितने प्रकार होते हैं। और भी इससे संबंधित बहुत सी महत्वपूर्ण चीजें।

कमोडिटी (Commodity)

अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जिस प्रकार से हम कोई सामान खरीदते हैं, जैसे की अनाज, मसाले, सोना,चांदी आदि। ठीक उसी प्रकार से स्टॉक मार्केट (Stock Market) में भी इन चीज़ों की खरीदी और बिकवाली की जाती है।

Commodity

सरल शब्दों में कहा जाए तो शेयर मार्केट में कमोडिटी सेक्शन में अनाज, मसालों, या फिर किसी मेटल की खरीद या बेच को कमोडिटी (Commodity) कहा जाता है। और इन Commodity में जो ट्रेडिंग की जाती है, उसे Commodity trading कहते हैं।

कमोडिटी ट्रेडिंग इक्विटी शेयर की ट्रेडिंग से थोड़ा अलग होती है। कमोडिटी की जो ट्रेडिंग होती है, वह अधिकतर फ्यूचर मार्केट (Future market) में की जाती है। भारत में कमोडिटी मार्केट काफी पहले से चलता था। लेकिन किसी कारणवश इसमें रोक लगा दी गई थी। लेकिन फिर 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था। और यह दुबारा से शुरू हो गई।

Commodity वह रूप है, जिसे की प्रकृति द्वारा हमें दिया जाता है। इसे एक जगह से दूसरी जगह जरूरतों को पूरा करने के लिए ले जाया जाता है। जिसे की धन से खरीदा या बेचा जा सकता है।

कमोडिटी ट्रेडिंग आपके पोर्टफोलियो में विविधता लाने का एक सरल तरीका होता है। लेकिन इसमें बहुत जोखिम भी शामिल रहता है। खासकर उनके लिए जोकि इसमें नए नए निवेशक हैं।

कमोडिटी (Commodity) उत्पाद के प्रकार

मुख्य तौर पर कमोडिटी उत्पाद को 4 भागों में बांटा गया है। जिसमे की ट्रेडिंग की जाती है।

  1. कृषि – गेंहू, चावल, मक्का, सेम आदि।
  2. धातु – सोना, चांदी, तांबा, प्लेटिनम।
  3. ऊर्जा – कच्चा तेल, मिट्टी का तेल, प्राकृतिक गैस आदि।
  4. पशुधन और मांस – पशु, अंडे, मांस, आदि।

कमोडिटी, स्टॉक ट्रेडिंग से कैसे अलग है–

कमोडिटी ट्रेडिंग और स्टॉक इक्विटी ट्रेडिंग दोनों एक दूसरे से अलग होते हैं। इक्विटी ट्रेडिंग जो होती है, उसमें हम स्टॉक्स को जब तक चाहे अपने पास होल्ड करके रख सकते हैं। और जब मर्जी उसे बेच सकते हैं। लेकिन कमोडिटी में ऐसा नहीं होता है। इसमें आपको आने वाले दो–तीन महीने में ही ट्रेड करना होता है। इसलिए इसमें सौदा करते समय खरीदना और बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है। यह भी इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (Future Trading) की तरह ही होता है।

Commodity में निवेश कहां से करें

Commodity में निवेश करने का सबसे बेहतर तरीका फ्यूचर अनुबंध होता है। फ्यूचर्स अनुबंध हर Commodity श्रेणी पर उपलब्ध होता है। यह एक निर्धारित मूल्य में किसी भी कमोडिटी की विशिष्ट मात्रा खरीदने अथवा बेचने का समझौता होता है।

विशेषज्ञों की माने तो पोर्टफोलियो में अलग अलग जगह निवेश करना निवेशक को फायदा दिलवाता है। इक्विटी के साथ साथ हमें कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए। इससे आप उतार चढ़ाव का फायदा ले सकते हैं। परन्तु इसमें नए और छोटे निवशकों को सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि बाजार की अस्थिरता और कम ज्ञान सारा पैसा डूबा लेती है। निवेशकों को उन कारकों को खोजना चाहिए, जोकि बाजार को प्रभावित करते हैं।

Commodity trading के फायदे

Commodity

1. लेवरेज (Leverage)

Commodity Market में भारत में हर साल लगभग 25 लाख करोड़ से बढ़ रहा है। इसमें आपको लेवरेज भी मिलता है, जिसमें की एक छोटे अमाउंट के साथ भी ट्रेड करने का मौका मिल जाता है। जिससे की छोटे मोटे निवेशक भी कम अमाउंट के साथ इसमें ट्रेड कर सकते हैं।

2. हेजिंग (Hedging)

इसमें किसान, अथवा कोई भी उपयोगकर्ता के लिए कमोडिटी के प्राइस में उतार चढ़ाव की वजह से रिस्क कम हो जाता है।

3. पोर्टफोलियो का डायवर्सिफाई

यदि आप Commodity में भी ट्रेड करते हैं। तो आप अपने पोर्टफोलियो को इक्विटी ट्रेड के साथ साथ अन्य जगह भी डायवर्सिफाई कर सकते हैं। इससे आपके रिस्क की क्षमता भी कम हो जाती है।

4. ट्रेडिंग (Trading Opportunity)

कमोडिटी आपको एक ट्रेडिंग ऑपर्च्युनिटी भी प्रदान करती है। क्योंकि कमोडिटी का डेली का टर्नओवर लगभग 22 हजार से 25 हजार करोड़ रुपए तक है।