नए नए लोग जब स्टॉक मार्केट में उतरते हैं, तो उन्हें ट्रेडर और इन्वेस्टर का शब्द काफी बार सुनने को मिलता है। यदि आप स्टॉक मार्केट में इंटरेस्ट रखते हो, या फिर मार्केट को सीखना चाहते हो, तो आपको Trading vs Investing के बारे में आपको पता होना चाहिए। बहुत से लोगों को Trading और Investment का मतलब एक ही लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है, दोनों में काफी फर्क है। Trading vs Investing में कौन बेहतर है, आइए जानते हैं।
तो चलिए आज के इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको Trading vs Investing के बीच अंतर बताऊंगा। और इनके कितने प्रकार होते हैं, यह सब जानकारी आपको दूंगा।
Trading vs Investing
Trading vs Investing में आपको पहले ट्रेडिंग के बारे में बताते हैं।

ट्रेडिंग (Trading) क्या है–
ट्रेडिंग में आप किसी भी शेयर को या फिर इंडेक्स को शॉर्ट टर्म (Short term) के लिए Buy करके रखते हैं। इसमें शॉर्ट टर्म से आशय किसी भी शेयर को 1 साल से कम समय के लिए अपने पास होल्ड रखने से है। अब वह चाहे आपका 1 ही दिन हो, एक हप्ता या फिर 3 महीने ही क्यों न हों।
स्टॉक मार्केट (Stock market) में ट्रेडिंग करके आप कितना भी रिटर्न्स जेनरेट कर सकते हैं। इसकी कोई लिमिट नही होती है। लेकिन आपको यह ध्यान में रखना चाहिए, जिसमे आपको जितना अधिक प्रॉफिट देखने को मिलेगा उसमे आपका रिस्क उतना ही अधिक होगा।
जो लोग स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग किया करते हैं, उन्हें ट्रेडर कहा जाता है। जो भी बड़े बड़े ट्रेडर होते हैं, वह ट्रेडिंग करते समय सिर्फ कंपनी के स्टॉक प्राइस के पैटर्न को एनालिसिस करके उनको खरीद और बेचते हैं। ट्रेडर जो होता है, वह कंपनी के फंडामेंटल को चेक नही करता है, क्योंकि ट्रेडिंग करते समय हर सेकंड हर मिनट में उनका प्राइस चेंज होता रहता है। इसलिए वह स्टॉक के पैटर्न और वॉल्यूम को एनालिसिस करते हैं।
ट्रेडिंग के प्रकार (Types of Trading)
ट्रेडिंग एक शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट होती है। इसमें आपको बहुत से प्रकार देखने को मिलता हैं। तो चलिए जानते हैं, उन प्रकारों को –
- यदि कोई भी ट्रेडर कुछ मिनट के लिए किसी भी शेयर को होल्ड करके रखता है, और उसके बाद सेल कर देता है, तो उसे Scalp trading कहते हैं।
- यदि कोई ट्रेडर केवल एक दिन के अंदर ही शेयर को खरीदता और बेचता है, तो उसे Intraday trading कहा जाता है।
- यदि कोई ट्रेडर कुछ दिनों के लिए या फिर कुछ सप्ताह के लिए शेयर को होल्ड करके रखता है, और फिर सेल कर लेता है, तो उसे Swing trading कहते हैं।
- यदि कोई ट्रेडर शेयर्स को कुछ महीने तक होल्ड करके रखता है, और तब सेल करता है, तो उसे Position Trading कहते हैं।
इन्वेस्टमेट (Investment) क्या है–
वह स्टॉक्स जिन्हें की हम लॉन्ग टर्म (Long term) के लिए होल्ड करके रखते हैं। उसे इन्वेस्टमेंट कहा जा सकता है। इसमें लॉन्ग टर्म का आशय 1 साल से अधिक समय से है। और जो लोग इन्वेस्टमेंट करते हैं, उन्हे इन्वेस्टर (Investor) कहा जाता है। इन्वेस्टर को छोटे मोटे मूवमेंट से कोई भी फर्क नहीं पड़ता है। वह एक बार किसी भी शेयर के फंडामेंटल को अच्छे से जान लेते हैं, और उसके बाद उसे लॉन्ग टर्म तक होल्ड करके रखते हैं।
इन्वेस्टर जो होते हैं, वह स्मार्ट वर्क करते हैं। मतलब की वह एक बार शेयर को लेने के बाद उसमे ध्यान नहीं देते और 5, 10 सालों तक उसे होल्ड करके रखते हैं। और जब opportunity दिखती है, तब उसे सेल कर देते हैं। जिस तरह ट्रेडर का ध्यान टेक्निकल एनालिसिस के उप्पर होता है, ठीक उसी तरह से इन्वेस्टर का ध्यान कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस पर होता है। फंडामेंटल एनालिसिस करने से इन्वेस्टर को कंपनी के बारे में एक आइडिया मिल जाता है, कि यह कंपनी फ्यूचर में कहां तक ग्रोथ कर सकती है।

इन्वेस्टिंग के प्रकार (Types of Investing)
इन्वेस्टिंग को मुख्यत हम 2 भागों में बांट सकते हैं।
- वैल्यू इन्वेस्टिंग (Value investing) – भविष्य में जो इंडस्ट्री ज्यादा डेवलप होगी, उन कंपनियों को पहचानना और उनमें इन्वेस्ट करना वैल्यू इन्वेस्टिंग कहलाता है।
- ग्रोथ इन्वेस्टिंग (Growth Investing) – ग्रोथ इन्वेस्टिंग का आशय उन कंपनियों में इन्वेस्टिंग करने से है, जो फंडामेंटल काफी स्ट्रांग होती है। जिन इंडस्ट्रियों का मार्केट में नाम भी होता है।
उम्मीद करता हूं, आपको मेरे द्वारा बताए गए Trading vs Investing के बीच क्या अंतर होता है, अच्छे से समझ आ गया होगा।